Home
Print
Next

वेबीनार- "एम्स मे नेत्रदान"

मार्च 2020 से कोविड-19 के प्रकोप के कारण सबकी जिंदगी थम सी गई थी । सारा मैडिकल तंत्र इस महामारी से बचाव के उपायों की व्यवस्था में जुटा हुआ था। देश में 4 महीने तक एक तरह से पूरा लॉकडाउन था । इस समय देहदान अंगदान व नेत्रदान का काम भी रुका हुआ था । जुलाई में फिर से इस दान के विषय में चर्चा शुरू हुई। यह कैसे हो सकता है, क्या नियम होंगे व क्या सावधानियां बरतनी होगी यह सब समझने के विषय थे। इस काम को फिर से शुरू करने के लिए दधीचि देहदान समिति ने 22 जुलाई ,2020 को नेत्रदान पर एक वेबीनार का आयोजन किया ।

वेबीनार में मुख्य वक्ता पद्मश्री डॉ तितियाल व समिति के संरक्षक श्री आलोक कुमार थे ।100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने इस वेबीनार का लाभ उठाया । वेबीनार का संचालन समिति के उपाध्यक्ष डॉ विशाल चड्ढा ने किया। बहुत ही सहज भाव से उन्होंने पहले विषय रखा और फिर डॉक्टर के तितियाल का परिचय व उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला ।उन्होंने आलोक जी की प्रेरणादायक सोच की भी चर्चा की जिसको सभी कार्यकर्ता अपना मार्गदर्शन मानकर कार्य करते हैं ।समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने समिति की कार्यप्रणाली व 20 साल के सफर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कैसे पहले एक कैडेवर पर 20 से 25 छात्र तक अध्ययन करते थे। समिति के प्रयासों से आज यह स्थिति बहुत बेहतर हुई है।

संस्थापक अध्यक्ष एवं वर्तमान में संरक्षक श्री आलोक कुमार ने कहा कि कुदरत सदा से देहदान करती आई है। फसलें, वृक्ष ,नदियां ,वायु इत्यादि सब अपना देह दान करके ही जीव मात्र के जीने का मार्ग प्रशस्त करते हैं ।तो क्यों न हम सब भी जीवन पूर्ण कर जब संसार से विदा हों तो तोहफे में मिली यह काया कुदरत के बंदों को जीवन देने हेतु देकर जाएं। डॉक्टर बलवंत सतीजा व पत्नी उषा सतीजा जी की बेटी की जब असमय मृत्यु हो गई तो दुख के अपार सागर में बहते हुए भी नेत्रदान का सर्वोत्तम कार्य करने का मन बनाया व पुत्री का नेत्रदान कर समाज में उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया । श्रीलंका का उदाहरण देते हुए आलोक जी ने बताया कि यह एशिया का सबसे ज्यादा नेत्रदान करने वाला छोटा सा देश है जिसके कारण ढूंढने पर पता चला कि श्रीलंका एक बौद्ध देश है और बौद्ध गुरू व संतों ने प्रेरित किया है कि यह परमात्मा को पाने का श्रेष्ठ मार्ग है। सो तकरीबन सारा का सारा देश ही ऐसा परोपकार कर मिसाल बना हुआ है।

आर. पी. सेंटर ,एम्स के चेयरमैन ने अपने अभिभाषण में पहले कोरोना व उसके बाद करोना काल में नेत्रदान पर बहुत ही सहज शब्दों में पीपीटी के माध्यम से ज्ञानवर्धक बातें कहीं। उन्होंने कहा कि चीन से शुरू हुई यह महामारी पूरे विश्व के 214 देशों तक पहुंच गई है ।वह अभी तक 1. 45 करोड लोगों को चपेट में ले चुकी है और 6 लाख मौतें हो चुकी है। यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। कोविड-19 ,संक्रमित सतह या सामान को छू लेने से या संक्रमित व्यक्ति के ज्यादा निकट के वायु कणों से फैलता है ।समुचित सामाजिक दूरी, बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग व बार-बार हाथ धोते रहना ही इसके बचाव के तरीके हैं। वर्तमान परिस्थिति में, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते दान की प्रक्रिया को पूरा करने वाले भी और दान ग्रहण करने वाले भी इसकी चपेट में आ सकते हैं इसलिए नेत्र समेत सभी अंग जैसे हृदय, फेफड़े, किडनी, लीवर, बड़ी आंत, नेत्र आदि का प्रत्यारोपण बहुत से दिशा निर्देशों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। अप्रैल से जुलाई तक न तो कोई दान हो पाया और ना ही कोई प्रत्यारोपण। एक सर्वे के अनुसार हर महीने लगभग 2000 लोगों का कॉर्नियल प्रत्यारोपण होता है जो इन 4 महीनों में नहीं हो पाया। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि इतना बड़ा बैकलॉग कैसे पूरा होगा यह चिंतन का विषय है।

देश में नेत्रदान व अंगदान के लिए पूरे सर्वमान्य दिशा निर्देश अभी पूरी तरह से तैयार नहीं थे इसलिए दान व आपरेशन बंद रहे । परंतु अब कुछ दिशानिर्देश जिनमें वह सब सावधानियां जो दान लेते समय रखनी चाहिए उनके साथ नेत्रदान स्वीकार करना शुरू हुआ है।

  1. करोना नेगेटिव लोगों का नेत्रदान हो सकता है। उनका मृत्यु से 72 घंटे पहले कोरोना टैस्ट हुआ हो ।वह टैस्ट नेगेटिव आया हो
  2. आई बैंक की टीम सभी सावधानियों का पालन करते हुए ही नेत्रदान की प्रक्रिया करें। नेत्रदानी के परिवार वाले भी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मास्क पहने रहे ।
  3. यदि मृत्यु के समय बुखार आया हो, खांसी हो या सांस लेने में तकलीफ रही हो तो सब ठीक से टीम को जरूर बताएं ।
  4. यदि मृतक को कोरोना हुआ था तो टैस्ट किए हुए 14 दिन होने पर ही दान लिया जा सकेगा । दान कर्ता की पूरी हिस्ट्री भी ठीक से बताई जाए।

उन्होंने बताया कि टिशु लेने के 48 घंटे के बाद ही अस्पताल इसका प्रत्यारोपण करेगा । वह पूरी आईबॉल न निकालकर केवल कॉर्निया ही लिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने आशा जताई कि आने वाले समय में नेत्रदान फिर से अपनी गति पकड़ेगा। समिति को धन्यवाद देते हुए कहा कि देश को उन की बहुत जरूरत है जो इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। अंगदान नेत्रदान को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए दधिचि देहदान समिति जैसी संस्थाओं का साथ होना बहुत जरूरी है।