दधीचि देह दान समिति - कार्यशाला
रविवार 23 जून, 2019
दधीचि देह दान समिति के संरक्षक व प्रथम अध्यक्ष श्री आलोक कुमार के सानिन्ध्य में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसमें समिति की कार्यकारिणी और सभी क्षेत्रों के 100 से अधिक समर्पित कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
पहला सत्र - रिपोर्ट लेखन व प्रेस विज्ञप्ति
कार्यशाला के प्रथम सत्र के संचालक श्री महेश पंत ने सभी का स्वागत किया और इस सत्र की अध्यक्षता के लिए समिति के सचिव श्री सुमन कुमार गुप्ता को मंच पर आमंत्रित किया। समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने चारों सत्रों की विषय वस्तु व कार्यशाला के प्रयोजन को संक्षेप में, प्रस्तावना के रूप में रखा। प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त श्री अरुण आनन्द थे। उन्होंने बताया कि अभी तक उन्होंने 14 पुस्तकें लिखी हैं, परन्तु उन्हें सबसे ज़्यादा सन्तुष्टि देह-अंग दान पर लिखी पुस्तक से मिली। इस पुस्तक को लिखने की ”प्रेरणा का श्रेय उन्होंने आलोक जी को दिया। उनके अनुसार ’’हम पत्रकार नहीं हैं, इसलिए पत्रकारों से बराबरी करने का प्रयास कभी नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि रिपोर्ट इतनी सरल हो कि सामान्य व्यक्ति को भी यह समझ में आ जाए कि किस बारे में खबर दी जा रही है।
उन्होंने कहा रिपोर्ट तीन प्रकार की होती हैं:-
- पहली न्यूज़ रिपोर्ट, जो 350 शब्दों की होती है व अख़बार के पेज 1, 2, 3 में छपती है। यह सूचनात्मक होती है।
- दूसरी रिपोर्ट न्यूज़ फीचर होती है जिसमें पिछले आंकड़े व भविष्य के प्रभाव भी चिह्नित होते हैं और यह दीर्घ कालिक विज्ञप्ति बन जाती है। यह पहले से थोड़ी लम्बी होती है।
- तीसरी रिपोर्ट सम्पादकीय या ओपीनियन पीस कही जाती है, जिसमें उद्देश्य मुख्य होता है। विचार, सन्दर्भ व तथ्य भी जोड़े जाते हैं।
तीनों में ही शीर्षक 8 शब्दों से अधिक न हों। आवश्यकता हो तो 3 हेड लाइन भी बनाई जा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि अच्छी रिपोर्ट लिखने हेतु कुछ आवश्यक बिन्दुओं का ध्यान रखना ज़रूरी है -
- विवरण: प्राथमिकता का क्रम हो क्या, कहां, कब और कैसे?
- शीर्षक: समग्र व छोटा।
- सरल शब्द, छोटे वाक्य।
- सम्बंधियों व विशिष्ट व्यक्तियों के विचार, मनोभाव।
- मानवता का दृष्टिकोण व समिति का संक्षिप्त योगदान।
- एक चित्र।
उन्होंने बताया कि प्रेस विज्ञप्ति सायं 5 बजे से पहले सम्बंधित सम्पादकीय विभाग में पहुंच जानी चाहिए। इसका ध्यान रखें कि अख़बारों में महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों से जुड़ी ख़बरें ज़रूर छपती हैं। प्रेस विज्ञप्ति पीडीएफ में न भेजें। इसके बाद सभी को रिपोर्ट लिखने के लिए कुछ विषय दिए गए, जिनमें से कुछ को पढ़ कर उनमें हो सकने वाले सुधारों को श्री अरुण आनन्द ने सभी को बताया।
दूसरा सत्र - फोटोग्राफी
इस सत्र का संचालन समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना ने किया। अध्यक्षता समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती मंजू प्रभा ने की। इस सत्र के वक्ता थे श्री राजीव त्यागी, जो फोटोग्राफी के क्षेत्र में एक परिचित नाम है।
राजीव जी ने सबसे पहले कुछ चित्रों द्वारा समझाया कि चित्र कैसे होने चाहिए और कैसे नहीं। उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाए:-
- कार्यक्रम के बारे में पहले से जानकारी हो। जैसे, कौन मुख्य अतिथि है या क्या कार्यक्रम है?
- जिस संस्था का कार्यक्रम है उसके बारे में जानकारी और चित्रों में भी संस्था फोकस हो।
- जब मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे हों तो ऐसा चित्र लें जिसमें वक्ता व बैकड्राॅप संस्था के नाम सहित आएं।
- कार्यक्रम में समय से पहले पहुंचना चाहिए।
- ड्रेसिंग सेन्स अच्छा हो और कार्यक्रम के हिसाब से ड्रेस-अप होकर जाएं।
- यह ध्यान रखें कि आपकी वजह से किसी को कोई समस्या तो नहीं हो रही है? व्यवहार भी अच्छा होना चाहिए।
इसके बाद सभी से कहा गया कि वह यहां आयोजित कार्यक्रम व भोजन के समय के कुछ चित्र लें और राजीव जी को दिखाएं जिससे वह उनमें सुधार बता सकें। भोजन के बाद राजीव जी ने, सदस्यों द्वारा लिए चित्रों पर अपने सुझाव दिए।
तीसरा सत्र - दान का निष्पादन व श्रद्धांजलि सभाओं में ध्यान रखने योग्य बिन्दु
इस सत्र का संचालन समिति की सचिव श्रीमती स्मृति भाटिया ने किया। इसकी अध्यक्षता पश्चिमी क्षेत्र के संयोजक श्री रामधन ने की। वक्ता थे समिति के उपाध्यक्ष श्री सुधीर गुप्ता और उत्तरी क्षेत्र के संयोजक श्री विनोद अग्रवाल।
सुधीर जी ने सभी को बताया कि किसी दानी की मृत्यु के बाद उनके परिवार का फोन आने पर वह कैसे सभी व्यवस्था करते हैं। उन्होंने बताया कि देह व अंग दान की प्रक्रिया में समिति द्वारा मुख्यतः नेत्र दान के लिए 3 व देह दान के लिए 7 सरकारी अस्पतालों से सम्पर्क किया जाता है। सम्बन्धित क्षेत्र के अपने कार्यकर्ताओं से भी सम्पर्क किया जाता है, जिससे दान के समय समिति की उपस्थिति दर्ज़ की जा सके। दान हो जाने पर यह सूचना समिति के व्हाट्एप ग्रुप में सांझा की जाती है। किन स्थितियों में देह या अंग दान नहीं हो सकते - यह भी सभी को बताया।
विनोद जी ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि दानी की श्रद्धांजलि सभा में समिति से कोई न कोई अवश्य उपस्थित रहे। इससे परिवार का मनोबल बढ़ता है और समाज में हमें अपनी बात रखने का एक उपयोगी अवसर भी मिलता है। उन्होंने बताया कि जिस परिवार में देह या अंग दान हुआ है उसके बारे में जानना चाहिए कि दानी क्या करते थे और उनके परिवार में कौन-कौन है। श्रद्धांजलि सभा में हमें प्रयास करना चाहिए कि हम 3 से 4 मिनट में अपनी सारी बात कह दें। हमें उस परिवार का सबसे पहले आभार व्यक्त करना चाहिए कि उन्होंने इतना बड़ा निर्णय लिया। नेत्र दान में बताना चाहिए कि दानी के नेत्र से 4 से 5 व्यक्तियों को रोशनी मिलेगी। यदि श्रद्धांजलि सभा में समिति की ओर से बोलने का समय तय नहीं है तो कम से कम एक बार परिवार से बात करनी चाहिए कि क्या दो मिनट का समय दिया जा सकता है। यह भी अवश्य बताना चाहिए कि जिन ’दधीचि’ के नाम पर यह समिति है, वह कौन थे और कैसे उन्होंने देवताओं की सहायता की थी। और, इस प्रकार दानी ने भी कितना बड़ा कार्य किया है। अंत में सबको समिति से जुड़ने का आह्वान करें। बांटने के लिए कुछ पत्रक व संकल्प पत्र भी अवश्य साथ ले जाएं।
चौथा सत्र - FAQs व समापन
इस सत्र का संचालन समिति के उपाध्यक्ष डाॅ. विशाल चढ्ढा ने किया। अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने की। सत्र के वक्ता समिति के संरक्षक श्री आलोक कुमार रहे।
सबसे पहले आलोक जी ने बताया कि सभी क्षेत्रों से प्रश्न आए थे, जिनको विषयानुसार एकत्र करके डाॅ. विशाल चढ्ढा ने स्क्रीन पर हमारे सामने रखा है। प्रश्नों के माध्यम से सदस्यों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।
अपनी बात को पूरा करते हुए आलोक जी ने कहा कि जिन साथियों ने इस कार्यशाला में पूरे दिन भाग लिया, उन्हें समिति एक प्रमाण पत्र देगी। उन्होंने यह भी कहा कि अब हर माह समिति ‘फोटो ऑफ द मन्थ’ भी घोषित करेगी। आलोक जी ने कहा कि हमारा मंत्र है ‘100 वर्ष जिएं’ और हमें एक स्वस्थ-सबल भारत बनाना है। इसीलिए अपनी समिति के कार्य का और अधिक विस्तार करना है। अंत में उन्होने विनोद जी और उनके साथियों को कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना ने कार्यशाला में आए सभी साथियों और व्यवस्था में लगे सभी साथियों का आभार व्यक्त किया।