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श्रद्धा सुमन

सबकी सहायता के लिए तत्पर

श्री ओम प्रकाश गोयल

श्री ओम प्रकाश गोयल का 1 जनवरी,2024 को 89 वर्ष के आयु में देहांत हुआ । वे दिल्ली के पीतमपुरा में रहते थे । उनके पुत्र ने अत्यंत सम्मान व गर्व के साथ उनके विषय में चर्चा की । 4 साल की आयु में पिताजी की मृत्यु के बाद स्व. गोयल बंगाल के टी गार्डन से जीवन शुरू करके हिसार (हरियाणा )और फिर नागौर (राजस्थान )में स्थापित हुए। उन्हें परिवार का कहीं से सहारा नहीं था। आज उनकी चार फैक्ट्रियां हैं। एक बार उनसे मिलने वाला व्यक्ति आजीवन उन्हें अपना ही समझता था। बहुतों के वे प्रेरक व आदर्श पुरुष थे। उनकी फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों की तीसरी पीढ़ी भी यही काम करना चाहती है । आर एस एस में सक्रिय रहे। हर समय , हरेक की सहायता के लिए तत्पर। परोपकार की भावना से आंखों के लिए व पोलियो ग्रसित लोगों के लिए शिविर भी लगाए। उनकी मृत्यु के बाद परिवार ने उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन करके मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है । परिवार का साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम उनके नेत्र सम्मान पूर्वक दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री राजीव गोयल 9810 285004

त्याग पर खड़ी थी उनकी जिंदगी

श्री ओम प्रकाश शर्मा

श्री ओम प्रकाश शर्मा का 81 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे वसुंधरा गाजियाबाद में रहते थे। उनके पुत्र ने हमें उनके बारे में लिखित जानकारी भेजी है- "अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री पंडित हरिओम शर्मा जी के पिताजी श्री ओमप्रकाश शर्मा जी का स्वर्गवास 85 वर्ष की आयु में 4 जनवरी, 2024 दिन मंगलवार को हो गया। स्वर्गीय ओमप्रकाश शर्मा जी कुछ समय से अस्वस्थ भी थे। श्री ओमप्रकाश शर्मा जी ने शिक्षा के क्षेत्र में कार्य किया। वे बदायूं में शिक्षा अधिकारी के पद पर रहे। शर्मा जी ने कई स्कूल बनाकर सरकार को चलाने के लिए दे दिए। अन्तिम समय में भी उनकी इच्छा अनुसार ही उनकी नेत्रों का दान किया गया। उन्हीं की प्रेरणा से उनका परिवार समाज सेवा के कार्य में लगा रहता है। अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा दिवंगत आत्मा को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं। "

स्व. ओमप्रकाश के नेत्रदान करके परिवार ने समाज में एक आदर्श स्थापित किया है । परिवार का साधुवाद । ई एस आई सी फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्रदान में लेकर गई । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री हरिओम शर्मा 9810606788

जाते - जाते जन कल्याण

श्रीमती सविता जैन

श्रीमती सविता जैन का 89 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के शक्ति नगर में रहती थीं । 5 जनवरी को उनकी मृत्यु के बाद,परिवार ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री तुषार 981051 5811

आस्थावान सोच

श्रीमती संतोष गोगिया

श्रीमती संतोष गोगिया का 66 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वे दिल्ली के पंजाबी बाग (पश्चिम) में रहती थीं। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में चर्चा हुई । स्व. संतोष मंदिर और गुरुद्वारे से जुड़ी हुई थीं । जहां आवश्यकता हो वहां हमेशा सहायता को तैयार। करमपुरा में एक एन जी ओ में बच्चों के लिए काम करती थीं। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार ने नेत्रदान की व्यवस्था की। रिश्तेदारी में छिटपुट विरोध की आवाज़ भी सुनाई दी पर उनके बेटे के शब्दों में "हमें तो मां की चाहत पूरी करनी थी " एक अच्छी बात यह हो गई कि जब सब प्रक्रिया पूर्ण हो गई तो फिर यही चाहत बहुतों के लिए प्रेरणा बन गई। बेटे ने तो तभी देहदान का संकल्प ले लिया। हर समय सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्तित्व समाज में प्रेरक उदाहरण भी प्रस्तुत कर गया । परिवार जनों का अभिवादन । 5 जनवरी,2024 को स्व. गोगिया के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री रोहित गोगिया 981856 9603

परोपकार की छांव

श्रीमती शील आहूजा

श्रीमती शील आहूजा का 86 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे दिल्ली के रोहिणी में रहती थीं। उनके पुत्र ने गर्व से अपनी मां को याद करते हुए फोन पर बात की । स्व.शील ने 8 भाई बहनों के परिवार में बड़ी बहू का दायित्व बहुत सुंदर ढंग से निभाया । परिवार को जोड़कर रखा । सादा जीवन रहा उनका ।राधा स्वामी संप्रदाय से जुड़ी हुई थीं। वहां पर नेत्रदान के विषय में सुना और फिर अपने बेटे से इस विषय को अच्छी तरह समझा । स्वयं से अपनी इच्छा भी जताई। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार ने 5 जनवरी, 2024 को स्व. शील के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर को दान किए। परिवार का साधुवाद । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री राजेश आहूजा 981035655

सबसे बड़ा दान

श्रीमती रंजना चावला

श्रीमती रंजना चावला का 68 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे दिल्ली के पंजाबी बाग में रहती थीं । 7 जनवरी,2024 को मरणोपरांत स्व. रंजना का पार्थिव शरीर एम्स के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया । योग्य चिकित्सकों के निर्माण में यह शरीर एक माध्यम बनेगा। परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: श्री सौरभ चावला, 9811811440

असली सेवा तो यही है !

श्रीमती भगवती अग्रवाल

श्रीमती भगवती अग्रवाल का 78 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे आई.पी एक्सटेंशन, दिल्ली में रहती थीं। उनकी पुत्रवधू ने उनके विषय में लिखित जानकारी भेजी है-

" श्रीमती भगवती अग्रवाल जी एक धार्मिक प्रवृत्ति की आधुनिक विचारों वाली महिला थीं। वे अपने आसपास होने वाले सभी तरह के सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेती थीं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करती थीं। उन्हें लोगों से मिलना-जुलना बहुत पसंद था। स्वास्थ्य के प्रति उनकी जागरूकता दूसरों के लिए एक उदाहरण थी। वे अपने आसपास की सभी महिलाओं को योग व प्राणायाम करने के साथ साथ आयुर्वेद पद्धति के अनुसार रहने को कहती थीं और स्वयं भी इसका प्रतिदिन पालन करती ‌थी। वे नारायण सेवा संस्थान, गायत्री चेतना केंद्र आदि संस्थाओं से भी जुड़ी थीं।

ऐसे ही एक कार्यक्रम में उन्हें अंगदान के विषय में जानकारी मिली और तभी से उन्होंने इसका निश्चय कर लिया और परिवार को इस विषय में बताया भी। उनकी अंतिम इच्छा भी यही थी। उनके निर्भीक दृढ़ निश्चय से ही यह सम्भव भी हो पाया है। मैं उन्हें प्रणाम करती हूं। "

9 जनवरी,2024 को एम्स की टीम स्व. अग्रवाल के नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधु श्रीमती विनीता अग्रवाल 987126 9587

परिवार को नमन

श्री लक्ष्य आनंद

श्री लक्ष्य आनंद का 15 वर्ष की अल्पायु में ही देहासान हो गया । वे विशाल एनक्लेव में रहते थे । दुखद क्षणों में भी परिवार ने नेत्रदान का विचार किया और दान प्रक्रिया की व्यवस्था में धैर्य पूर्वक योगदान दिया । परिवार को नमन, कठिन असहनीय स्थिति में भी मानवता की सेवा के लिए एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए। गुरु नानक ऑय सेंटर की टीम 9 जनवरी,2024 को सम्मान सहित स्व. लक्ष्य के नेत्रदान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पिता श्री महेश 931294 2974

उनकी जिंदगी तो तपस्या थी

श्रीमती सुशीला देवी

श्रीमती सुशीला देवी की 92 वर्ष की आयु में जीवन यात्रा पूर्ण हुई। वे फरीदाबाद में रहती थीं। उनके पुत्र से उनके विषय में फोन पर बात हुई। स्व. सुशीला एक धार्मिक महिला थीं। निरंकारी भवन में नियमित रूप से सत्संग में जाती थी। स्वभाव विनम्र व कभी किसी से कोई शिकायत नहीं। उन्होंने स्वयं ही अपने नेत्रदान की इच्छा परिवार को बताई थी। उनका कहना था कि" राख होने से अच्छा है किसी के काम आ जाएगी यह आंखें" परिवार जनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 12 जनवरी को मरणोपरांत उनके नेत्र ईएसआई मेडिकल कॉलेज में दान कर दिए। मानवता की सेवा में किए गए इस पुण्य कार्य के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के प्रति हम अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री अरुण बब्बर 9911177652

परोपकार की सुगंध रह गई

श्रीमती उर्मिला देवी

श्रीमती उर्मिला देवी का 89 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वे दिल्ली के मानसरोवर पार्क रहती थीं। उनके पुत्र से उनके विषय में लंबी चर्चा हुई । वे स्वयं शिक्षित नहीं थी ,इसलिए पढ़ाई के महत्व को बखूबी समझती थीं। मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाया और संस्कारी बनाया। स्वयं धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। खाने के समय कोई भूखा आ जाए तो भोजन अवश्य कराती थीं। उनके पुत्र के शब्द " कम खा लेना पर कभी भीख नहीं मांगना और ना ही कभी चोरी करना, किसी भी तरह की मेहनत करने से घबराना नहीं " यह सब संस्कार ही है जो परिवार जनों ने 14 जनवरी, 2024 को उनका पार्थिव शरीर चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान में दिया। परिवार का अभिवादन । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री अश्विनी 9013524417

संकल्प के पक्के

श्री रघुनाथ प्रसाद

श्री रघुनाथ प्रसाद का 89 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे साहिबाबाद में रहते थे । उनके भाई ने आदरपूर्वक उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-" उनकी शिक्षा जैन इंटर कॉलेज खेकड़ा (जिला बागपत )से हुई । फिर दिल्ली जीपीओ में एक पोस्टमैन के रूप में अपनी सेवाएं दीं। आपका झुकाव संगीत एवं गायन की तरफ रहा । ढोलक बजाने में विशेष महारत प्राप्त थी । रेलवे सांस्कृतिक क्लब के कई कार्यक्रमों में आपने भजन गाए। खेलों में रुचि थी। वॉलीबॉल की टीम के कई वर्ष तक कप्तान रहे। दिल्ली मंडल की ट्रॉफी भी जीती। वॉलीबॉल में कोच की ट्रेनिंग लेकर गांव साहिबाबाद के नवयुवकों को प्रशिक्षित किया । स्थानीय खेल प्रतियोगिताओं में गांव की टीम का प्रदर्शन अच्छा रहता था ।आपने अपना नाम प्रेमी जी सार्थक किया । आप मृदुभाषी एवं सहृदय स्वभाव के थे। पूरे गांव में ,अपने कार्यालय में एवं समाज में आप प्रेमी जी के नाम से जाने जाते रहे। दूसरों की सहायता के लिए सदैव तैयार रहते थे , जिस कारण आपको कई बार हानी भी उठानी पड़ी। आपने सादा जीवन ,उच्च विचार को अपनाया । इसी कारण आयु पर्यंत बीमारियों से बचे रहे। अपने छोटे भाई से प्रेरणा लेकर देहदान का निर्णय लिया था। आपकी इच्छा का सम्मान करते हुए आपके देहावसान के बाद देहदान की औपचारिकता पूरी की गई। देहदान समिति ने इस कार्य को सहजता और सफलतापूर्वक पूर्ण करने में सहयोग किया। "

14 जनवरी,2024 को उनका पार्थिव शरीर एम्स में चिकित्सा छात्रों की पढ़ाई के लिए दान दिया गया । मानवता की सेवा में यह एक अतुलनीय दान है। परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र: भाई श्री जगन्नाथ चौहान 9013664106

उत्साह के साथ जनसेवा

श्री राकेश कुमार

श्री राकेश कुमार का 60 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे नई दिल्ली के सागरपुर में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में लिखकर भेजा है-"वह शुरू से ही शांत स्वभाव के थे। ईश्वर में उनकी काफी आस्था थी। उन्होंने सिर्फ दसवीं तक शिक्षा प्राप्त की थी। उसके बाद वह खेती बाड़ी में लग गए ।20 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई । खेती में मेहनत करके उन्होंने अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा लिखा कर सब की शादी की । उनका व्यवहार सबके साथ अच्छा था ।उन्होंने अपना जीवन सादे तरीके से जिया । सब की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे ।"

14 जनवरी, 2024 को उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार जनों ने उनकी त्वचा दान करने में सहमति बनाई । एम्स की टीम सम्मान सहित त्वचा लेकर गई। गंभीर रूप से जले हुए रोगियों के शीघ्र लाभ के लिए त्वचा का प्रयोग किया जाएगा । परिवार के इस पुण्य कार्य के लिए उनका अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री अमित 9911317801

जिंदगी के बाद भी सेवा भाव

श्री भोलाराम रंजन

श्री भोलाराम रंजन का 102 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। अपने अंतिम समय में वे पहाड़गंज के आश्रम में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विशाल व्यक्तित्व को अपने कुछ शब्दों में बताने की कोशिश की है-

" दीर्घकाल तक संघ कार्यालय झंडेवालान में संघ के पर्याय रहे श्रीमान भोलानाथ जी का जीवन सतत कर्तव्य, समर्पण, सेवा एवं निस्वार्थ त्याग की कहानी है । साधारण परिवार में जन्मे श्री भोलानाथ जी ने अल्पायु में ही अपने पिताजी को खो दिया । उनकी माताजी पड़ोस के जानकार बंधुओं के घर पर काम करके जीवन निर्वाह करने लगी। बाल्यकाल से ही मां की सहायता हेतु इन्होंने भी मां के साथ काम करना शुरू किया। दसवीं की परीक्षा पास करके एक वकील के पास मुंशी गिरी का काम किया। फिर भारतीय रेलवे में नौकरी मिल गई । लगभग 1940 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निकट आए। ये रावलपिंडी के स्वयंसेवक बने। स्थानांतरण होने के कारण कुछ कठिनाइयों को झेलते हुए परिवार सहित लखनऊ आ गए। महात्मा गांधी की हत्या के पश्चात संघ पर प्रतिबंध लगा और सत्याग्रह करने पर इनकी नौकरी छूट गई । बाद में एलआई सी में नौकरी करते हुए 1982 में सेवानिवृत हुए ।इसी बीच उन्होंने प्रभाकर तथा बी ए की शिक्षा भी कर ली थी ।1954 में दिल्ली आ गएऔर संघ में भिन्न-भिन्न दायित्वों पर रहे। इनको प्रभु कृपा से दो पुत्र तथा तीन पुत्रियां प्राप्त हुई । आज उनके ज्येष्ठ पुत्र बलदेव राज रंजन (अधिवक्ता) जीवित है। शेष चारों का निधन उनके जीवन काल में हो गया, परंतु वे डगमगाए नहीं । उन्होंने वाणप्रस्थी प्रचारक बनने का व्रत लिया हुआ था और उसी अनुसार सेवा निवृत होने पर माननीय प्रेमचंद जी गोयल, दिल्ली प्रांत प्रचारक की उपस्थिति में घर से निकल कर 1982 से झंडेवाला कार्यालय में आ गए। 42 वर्ष उन्होंने संघ कार्यालय प्रमुख का दायित्व संभाला और इस काल में वे केवल अपनी पत्नी कौशल्या देवी की रुग्ण अवस्था में सेवानिमित्त 8 /10 दिन के लिए अवकाश लेकर अस्पताल में रहे। तभी उनकी पत्नी भी स्वर्ग सिधार गई। भोलानाथ जी के चेहरे पर सदैव मुस्कान रहती थी ,जो सब ने लगभग 1 वर्ष पूर्व उनके पोते की शादी में भी देखी । संघ कार्यालय में उन्हें अपूर्व सम्मान और स्नेह मिला । माननीय भागवत जी का भी कहना था कि भोलानाथ जी और संघ कार्यालय पर्याय ही हैं। कोई न कोई कार्यकर्ता उनकी सेवा में भी रहा। पीयूष व बंटी दोनों युवक उनकी देखरेख करते थे। जीवन भर वर्गों में दंड युद्ध के शिक्षक रहने के कारण उनका स्वास्थ्य अंतिम समय तक अच्छा रहा। उन्हें छड़ी पकड़ना या किसी का सहारा लेना कभी अच्छा नहीं लगा। 15 जनवरी को कुछ खाने संबंधी समस्या होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया और 16 को प्रातः प्रभु की इच्छा अनुसार उनका स्वर्गवास हो गया। उनका पार्थिव शरीर एम्स से संघ कार्यालय लाया गया। उन्होंने अपने परिवार जनों के समर्थन से अपना शरीर दधीचि देहदान समिति के माध्यम से दान करने का संकल्प लिया था। संघ कार्यालय में विधिवत सबने उनको श्रद्धांजलि दी। सौभाग्य से माननीय आलोक कुमार जी, संस्थापक दधीचि देहदान समिति ,भी उपस्थित थे। अंतिम श्रद्धांजलि पूजनीय सरसंघ चालक जी ने दी । सायं 4.20 पर लेडी हार्डिंग अस्पताल के डॉक्टरों ने उनकी समर्पित देह को स्वीकार किया। भोलानाथ जी का संयमित एवं समर्पित जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।"

परिवार जनों ने स्व. भोलानाथ जी के संकल्प का सम्मान करते हुए उनका पार्थिव शरीर चिकित्सा जगत की सेवा में समर्पित किया।परिवार का अभिवादन। सत्कर्मों द्वारा समाज सेवा को समर्पित व्यक्तित्व ने अपना आगे का मार्ग स्वयं ही प्रशस्त किया है। सादर नमन!

संपर्क सूत्र : पुत्र ,श्री बलदेव राज 9810063396

अब उनकी आंखें देखेंगी इस खूबसूरत दुनिया को

श्रीमती किरण भाटिया

श्रीमती किरण भाटिया का 77 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे रोहिणी में रहती थीं। उनके परिवार ने मानवता की सेवार्थ स्व.भाटिया के नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है । परिवार का साधुवाद । 17 जनवरी को ईएसआई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्रवधू श्रीमती भावना भाटिया 9811858850

असली धर्म तो यही

श्री पृथ्वीराज गाखर

श्री पृथ्वीराज गाखर का 88 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे आई पी एक्सटेंशन, दिल्ली में रहते थे । उनके पुत्र ने आदरपूर्वक उनके विषय में चर्चा की। स्व. पृथ्वीराज एक्यूप्रेशर थैरेपिस्ट थे ।सेवा कार्यों में अधिक रुझान था। घर के पास ,बालाजी मंदिर में प्रतिदिन 2 घंटे अपनी चिकित्सा सेवा देते थे । उनकी स्वयं की देहदान व नेत्रदान की इच्छा थी । परिवार ने उनके संकल्प का सम्मान करते हुए उनका पार्थिव शरीर यूसीएमएस जीटीबी को दान किया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अमूल्य भेंट है। इस पार्थिव शरीर में मेडिकल कॉलेज के छात्रों में प्रथम गुरु का सम्मान प्राप्त किया है। उनके नेत्र आर पी सेंटर, एम्स की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । मानव सेवा के इस प्रेरक कार्य के लिए परिवारजनों का अभिवादन । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री रविंद्र कुमार गाखर 980150019

परलोक जाते हुए सत्कार्य

श्री मनमोहन गोयल

श्री मनमोहन गोयल का 85 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे गाजियाबाद के निवासी थे । उनके विषय में उनके पुत्र से विस्तृत जानकारी मिली है । स्व. गोयल के परिवार का संबंध स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। पीढ़ियों से प्रखर हिंदूवादी परिवार है। उत्तर भारत की पहली वायर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट इन्होंने लगाई थी। उद्योग और उद्यमियों की समस्या के लिए संघर्षरत रहे । जुझारू, पारदर्शी और सरल व्यक्तित्व के स्वामी थे। एक बार मिलने पर ही यह अपने व्यक्तित्व की छाप सामने वाले पर छोड़ देते थे ।औद्योगिक, सामाजिक व धार्मिक संगठनों की एक लंबी सूची है जो इनके द्वारा शुरू किए गए अथवा उनमें एक महत्वपूर्ण दायित्व को निभाया । कई सरकारी महत्वपूर्ण समितियों में सदस्य भी रहे। स्व. गोयल सत्ता और लालच से हमेशा दूर रहे। ये मृदुभाषी ,विनम्र, हमेशा सच्चाई का साथ देने वाले, दबंग एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले थे । 'रामचरितमानस का वैज्ञानिक स्वरूप ' इनके द्वारा लिखी पुस्तक ज्ञानी जनों द्वारा सराही गई । ये ज्योतिष के प्रकांड विद्वान रहे। गाजियाबाद नगर के सामाजिक जीवन को इन्होंने आश्चर्यजनक रूप से व्यापक स्तर पर प्रभावित किया था। नगर वासियों से इन्हें हमेशा अगाध प्रेम व सम्मान भी मिलता रहा। निरंतर दान करते रहने की उनकी प्रवृत्ति के अनुरूप ही परिवार ने उनके नेत्रदान करके इन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है। परिवार का अभिवादन । 21 जनवरी को गवर्नमेंट आई बैंक, मेरठ की टीम उनके नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई। विशाल हृदय और प्रेरक व्यक्तित्व के धनी स्व. गोयल ने अपने जीने के प्रकार से अपनी पारलौकिक यात्रा निश्चय ही प्रशस्त की है। दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार का सादर नमन ।

संपर्क सूत्र: पुत्र ,श्री उपेंद्र गोयल 9990513646

समाज को रोशनी दे गईं

श्रीमती त्रिशला जैन

श्रीमती त्रिशला जैन का 70 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वे गाजियाबाद में रहती थीं। 22 जनवरी को मरणोपरांत उनके नेत्र गवर्नमेंट आई बैंक, मेरठ में दान किए गए। उनका पार्थिव शरीर मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए भेंट किया गया। कॉलेज में शरीर क्रिया विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों में यह पार्थिव देह प्रथम गुरु के रूप में सम्मानित रहेगी। समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री संजय जैन 9818075178

अमर हो गया नाम

श्रीमती लीला महाजन

श्रीमती लीला महाजन का 90 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वे रोहिणी में रहती थीं। वे धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। लखनऊ की दादाजी परंपरा में विश्वास रखती थीं। ऋषिकेश में स्वामी ज्ञान स्वरूप जी के आश्रम में भी उनकी आस्था थी। बरसाने उनका नियमित जाना होता था। रिश्तों को उन्होंने जोड़कर रखा हुआ था। परिवार में अपनी बात मनवाने का अंदाज अनोखा ही था। 22 जनवरी को मरणोपरांत उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान दान में लेकर गई । मानवता की सेवा में किए गए इस पुण्य और प्रेरक कार्य के लिए परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री उमेश महाजन 9312431736

समाज से प्रेम का उदाहरण

श्रीमती प्रेमी देवी

श्रीमती प्रेमी देवी ने 70 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे करोल बाग में रहती थीं। उनकी पोती ने उनके साथ बिताए अपने समय को भावपूर्ण शब्दों में लिखकर भेजा है-" Recently, I just lost my beloved grandmother who passed away on 23rd January 2024 of illness and we will miss her terribly.

She was one special lady and the loss of her is felt deeply by many, even though she lived a full life. For the past few months, she bravely fought through her illness due to ageing. And seeing her suffer in those last hours was extremely difficult.

The love of a grandma is unique. God must have given grandmothers to us to liven up our lives, to make our lives more complete, to make us well rounded and better human beings. She played a big part in my childhood and I can remember so many times going with her to the park and just sitting with her watching other children play. She always asked me to go play with but for some reason I always found myself sitting beside even though I wanted to play with them.

Still, we can’t believe my lovely Grandma was taken away from us . We will miss our Grandmother, but her spirit and strength lives on in each of us and in the lives that she touched. She lives on in me and in all those who have been touched by the love, strength, conviction, wisdom, and beauty of her soul.

Love you grandma – You truly were a special, special woman! You may have passed on, but your memories would always live on within us. Thank you for your sacrifices, your care and concern, your love and everything that you have done for me. Wherever you are, I know you are in a much better place. I will be forever grateful and thankful that you are my ‘grandmother .

Rest in Peace Grandmother...we will never forget you and we will always love you forever..."

23 जनवरी को उनका पार्थिव शरीर मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए दान में दिया गया । परिवार जनों का साधुवाद। मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अतुलनीय दान है । समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है ।

संपर्क सूत्र : पोती सुश्री महिमा 880 2134 643

निर्मल मन , उत्तम काम

श्रीमती निर्मला जैन

श्रीमती निर्मला जैन का 62 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली शाहदरा में रहती थीं। उनके पति से फोन पर बात हुई । उन्होंने बताया कि वे स्थानक जाती रहती थीं। एक घरेलू महिला थी। "मरने के बाद शरीर किसी के काम आ सकता है तो अवश्य उसे काम लेना चाहिए" इसी भावना से उन्होंने स्वयं से नेत्रदान की इच्छा व्यक्त की थी । समय आने पर परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान किया । परिवार का अभिवादन । 23 जनवरी को गुरु नानक आई सेंटर की टीम स्व. निर्मला के नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र: पति श्री प्रमोद जैन 9810 186475

परोपकार की माई

श्रीमती नीलम लता

श्रीमती नीलम लता का 75 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के विजय नगर में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदरपूर्वक उन्हें याद करते हुए हमें लिखित संदेश भेजा है-

" Smt Neelam Lata Ji - A true Braveheart Lady, a responsible mother, a responsible wife, an obedient daughter and daughter-in-law and a restrained cop. She was graduated in B.A. (History) from Daulat Ram College, University of Delhi and M.A. (social work) from Delhi School of Social Work, University of Delhi. She served her nation as Sub-Inspector in Delhi Police and then as an Inspector and also as an Assistant Commissioner of Police in Delhi Police. After serving in Delhi police with true heart and soul for 38-years and 3 days, she got superannuated honorably on 30-06-2009 and since then also she had been serving the nation till her last breath. She had been a restrained, extraordinary and outstanding person. Even if all the trees become the pen and whole water becomes the ink, even then, I, the Son of such a true Braveheart soul, cannot explain her citations, exploits, medals and the challenges she fought with during her life. Many times, during her life, she refused to die as she had been too busy in facing the challenges and performing her duties, but on 24-01-2024, She finally had a rest. However, She, even afterwards, is still with us and is still taking care of her near and dear ones. If anybody ask me how a real woman looks like, my answer is 'She is my Mom'. She even gave her eyes and body during her lifetime in order to give something to the world out of her death even."

24 जनवरी को परिवारजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनके देहदान और नेत्रदान की प्रक्रिया को धैर्य पूर्वक करवाया। परिवार का अभिवादन । ई एस आई फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई । स्व. नीलम का पार्थिव शरीर हिंदू राव मेडिकल कॉलेज के छात्रों में प्रथम गुरु के रूप में सम्मानित है । समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है ।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री आनंद दर्शन 9810888917

अंतिम समय तक समाज के काम

श्रीमती मलकीत

श्रीमती मलकीत का 70 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे बल्लभगढ़ में रहती थीं। उनके पति ने फोन पर बताया कि वे ज्योति बसु से प्रभावित होकर देहदान के विषय को समझते थे। दधीचि के कार्यकर्ता अजीत जी द्वारा इस विषय पर चर्चा होते सुन उन्होंने अपना व अपनी पत्नी का वहीं संकल्प पत्र भर दिया। स्व. मलकीत धार्मिक व शांतिप्रिय स्वभाव की महिला थीं। किसी के गलत बोलने पर भी वे अपना व्यवहार सहज ही रखती थीं। 24 जनवरी को स्व. मलकीत का पार्थिव शरीर ई एस आई अलवर में दान किया गया। मेडिकल की पढ़ाई करने वाली छात्रों के लिए यह एक अतुलनीय दान है । उनके नेत्र ई एस आई फरीदाबाद की टीम सामान सहित दान में लेकर गई । मानवता की सेवा में किए गए इस पुण्य कार्य के लिए परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र: पति श्री रघुवीर 90815560752

एक अनूठा उदाहरण

श्री विवेक सक्सेना

श्री विवेक सक्सेना का 47 वर्ष की आयु में देहांत हो गया । वे इंदिरापुरम में रहते थे । उनकी बहन ने अपनी भावनाएं अपने शब्दों में हमें लिखकर भेजी है-"प्रिय विवेक सक्सेना (डब्बू) तुम जहां भी हो सुखी रहो तुम्हारी आंखें सदा के लिए किसी के जीवन में रोशनी प्रदान कर रही है तुम्हारी बहन मीनाक्षी के लिए यह एक कठिन निर्णय था परंतु मैं गर्व करती हूं क्यों कि मैं इस कठिन निर्णय पर पहुंच पाई और तुम्हारी आंखों के द्वारा तुमको इस धरती पर दूसरों के माध्यम से देखने का सौभाग्य प्राप्त कर रही हूं।"

27 जनवरी,2024 को आई केयर सेंटर नोएडा की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। इस पुण्य कार्य के क्रियान्वयन के लिए परिवार जनों का आभार । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र: बहन सुश्री मीनाक्षी सक्सेना 9818560707, 98180 75207

महादान ! महाकल्याण !

सुश्री राधिका सेन गुप्ता

सुश्री राधिका सेन गुप्ता का 33 वर्ष की अल्पायु में ही 27 जनवरी, 2024 को देहांत हो गया । वे गुरुग्राम में रहती थी। दुख की घड़ी में उनके परिवार जनों ने चिकित्सा जगत की सेवा में इनका पार्थिव शरीर ईएसआई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद को दान किया। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पिता, श्री प्रदीप राय गुप्ता 9910166307

आंखों में समाज का दर्द

श्री अश्विनी निझावन

श्री अश्विनी निझावन का 64 वर्ष की आयु में निधन हुआ । वे लाजपत नगर में रहते थे । उनकी पत्नी ने उनके विषय में फोन पर चर्चा की । स्व. अश्विनी शांत और मिलनसार स्वभाव के थे । तन मन धन से किसी की भी सेवा को तत्पर रहते थे । उन्होंने अपने माता-पिता की खूब सेवा की। 29 जनवरी,2024 को मरणोपरांत उनके नेत्र ,गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवारजनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार की श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र :पत्नी श्रीमती आशा 92133 27793

समाज के लिए प्रेरणा

विंग कमांडर रवि बहल

विंग कमांडर रवि बहल का 78 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे वसंत कुंज में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-

"My Father Ravinder Dev Bahl left for his heavenly Abode at the age of a little more than 79.5 aprx on 30th Jan 2024. He was a Pilot in the Air Force & took Pre Mature retirement as a Wing Cdr. years back. It was his very strong & heartfelt desire to donate his full body for the benefit of mankind.He did the necessary paperwork & donated his body a few years before his demise.By his noble act he inspired many to donate their Organs/Full body for the benefit of mankind and as an act of paying back to the Universe. May his soul rest in peace & we pray that may his soul attain Sadgati as per the divine will.Om Shanti ! "

30 जनवरी,2024 को स्व. बहल की इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार जनों ने उनका पार्थिव शरीर ईएसआई मेडिकल कॉलेज ,फरीदाबाद को दान में दिया। चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह एक अतुलनीय भेंट है। परिवार का अभिवादन । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र,श्री रजत 9 8 7 3 1 0 2 1 7 5

यह गर्व करने की बात है !

श्रीमती सुमन जैन

श्रीमती सुमन जैन का 78 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे दिल्ली के अशोक विहार में रहती थीं। उनकी पुत्रवधू ने उनके विषय में भावपूर्ण संदेश भेजा है-

"सुमन जैन एक बहुत ही शानदार शख्सियत वाली महिला थीं। जीवन का हर रोल वे बखूबी निभाती चली गईं.... बेटी का ,बहन का, मां का, सास का ,दादी और नानी का ....हर रूप में वे आति स्नेहिल रहीं। एक लंबे अरसे तक जिस वीरता और निस्वार्थ भाव से उन्होंने अपने पति की सेवा की ,वह अत्यंत सराहनीय है ।बचपन से ही तीव्र बुद्धि होने के कारण शिक्षा में हमेशा अव्वल रही। अपने समय में उन्होंने मिरांडा हाउस से अंग्रेजी में एम ए किया , जो उस समय एक बड़ी बात थी । विवाह के बाद भरे- पूरे संयुक्त परिवार में वे कम समय में ही सबकी आंखों का तारा बन गईं। वे एक कुशल गृहिणी ,बेहतर सलाहकार, बेहतरीन दोस्त और एक अजीज व्यक्तित्व वाली महिला थीं। वह एक सर्वश्रेष्ठ शिक्षिका भी थीं। उनके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला । वे एक धर्मनिष्ठ सेविका थीं। जरूरतमंदों को सहायता करने के लिए सदैव तत्पर रहती थीं। अपने संस्कार ,सिद्धांत और उच्च परंपरा के लिए वे हमारे हृदयो में हमेशा एक आदर्श रहेगी । हमारा परिवार दधीचि देहदान समिति का भी सदैव आभारी रहेगा।"

30 जनवरी को स्व. सुमन के नेत्र, गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । मानवता की सेवा में किए गए इस अतुलनीय दान के लिए परिवार का अभिवादन । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र : पुत्र वधू ,श्रीमती दीप शिखा जैन 965495 6880

दुनिया रखेगी याद

श्री सुदेश कुमार मोदी

श्री सुदेश कुमार मोदी 80 वर्ष की आयु में दिवंगत हो गए । वे पीतमपुरा में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके व्यक्तित्व को अपने शब्दों में लिखकर हमें भेजा है-"श्री सुदेश मोदी आदर्शवादी और प्रेरणादायक थे। उनका पूरा जीवन कठोर परिश्रम और संघर्ष में बीता। वे धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे। उनकी ईश्वर में गहरी आस्था थी। वे हमेशा समाज की प्रथम स्थान पर रखते थे। भलाई को अपने जीवन में लोगों की सहायता के लिए अपने जीवन को दाँव पर लगाने से भी नहीं झिझकते थे। वे बहुत निडर, साहसी और दृढ़ निश्चयी थे। अपने सरल और मृदु स्वभाव से सबका दिल जीत लेते थे। लोग अपनी मुश्किलों के हल के लिए उनके पास आते थे और वे उनकी मुश्किलों को सुलझाने का यथासम्भव प्रयास करते थे। अपने करूणामय स्वभाव के चलते ही उन्होंने अपने अंतिम समय में भी अपनी देह को दूसरों की भलाई के लिए दान कर संसार से अन्तिम विदाई ली औ और मृत्यु के बाद भी अपने जीवन को सार्थक बनाया। करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए। "

30 जनवरी, 2024 को स्व. सुदेश का पार्थिव शरीर वी एम एम सी ,सफदरजंग के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया । विद्यार्थियों के लिए यह एक अतुलनीय दान है । शरीर क्रिया विज्ञान की पढ़ाई के लिए यह पार्थिव शरीर प्रथम गुरु के रूप में सम्मान प्राप्त करेगा । गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई । परिवार जनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र,श्री हिमांशु मोदी 9891609 200

प्रेरक सोच की मिसाल

श्री महावीर प्रसाद गुप्ता

श्री महावीर प्रसाद गुप्ता का 80 वर्ष की आयु में निधन हुआ। ये शक्ति नगर में रहते थे। उनके एक निकट संबंधी ने उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-" ये मध्यम वर्गीय परिवार में बड़े पुत्र थे। उनके पिताजी एक प्राइवेट सर्विस में थे ,अतः परिवार की गुजर बसर का भार उनके कंधों पर भी था। इसी वजह से ये अपनी शिक्षा पूरी न कर सके। इनका स्वभाव हमेशा लोगों की सेवा करने का रहा। इस कारण इन्हें कई बार हानि भी उठानी पड़ी। अपने भाइयों की व अन्य संबंधियों की बहुत मदद की। सीमित आय के कारण अपने खर्चों को सीमित रखते हुए अपनी दान भावना को भी पुष्ट करते रहते थे । उनकी जनकल्याण की भावना का इसी से पता चलता है कि ये समय-समय पर परिवार को अपने नेत्रदान का संकल्प याद दिलाते रहते थे । वह कहते थे, "शोक की घड़ी में मेरे नेत्रदान करना मत भूल जाना । हम उनकी इस भावना को नमन करते हैं। हमारे लिए और समाज के लिए उनकी यह प्रेरक सोच सम्मान का विषय है।"

30 जनवरी ,2024 को स्व. महावीर प्रसाद के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। समाज में अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवारजनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री संजय गुप्ता 98716 500015

उन आंखों से अब कोई जमाने को देखता है

श्री कैलाश जग्गा जी

" जिन आंखों से मां देखती थी हम सबको

अब उन आंखों से कोई जमाने को देखता है

सब संभाल कर रखें ये नेमते भगवान की

बेशकीमती चीजें दे के ऊपर वाला भेजता है

हम सब है गौरवान्वित मां ने दिया चक्षु का दान है

ऐसी मां के होने का हमको बहुत अभिमान है !"

स्व.कैलाश जग्गा जी के पुत्र श्री दीपक जग्गा के ऊपर लिखे शब्द हम सबको प्रेरणा देने वाले हैं।: 1 फरवरी को स्व.कैलाश के नेत्र एम्स की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र :पुत्र ,श्री दीपक जग्गा 9910383140

मरने के बाद भी जो काम आए

श्री सुभाष मलिक

श्री सुभाष मलिक का 85 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वे दिल्ली के कीर्ति नगर में रहते थे । उनकी पत्नी ने विस्तार से उनके विषय में फोन पर बात की । वे बहुत सरल स्वभाव व नरम दिल इंसान थे । अपनी फैक्ट्री के कर्मचारियों के लिए उनका व्यक्तित्व पिता तुल्य था । उनके अच्छे व्यवहार के कारण उनके संबंध बहुत अच्छे बनते थे । परिवार से उनका आत्मीयता पूर्ण जुड़ाव रहा। जीवन में जो कुछ बने सब अपनी लगन व मेहनत से। अपने माता-पिता का बहुत आदर किया । हर समय मुस्कुराता चेहरा व जीवंत व्यक्तित्व उनकी पहचान थी । पंजाब केसरी सीनियर सिटीजन क्लब के सभी कार्यक्रमों में उत्साह से हिस्सा लेते थे । फैशन शो, फैंसी ड्रेस और डांस शो सब उनके प्रिय कार्यक्रम होते थे । 1 फरवरी को स्व. मलिक के नेत्र एम्स की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। परिवार जनों ने मानवता की सेवा में एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है, साधुवाद । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पत्नी श्रीमती शशि 9910855771

जिएं तो कुछ ऐसे जिएं

श्रीमती कृष्णा जेटवानी

श्रीमती कृष्णा जेटवानी का 80 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे फरीदाबाद में रहती थीं। उनके पुत्र, जो दधीचि के कार्यकर्ता भी हैं ,ने आदर पूर्वक उनके विषय में चर्चा की। वे घरेलू महिला थी । परिवार को अच्छे से जोड़ कर रखा हुआ था। विनम्र स्वभाव व सबसे मिलने जुलने वाली प्रवृत्ति थी उनकी । धार्मिक कार्यक्रमों में सक्रिय रहती थीं। 4 फरवरी को स्व.कृष्णा के नेत्र ई एस आई,फरीदाबाद की टीम सम्मान पूर्वक दान में लेकर गई । मानवता की सेवार्थ किए गए इस पुण्य कार्य के लिए परिवार का अभिवादन। समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है ।

संपर्क सूत्र: पुत्र , श्री ललित जेटवानी 98110 21751

दान से धन्य हुआ समाज

श्री भारत भूषण ग्रोवर

श्री भारत भूषण ग्रोवर का 70 वर्ष की आयु में निधन हुआ । वे अशोक विहार में रहते थे। उनके परिवार जनों ने 4 फरवरी को, मरणोपरांत उनकी पार्थिव देह को चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान किया। योग्य चिकित्सकों के निर्माण में यह एक उपयोगी व अतुलनीय भेंट है। परिवार का अभिवादन । मां अमृतानंदमई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद ने आदर सहित इस भेंट को स्वीकार किया। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री सुलभ ग्रोवर 9650761762

एक अतुलनीय भेंट

श्रीमती अरविंदर कौर

श्रीमती अरविंदर कौर का 91 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वे फरीदाबाद में रहती थीं। 7 फरवरी को मरणोपरांत उनके परिवार जनों ने उनकी देहदान का क्रियान्वयन करके मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है । स्व. अरविंद कौर का पार्थिव शरीर ईएसआई मेडिकल कॉलेज ,अलवर में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए दान किया गया। चिकित्सा जगत की सेवा में यह एक अतुलनीय भेंट है। परिवार जनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री हरदीप सिंह 971762370 0

याद रखेगी दुनिया

श्री सत्यपाल मोदी

श्री सत्यपाल मोदी का 7 फरवरी को देहांत हुआ । वे नोएडा में रहते थे। उनके परिवार ने देहदान का क्रियान्वयन करके चिकित्सा जगत की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है । राम मनोहर लोहिया अस्पताल व मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए यह एक अतुलनीय भेंट है । योग्य चिकित्सकों के निर्माण में इस पार्थिव देह की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में हम विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री राजीव मोदी 9810 112590

स्नेह लुटाकर चली गईं

श्रीमती स्नेहलता

श्रीमती स्नेहलता का 8 फरवरी,2024 को निधन हुआ। वे सुभाष नगर, दिल्ली में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके विषय में अपनी आदर पूर्ण भावनाएं लिखकर भेजी हैं-

"हमारी माताजी एक सज्जन और स्नेह से परिपूर्ण माता थी । वह बहुत ही धार्मिक और ईश्वर में विश्वास एवं आस्था रखने वाली स्त्री थी। उनके मुख से हमेशा राजश्यामा जी के नाम का जाप होता रहता था। वे बहुत ही दृढ़निश्चयी और दरिया दिल औरत थीं। धार्मिक कार्यों में हमेशा सबसे आगे रहने वाली, पाठ कराना हो या भजन गाना हो ,मंदिर जाना हो या तीर्थ स्थान जाना हो ,वे हमेशा आगे रहती थीं। अपने परिवार को एक डोर में पिरोकर व अपने साथ लेकर वे आगे बढ़ीं। अपने पांचो बच्चों को खूब पढ़ाया, लिखाया और स्वादिष्ट पकवानों को खिलाया । साथ ही अपने पतिदेव की उनके अंतिम सांस तक खूब सेवा की। कभी भी कोई भी मेहमान या पड़ोसी उनके पास से बिना खाए नहीं गया। अगर तबीयत खराब भी होती तो चाहे प्रसाद खिलाती पर खिलाती जरूर थीं। व्हीलचेयर पर ही सही, वे अपनी दोती पोती की शादी में खूब नाचीं भी। जब हमने उनके सामने नेत्रदान की बात की तो उन्होंने स्वेच्छा से स्वीकृति दी। मरणोपरांत मानवता के लिए महादान किया ,उनको शत-शत नमन!"

8 फरवरी को स्व. स्नेह लता के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । परिवार ने इस महादान का क्रियान्वयन करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है । परिवार का साधुवाद । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र: पुत्र ,श्री उमेश कालरा 9811410018

सबका दिल जीत लिया

श्रीमती सरोज जैन

श्रीमती सरोज जैन का 73 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वे दिल्ली के नवीन शाहदरा में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-"

सरलमना, हंसमुख, शांत स्वाभाव की एक कुशल गृहणी 9 फरवरी 2024 को महाप्रयाण कर गईं। जयपुर के स्वर्गीय श्री दानमल जी दढ्ढा की लाड़ली परिवार में 19 सितंबर 1951 में जन्मी सबकी प्रिय थीं। दिल्ली निवासी स्वर्गीय श्री मोहन लाल जी तातेड़ के बड़े पुत्र स्वर्गीय श्री विमल चन्द जी तातेड़ से उनका परिणय हुआ। अपनी सर्वगुण संपन्न सासु मां स्वर्गीय श्री मती नगीना जी तातेड़ के संरक्षण में रहकर क्रोध तो जैसे उनके शब्दकोश में ही नहीं था। सदैव दूसरों की सेवा तथा खाने-पीने का ध्यान रखनेवाली अन्नपूर्णा के घर से कोई व्यक्ति बिना कुछ खाये-पीये नहीं गया। अपनी सासु मां की भी उन्होंने बहुत सेवा की।

जीवन के अंतिम पांच वर्षों में उन्होंने काफी वेदना भी सही। केंसर से परेशान रहने के बाद दोनों कूल्हों की हड्डी टूटने से आपरेशन की पीड़ा भी सही। तत्पश्चात कोरोना काल में भी कोरोना रोग से पीड़ित रहीं। अपनी शारीरिक अस्वस्थता के बावजूद भी अंतिम समय तक दूसरों की सेवा करने की उनकी भावना रही। उनकी देहदान का एकमात्र श्रेय उनकी प्रिय देवरानी श्री मती मधु तातेड़ धर्मपत्नी स्वर्गीय श्री नेम चन्द जी तातेड़ को जाता है। जिन्होंने यह कल्पना की कि जिस शरीर ने इतने विभिन्न प्रकार के दुख पाये हैं- कैंसर झेला, कोरोना झेली, कूल्हों के चार आपरेशन झेले, वह शरीर ट्रेनिंग तथा प्रयोग (एक्सपेरीमेंट) का उपयुक्त साधन हो सकता है। मधु जी की दूरदृष्टि को सादर प्रणाम।

9 फरवरी,2024 को स्व.सरोज जैन का पार्थिव शरीर राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल व मेडिकल कॉलेज को दान में दिया गया। चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अमूल्य भेंट है। धैर्य पूर्वक दान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र,श्री सौरभ जैन 9212049005

परोपकार की सुगंध

श्री फूलचंद जैन

श्री फूलचंद जैन का 68 वर्ष की आयु में निधन हुआ । वे अशोक विहार में रहते थे। परिवार जनों ने 10 फरवरी को मरणोपरांत उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर मानवता की सेवा में एक अद्भुत कार्य किया है। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवारजनों का अभिवादन । गुरु नानक आई सेंटर की टीम स्व. फूलचंद के नेत्र आदर सहित दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: श्री दविंदर 8447361 921

बेमिसाल जिंदगी का परोपकार

श्री आत्म प्रकाश वधवा

श्री आत्म प्रकाश वधवा का 94 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वे मानसरोवर गार्डन, दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र ने सम्मानपूर्वक उनके विषय में लिखकर भेजा है-

"Dad lived a life fit for a king, not just because he was always there for us, but because his heart overflowed with kindness for everyone he met."

"He was the pillar of our family, strong and dependable, but also incredibly generous.he was pillar punctuality and being on time. his generous spirit and dedication to family was unmatched . His absence leaves a huge hole in our hearts, but his legacy of love and service will inspire us forever."

"We were so lucky to have a father who believed in putting others first. He showed us the true meaning of compassion and left the world a better place than he found it.

The Punctuality Powerhouse:My father wasn't just someone who valued time, he possessed an almost mythical ability to bend it to his will. Appointments were met not just on time, but a few minutes early – a buffer zone against the unexpected. Every action had a designated hour, minute, and sometimes even second. Imagine a man who could schedule his laughter.

The Master of Organization: Chaos held no dominion over my father. His world was a symphony of order. Drawers held meticulously kept files, stacked with military precision. Every thing had its designated place, gleaming and ready for action on a moment's notice. Deadlines were met not just because they were deadlines, but because they were meticulously woven into his personal calendar, a tapestry of efficiency that would put any productivity guru to shame.

This dedication to punctuality and organization wasn't just about external factors. It stemmed from a core strength within your father. Perhaps it was a deep-seated respect for commitments, a quiet determination to see things through, or an unwavering belief that time, once wasted, could never be retrieved. Whatever the reason, his unwavering schedule became a reflection of his inner resolve, a testament to the man he was."

परिवार जनों ने स्व. वधवा के नेत्रदान व देहदान का क्रियान्वयन करके समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। 10 फरवरी को गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। अंबेडकर मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए स्व. वधवा का पार्थिव शरीर दान किया गया । चिकित्सा शास्त्र की सेवा में यह एक अतुलनीय योगदान है । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र,श्री नीरज वधवा 9311223334

कैसे भूले कोई इनको

श्रीमती हेमा जौली

श्रीमती हेमा जौली का 55 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे मानसरोवर गार्डन में रहती थीं। उनके पति के पास याद करने के लिए उनके साथ बिताया समय अच्छा ही अच्छा है। हंसना, खिलखिलाना ,मुस्कुराते रहना... हम सबके पास भी हेमा जी की यही यादें हैं ,एक समिति के कार्यकर्ता के रूप में । पारिवारिक दायित्व लगभग पूर्ण करके वे अपना सारा समय घर के पास के एक मंदिर में नियमित सेवा के रूप में लगाती रहीं। ।दधीचि के संपर्क में आने पर तो यहां पर भी उनकी सक्रियता बढ़ गई। सीखने की लगन, आगे बढ़कर दायित्वों को लेना व निभाना ,सभी साथी कार्यकर्ताओं के सुख-दुख, सुविधा सुविधा का ख्याल रखना ,यह गुण थे जो आज हम उन्हें परिवार के सदस्य के रूप में याद करते हैं। अपने परिवार में भी सभी रिश्तों को उन्होंने बखूबी जिया ।

12 फरवरी,2024 को स्व. हेमा के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। परिवार के समर्पण और दान भाव को नमन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार ईश चरणों में विनम्र निवेदन प्रस्तुत करता है ।

संपर्क सूत्र :पति श्री कंवल जौली 99999 80551

मानवता की सेवा में एक अनूठा उदाहरण

श्रीमती विमला देवी

श्रीमती विमला देवी का 65 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वे रानी बाग, दिल्ली में रहती थीं। 13 फरवरी को उनकी मृत्यु के पश्चात उनके परिवार ने उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन करके मानवता की सेवा में एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवारजनों का साधुवाद । गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई । दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है ।

संपर्क सूत्र : पुत्र ,श्री सौरभ 995300 720 0

अनूठी जिंदगी , अनूठा काम

श्री धर्मपाल जैन

श्री धर्मपाल जैन का 79 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे शाहदरा में रहते थे। उनके परिवार ने मानवता की सेवार्थ उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र: पुत्र ,श्री नीरज जैन 9871075076

एक निर्मल मन का दान

श्रीमती लाजवंती

श्रीमती लाजवंती का 89 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे राजेंद्र नगर में रहती थीं। उनकी पोती में आदरपूर्वक अपने भाव शब्दों में लिखकर भेजे हैं-"Headmistress, grandmother, wife & mother, these were her faces for the world. Addressed as Laj by her dear ones, Mrs Lajvanti Kamra was a Radha Swami follower who believed in caring and serving people around her selflessly. She found happiness in cooking and making others eat, specially her husband children & grandchildren. Nevertheless had her headmistress ways of making rest of the family especially Mr Kamra agree to what she says.

Being one of the eldest in a big family she shouldered the responsibility of keeping everyone close knit.She was progressive and had an ability to make friends easily like the pg's in the building. She was fond of solving sudoku everyday and never sat idle.

Her beautiful journey has left a legacy of love, faith and care for her family. With her last choice of Body donation, she has made her husband and family immensely proud and paved a way for her life motto Service before Self."

15 फरवरी, 2024 को स्व. लाजवंती के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । उनका पार्थिव शरीर राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में दान किया गया। चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अतुलनीय भेंट है। मानवता की सेवा में यह पुण्य दान करके परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पोती सुश्री आकांक्षा 859578 4803

समाज के लिए महादान

श्री सत्यदेव गुप्ता

श्री सत्यदेव गुप्ता का 84 वर्ष की आयु में देहांत हुआ ।‌वे फरीदाबाद में रहते थे। परिवार जनों ने उनके नेत्रदान और देहदान का क्रियान्वयन करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है ।

17 फरवरी को ई एस आई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। इसी मेडिकल कॉलेज में उनके पार्थिव शरीर का भी दान हुआ। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह एक अनुपम दान है। परिवार का अभिवादन । समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री राहुल देव गुप्ता 9911 277 103

हृदय को छू गया यह दान

श्रीमती भवानी

श्रीमती भवानी का 75 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वे स्वर्ग वृद्ध आश्रम, निहाल नगर , दिल्ली में रहती थीं। 21 फरवरी को उनकी मृत्यु के पश्चात आश्रम के संचालक ने उनके नेत्रदान व देहदान का क्रियान्वयन करके मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है ।आश्रम वासियों का अभिवादन । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : संचालक, श्री तारकेश्वर 921 1965 986

अब प्रथम गुरु का सम्मान !

श्री वेद प्रकाश कटारिया

श्री वेद प्रकाश कटारिया का 78 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे पीतमपुरा में रहते थे । उनकी पत्नी ने उनके विषय में लिखित जानकारी भेजी है-

"स्व. वेद प्रकाश कटारिया का जन्म पाकिस्तान में हुआ। इन्होंने बीएससी और b.ed किया। अध्यापन में रुचि नहीं आई तो DOT में काम किया। DTE के पद से रिटायर हुए। वे स्वभाव से शांत, हंसमुख, मधुर भाषी, धार्मिक ,मेहनती और अत्यंत बुद्धिमान थे। तीन बेटियां और एक बेटा है। सब बच्चों की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। अभी सब अपने-अपने परिवार में सुखी हैं । अपने पिताजी से इन्होंने आर्य समाज के संस्कार लिए हैं। आर्य समाज ,सरस्वती विहार के एक सम्मानित सदस्य रहे। समाज के सभी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। वास्तव में वे हमारे घर के देवता थे। हमारे बच्चे उनके पद चिन्हों पर चलते हुए आगे बढ़ रहे हैं । प्रभु से प्रार्थना है कि इस पुण्य आत्मा को अपनी शरण प्रदान करें । जीवन की संध्या में वे रोग से घिर गए थे। कष्ट, पीड़ा और वेदना को सहते हुए धैर्य की परीक्षा देते रहे । परिवार जन सेवा, सहयोग व भाग दौड़ में रात दिन लगे रहे । पुत्र मोहित व पुत्रवधू दीप्ति की सेवा भावना प्रेरक व अनुकरणीय है। मैं उनके स्वस्थ दीर्घायु की प्रभु से प्रार्थना व कामना करती हूं।"

21 फरवरी को स्व. कटारिया का पार्थिव शरीर एम्स में दान किया गया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों में यह पार्थिव शरीर प्रथम गुरु का सम्मान प्राप्त कर रहा है। कुशल चिकित्सकों के निर्माण में यह एक अमूल्य योगदान है । परिवार जनों का साधुवाद । उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पत्नी, श्रीमती विजय कुमारी 981171 525 1

एक अनमोल दान

श्री देवी दयाल कालरा

श्री देवी दयाल कालरा का 88 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वे दिल्ली के तिलक नगर में रहते थे । उनकी पुत्रवधू से उनके विषय में जानकारी मिली। उनका भगवान में अधिक विश्वास था और हर कार्य ईमानदारी से करते थे । निडर और मेहनती थे । उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास रहता था। सफाई पसंद थी और खाने पीने का शौक था । आयु के इस पड़ाव में भी उनकी याददाश्त बहुत अच्छी थी। विषयों की अच्छी जानकारी रखते थे। सफाई का भी बहुत ध्यान रखते थे। परिवार जनों ने नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधू,श्रीमती नरेश कुमारी 986865 0972

समाज को समर्पित जीवन

श्रीमती मंजू मेहता

श्रीमती मंजू मेहता का 75 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे फरीदाबाद में रहती थीं।उनके पति से उनके विषय में कुछ बात हुई। उनका जीवन सहज था, कहीं कोई तर्क वितर्क नहीं होता था । 22 फरवरी को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने उनके नेत्रदान और देहदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवारजनों का साधुवाद। उनके नेत्र ईएसआई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद में दान किए गए। मां अमृतानंद मई मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए स्व मंजू का पार्थिव शरीर दान किया गया । योग्य डॉक्टरों के निर्माण में यह एक बहुत बड़ा योगदान है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए, समिति परिवार विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पति ,श्री विनोद मेहता 9350861832

जाते - जाते जग कल्याण

श्री बुद्धदेव गुप्ता

श्री बुद्धदेव गुप्ता का 93 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे राजेंद्र नगर, गाजियाबाद में रहते थे। उनके विशाल व्यक्तित्व को उनके पुत्र ने कुछ अपने शब्दों में बांधने का प्रयास किया है-

"एक प्रेरक व्यक्तित्व से मुलाकात

जीवन जीने की सिखाती हर बात।

श्री बुद्ध देव गुप्ता जी,एक ऐसी शख़्सियत जिनका नाम लेते ही एक खुश मिजाज हंसता हुआ चेहरा उभर कर आंखों के सामने आ जाता है जो अपनी अद्धभुत ज्ञान से सबको विस्मित करते थे और कानूनी दांवपेंच को सरलता से बताते थे।

जीवन जीने के लिए उनका स्पष्ट दृष्टिकोण था कि जीवन को, जैसा भी है उसे, आनंद पूर्वक भाव से लेकर ही जीना चाहिए यानी रामचरितमानस के अनुसार जाही विधि राखे राम,ताही विधि रहिए। श्री मदभगवतगीता में पूर्णत विश्वास करते हुए उन्होंने कर्म पर ही हमेशा जोर दिया और धार्मिक कर्मकांडों का पुरजोर विरोध किया। वह तर्कसंगत चर्चा करते थे चाहे छोटा भी हो यदि तर्कपूर्ण बात करेगा उसका स्वागत करते थे इसीलिए बच्चे एवं बड़े भी उनके साथ चर्चा वार्ता करते थे आनंद के साथ ।"

24 फरवरी को स्व. बुद्धदेव का पार्थिव शरीर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया । चिकित्सा जगत की सेवा में यह एक अतुलनीय दान है । उनके नेत्र ईएसआई मेडिकल कॉलेज ,फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। दान की प्रक्रिया के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद । दिवंगत आत्मा ने अपने कर्तृत्व से निश्चय ही अपना मार्ग प्रशस्त किया है ।

संपर्क सूत्र: पुत्र ,श्री अरुण गुप्ता 9711233666

समाज को तिलक

श्री तिलक राज

श्री तिलक राज का 72 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे फरीदाबाद में रहते थे। 25 फरवरी को परिवार जनों ने उनकी मृत्यु के पश्चात उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर एक प्रशंसनीय कार्य किया है । मानवता की सेवा में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद। स्व.तिलक राज के नेत्र ईएसआई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र : पुत्र,श्री सुरेंद्र भाटिया 9354 218320

समाज के लिए प्रेरणा

श्रीमती नरेन्द्र कौर

श्रीमती नरेन्द्र कौर का 85 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे पटेल नगर, दिल्ली में रहती थीं। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में बात हुई। घर में सबसे बड़ी थीं और परिवार में उनका ऊंचा स्थान था । नेक विचार थे उनके । सब की मदद करने को तैयार रहती थीं। जब तक उनके शरीर में साथ दिया वे गुरुद्वारे में सेवा करने जाती रहीं। परिवार ने उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद । गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र : पुत्र ,श्री कुलजीत 888 2132871