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स्वस्थ्य सबल भारत गोष्ठी

तथा दधीचि ने किया परार्थ अस्थिदान भी
क्षुद्र देह के लिए अन्य केवल क्या करे
वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे।
क्षुधार्थ रतिदेव ने किया करस्थ थाल भी

मैथिलीशरण गुप्त की ये पंक्तियां उत्तर प्रदेश के राज्यपाल माननीय राम नाईक ने मिश्रिख के दधीचि मंदिर के प्रांगण में स्थानीय जनता से ठसाठस भरे पंडाल में याद कीं। अवसर था ‘स्वस्थ्य सबल भारत गोष्ठी’ के आयोजन का, जिसे ‘दधीचि देह दान समिति’ के तत्वावधान में किया गया था। महर्षि दधीचि की तपोस्थली के दर्शन के लिए आयोजित एक दिवसीय यात्रा का एक हिस्सा थी यह गोष्ठी। मिश्रिख में राज्यपाल की उपस्थिति स्थानीय जनसाधारण में उत्सुकता का विषय थी। सम्भवतः यही कारण रहा कि खचाखच भरे सभा-स्थल का जन-समूह - जो पंडाल से बाहर और आस-पास के घरों की छतों पर भी मौजूद था - दीप प्रज्ज्वलन से लेकर राष्ट््रगान जन-गण-मन के साथ कार्यक्रम की समाप्ति तक लगभग दो घंटे अनुशासित श्रोता की भांति सभी वक्ताओं को सुनता रहा। बीच-बीच में तालियों की गड़गड़ाहट वक्तव्यों के आत्मसात होने की सूचना दे रही थी।

दीप प्रज्ज्वलन व वंदे मातरम् के बाद मंच संचालक श्री तुषार साहनी ने यात्रा का स्थानीय जनता की ओर से स्वागत किया। सीतापुर के सांसद श्री राजेश वर्मा ने कहा कि सीतापुर में नेत्र चिकित्सा और नेत्र-दान का कार्य बरसों से चल रहा है। भारत में सबसे पुराना और प्रतिष्ठित आई बैंक यहीं का है। इसी विषय पर उन्होंने कहा कि मरणोपरान्त देह-दान व अंग-दान पर सीतापुर की सहभागिता मानवता के लिए श्रेयस्कर होगी।

मिश्रिख की सांसद अंजू बाला ने मिश्रिख के पूर्ण विकास के लिए स्थानीय जनता को आश्वस्त किया। दधीचि कुंड की सफाई के लिए हर प्रकार की सहायता देने के वचन दिया। ‘दधीचि देह-दान समिति’ के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने राज्यपाल के इस कार्यक्रम में उपस्थित रहने की सहर्ष और सहज स्वीकृति का आभार प्रकट किया। लगभग 20 वर्ष से कार्यरत यह समिति लोगों को मानवता के लिए अंग-दान व देह-दान हेतु प्रेरित करने का कार्य कर रही है। अपने मंचों से समिति धर्म गुरुओं द्वारा जन-साधारण की सामाजिक धारणाओं व शंकाओं का निवारण करने में काफी सफलता प्राप्त कर रही है। साथ ही अंग प्रत्यारोपण जैसे विषयों पर प्रतिष्ठित डाॅक्टर्स भी सहर्ष प्रभावपूर्ण उद्बोधन द्वारा समिति की सहर्ष भरपूर मदद कर रहे हैं। जन साधारण को इस विषय से जोड़ने वाले अपने प्रभावी भाषण के अंत में श्री आलोक कुमार ने कहा कि यह सारी प्रक्रिया हमें स्वस्थ भारत की ओर ले जाती है। अगर हम सफाई का ध्यान रखें और मानवता के लिए रक्त-दान, अंग-दान, देह-दान जैसे कार्यों में सहभागी हों तो अवश्य ही हमें ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः’ की वैदिक प्रार्थना सही अर्थों में समझ आ जाएगी।

दधीचि दर्शन यात्रा से दो दिन पहले समिति के महासचिव श्री हर्ष मल्होत्रा और श्री कीर्तिवर्धन साहनी ‘स्वस्थ सबल भारत गोष्ठी’ की तैयारी के लिए सीतापुर गए। स्थानीय कार्यकर्ता श्री आशीष के विशेष प्रयास से वहां एक प्रेस काॅन्फ्रेन्स का आयोजन किया गया। ‘दधीचि देह-दान समिति’ के कार्यों की जानकारी देते हुए मिश्रिखि में आयोजित होने वाली गोष्ठी के स्वरूप व उद्देश्य को मीडिया के सामने विस्तार से रखा गया। अगले दिन सभी स्थानीय समाचार पत्रों ने इसे विस्तार से छापा। सम्भवतः यही कारण रहा कि गोष्ठी एक विशाल जनसभा में परिवर्तित हो गई। इसी संदर्भ में श्री सुधीर, श्री अजय गुप्ता, श्री जयकार नाथ कपूर ऐसे नाम हैं जिनके विशेष उत्साह से यह गोष्ठी निर्विघ्न सफल हुई।

‘स्वस्थ्य सबल भारत गोष्ठी’ में जब राज्यपाल महोदय बोलने के लिए खड़े हुए तो तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सफाई अभियान विषय से उन्होंने अपनी बात शुरू की। सफाई निःसंदेह स्वास्थ से जुड़ी है। ‘दधीचि देह-दान समिति’ के कार्य-स्वरूप की प्रशंसा करते हुए उन्होंने दान के महत्व की बात सामने रखी। उन्होंने कहा, ‘जिस तरह किसी काम को शुरू करने के लिए आधारभूत चीजों से नींव रखी जाती है उसी प्रकार आज इस कार्यक्रम के माध्यम से पूरे भारत में देह-दान की परम्परा का शुभारंभ हुआ है। मृत शरीर को अग्नि को समर्पित करना और शरीर को विज्ञान के कार्य के लिए समर्पित करना दो बाते हैं। विज्ञान कार्य के लिए मृत शरीर को समर्पित करना देशभक्ति का काम है और यह काम यहां से शुरू होता है। शरीर के मृत हो जाने के बाद भी अंगों को प्राप्त किया जा सकता है जो चिकित्सा विज्ञान के काम आते है। यह दान महा-दान है। हजारों लोगों में एक विद्वान होता है, हजारों लोगों में एक अच्छा वक्ता होता है, लेकिन दानी कौन है यह कहना मुश्किल है, फिर भी खुशी की बात यह है कि दिल्ली में 4000 लोग देह-दान का संकल्प ले चुके हंै।’ उन्होंने दधीचि देह-दान समिति के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार का जिक्र ‘‘जो कहा सो किया’’ मुहावरे को सार्थक बनाने वाले के रूप में किया। उन्होंने बताया कि हाल ही में उनके माता-पिता का कम समय में निधन हुआ और उन दोनों ने ही देह दान किया।

श्री राम नाईक ने सवाल उठाया गंगा मैली है, गोमती मैली है, यह दधीचि कुंड मैला है - गंदा है, गंदा है ऐसा कब तक रोते रहेंगे? सफाई करेगा कौन? यह किसकी जिम्मेदारी है? उन्होंने सभी की ओर संकेत करते हुए कहा आप सबकी है। आपकी सांसद यहां बैठी हैं - उनकी है, मेरी है, आपकी है। हम सब की जिम्मेदारी है। राज्यपाल ने अपने भाषण का समापन समिति को अपनी शुभकामनाएं देने के साथ किया।

विशाल जन सभा में परिवर्तित ‘स्वच्छ सबल भारत गोष्ठी एक उर्जापूरित कायक्रम के रूप में सम्पन्न हुई।