Home
Print
Next
Previous

अंगदानी श्री अनिल मित्तल की स्मृति में हमारे श्रद्धा सुमन

सुशील मित्तल

कुछ व्यक्तियों का जन्म ही सेवा के लिए होता है, जिसकी एक मिसाल श्री अनिल मित्तल रहे। उनका सारा जीवन ही समर्पित रहा, कभी समाज के लिए, कभी राष्ट्र के लिए, तो कभी अपने परिवार के लिए। मरणोपरांत भी अपने अंग दान कर एक दर्जन से ज़्यादा लोगों को जीवन देकर अपना जीवन सफल बना गए।

अंग दानी श्री अनिल का जन्म 22 सितम्बर, 1959 में, खारी बावली, दिल्ली-6 के निवासी पिता देह दानी श्री किशन मित्तल व नेत्र दानी माता श्रीमती रामदुलारी मित्तल के यहां हुआ। अट्ठारह साल की छोटी आयु में ही नया बाज़ार से व्यापार प्रारम्भ किया। सन् 1986 में प्रशांत विहार निवासी बने। उन्होंने अविवाहित रह कर समाज सेवा करने का प्रण लिया। माता-पिता की आत्मीयता से सेवा की। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्तर पर हमेशा सक्रिय रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे। किशनगंज गऊशाला के साथ 11 अन्य गऊशालाओं का भी कार्यभार सम्भाला और मन से गौ सेवा की। प्रशांत विहार जन्माष्टमी से 32 वर्ष तक जुड़े रहे। इस उत्सव को कार्य रूप देने में उनका विशेष स्थान रहा।

सन् 1997 से घर के एक नज़दीकी पार्क में पड़े कूड़े के ढेर को सुन्दर उपवन बनाया। इस पार्क में उन्होंने लगभग 2000 से ज़्यादा पेड़-पौधों को जीवन दान दिया और जीवन के आखिरी पल तक इन पेड़-पौधों की अपने बच्चों की तरह सेवा व देखभाल करते रहे।

1 मार्च, 2020 को हुई उनकी श्रद्धांजलि सभा में बड़ी संख्या में समाज की कई विभूतियों व स्थानीय नागरिकों ने स्वर्गीय श्री अनिल मित्तल को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करके उन्हें समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया।

इस मौके पर विश्व प्रसिद्ध भजन गायक श्री अजय भैया ने भजन प्रस्तुत किए। भाजपा विधायक श्री विजेन्द्र गुप्ता ने घोषणा की कि जिस पार्क में श्री अनिल मित्तल ने हज़ारों पेड़ लगाए, उस पार्क का नाम अनिल मित्तल वाटिका रखा जाएगा।

आर.एस.एस. के वरिष्ठ प्रचारक श्री प्रेमजी गोयल ने उन्हें महामानव बताया।

हास्य सम्राट पद्मश्री श्री सुरेन्द्र शर्मा, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन के ओएसडी, एम्स के डाॅ. श्री सर्वेश टंडन, कवि श्री राजेश चेतन, दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने श्री अनिल मित्तल के स्वर्ग गमन को समाज की अपूर्णीय क्षति बताया।

दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने हमारे परिवार को ‘दधीचि परिवार’ ही कह कर सम्बोधित किया, जो हमारे परिवार के लिए सम्मान का विषय है।

नानी स्वर्गीय देहदानी माया देवी से इस परिवार को देह दान की प्रेरणा मिली, फलस्वरूप परिवार के बहुत लोगों ने देह दान का प्रण ले रखा है।

दधीचि देह दान समिति के संयोजक श्री आलोक कुमार भी इस परिवार के प्रेरणा स्रोत बने।

श्री अनिल मित्तल ने अपनी देह के दान का फार्म दधीचि देह दान समिति द्वारा ही भरा था। जब उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया तो समिति में सम्पर्क करने पर पूरा तंत्र सक्रिय हो गया। परिवार के साथ प्रत्यक्ष खडे होने से लेकर एम्स में अंग दान की प्रक्रिया पूरी होने तक समिति का कोई न कोई सदस्य उपस्थित ही था। इस समिति के माध्यम से ही उनकी इच्छा को पूर्ण करते हुए उनका अंग दान सफलतापूर्वक किया गया और इससे मेरे अग्रज को ज़रूरतमंद मरीज़ों के शरीर में जीवित रहने का ज़रिया मिला।

मैं अनुज सुशील मित्तल दधीचि देह दान समिति का आभार प्रकट करता हूं।