Home
Print
Next
Previous

श्रद्धापुष्प

स्वर्गीय श्री अनिल मित्तल

श्री अनिल मित्तल आदर्श समाज सेवक थे। दधीचि देह दान समिति का काम ‘स्वस्थ सबल भारत’ के लिए नेत्र-अंग-देह दान’ उन्हें बहुत प्रिय था। समिति के कार्यक्रमों में अपनी कल्पनाशीलता से वह नई-नई चीज़ें शामिल कर लेते थे।
उन्होंने अपना नेह, प्रकृति से, पेड़-पौधे-लताओं से भी जोड़ा था। घर के पास वाले पार्क की वह स्वय देखभाल करते थे। किस पेड़ को कैसी खाद चाहिए, कब कितनी गुड़ाई-निराई करनी है, कितना पानी देना है - इन सबका उन्हें ज्ञान था। वहां सब वनस्पतियों की वह अपनी संतानों जैसी देखभाल करते थे।
अपने शरीर के अंगों को उन्होंने नवदधीचि होकर समाज में बांट दिया। मेरी कृतज्ञता पूर्वक हार्दिक श्रद्धांजलि।
आलोक कुमार

अपनी सादगी, अपने कार्यों एवं अपने विचारों से समाज को नेतृत्व प्रदान करना - कुछ विरले व्यक्तियों में ही ये गुण देखने को मिलते हैं। ऐसे ही विलक्षण गुणों एवं प्रतिभा के धनी थे श्री अनिल मित्तल। मुझे आज भी याद है कि अपने परिवार के पांचों सदस्यों के संकल्प पत्र लेकर वह स्वयं मेरे घर आए थे।
प्रकृति संरक्षक, पर्यावरण प्रेमी, गौ सेवक, कृष्ण भक्त, समाज सेवी जैसे कितने ही शब्द जब उनके व्यक्तित्व के साथ जुड़ते हैं तो ये शब्द भी सार्थक हो जाते हैं। इस सारी सम्पदा के साथ अंगदानी श्री अनिल मित्तल अपने सभी अंगों का दान करके ऐसा उदाहरण हम सबके सामने रख कर चले गए, जिसको भविष्य में याद किया जाता रहेगा। वह हमारे युग के दधीचि हैं। उनके अंग दान ने अनेक परिवारों के बुझने वाले दीपकों को फिर से जीवन प्रदान किया है।
मैं ऐसे महामानव के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन समर्पित कर अपने को धन्य समझता हूं। प्रभु उनकी आत्मा को अपने चरणों में निवास दें व सभी परिवारजनों को स्वास्थ्य एवं समृद्धि प्रदान करें। ऐसी प्रार्थना के साथ...
विनोद अग्रवाल

मेरे बड़े भाई अनिल जी परिवार के स्तम्भ थे। माता-पिता के मरणोपरांत अनिल भैया को ही मैंने अपना माता-पिता माना। व्यापार सम्भालने के दौरान भैया ने बहुत-कुछ शिक्षा दी, जिससे मुझे व्यापार करने के तरीकों की बारीकियां समझना आसान हो गया। भैया मेरे गुरु भी रहे। मुझे और मेरे बच्चों को जब भी, जो भी ज़रूरत पड़ी उसको हमेशा पूरा किया। भैया ने जो पार्क बनाया है, मैं कोशिश करूंगा कि उसकी अच्छी तरह से जीवन भर देखभाल करता रहूं।
सुशील मित्तल

अनिल मित्तल जी से मेरे 25 वर्ष से भी अधिक पुराने सम्बंध रहे। वह निश्चित रूप से हंसमुख और बिन्दास इन्सान थे। उनकी अब स्मृति ही शेष रह गई है। उन्होंने 20 वर्ष पहले ए-ब्लाॅक के उजड़े स्थान को पार्क में विकसित किया था और अब मेरा संकल्प उस वाटिका का नाम अनिल मित्तल वाटिका रखने का है।
विजेन्द्र गुप्ता

Salute to Shri Anil Mittalji for the great donation (already pledged) by him. He is an inspiration to the society. It shows greatness of the family members.
मीना अग्रवाल

आपके इस महान कार्य के लिए आपको शत्-शत् नमन।
कल्पना साहनी

प्रिय अनिल से मेरा नाता बहुत पुराना है। वह आज भी हम लोगों के बीच में मौजूद है। वह कहीं नहीं गया है, बल्कि कई लोगों के अन्दर मौजूद है। वह हम सबको एक राह दिखा गया। उसको नमन करता हूं।
कवि सुरेन्द्र शर्मा

अनिल मित्तल के अंगों से जिन परिवारों के घर में खुशियां आई हैं, मैं उन सभी परिवारों के सदस्यों से जुड़ते हुए आज इस दानी परिवार का साधुवाद करता हूं, एवं प्रार्थना करता हूं कि यह प्रेरणा भारत के हर परिवार में जागे जिससे अनगिनत बन्धुओं को अंगों का अभाव न हो। वह धन्य हो सके। पुनः परिवार का आभार।
कीर्तिवर्धन साहनी

अनिल मित्तल जी आपके द्वारा किए गए अंग दान से कई लोगों को रोशनी मिली है। मैं और मेरा परिवार आपको नमन करते हैं।
शंकर जिन्दल

श्री मनोज जी की प्रेरणा सभा में आकर पता चला उन्होंने अपने शरीर के सभी अंगों के दान का संकल्प ले रखा था। वह मानव से महामानव बन गए। एक स्वयंसेवक होने की वजह से मेरा उनसे नाता था।
चरन जीत गुप्ता

जाते-जाते मानवता का मान किया
उसने अपने सब अंगों का दान किया
एक दधीचि उसके अंदर था सच में
जब उसने सब अंगों का दान किया।
राजेश चेतन

I got inspired by Mr. Anil Mittal decision and now I also want to contribute some to the huminity.
पीयूष