शुभ समाचार ! देह दान में भारत ने बनाया नया रिकॉर्ड
शव दान या देहदान के प्रति लोगों को जागरूक करने की मुहिम को देश में सफलता मिलती हुई दिख रही है। भारत में शवदान करने की वालों की तादाद में उछाल देखने को मिल रहा है। लोग तमाम मिथकों से ऊपर उठकर देह दान करने लगे हैं। इससे स्पष्ट पता चलता है कि देह दान से होने वाले कल्याण को लेकर लोग पहले के मुकाबले अब ज्यादा जागरूकता का परिचय दे रहे हैं।
बीते वर्ष 2023 के आंकड़ों को देखें तो इससे स्पष्ट होता है कि देश ने देह दान कार्यक्रम में एक अहम पडाव हासिल किया है। बीते वर्ष के दौरान भारत में पहली बार शव दान करने वालों की संख्या चार अंकों में पहुंच गई है , जिसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।
खास बात यह है कि इस उपलब्धि से अंगदान जैसे मुहिम को भी बल मिल रहा है। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के मुताबिक, 2023 में कुल 1,028 मृतकों के देह और बाकी अंगों को दान प्राप्त किए गए हैं। जबकि, पिछले वर्ष 2022 की संख्या पर ध्यान दें तो महज 941 देह दान ही प्राप्त हुए थे। हालांकि, कुछ राज्य अभी भी अपने यहां देह दान के आंकड़ों को अपडेट कर रहे हैं। ऐसे में यह संभावना है कि देश में देह दान की संख्या मौजूदा संख्या से और अधिक हो सकती है।
देह दान में आगे है तेलंगाना
बीते वर्ष तेलंगाना ने अंगदान कार्यक्रम में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। यहां 200 देह दान किए गए हैं। दूसरे नंबर पर कर्नाटक और उसके बाद क्रमश: तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात का स्थान है। मुंबई में भी बड़ी तादाद में हुए देहदान की वजह से 50 देहदाताओं के अंग रोगियों को देकर उनके जीवन को बचाने में कामयाबी मिली है।
पूर्वोत्तर राज्यों में भी शुरू हुआ सिलसिला
देह दान कार्यक्रम की दिशा में देश का पूर्वोत्तर राज्य भी शामिल हो चुका है। मणिपुर सहित भारत के पूर्वोत्तर राज्यों ने भी शवदान कार्यक्रम की शुरूआत की है। बीते वर्ष मणिपुर में दो शव दान किए गए। जिससे यह स्पष्ट होता है कि इन राज्यों में भी प्रत्यारोपण के महत्व को लोग समझ रहे हैं। यह देह दान और अंगदान की दिशा में एक सकारात्मक परिणाम साबित हो रहा है।
डिजिटल रजिस्ट्री से हुई आसानी
दधीचि देह दान समिति के उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता के मुताबिक, सरकार जिस तरह से देह दान और अगंदान कार्यक्रम को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, उससे इस अभियान को काफी बल मिलता हुआ दिख रहा है। इस प्रक्रिया में नई डिजिटल रजिस्ट्री प्रणाली से मिलने वाली सुविधा से भी तेजी आई है। इस डिजिटल प्रक्रिया को शुरू करने के सिर्फ चार महीनों के अंदर ही एक लाख से अधिक लोगों ने पंजीकरण करवाया है। लोगों को और अधिक तादाद में इस मुहिम से जोडने के लिए सरकार लगातार जागरूकता अभियान चला रही है। इस पर लगातार अनेक संस्थानों में हो रहे सेमिनार की वजह से चिकित्सा और गैर-चिकित्सा कॉलेजों में अंगदान के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।
हाथ प्रत्यारोपण के मामले में भी प्रगति कर रहा है देश
भारत में हाथ प्रत्यारोपण जैसी जटिल सर्जरियां तब शुरू हुई, जब विदेशों में व्यापक पैमाने पर इसे अंजाम दिया जा रहा था। बावजूद इसके हाथ प्रत्यारोपण के क्षेत्र में भारत की प्रगति संतोषजनक है।
‘इंडियन ट्रांसप्लांट’ न्यूजलेटर के सितंबर, 2023 संस्करण में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, भारत ने वर्ष 2015 से 29 रोगियों के लिए 50 हाथ प्रत्यारोपण किए। यह उन वैश्विक आंकड़ों को पीछे छोड गया, जिसमें 18 देशों में 170 हाथ प्रत्यारोपण किए गए हैं। चाहे प्राप्तकर्ताओं के संख्या की बात हो या प्रत्यारोपित हाथों की संख्या, दोनों ही मामले में भारत एक लीडर के तौर पर उभरकर सामने आया है।
मन की बात में पीएम मोदी ने की थी खास अपील
जानकारों का मानना है कि अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम में आई इस तेजी की एक वजह पीएम मोदी की अपील भी हो सकती है। पीएम ने मार्च 2023 में प्रसारित अपने मन की बात कार्यक्रम में शवदान और अंगदान के महत्व पर दिया था। विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएम मोदी की इस पहल से सार्वजनिक अस्पताल, प्रशासन और राज्य स्वास्थ्य विभागों को शवदान को प्राथमिकता देने की दिशा में प्रोत्साहित किया है।
अंगदान से जीवनदान मुहिम में एम्स ने लगाया शतक
देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल और शोध संस्थान दिल्ली एम्स ने भी अंगदान के जरिए मरीजों को जीवन दान देने की मुहिम में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। बीते दो वर्षों में एम्स ट्रॉमा सेंटर ने अंगदान के जरिए जीवनदान देने की प्रक्रिया में सेंचुरी लगा दी है।
वर्ष 2022 से अब तक (2024) यहां 32 अंगदान किए गए हैं। जिससे 104 मरीजों का जीवन बचाया गया है। इसके अलावा 48 लोगों में कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर उनके अंधेरे जीवन में रोशनी भरी गई है। अंगदान से मिले 12 हार्ट वाल्व, जिसे एम्स ने प्रिजर्व कर रखा था, उससे हार्ट मरीजों को नई जिंदगी दी गई है।
अंगदान के मद्देनजर बनाई गई विशेष टीम
एम्स में अंगदान की प्रक्रिया को प्रबंधित करने वाले ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन भी पिछले कुछ समय से काफी सक्रिय मोड में दिख रहा है। अंगदान को बढ़ावा देने के लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर में इसके लिए विशेषज्ञों की विशेष टीम को गठित किया गया है। यह टीम ब्रेन डेथ की सूरत में मरीजों के परिजनों की काउंसलिंग कर उन्हें अंगदान के लिए प्रेरित करती है। इस पहल का सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहा है। वर्ष 2022 से एम्स ट्रॉमा सेंटर में अंगदान के आंकड़ों में अच्छी खासी वृद्धि हुई है।
“हम अंगदान के लिए बेहतर काउंसलिंग कर रहे हैं। पहले की तुलना में लोग भी अधिक जागरूक हुए हैं। तमाम मिथकों को दरकिनार करते हुए लोग अब यह मानने लगे हैं कि अंगदान करने में कोई समस्या नहीं है बल्कि यह बीमारियों से जूझते हुए लोगों की जिंदगी को उबारने की दिशा में एक अनमोल पहल है।”
- डॉ. कामरान फारूकी , चीफ, एम्स ट्रामा सेंटर
इस साल 49 मरीजों को मिली नई जिंदगी
एम्स ट्रॉमा सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 में यहां 15 अंगदान किए गए। जिसकी वजह से एक वर्ष में सबसे अधिक 49 मरीजों को नई जिंदगी मिल पाई है। अंगदान से प्राप्त किडनियों को प्रत्यारोपित कर 30 मरीजों को जिंदगी दी गई है। डोनर से मिले 12 लिवर में से तीन डोनेशन के पैमाने पर खरे नहीं उतरे थे। इसके अलावा यहां 6 हार्ट ट्रांसप्लांट भी किए गए हैं। एम्स के इतिहास में पहली बार एक मरीज में लंग्स ट्रांसप्लांट कर उसके जीवन को बचाया गया है। इसके अलावा 22 कॉर्निया और 7 हार्ट वाल्व भी डोनर्स से प्राप्त किए गए हैं।
वर्ष 2023 में एम्स में ऑर्गन ट्रांसप्लांट
वर्ष 2023 में 14 अंगदान की गई और इसकी वजह से 45 मरीजों को नई जिंदगी मिल सकी है। 14 अंगदान की प्रक्रिया के तहत 25 किडनी, 11 लिवर, 7 हार्ट, 2 लंग्स ट्रांसप्लांट किए गए हैं। वहीं, 22 कॉर्निया और 5 हार्ट वाल्व से मरीजों की जिंदगी की गुणवत्ता को बढ़ाने में कामयाबी हासिल हुई।
वर्ष 2024 जनवरी में पिछले दो दिनों के अंतराल में 3 डोनेशन प्राप्त किए गए। इसके कारण अंतिम अवस्था का सामना कर रहे 10 मरीजों को नई जिंदगी मिल सकी है। दान किए गए 6 किडनी, 3 लिवर, 1 हार्ट से 10 लोगों को जीवन जीने का एक बार फिर से मौका प्राप्त हो पाया है। डोनेट किए गए 4 कॉर्निया को प्रिजर्व करके रखा गया है। जिसकी बदौलत 4 और मरीजों को इस दुनिया को देखने का मौका मिल पाएगा।
आप भी कर सकते हैं देहदान
देहदान करने के लिए सबसे पहले दाता को दान लेने वाली किसी संस्था से संपर्क करना पडता है। देहदान अब ऑनलाइन तरीके से भी किया जा सकता है। इसके लिए दाता को एक घोषणा अथवा शपथ पत्र भरना पडता है। जिसमें वह स्वेच्छा से देह या अंगदान करने की घोषणा करते हैं।
इसकी प्रक्रिया दो गवाहों की उपस्थिति में पूरी की जाती है। ये परिवार के सदस्य होते हैं। जिन्हें घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना होता है। इस शपथ पत्र में उल्लेख किया जाता है कि मृत्यु के बाद उनके शव को अस्पताल में दान कर दिया जाए। ऐसे व्यक्तियों की मृत्यु होने या ब्रेन डेड घोषित होने की स्थिति में उनके अंग प्रत्यारोपण के लिए निकाल लिए जाते हैं या उनके शव को मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की शिक्षा के लिए दे दिया जाता है।
आप यहां कर सकते हैं देहदान -
अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ)
साभार : caasindia.in
(https://www.caasindia.in/very-pleasant-dead-body-donation-created-a-new-record-in-india/)