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श्रद्धा सुमन

जिंदगी से तो सभी प्यार किया करते हैं, हम तो, ‘देहान्त के पश्चात् भी अपनी देह या देह के अवयव मानवता की भलाई हेतु अर्पित करेंगें।’ ऐसे ही उद्गारों से ओत-प्रोत, सर्वस्व समर्पित करने वाले -देह/देह के अवयव दान करने वाले देह-दानियों को’,‘दधीचि देह दान समिति’ परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।...............

श्री विजय शर्मा
श्री विजय शर्मा मृत्यु के सामने भी रहे अपराजित। विश्व हिन्दू परिषद, दिल्ली प्रांत में कई दायित्वों का निर्वहन करने वाले श्री विजय शर्मा की शारीरिक अवस्था गत चार वर्ष से कुछ ठीक नहीं थी। उनका लिवर निरंतर दारुण वेदना का कारण बन रहा था। पर मातृ भूमि की सेवा का व्रत जो उन्होंने तीस वर्ष पूर्व लिया था वह अंत तक अखंडित रहा। उन्होंने तीन दशक तक आदर्श स्वयं-सेवक का जीवन जिया। विगत कई सप्ताह पूर्व उनकी किडनियों ने उनके शरीर का साथ छोड़ दिया था। कैलाश तथा इर्विन अस्पतालों के कुशल चिकित्सक भी उनकी किडनियों को स्वस्थ नहीं कर सके। अंततः 9 नवम्बर, 2014 को उन्होंने प्राण त्याग दिए। जाते-जाते भी वह समाज सेवा के यज्ञ की ज्वाला में नेत्र-दान कर पूर्ण-आहूति दे गए।

श्री सत्य प्रकाश सक्सेना
नेत्र-दान से पूरी हुई श्री सत्य प्रकाश सक्सेना की अंतिम अभिलाषा। हापुड़ में जन्मे छियत्तर वर्षीय श्री सत्य प्रकाश सक्सेना की यह भी अभिलाषा थी कि मरणोपरांत उनके सभी अंग मानवता की सेवा में दान कर दिए जाएं। परंतु तकनीकी कारणों से उनके परिजन इस इच्छा को पूरा नहीं कर सके। फिर भी, परिजनों ने उनके दोनों नेत्रों को दान कर उनका परमार्थिक कार्य पूरा करने का, अंततः कर्तव्य निभाया।

डा.गोविन्द राम साहनी
भारतीय अर्थशास्त्र के मर्मज्ञ 81 वर्षीय डाॅ. गोविंद राम साहनी ने अपने दोनों नेत्रों को मानवता हेतु समर्पित कर अर्थ जगत के जानकारों व शिक्षाविदों को नई प्रेरणा दी है। देश-विभाजन की त्रासदी के भुक्तभोगी डाॅ. साहनी मूलतः कैमलपुर, पाकिस्तान के थे। विभाजन के बाद वह अपने परिजनों के साथ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में बस गए। प्रारंभ से ही लगनशील व मेधावी छात्र थे। यही कारण रहा कि अर्थशास्त्र में एम.ए. करने के बाद उन्होंने अर्थशास्त्र के सिद्धांतों पर शोध किया। परिणामतः उनको विश्वविद्यालय ने पीएचडी की उपाधि प्रदान की। सन् 1959 में उन्होंने सोनीपत में प्रोफेसर का दायित्व ग्रहण किया। सन् 1961 में आरएमपी डिग्री काॅलेज में अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए। कई वर्ष तक बरेली में प्रधानाध्यपक के कार्य का सफल संचालन किया। बाल्य-काल से वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निष्ठावान व प्रतिबद्ध कार्यकर्ता थे।

डाॅ. साहनी ने मुख्य शिक्षक से लेकर दिल्ली प्रांत के िवभाग संघ चालक के रूप में मातृ भूमि की सेवा की। पांचजन्य व आॅर्गनाइज़र जैसी प्रमुख समाचार पत्रिकाओं के प्रकाशक भारत प्रकाशन के प्रबंधक का कार्यभार भी उन्होंने संभाला। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उन्होंने निरंतर लेखन कार्य किया। उनके प्राचीन भारतीय अर्थशास्त्र के सिद्धांत प्रकाशनाधीन हैं। डाॅ. साहनी ने अपने पीछे दो पुत्र तथा एक पुत्री से युक्त भरा-पूरा परिवार छोड़ा है।

श्री चुन्नीलाल
श्री चुन्नीलाल की मृत देह 24 दिसम्बर, 2014 को आर्मी मेडिकल काॅलेज, दिल्ली में भेजी गई व आंखें गुरुनानक आई बैंक, दिल्ली में दान की गईं। पाकिस्तान के मुल्तान ज़िले में 3 मार्च, 1926 को जन्मे श्री चुन्नीलाल रेलवे की नौकरी से रिटायर हुए थे। होम्योपैथी द्वारा इलाज करना उनका शौक था। आर्य समाज के अनुसार जीवन नियमित व साधित था। संभवतः यही कारण था कि एक वर्ष निरंतर बीमारी झेलते व बिस्तर पर पड़े रहने बावज़ूद उनका मनोबल बराबर बना रहा।
श्री चुन्नीलाल की पत्नी स्वर्गीय श्रीमती शांता की देह भी दधीचि देह-दान समिति द्वारा 8 मार्च, 2008 को दान की गई थी।

श्रीमती लक्ष्मी देवी
लाला दौलत राम की पत्नी श्रीमती लक्ष्मी देवी की आंखें राजेंद्र प्रसाद नेत्र चिकित्सा, एम्स, दिल्ली में दान की गईं। लक्ष्मी देवी जी का जन्म हरियाणा के हिसार ज़िले के चौधरी वास गांव में हुआ। विवाह भी हरियाणा में हुआ। उनके तीन पुत्र व चार पुत्रियां हैं। तीनों पुत्र संस्कारशील व समाज कार्यों से जुड़े हैं। सबसे बड़े पुत्र श्री नरेश अग्रोहा विकास ट्र्स्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। दूसरे पुत्र श्री शिव कुमार गीता बाल भारती स्कूल के चेयरमैन हैं। बाला जी मंदिर, विवेक विहार, दिल्ली के अध्यक्ष पद का कार्यभार भी शिव कुमार जी संभाल रहे हैं। तीसरे पुत्र श्री तरुण सेवा भारती के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाले हुए हैं। अंतिम सांस तक श्रीमती लक्ष्मी देवी का शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ था।

श्री थाना राम मखीजा
श्री थाना राम मखीजा की आंखें 29 दिसम्बर, 2014 को गुरु नानक आई बैंक, दिल्ली में दान की गईं। इनका जन्म 14 जून 1936 में पाकिस्तान के डेरा इस्माइल खां में हुआ। वहीं के ये स्वयं सेवक थे। एक नियमित स्वयं सेवक के रूप में इनका जीवन चला। शिशु मंदिर गुजरांवाला टाउन, दशहरा कमेटी, भारत विकास परिषद, महादुर्गा चैरिटेबल ट्र्स्ट, दुर्गा अस्पताल मुखर्जी नगर - इन सब संस्थाओं में श्री थाना राम प्रबंधन का कार्य करते थे। श्रम मंत्रालय के सेक्शन अधिकारी के पद से मखीजा जी रिटायर हुए थे। उनके पुत्र श्री सतीश मखीजा भी आरएसएस व सेवा भारती जैसे संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में काम कर रहे हैं।

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