छह साल का समय बहुत कम भी है और बहुत लंबा भी। श्रीमती हेमा जौली ने समिति के कार्यकर्ता के रूप में ऐसा स्थान हम सबके बीच बना लिया कि हम सबको लगता है कि एक लंबे समय से हम सब एक साथ काम कर रहे हैं। अपने ही बच्चों के साथ मित्रता और दधीचि के गतिविधियों की इतनी चर्चा करती थीं कि बच्चे मुझसे पहली बार ऐसे मिले, जैसे सालों से हमारी व्यक्तिगत पहचान हो। ऐसी तल्लीनता थी दधीचि समिति के कार्यों के साथ व अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ। अचानक से हेमा का हम सबके बीच से चले जाना दधीचि परिवार को एक झटका दे गया। सबको स्नेह देकर व उतना ही स्नेह सबसे लेकर, हरदम हंसता और जीवंत चेहरा हमसे बिछड़ गया। दुखद है। नियति अवश्यंभावी है। उनके पति श्री कंवल जी को यह अहसास है कि दधीचि परिवार के रूप में एक बहुत बड़ा सामाजिक दायरा उनके लिए बना गई है। 18 फरवरी को हम सबने उन्हें अंतिम विदाई दी, पर उसके बाद के हर कार्यक्रम में हमारी निगाहें उन्हें ढूंढती रहेंगी। उनकी उपस्थिति सकारात्मक रहती थी और अब उनकी उनकी अनुपस्थिति भी हमें प्रेरणा देती रहेगी।
दधीचि परिवार सस्नेह स्व. हेमा जैली को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है। ईश्वर से प्रार्थना है कि परिवार जनों को इस अनहोनी को स्वीकार करके जीवन में आगे बढ़ने की शक्ति दें। हम सब उनकी जीवंतता से प्रेरणा लेकर अपने ध्येय की तरफ आगे बढ़ते रहें।
शुभेच्छु
मंजु प्रभा