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देहदानियों का सैंतीसवां उत्सव, पश्चिमी दिल्ली, 17 मार्च 2019

कई दिनों की मेहनत व तैयारियों के बाद जो मंच पर हुआ उसे थोड़े शब्दों में कहा जाए तो पश्चिमी दिल्ली की समर्पित टीम ने 320 से अधिक देह दान/अंग दान के संकल्प पत्र भरवाए। क्षेत्रीय संयोजक ने अध्यक्षीय भाषण में उत्साह वर्धक रिपोर्ट पढ़ी। स्वामी अनुभूतानन्द जी ने धर्म का पक्ष रखा व धर्म से जुड़ी भ्रान्तियों को खोखला साबित किया। समिति के अध्यक्ष व महामंत्री ने समिति की कार्यशैली का ब्योरा दिया। देह दानियों/अंग दानियों का सम्मान करने के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

उपस्थित जनसमूह के अभिनन्दन एवं द्वीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम शुरू हुआ। सम्मानित अतिथियों द्वारा महर्षि दधीचि की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के साथ एक शुभ लक्ष्य को लेकर किए जाने वाले इस भावपूर्ण उत्सव ने ऊंचाई लेनी शुरू की। पश्चिमी क्षेत्र के संयोजक श्री रामधन ने अपने अभिभाषण में बताया कि इस एक वर्ष में उनके क्षेत्र में उनके साथियों ने 82 स्थानों पर जागरूकता के कार्यक्रम किए। 1400 संकल्प पत्र दिए गए और 4300 लोगों से सम्पर्क करके देह दान/अंग दान का साहित्य बांटा गया।

विज्ञान का पक्ष रखते हुए डाॅ. अनिल खुराना ने बताया कि देश में होम्योपैथी के 231 और एलोपैथी के 450 से अधिक काॅलेजों में केडेवर (मृत देह) की कमी रहती है। अच्छा डाॅक्टर बनने के लिए मानव देह पर ही चिकित्साविज्ञान को सीखना-समझना ज़रूरी है। डाॅ. खुराना ने कहा कि इस कमी को पूरा करने के लिए दधीचि देह दान समिति एक सराहनीय काम कर रही है। डाॅ. शेफाली, हेड ऑफ एनाॅटमी आर्मी काॅलेज आफ़ मेडिकल साइंसेज़ ने पी.पी.टी. के माध्यम से सरल भाषा में समझाया कि जीते-जी व मरने के बाद कौन-कौन से अंग दान में दिए जा सकते हैं। आर्मी मेडिकल काॅलेज के डीन, मेजर जनरल डाॅ. आर. चतुर्वेदी ने बताया कि उनके काॅलेज के विद्यार्थी केडेवर को सम्मानपूर्वक रखते हैं।

प्रतिष्ठित समाजसेवी श्री मोहिन्दर सिंह ने कहा कि धर्म वहम नहीं बढ़ाता, बल्कि मानवता के लिए किए जाने वाले देह दान/अंग दान जैसे कार्यों के लिए प्रेरित ही करता है। उन्होंने वहां उपस्थित डीन से अनुरोध किया जब वह मृत देह लेने के लिए वाहन भेजें तो उसे सजा कर भेेजें और दो या चार डाॅक्टर-विद्यार्थी भी उसके साथ रहें, जिससे देह दान करने वाले परिवार व उपस्थित समाज में इस कार्य के प्रति सम्मान व गर्व का भाव आएगा। यह भाव इस आन्दोलन को और अधिक गति देगा।

महामण्डलेश्वर श्री 1008 स्वामी अनुभूतानन्द गिरि जी महाराज ने सरल शब्दों में बताया कि कैसे मनुष्य रोज़ सुबह जागने से लेकर रात में सोने तक, एक जन्म से मृत्यु तक का चक्र पूरा कर लेता है। उन्होंने आह्वान किया कि धर्म की दुहाई देकर देह दान के लिए मन में कोई भ्रान्ति न पालें। धर्म तो सदैव सेवा और मानवता का पक्षधर है।

पश्चिमी दिल्ली के सांसद श्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने समिति के मिशन की सराहना की और आने वाले उत्सव को प्रधानमंत्री निवास पर करके देहदानी परिवारों को सम्मानित करने का प्रस्ताव रखा। समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना ने देहदानी परिवारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने अपने भाषण में बताया कि अब तक समिति के 11000 से अधिक संकल्प व 250 से अधिक देह व अंग दान हो चुके हैं। संरक्षक श्री आलोक कुमार के दिशानिर्देश में सम्पन्न इस उत्सव का सुश्री गीता अहूजा के साथ संचालन करते हुए प्रोफेसर कुलविन्दर सिंह ने अवसर के अनुकूल एक स्वरचित शेर भी सुनाया:-

मिट्टी को जब होना है मिट्टी, क्यों न किसी के काम आए मिट्टी।
एहसास जलाएंगे दफ़नाएंगे बाॅडी, कहलाएंगे रब के बंदों के काम आए मिट्टी।

क्षेत्रीय सह संयोजक श्री जगमोहन ने अपनी टीम के सभी कार्यकर्ताओं को मंच पर बुला कर उनका धन्यवाद किया और सभी अतिथियों को भोजन के लिए आमंत्रित किया।