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श्रद्धा सुमन

अन्नपूर्णा का प्रतिरूप

श्री रामलाल

श्री रामलाल का 77 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे कृष्णा नगर में रहते थे। उनके पुत्र ने अपने शब्दों में अपने पिताजी को याद करते हुए हमें संदेश भेजा है-"आप शिक्षा व सामाजिक जगत में सदैव अग्रणी रहे। कठिन से कठिन परिस्थिति को हास परिहास में यूं ही समझा देना आपकी विशेषता रही। गुड़गांव से विज्ञान स्नातक व रिवाड़ी से बीएड की शिक्षा ग्रहण कर एक आदर्श योग्य शिक्षक के रूप में 1967 में दिल्ली प्रशासन के शिक्षा जगत में पदार्पण किया।

1997 में आपको दिल्ली राज्य शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया। शिक्षण कार्य में दक्ष होने के साथ-साथ आप अपने सहयोगियों के मानस पटल पर अन्नपूर्णा की प्रतिमा के रूप में प्रतिष्ठित थे। अपने परिवार की कुशलता पूर्वक देखभाल करते हुए, अपनी बचत में से आपने एक स्कूल के लिए स्कूल बस खरीद कर दान में दी। आपने अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष संघ को समर्पित किए व बहुत से नए कार्यकर्ताओं का निर्माण किया। सेवा भारती में अभावग्रस्त समाज की कन्याओं के विवाह उत्सव में भी बढ़-चढ़कर योगदान दिया। आपने सेवा भारती के प्रकल्प सेवा धाम के लिए कृष्णा नगर जिले के बहुत से लोगों को जोड़ा और आर्थिक सहयोग के लिए प्रेरित किया। कृष्णा नगर जिले में लगने वाले हर संघ शिक्षा वर्ग में भोजन की व्यवस्था स्वयं से अपने कंधों पर ले लेते थे। आज भी उन्हें संघ शाखा में शरद पूर्णिमा की खीर के साथ याद किया जाता है। पिताजी सरल एवं सौम्य व्यवहार के कारण हमारी स्मृति में सदैव विराजमान रहेंगे। मरणोपरांत अपनी आंखों का दान करके वे हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत बने" ।

2 मई को मरणोपरांत, गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्रदान में लेकर गई। मानवता की सेवा में किए जानेवाले इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें, समिति परिवार की ओर से विनम्र प्रार्थना।

संपर्क सूत्र-पुत्र श्री मुकेश 98103 16432

दूसरे की जिन्दगी में रौशनी भर गईं

श्रीमती सुषमा वर्मा

श्रीमती सुषमा वर्मा ने 79 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे गुड़गांव में रहती थी। उनकी पुत्रवधू ने फोन पर बातचीत करते हुए उन्हें आदर पूर्वक याद किया। वे एक घरेलू महिला थीं। स्वभाव से शांत व व्यवहार में नम्र थी। राधास्वामी दयालबाग से जुड़ी हुई थीं। वहां वार्षिक आयोजनों में निरंतर भाग लिया करती थी। 5 मई को मरणोपरांत उनके नेत्र आरपी सेंटर, एम्स की टीम को दान दिए गए। मानवता की सेवा में किया जानेवाला यह महादान समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है। परिवार जनों का अभिवादन। हम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र- पुत्रवधू, श्रीमती भारती वर्मा 9811927790

शिक्षा को समर्पित शरीर

श्री जगदीश कुमार सरदाना

श्री जगदीश कुमार सरदाना ने 88 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे पंजाबी बाग में रहते थे। उनके पोते तेजस सरदाना ने उनके विषय में हमें निम्न जानकारी भेजी है-

“Shri Jagdish Kumar lived an exemplary life. A journey of life which, for all his family members and dear ones stands as an epitome of ethics, morals, and humility to try and emulate and preach in each of their own.

He always had a warm smile, reflecting on his magnificent allure for seeking and relishing the feeling of contentment in life. He taught us all to be kind to all, his way of kindness was always finding a way to give back to society in some form or the other. Each person & their quest to do a bit more, and even the smallest of habits – matter; he would always say.

However, he left his final grand lesson for all of us, till the very end - on his abode to heaven. He exemplified that the soul is free and infinite; the body is mere abstract. His final act of service to nature was donating his organs & body for the benefit of society; both tangible, and intangible for our minds and hearts.

We are forever grateful for all the years we shared with him, and share his immense gratitude as we chart our own ways in life. ”

7 मई को स्व. जगदीश सरदाना के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान दान में लेकर गई। उनका पार्थिव शरीर, आर्मी मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। चिकित्सा जगत के लिए यह एक अमूल्य दान है। समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हम परिवार का अभिवादन करते हैं। दिवंगत आत्मा के प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र- पुत्रवधु हेमा 9873006240

दिव्य पुरूष का दान

श्री पूरण देव मिंगलानी

श्री पूरण देव मिंगलानी का 83 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे उत्तम नगर में रहते थे। उनकी बेटी ने श्रद्धा सहित उनके विषय में इस प्रकार लिखा है-प्रिय पाठक, हमारे पूज्यनीय पिताजी श्री पूरण देव मिंगलानी एक ऐसी महान विभूति थे जो सम्पूर्ण जीवन धर्म संस्कृति जाति और देश की रक्षा में सर्वस्व न्यौछावर करने पर तत्पर रहे। मैं इस सुंदर संस्था के माध्यम से उनके जीवन चरित्र को भेंट स्वरूप आप सभी को भेंट करती हूँ। यह सुप्रसिद्ध बात है कि जिस जाति का इतिहास नहीं, वह कभी जीवित नहीं रह सकती। इतिहास लिखा नहीं जाता बनाया जाता है। बनाने वाली उच्च आत्माएं हुआ करती है और वह विरले होती है। उन्हीं महान आत्माओं की श्रृंखला में हमारे पिताजी आते हैं। सृष्टि के आदि से आज़ तक आर्य जाति के जीवित रहने का एक मात्र कारण वे महान आत्माएं हैं जिन्होंने अपने तप त्याग से इसके गौरव को बढ़ाया और मान प्रतिष्ठा को कायम रखा। भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान शंकर, भगवान बुद्ध, भगवान दयानंद, महात्मा गांधी आदि आदि महानुभावों ने उस ज्योति को स्थिर रखा, उसमें तेल दे दे कर प्रकाशित करते रहे जो ज्योति आदिम कालीन ऋषियों ने परमेश्वर की आज्ञा पालन करते हुए जलाई थी। परम पिता का कोटि कोटि धन्यवाद है कि इस पवित्र भारत भूमि पर समय समय पर ऐसी आत्माओं को जन्म देते रहे हैं जो धर्म संस्कृति जाति और देश की रक्षा में सर्वस्व न्यौछावर करने पर तत्पर रहते आए हैं। ऐसे ही महान् आत्मा को पिता स्वरूप पाकर आज हमारा पूरा मिंगलानी परिवार धन्य है। पंचतत्व में विलीन होने पर जो नेत्रदान महादान जैसा कार्य करने का सुअवसर उन्हें प्रभु ने प्रदान किया उसके लिए तो हम सभी बहुत बहुत आभारी हैं प्रभु के दरबार में इस सुंदर कार्य को पूरा करने में सक्षम इस संस्था को हम सभी तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। और आशीर्वाद देते हैं। जुग जुग जियो। आत्माओं को यह महादान प्राप्त होगा उनका तो आत्मिक कल्याण निश्चित होगा। ऐसी महान जीवनशैली वाले हमारे पूजनीय पिताजी को शत् शत् नमन करती हूं।

सभी पाठकों का आत्मिक कल्याण और आत्म उन्नति का मार्ग खुले, ऐसी शुभ भावना रखते हुए अपनी लेखनी को विराम देती हूं। पुनः आभार अभिनंदन आपका।

10 मई को स्व. पूरण देव की आंखें गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई । परिवार जनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र -पुत्री, सुश्री शकीला 9654 869900

देहदान से प्रेरित हुआ देहदान

श्री ओम प्रकाश गुप्ता

श्री ओम प्रकाश गुप्ता का 84 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे शालीमार बाग में रहते थे। उनके पुत्र ने फोन पर बात करके उनके विषय में आदर पूर्वक चर्चा की। श्री ओम प्रकाश पानीपत से दिल्ली आकर बसे। समाज सेवा की इतनी लगन थी कि डेसू में रात की शिफ्ट में काम करते थे और दिन का समय समाज सेवा के कार्यों में लगाते थे। करोल बाग आर्य समाज में 35 वर्ष इन्होंने अपनी सेवाएं दी। स्वामी रामदेव का योग शिविर दिल्ली में पहली बार करोल बाग आर्य समाज में लगा, जिस के आयोजन में इनकी प्रमुख भूमिका रही। अग्रवाल समाज की गतिविधियों में भी इनकी सक्रिय भूमिका रहती थी। कई संस्थाओं में समय-समय पर प्रधान, मंत्री या कोषाध्यक्ष के पद का कार्यभार इन्होंने संभाला। स्वयं का संकल्प देहदान का था जिसे परिवार ने सम्मान पूर्वक पूरा करवाया। इतना ही नहीं उनकी पत्नी ने स्व. ओम प्रकाश की पार्थिव देह के सामने ही अपनी देहदान का संकल्प पत्र भी हस्ताक्षरित किया। 11 मई को स्व. ओमप्रकाश का पार्थिव शरीर ई.एस.आई मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दिया गया। समाज में इस अमूल्य दान का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हम परिवार का अभिवादन करते हैं। ईश्वर के श्री चरणों में दिवंगत आत्मा की शांति के लिए सविनय प्रार्थना।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री राजीव गुप्ता- 98110 85541

अंधेरी दुनिया रौशन कर गईं फूलरानी

श्रीमती फूलरानी

श्रीमती फूलरानी का 90 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे कृष्णा नगर में रहती थीं। उनकी पोती ने फोन पर बताया कि वे गुरुद्वारे व मंदिर नियमित जाती थीं। अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान देती रहती थी। नेत्रदान के लिए उन्होंने स्वयं से चर्चा करके सहमति जताई थी । परिवार ने मानवता की सेवार्थ नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन। 11 मई को स्व.फूलरानी के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र- पोती, आरती- 85860 94470

जिंदगी में दान, जिंदगी के बाद महादान

श्री आदेश कुमार जैन

श्री आदेश कुमार जैन का 67 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे दिल्ली के सदर बाजार में रहते थे। फोन पर बात करने से पता चला कि परिवार ने मरणोपरांत ही उनके नेत्रदान के लिए आपसी सहमति बनाई व इस दान प्रक्रिया को पूर्ण करवाया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम 13 मई को उनके नेत्र ससम्मान दान में लेकर गई। परिवारजनों का अभिवादन। स्व.आदेश कुमार अपने स्वास्थ्य कारणों से समाज मे बहुत सक्रिय नहीं थे, पर मंदिर जाना, हर जरूरतमंद की मदद करना व दान करना उनके लिए सहज कार्य थे। परिवार ने इस महादान को करके समाज में मानवता की सेवा का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र - पुत्री श्रीमती शिखा जैन 98684 30473

दान में दे दी अपनी काया

श्रीमती माला देवी जैन

श्रीमती माला देवी जैन ने 80 वर्ष की आयु में अपनी इह लीला समाप्त की। वे पश्चिम विहार में रहती थी। उनके पुत्र ने आदर पूर्वक याद करते हुए उनके विषय में जानकारियां दी। स्व. माला देवी ने अपना जीवन जैन धर्म के नियमों के अनुसार चलाया। सहज जीवन रहा। पीरागढ़ी में कोढियों के आश्रम में उन्होंने 28 पक्के कमरे बनवाए। इसी तरह जैन स्थानक, पश्चिम विहार के निर्माण में भी उनकी मुख्य भूमिका रही। चार-पांच साल से वे देहदान के विषय में चर्चा करती थीं। वे निरंतर याद दिलाती थीं कि उनका देहदान व नेत्रदान अवश्य करवाया जाए। परिवार ने उनकी इस इच्छा का सम्मान किया और 26 मई को उनका पार्थिव शरीर एम्स में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान किया गया। यह एक अनुपम दान है। कुशल चिकित्सकों के निर्माण में यह पार्थिव देह प्रथम गुरु के रूप में सम्मान प्राप्त करती है। स्व. माला देवी के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। दान का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा के प्रति हम सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र - श्री नरेन जैन, 97114 11912

उनकी आंखें अब भी देखेंगी

श्रीमती अनीता अग्रवाल

श्रीमती अनीता अग्रवाल ने 62 वर्ष की आयु में अपनी इह लीला समाप्त की। वे रोहिणी में रहती थी। उनके पुत्र ने श्रद्धा सहित उन्हें याद किया व उनके बारे में बातचीत की। वे अपने परिवार को समर्पित महिला थी। हर एक से प्यार से मिलती थीं। शांत स्वभाव व नम्र व्यवहार था। सबकी मदद के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार हमेशा तैयार रहती थी। 28 मई को श्रीमती अनीता की मृत्यु के बाद परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित इनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री सचिन 99110 37993

वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे

श्रीमती स्वर्ण लता जैन

श्रीमती स्वर्ण लता जैन का पार्थिव शरीर एम्स में मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। चिकित्सा शास्त्र की सेवा में किया जाने वाला यह अनुपम दान है। एनोटोमी के छात्रों द्वारा इस कैडेवर (पार्थिव शरीर) को प्रथम गुरु के रूप में सम्मान प्राप्त होता है। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। स्व. स्वर्ण लता की पुत्रवधू ने सम्मान पूर्वक उनके प्रति निम्न शब्दों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं-

"हुई न सुमृत्यु तो वृथा जिए वृथा मरे, वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे। मैथिलीशरण गुप्त की उक्त पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए ही हमारी माता जी श्रीमती स्वर्ण लता जी का व्यक्तित्व था। 30 मई, 2022 को 91 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त की। प्रेम, ममता,अनुशासन और त्याग का इतना अनूठा समन्वय बहुत ही मुश्किल से देखने को मिलता है। पिताजी के स्वर्गवास के समय वे केवल 57 वर्ष की थी। उन्होंने अकेले ही बड़े धैर्य और सब्र के साथ पारिवारिक दायित्वों को खूबसूरती से निभाया।विकट से विकट परिस्थितियों में भी अपने पुत्रों और पुत्रवधूओं के साथ वह खड़ी रहीं। वह एक धर्मपरायण महिला थीं। दान शील इतनी थी कि कभी किसी को खिलाएं बिना खुद नहीं खाया। साधु संतों की सेवा में भी खुद को समर्पित किया। नेत्रों और देह का दान करके उन्होंने अपनी मृत्यु को भी महोत्सव बना दिया।"

इनके नेत्रों का दान एम्स के आरपी सेंटर में हुआ। समिति परिवार द्वारा दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना।

संपर्क सूत्र- पुत्रवधू, श्रीमती गीता जैन, मो. 9810819569

सच्ची आत्मा का महादान

श्री सोमनाथ मनोचा

श्री सोमनाथ मनोचा का 73 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे भोगल में रहते थे। सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। उनकी पुत्री ने उन्हें अपने शब्दों में इस प्रकार याद किया है-

आजकल के दुनिया में बहुत ही कम लोग होते हैं जो 'pure soul' कहलाते हैं। ऐसे ही थे मेरे पापा।

दुनिया की समझ नहीं पर,

प्यार की समझ पूरी थी।

एक चाय, दो समोसे, के बिना,

इनकी दुनिया अधूरी थी।

रोज़ शाम को बीवी के संग,

खिलखारिया मारते दिखते थे,

दिन भर उनकी समाज सेवा,

पैर नहीं घर पर टिकते थे।

जिसको भी मिले हंसी के कुछ पल दे जाते थे,

दर्द में भी इनकी आंखों से आंसू कभी नहीं आते थे।

जेब में चाबी का गुच्छा,

पास में रहती साइकिल थी,

घड़ियों का था शौक इन्हे,

जिंदगी इनकी vital थी।

लोग कहते थे मंदबुद्धि हैं,

चालाकी नही आती थी।

तभी तो शायद खुश रहते थे,

10 रुपए में ही बीत गई जिंदगी सारी थी

जाते-जाते भी साइंस के लिए ,

अपनी बॉडी डोनेट कर गए ,

ताकि विज्ञान इतना आगे बढ़े ,

लोग बेबस न रहें।

स्व. सोमनाथ का पार्थिव शरीर 1 जून को एम्स के न्यूरो विभाग में दान किया गया। परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र-पुत्री, सुश्री हिना- 95823 40 444

जिंदगी के बाद भी नेकी से नाता

श्री श्याम सुंदर सहाय

वसंत विहार निवासी श्री श्याम सुंदर सहाय 2 जून को दिवंगत हो गए। वे 89 वर्ष के थे। उनके पुत्र से ज्ञात हुआ कि परिवार में सबने नेत्रदान का संकल्प लिया हुआ है। श्री श्यामसुंदर एयर इंडिया से 1993 में रिटायर हुए थे। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। अधिकांश समय पूजा में बिताते रहे। आर.पी.सेंटर, एम्स की टीम श्री सहाय की मृत्यु के बाद उनके नेत्र दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में यह दान करके परिवार ने समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन।

दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री संदीप सहाय 98990 54832

ऐसे लोगों से मिलती है प्रेरणा

श्री खजांची लाल आनंद

श्री खजांची लाल आनंद, 85 वर्ष की आयु में दिवंगत हुए। वे दिल्ली के नारायणा विहार में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-

"Khazanchi Lal Anand who was lovingly addressed as KANTI by his near and dear ones was a very spiritual, honest, dedicated, conscientious and an organised person.

A loyal and a devoted husband,doting and a caring father , wonderful son and a loving brother to his siblings.

He was righteous man who cared for society and fellow human beings and as one of the gestures to give back to humanity and the society, he had planned very well in advance to donate his eyes, so it could help the needy as a blessing and for others to follow the example."

परिवार ने नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। 5 जून,22 को गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित इनके नेत्र दान में लेकर गई।दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र-पुत्र श्री राजीव आनंद , 98200 47194

श्रद्धा के साथ मानव मूल्यों में समर्पण

श्रीमती नरिंदर कौर

श्रीमती नरिंदर कौर का 75 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वे पटेल नगर में रहती थी। उनके बेटे ने फोन पर बताया कि वे गुरुद्वारे में श्रद्धा रखती थीं। श्रद्धा पूर्वक कीर्तन करने व जरूरतमंदों को दान देने में उन्हें सुख मिलता था। 6 जून को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित इनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र-पुत्र, श्री गुरमीत- 98186 04041

सार्थक जीवन का सच

श्रीमती निर्मल सेठी

श्रीमती निर्मल सेठी ने 88 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वह कुंडली, हरियाणा में रहती थीं। उनकी बेटी ने बताया कि 4 साल पूर्व उन्होंने देहदान का संकल्प लिया था, और निरंतर सबको याद दिलाती रहती थी कि उनका संकल्प अवश्य पूरा कराया जाए। अपनी हिम्मत से भी ऊपर उठकर उन्होंने हमेशा सबकी मदद की। किसी की दुख तकलीफ उनसे देखी नहीं जाती थी। सबको सार्थक जीवन जीने के लिए प्रेरणा देती रही। मरणोपरांत भी वे एक प्रेरक की भूमिका में आ गई। परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 13 जून को उनका पार्थिव शरीर फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज में दान कर दिया। चिकित्सा की पढ़ाई करनेवाले छात्रों के उपयोग के लिए दिया गया यह दान एक अमूल्य व अतुलनीय दान है। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र- पुत्री, सुश्री अनीता- 98189 86492

एक अनुकरणीय उदाहरण

श्री मानस जैन

श्री मानस जैन का 54 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे नई दिल्ली के न्यू मॉडल बस्ती के निवासी थे। उनकी पत्नी से बातों के दौरान कि वे एक खुश दिल और नेक दिल इंसान थे। रोशन आरा क्लब के योग ग्रुप से सक्रियता से जुड़े हुए थे। उनके परिवार में नेत्रदान की परंपरा रही है। असमय मृत्यु होने पर भी परिवार ने नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवारजनों का अभिवादन। समिति परिवार ईश चरणों में प्रार्थना करता है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र- पत्नी, श्रीमती संगीता जैन, मो. 98685 72098

एक जागरूक नागरिक का कर्तव्य

श्रीमती ओम कपूर

76 वर्षीय श्रीमती ओम कपूर ने 19 जून को अपनी इहलीला समाप्त की। वे वैशाली, गाजियाबाद में रहती थी। उनके बेटे ने फोन पर श्रद्धा से उन्हें याद करते हुए उनके विषय में जानकारियां दी। श्रीमती ओम, सुधांशु जी महाराज के विश्व जागृति मिशन से जुड़ी हुई थीं। वहीं पर पढ़ाई के लिए कुछ बच्चों को गोद ले लेती थीं। मिशन की गतिविधियों में वे सक्रियता से सहयोग करती थी। अपनी विल में उन्होंने और बातों के साथ-साथ नेत्रदान की भी इच्छा व्यक्त की थी। परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए मरणोपरांत उनके नेत्र आरपी सेंटर, एम्स में दान किए। मानवता की सेवा के लिए, नेत्रदान का क्रियान्वयन करके परिवार ने समाज में एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन।

दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र-पुत्र, श्री राजन कपूर- 99991 04490

एक आदर्श व्यक्तित्व का अवसान

श्री रमेश चंद जैन

श्री रमेश चंद जैन ने 92 वर्ष की आयु में अपनी इह लीला समाप्त की। वह दिल्ली के वीर विहार इलाके में रहते थे। उनकी पौत्रवधू ने आदर सहित उनके विषय में चर्चा की। दिल्ली आकर उन्होंने शून्य से अपना जीवन शुरू किया और आर्थिक दृष्टि से एक संपन्न परिवार के रूप में प्रतिष्ठित हुए । उन्हें किताबें पढ़ने का बहुत शौक था और अंतिम समय तक बिना चश्मे के ही वे अपने शौक को पूरा करते रहे। जड़ी-बूटियों की उन्हें बहुत अच्छी जानकारी थी। परिवार में उनका एक आदर्श पुरुष के रूप में सम्मान था। अपने पौत्र व प्रपौत्र,सबको उन्होंने संस्कारित करने का अपना दायित्व बखूबी निभाया। वह अपनी स्वस्थ आंखों को भी दान करना चाहते थे। परिवार जनों ने 20 जून को मरणोपरांत उनके नेत्रदान करवा कर मानवता के कल्याण में एक अमूल्य योगदान दिया है।परिवार का अभिवादन।गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनकी आंखें दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र- श्रीमती सैफी जैन, मो. 9911 6951 00