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रचनाओं में देहदान मुहिम

अशोक कुमार गुप्ता

दुनिया का सबसे उत्तम दान

साधारण अर्थों में प्रेम, परोपकार तथा सद्भावना को दान माना जाता है। उत्तम दानी वे हैं, जो अपने संपर्क में आए हुए व्यक्तियों को विद्या का अथवा व्यवसाय आदि का ज्ञान देकर उन्हें स्वावलम्बी बना दें। जो समाज के हित में हो, ऐसा दान भी उत्तम दान माना जाता है जैसे कि धर्मशाला, स्कूल, कुएं का निर्माण, प्याऊ, अस्पताल इत्यादि।

इस सबके अलावा मैं जो बताना चाहता हूं, वह इन सब प्रकार के दानों में सर्वापरि है। जिस दान से किसी व्यक्ति की जिदंगी बचाई जा सकती हो, या नई जिंदगी दी जा सकती हो, उन्हें मैं महादान का दर्जा देना चाहूंगा।

इन दानों में सबसे पहले हैं

रक्तदान

मानव रक्त का कोई विकल्प नहीं है। अतः रक्त की पूर्ति केवल रक्त से ही हो सकती है। आप रक्त दान ऐसे किसी भी ब्लडबैंक या रक्तदान शिविर, अस्पताल आदि में कर सकते हैं, जो तय मानक का पालन करते हों। कोई भी 18 वर्ष से 60 वर्ष के बीच की आयु का व्यक्ति तीन महीने के अन्तराल में कभी भी रक्तदान कर सकता है।

नेत्रदान

एक मृत व्यक्ति के नेत्रों का कोर्निया निकालकर दो या उससे अधिक नेत्रहीन व्यक्तियों में प्रत्यारोपण कर उन्हें नई दृष्टि (जिंदगी) प्रदान कर दी जाती है। मृत्यु के आठ घंटे तक नेत्रदान किया जा सकता है।

अंगदान / देहदान

आज विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है कि हड्डिया, त्वचा, कुछ मुलामय टिश्यूज, गुर्दा, जिगर, दिल, फेफड़े, पैनक्रियाज आदि महत्वपूर्ण अवयवों को आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। एक मृत व्यक्ति के विभिन्न अंगों का दान, कई जरूरतमंद मरीजों के लिए चिकित्सा का काम आसान कर देता है।

अंगदान, मस्तिष्क मृत्यु (ब्रेन डेथ) होने पर ही किया जा सकता है। मस्तिष्क मृत्यु अर्थात् जब मनुष्य का समस्त शरीर जीवित रहता है, परन्तु मस्तिष्क व्यावहारिक एवं तकनीकी रूप से बिल्कुल निष्क्रिय हो जाता है, तो उसे मृत करार दे दिया जाता है।

मेडिकल कॉलेज और अस्पतानों में मृत्यु के बाद मृत शरीर का देहदान भी कर सकते हैं। यह देहदान चिकित्सकों एवं चिकित्सा विज्ञान के छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा के काम आता है।

कुछ विशेष जीवन रक्षक यंत्रों, वेंटिलेटर आदि की सहायता से इस अवस्था को काफी लम्बे समय तक रखा जा सकता है। मस्तिष्क मृत्यु को डाक्टरों की विशेष टीम द्वारा निश्चित समय अंतराल पर दो बार जांच करके प्रमाणित किया जाता है।

साभार - 'योग माया' पत्रिका

सुनील देशपांडे

अंगदान का राही , मैं भी एक सिपाही

अंगदान का राही हूं

मैं भी एक सिपाही हूं

बोलो मेरे संग

रक्तदान, त्वचा दान, नेत्रदान,

देहदान, अंगदान।

संकल्प करूंगा ना डर-डर के

अंगदान तो बाद में है मरने के

मृत्यु है मंजिल, डरेंगे नहीं हम

आगे ही आगे बढ़ाएंगे कदम।

दाहिने-बाएं, दाहिने-बाएं, थम।

अंगदान का राही हूं

मैं भी एक सिपाही हूं

बोलो मेरे संग

रक्तदान, त्वचा दान, नेत्रदान,

देहदान, अंगदान।

सिपाही देश के जो जान बचाते

अंगदान के सिपाही भी तो जान बचाते

उनमें जितना है, उतना ही है हम में दम

आगे ही आगे, बढ़ाएंगे कदम

दाहिने-बाएं, दाहिने-बाएं, थम।

अंगदान का राही हूं

मैं भी एक सिपाही हूं

बोलो मेरे संग

रक्तदान, त्वचा दान, नेत्रदान,

देहदान, अंगदान।

जीत के ही आते वो या मर मिट जाते हैं

मृत्यूके बाद भी हम जीत जाते हैं

जिंदगी की हार जीत में

हम भी नहीं कम

आगे ही आगे बढ़ाएंगे कदम

दाहिने-बाएं, दाहिने-बाएं, थम।

अंगदान का राही हूं

मैं भी एक सिपाही हूं

बोलो मेरे संग

रक्तदान, त्वचा दान, नेत्रदान,

देहदान, अंगदान।

( नासिक के रहने वाले अंगदान मुहिम के इस कार्यकर्ता ने ' छोटा जवान ' फिल्म के गीत

" नन्हा मुन्ना राही हूं , देश का सिपाही हूं ... " की तर्ज पर यह गीत लिखा है।