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दधीचि के सम्मानित साथियों के अनुभव अपने ही शब्दों में

ऐसे कार्यक्रम होते रहें !

इस कार्यक्रम में बड़े प्रेम भाव से उपराष्ट्रपति जी ने लोगों को जग भलाई का संदेश दिया। विशेष लोगों की उपस्थिति में समिति की तरफ से देहदान, अंगदान और नेत्रदान के लिए लोगों को प्रेरित भी किया गया । इस कार्यक्रम में उपस्थित होना सिर्फ मेरे लिए ही नहीं, सभी के लिए एक नया अनुभव था। हम सबको देहदान और अंगदान पर काम करने वाले देश भर के लोगों से मिलने का मौका मिला । दधीचि देहदान समिति के इस प्रोग्राम द्वारा भारतवर्ष में बॉडी ऑर्गन डोनेशन के प्रति लोगों में एक नया उत्साह प्रज्ज्वलित हुआ है । दधीचि के सम्मानित साथियों और सभी लोगों को मिलकर ऐसे कार्यक्रम करते रहना चाहिए, जिससे इस पहल को हम सभी मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के सहभागी बनें तथा अंगदान करने वाले लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो।

डॉ. अनलजीत सिंह झंगी

एक सफल दिन,एक सफल कार्यक्रम

मेरे जिए गए 49 बसंत में से अब तक देश का दिल कही जाने वाली दिल्ली के मध्य में स्थित अंबेडकर भवन में इससे पहले कभी मेरा जाना नहीं हो सका था। द्वार पर चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था बता रही थी कि किसी कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति के सम्मिलित होने का अर्थ क्या होता है। आत्मीयता तथा कोमल स्वभाव से भरपूर कार्यकर्ताओं के द्वार पर किए जा रहे स्वागत और मीठे शब्दों ने प्रत्येक का मन प्रारंभ से ही आनंद की अनुभूति से भर दिया था।

कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था से निकलकर जैसे ही भवन के अंदर घुसे तो मेरे मन में जिज्ञासा थी कि क्या हॉल भर पाएगा ? सुरक्षा के दूसरे घेरे को पार कर जैसे ही हम हॉल में घुसे, मेरी इस शंका को जोरदार झटका लगा। हॉल लगभग पूरी तरह भर चुका था। कुछ ही देर में उपराष्ट्रपति के पधारने पर सबने एक साथ खड़े होकर जोरदार तालियों से जब उनका स्वागत किया उसी करतल ध्वनि से हमें एक सफल दिन, एक सफल कार्यक्रम के आभास की अनुभूति हुई।

सांसद श्री सुशील मोदी जी,सांसद डॉक्टर हर्षवर्धन जी तथा इस नेक कार्य तथा संस्था के संस्थापक अध्यक्ष, अधिवक्ता, दूरदर्शी श्रीमान आलोक जी को मंच पर देखना स्वाभाविक था परंतु आश्चर्य और उत्सुकता का विषय था उपराष्ट्रपति तथा इन सब के मध्य में बैठी साध्वी दीदी । चेहरे पर भगवा की तरह ईश्वरीय तेज ,शांत ,सौम्य तथा मृदुल चेहरे की स्वामिनी, साध्वी दीदी को मंच पर देखकर एहसास हुआ कि भारत में आज भी धर्म को सत्ता से ऊपर देखा जाता है ।परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश से आई साध्वी भगवती सरस्वती जी की उपस्थिति तथा श्रीमती मंजू जी की सुंदर कृति ‘सकारात्मकता से संकल्प विजय का’ पुस्तक की पहली प्रति उपराष्ट्रपति को भेंट करने पर सभी ने खड़े होकर भरपूर तालियों के साथ स्वागत किया। उपराष्ट्रपति महोदय ने दधीचि देहदान समिति की प्रशंसा करते हुए इस संवेदनशील विषय पर आग्रह किया कि सोशल मीडिया तथा मीडिया कर्मियों को सहयोग देकर इसे जन-जन तक प्रत्येक परिवार में पहुंचाना चाहिए। कार्यक्रम के बाद सभी के शांत मन में भाव थे कि निश्चित रूप से हर व्यक्ति जो मानवता के प्रति दयालु हैं और किसी और को उसके दर्द में सहानुभूति दे सकता है ,वह मौत के बाद अपने अंगों को दान करने की कोशिश करके हमारे समाज पर एक बड़ा सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

दिनेश बरेजा

भव्य,शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कार्यक्रम

वास्तव में यह कार्यक्रम बहुत ही भव्य, शिक्षाप्रद ,प्रेरणादायक,अनुशासित व सुनियोजित रहा। खास तौर से दधिचि देहदान समिति द्वारा देश की अंगदान से संबंधित सभी संस्थाओं को एक ही छत के नीचे एकत्रित करना और इस विषय को पूरे देश का सफल अभियान करने के लिए कार्यशाला का आयोजन करना एक सराहनीय प्रयास था। इस कार्यशाला के बाद सभी संस्थाओं के सदस्यों द्वारा कुछ बिंदुओं पर एकमत होकर एक रिपोर्ट तैयार की गई, जो वास्तव में प्रासंगिक व प्रैक्टिकल थी, जिस पर सरकार विचार करके एक राष्ट्रीय नीति तैयार करे तो इस विषय की भ्रांतियां दूर होंगी और अधिक से अधिक लोग अंगदान और देहदान के लिए आगे आएंगे जो कि इस समय की मांग है। अगर दधीचि देहदान समिति की इस कार्यशाला से निकले सुझावों के अनुसार सरकार एक समग्र नीति बना लेती है तो निश्चय ही देहदान अंगदान व नेत्रदान की समस्या शीघ्र दूर होगी, अंगों की कमी से लोगों की मृत्यु नहीं होगी ।

डॉ मधु पोद्दार

मुझे इस कार्यक्रम पर गर्व है !

देह अंग दान का अभियान आगे चलकर हमारे देश में एक आंदोलन के रूप में स्थापित हो सके, इस विचार के साथ 3 सितंबर,2022 को पूरे भारत में इस विषय के प्रति समर्पित ,प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा विचार किया गया। सरकारी पक्ष को और अधिक सक्रिय करके इस आंदोलन को सफल बनाने का निर्णय भी लिया गया। मुझे अत्यधिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि मैं दधीचि देहदान समिति के माध्यम से परिवार समाज और देश हित के लिए अपना योगदान देने हेतु सदैव आगे रहती हूं।

मुझे गर्व है कि इतने बड़े पैमाने पर, ऐसे सुंदर कार्यक्रम को आयोजित होते हुए मैंने पहली बार देखा है। हमारी समिति न केवल समाज और परिवार तक ही सीमित है अपितु संपूर्ण देश और विश्व में हम इस आंदोलन को सफल करके किस प्रकार आगे तक ले जा सकते हैं, इसका व्यावहारिक मार्ग सुझाती है।

सुनीता चड्ढा

कार्यक्रम से उत्साह का संचार

कार्यक्रम के लिए विभिन्न संगठनों से आए महानुभावों का हवाई अड्डा पर स्वागत करने और उन्हें वापस हवाई अड्डा तक पहुंचाने वाली टीम में मेरा सहयोग रहा । इस छोटी सी सेवा में मुझे बहुत आनंद मिला। अलग-अलग राज्यों -संगठनों से आए सेवा कर्मियों ने अपने अपने विचार और तर्क पेश किए । वे लोग महान हैं, जो अपनी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से अपना मूल्यवान समय निकालकर इस परम उद्देश्य के लिए समिति के कार्यक्रम में आए । उन्होंने हमें कुछ सुझाव भी दिए, जिन पर अवश्य ही विचार करके अमल किया जाएगा। कार्यक्रम से मुझे अपने निजी जिंदगी में भी उत्साह मिला। मैं समिति के लिए पूरे जोश से हरदम तैयार हूं ।

महेंद्र कुमार चौधरी

सफल कार्यक्रम का हिस्सा बने हम

पूरे देश से इस कार्यक्रम में लोगों को बुलाया गया था। उस सारी व्यवस्था में सबको जिम्मेदारियां दी गईं। मेरी ड्यूटी टर्मिनल 2 पर थी । सुबह से लेकर रात के 11:00 बजे तक मैंने करीब 20 लोगों को रिसीव किया। जब तक मैंने पहले गेस्ट को रिसीव नहीं किया था, मन में हलचल थी ,कैसे होगा ,क्या सब कुछ ठीक-ठाक हो पाएगा? क्योंकि जो जिम्मेदारी आपको दी गई थी उस पर खरा उतरना था। लोगों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। जैसे अपने परिवार का कोई बाहर से यात्रा करके आता है और उसको लेने जाते हैं, वैसे ही गर्म जोशी से सबका स्वागत किया गया। गाड़ी चलाने के लिए ड्राइवर की व्यवस्था नहीं की गई थी। खुद ही संस्था के सदस्यों द्वारा सभी मेहमानों को हरियाणा भवन तक पहुंचाया गया। पूरे दिन ऐसा ही सिलसिला चलता रहा। अंतिम अतिथि के साथ हम भी हरियाणा भवन आए। माननीय आलोक जी व मंजू भाभी जी भी लोगों के स्वागत के लिए वहीं थे । मन में सुकून हुआ कि आज का काम अच्छे से संपन्न हुआ। अब अगले दिन के लिए लोगों को कॉन्क्लेव तक पहुंचाने के लिए बस का इंतजाम किया हुआ था। सब काम अपने निर्धारित समय से हुआ। दो दिन का सम्मेलन कब खत्म हो गया पता ही नहीं चला। सबको सकुशल वापस एयरपोर्ट छोड़ा गया। सफल कार्यक्रम, जिसमें हम सब ने भारत को स्वस्थ बनाने का संकल्प लिया। जिस उद्देश्य के लिए इस सम्मेलन का आयोजन हुआ था उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए दधीचि समिति संकल्प बद्ध है तथा विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है। मुझे इस संस्था का हिस्सा बनने पर गर्व है

अमित गर्ग

बहुत कुछ सीखा हमने

इस कार्यक्रम में हमें अतिथियों के लिए ट्रैवलिंग की जिम्मेदारी दी गई थी , मतलब बाहर से आने वाले मेहमानों को हरियाणा भवन तक छोड़ना और जहां-जहां कार्यक्रम है, वहां वे समय से पहुंचे यह निश्चित करना। फिर उनको रात्रि विश्राम के लिए पहुंचाना । कार्यक्रम खत्म होने पर उनको वापस एयरपोर्ट तक छोड़ना। शुरू में तो लगा कि कैसे करेंगे। मेहमान भी तो कोई आम आदमी नहीं थे, अपने-अपने काम के बड़े-बड़े लोग। हमारे बड़े भाई योगेंद्र के निर्देशों ने इस सारी व्यवस्था को इतना सहज बना दिया कि यह कार्यक्रम हमारे लिए यादगार बन कर रह गया। मेहमानों से मिलकर जितना हम खुश थे, उतना ही वे भी हमारी समिति की व्यवस्थाओं से अभिभूत थे। आशा है आने वाले समिति के कार्यक्रमों से हम कुछ ना कुछ नया सीखते रहेंगे ।

संदीप शर्मा

An inspiring Event!

To commemorate the remarkable journey of 25 years in the field of organ ddonation and social service, Dadhichi Deh Dan Samiti celebrated its silver jubilee on September 04, 2022 in New Delhi at Dr Ambedkar International Centre, 15, Janpath Road.

A moving spirit, great motivator and mighty organizer Hon' ble Alok ji saw a dream twenty-five years back comes true culminated into a social movement with 900 eyes and 300 body donations. All the arrangements made for the September 04 function gave a fare idea of the thought and planning which had gone into it.

It was an immaculately planned and well attended event. From the security measures and volunteers' readiness to help the visitors to the itinerary of the programme and food arrangement - everything was a result of the fail proof planning. There was a general environment of jubilation among the audience. All the speech made by the dignitaries including the special guests Dr. Harshvardhan, former union minister, Sh. Sushil Modi, former Deputy Chief-Minister of Bihar, Sh. Alok Kumar, the patron of Dadhichi Deh Dan Samiti, and Sadhvi Bhagwati Saraswati were inspiring.

Dr.Parveen Phogat