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दूसरी दधीचि दर्शन यात्रा


लगभग दो दशक तक दान के एक सर्वोच्च स्वरूप, मृत्यु बाद देह को दान करने को प्रेरित करने की दिशा में सक्रिय रहने के बाद, ‘दधीचि देह-दान समिति’ नाम की इस गैर-सरकारी संस्था ने, वर्ष 2014 में पहली दधीचि दर्शन यात्रा का आयोजन किया। और, अब इस वर्ष भी 21 नवम्बर, मश्रिख, नेमिशारण्य, सीतापुर (उत्तर प्रदेश) को दूसरी दधीचि दर्शन यात्रा सीतापुर (उत्तर प्रदेश) के नेमिशारण्य स्थित मिश्रिख जाएगी। मिश्रिख में महर्षि दधीचि का वही आश्रम है जहां उन्होंने सत युग में असुरों का वध करने के लिए देवताओं को अपनी अस्थियां दान की थीं। उनकी अस्थियों से बने वज्र से निरंकुश दानवों का वध सम्भव हुआ। दो दशक पहले ‘दधीचि देह-दान समिति’ के अस्तित्व में आने और स्थिर कदमों से निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा, मानवता के लिए महर्षि दधीचि का देह-दान रहा है।

उन्हीं महादानी के दर्शन की यह दूसरी एक दिवसीय यात्रा है। यात्रा 21 नवम्बर की रात्रि को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से शुरू होगी। यात्रीगण लखनऊ मेल से 22 नवम्बर की सुबह मिश्रिख पहुंचेंगे। सबसे पहले दधीचि आश्रम परिसर में दधीचि दान कथा को उकेरती पत्थरों से बनाई गई झांकी के दर्शन करेंगे। इसके बाद चार अन्य अत्यंत महत्वपूर्ण स्थानों के दर्शन किए जाएंगे। यह चार स्थान हैं हनुमानगढ़ी, चक्रतीर्थ, ललिता माता का मंदिर और व्यासपीठ। पूरी दुनिया में हनुमान जी की तीन ही दक्षिणमुखी प्रतिमाएं हैं। एक इलाहाबाद में लेटी हुई मुद्रा में, दूसरी अयोध्या में बैठी मुद्रा में और तीसरी नेमिशारण्य में खड़ी हुईं। तीसरी प्रतिमा इस दृष्टि से भी अनोखी है कि इसमें हनुमानजी बाएं हाथ में गदा लिए हुए हैं, जबकि अन्य सभी प्रतिमाओं में गदा उनके दाएं हाथ में रहती है। चक्रतीर्थ वह सरोवर है जिसमें भारत की सभी नदियों का पानी एकत्र किया गया था और जिसमें स्नान करने के बाद महर्षि दधीचि ने देह-दान के लिए समाधि ली थी। इस सरोवर का नाम चक्रतीर्थ इसकी संरचना के कारण पड़ा। देखने में इसका शिल्प रथ के पहिए जैसा है जिसमें आठ आरे बने हुए हैं। ललिता माता का मंदिर शक्ति पीठ है। यहां पर सती माता का जननांग उस समय गिरा था जब सति द्वारा अपने पिता के यज्ञ कुण्ड में अपनी आहूति दे दी गई थी और फलस्वरूप क्रोधित महादेव उनके शव को अपने कंधे पर लाद कर, दुःख और वेदना में डूबे पूरे संसार का भ्रमण कर रहे थे। व्यास पीठ वह स्थान है जहां महर्षि व्यास ने वेदों को रचा था।

पहली दर्शन यात्रा में 35 यात्री शामिल थे, इस बार यात्रियों की संख्या बढ़ने की पूरी सम्भावना है। फलस्वरूप उन प्रथम 35 यात्रियों को अवसर मिलेगा जो निधारित समय में अपना चेक ‘दधीचि देह-दान समिति’ के कार्यालय में जमा करेंगे। चेक 5000 (पांच हज़ार) राशि का होगा और उसके पीछे चेक देने वाले का पूर्ण विवरण होगा। जैसे, चेक देने वाले का पूरा नाम, पता और टेलीफोन नम्बर।