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देहदानियों का 53 वां उत्सव

3 मार्च 2024,

आर्मी मेडिकल कॉलेज, दिल्ली

दधीचि देहदान समिति के पश्चिमी क्षेत्र द्वारा देहदानियों का 53 वां उत्सव 3 मार्च 2024 को आर्मी मेडिकल कॉलेज, दिल्ली में आयोजित हुआ। उत्सव में 404 संकल्पकर्ताओं तथा 32 दानी परिवारों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मंचासीन थे , मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद तथा दधीचि देहदान समिति के संरक्षक श्री आलोक कुमार, विशिष्ट अतिथि कॉलेज की डीन डॉ शर्मिला डुडानी ,एनाटॉमी की प्रो. डॉ शेफाली, समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा , धर्मगुरु आचार्य त्रिपुरारी जी महाराज तथा समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना । कार्यक्रम का शुभारंभ विशिष्ट अतिथियों व पदाधिकारियों को तिलक लगाकर हुआ । आशिमा, वृसाज और वृसान ने "जीवेम शरद: शतम् " मंत्रोच्चार से सब की स्वस्थ आयु के लिए प्रार्थना की। पश्चिम क्षेत्र के दधीचि के कार्यकर्ताओं द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह व पुष्प देकर सम्मानित किया गया । एक नई परिपाटी भी शुरू हुई , जिसमें आयु से सीनियर पर उत्साह में युवा ,दो कार्यकर्ताओं श्री रामधन जी और श्री श्याम लाल कठपालिया जी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। ये दोनों ही कई वर्षों से लगातार उत्साह व जोश से समिति के कार्य में लगे हैं।

आचार्य त्रिपुरारी जी ने देहदान को मोक्ष का सरल व सहज रूप से होने वाला एक उपयोगी मार्ग बताया गया । डॉ शेफाली द्वारा विषय की विस्तृत जानकारी पीपीटी द्वारा सरल व रोचक शब्दों में दी गई। समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने उपस्थित जन समूह में, संस्था की बीज से लेकर वटवृक्ष बनने तक की यात्रा को संक्षेप में रखा। महामंत्री श्री कमल खुराना ने समिति की अभी तक की उपलब्धियां सबके साथ सांझा की । महिला कार्यकर्ताओं सत्या जी, सीमा जी , मीना जी व गीता जी ने देहदान और अंगदान के लिए प्रेरणा देता हुआ एक सुंदर गीत प्रस्तुत किया। इसमें ढोलक और बैनर का सहयोग एनजीओ के बच्चों द्वारा मिला। अतिथियों द्वारा दानी परिवारों को सम्मान स्वरूप स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। यह एक भावुक क्षण था। सबके मन में गर्व का भाव था कि उनके परिवार के सदस्य ने मानवता की ओर अग्रसर होकर समाज को एक दिशा देने का काम किया। देहदानी परिवारों में सब अपने ही प्रियजन थे । एक परिवार समिति की सक्रिय कार्यकर्ता श्रीमती हेमा जोली का था और एक परिवार सक्रिय कार्यकर्ता कपिल जी के पिताजी का था।

अंतर्कथन में एक बेटी रीता का अपने देहदानी पिता को स्वरचित कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि देना भावपूर्ण रहा। अंगग्राही के रूप में नौजवान नवीन का किडनी मिलने पर अपने जीवन को अच्छे ढंग से जी पाना और इसे अपना दूसरा जन्म ही समझना.... ऐसा वर्णन भी प्रेरणा देने वाला था। अभी नवीन के जीवन का उद्देश्य अंगदान के प्रति जागरूकता का प्रचार व प्रसार करना बन गया है। कॉलेज की डीन, डॉ शर्मिला ने अपने वक्तव्य में देहदान की उपयोगिता बताते हुए कहा कि पार्थिव देह (कैडेवर)को अत्यंत सम्माननीय गुरु का दर्जा दिया जाता है। यह एक डॉक्टर के भविष्य निर्माण के लिए अमूल्य उपहार है और यह विश्वास भी दिलाया कि इसका कभी भी दुरुपयोग नहीं होता। श्री आलोक कुमार का संबोधन सहज व प्रेरक था। वे कल्पना करते हुए गर्व अनुभव कर रहे थे कि कभी हमारा परिवार भी इस तरह सम्मान पत्र लेने आएगा और इस दान परंपरा को आगे विरासत के रूप में ले जाएगा । पश्चिम क्षेत्र के संयोजक श्री जगमोहन सलूजा ने सभी आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का समापन श्रीमती पूनम मल्होत्रा के द्वारा गाए गए कल्याण मंत्र से हुआ ।

प्रो .कुलविंदर व श्रीमती गीता आहूजा के कुशल मंच संचालन ने कार्यक्रम को गरिमा पूर्ण बना दिया। पर्दे के पीछे रहकर कार्यक्रम की तैयारी से समापन तक की सभी गतिविधियों में पल-पल मार्गदर्शन करने वाली हमारी उपाध्यक्ष श्रीमती मंजू प्रभा व महामंत्री श्री कमल खुराना का विशेष सहयोग उल्लेखनीय है। कार्यकर्ताओं के उत्साह व आपसी तालमेल के कारण ही हम देहदान और अंगदान के संदेश को भली भांति समाज में दे पाते हैं।