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देह-दान में लोगों की रुचि बढ़ रही है: सुमन गुप्ता साक्षात्कार


दिल्ली निगमबोध घाट के प्रधान संचालक श्री सुमन कुमार गुप्ता की छात्र जीवन से ही समाज के कार्यों में रुचि रही है। उन्होंने छात्र संघ के चुनाव लड़े और भाजपा और इसके अस्तित्व से पहले जनसंघ के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। वह मध्य दिल्ली में दधीचि देह-दान समिति का सक्रिय सहयोग भी करते हैं। कुछ वर्ष पहले दिल्ली की बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल नाम की एक स्वयंसेवी समिति ने दिल्ली नगर निगम से इस घाट के संचालन की ज़िम्मेदारी ली। अपने साक्षात्कार में उन्होंने हमें बताया कि संचालन समिति के माध्यम से दिल्ली निगमबोध घाट में क्या-क्या सुधार किए गए और देह-दान के प्रति लोगों में उत्सुकता बढ़ी है।

प्रश्न: संचालन समिति ने कब से कार्य आरम्भ किया? सरकारी संस्था के साथ उसका क्या संबंध है?
उत्तर: चार साल चार महीने पहले बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल नाम की एक स्वयंसेवी संचालन समिति ने दिल्ली नगर निगम से इस घाट के रख-रखाव और प्रबंधन के अधिकार लिए थे। यहां की समस्त व्यवस्था का व्यय भार संचालन समिति उठाती है। सिर्फ रात को यहां जलने वाली बिजली का खर्च नगर निगम उठाता है। सारे खर्च दान-राशि और दानियों की मदद से पूरे किए जाते हैं।

प्रश्न: दाह-संस्कार के लिए औसत रूप से रोज़ कितने शव यहां लाए जाते हैं?
उत्तर: आमतौर पर रोज़ यहां करीब 50 शव लाए जाते हैं। जाड़ों में यह संख्या 80 से 100 तक पहुंच जाती है।

प्रश्न: पहले घाट की क्या स्थिति थी? और संचालन समिति द्वारा क्या सुधार किए गए हैं?
उत्तर: जिस समय संचालन समिति ने इस घाट को लिया था, यहां हालत बहुत जर्जर थी। शव-दाह के लिए बने प्लेटफाॅर्म और उनके शेड्स टूटे हुए थे। उनका जीर्णोद्धार किया गया। प्लेटर्फार्मों की मरम्मत कर उन्हें नया बनाया गया। उन पर नए शेड्स लगवाए गए। नए प्लेटफाॅर्म भी बनवाए जा रहे हैं। इस समय यहां 100 प्लेटफाॅर्मों की सुविधा उपलब्ध है। पहले सिर्फ एक वीआईपी प्लेटफाॅर्म था। संचालन समिति ने साल भर पहले दो और प्लेटफाॅर्म बनवाए हैं। शव-दाह के लिए सिर्फ लकड़ी का खर्च संचालन समिति लेती है।
सीएनजी से शव दाह के लिए 6 प्लेटफाॅर्म हैं। सीएनजी दिल्ली नगर निगम उपलब्ध कराता है। एक शव दाह के लिए सीएनजी का खर्च दो हज़ार रुपए आता है। लेकिन समिति सिर्फ एक हज़ार रुपए लेती है। आर्थिक रूप से मजबूर लोगों को संचालन समिति मुफ्त लकड़ी और सीएनसी उपलब्ध कराती है।

शव दाह के लिए गोबर के उपलों की नई व्यवस्था की गई है। एक शव के दाह के लिए 10 किलो ग्राम उपलों की ज़रूरत होती है, जिसके खर्च एक महादानी उठाते हैं। ऐसा वो सभी के लिए करते हैं। एक और महादानी मृत व्यक्ति के मुख में डालने के लिए मुफ्त गंगाजल उपलब्ध कराते हैं। यह गंगाजल हिमालय के गोमुख से निकलने वाली गंगा की धारा का होता है। इसे वहीं स्थापित एक संयंत्र में वैसा का वैसा ही पैक किया जाता है। दो सौ मिलीलीटर के एक पाउच की कीमत है 30 रुपए। मान्यता है शव के मुंह में तुलसी की पत्ती रख देने से उसे संस्कार के बाद सीधे मोक्ष मिल जाता है। संचालन समिति द्वारा तुलसी की पत्तियां मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। दाह से पहले इन सब संस्कारों के लिए शव को एक गोल मंच पर रखा जाता है जिसका निर्माण संचालन समिति ने कराया है।

संचालन समिति में कुल साठ लोग हैं जो सुरक्षा, स्वच्छता और प्रबंधन का काम संभाले हुए हैं। दिल्ली नगर निगम से निगमबोध घाट का संचालन लेने के बाद संचालन समिति ने यहां चारो तरफ हरियाली बसा दी है। यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर, भैरो मंदिर, देवी मंदिर का न केवल जीर्णोद्धार किया बल्कि भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा भी स्थापित की।

पीने के पानी की आरओ व्यवस्था है। लोगों के बैठने के लिए सौ बेन्चे लगाई गई हैं। नगर निगम के जर्जर वाहन संचालन समिति ने वापस कर दिए और नए वाहनों की व्यवस्था की है। इस समय निगमबोध घाट पर शव लाने के लिए संचालन समिति के पास एक बड़ी बस और पांच अन्य वाहन हैं जो बहुत ही कम खर्च पर उपलब्ध कराए जाते हैं। गरीबों से यह शुल्क भी नहीं लिया जाता है।

यहां एक विशाल हाॅल है, जिसे वातानुकूलित कर दिया गया है और अब यहां बंगाली समाज दीपावली का यानी काली पूजन करता है। हर साल यहां एक कार्यक्रम अवश्य होता है। महाशिवरात्रि। भजन-कीर्तन के बाद प्रसाद के रूप में भोजन परोसा जाता है
घाट का फर्श नया करा दिया गया है। सीवर लाइन नई डाली गई है और नए कैमरे लगाए गए हैं जो 2 अक्टूबर से काम करने लगेंगे।

प्रश्न: भविष्य की क्या योजना या योजनाएं हैं?
उत्तर: यहां एक विशाल बिरला बारादरी है जिसका सीधा रास्ता मुख्य प्रवेशद्वार से है। हमारे बार-बार सम्पर्क करने पर भी जब बिरला परिवार ने कोई ध्यान नहीं दिया तो इसका जीर्णोद्धार एक दानी की मदद से संचालन समिति ने कराया है। यहां एक साथ 500 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। भावी योजना है कि दाह-संस्कार पूर्व और बाद में होने वाली रस्मों जैसे उठावनी, चैथा, रसम पगड़ी के लिए इसे उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रश्न: आपकी संचालन समिति ने इस श्मशान घाट पर देह-दान/अंग-दान संबंधी कितने बोर्ड लगवाए हैं?
उत्तर: हमने इस परिसर में जगह-जगह दधीचि देह-दान समिति के बोर्ड लगवाए हुए है, ताकि हर जगह आते-जाते लोगों की नज़र उन पड़े।

प्रश्न: क्या लोग इस विषय के बारे में पूछते हैं? क्या आप उन्हें देह-दान/अंग-दान करने के लिए प्रेरित करते हैं? और क्या संचालन समिति ने इसके लिए कोई व्यवस्था की हुई है?
उत्तर: हां! लोग देह-दान/अंग-दान के बारे में पूछते हैं। उनकी कई शंकाएं होती हैं, जिनका समाधान हम दधीचि देह-दान समिति के दिशा निर्देशों के अनुसार करते हैं। हम अपनी तरफ से भी उन्हें प्रेरित करते हैं और यह समझाने की कोशिश करते हैं कि देह-दान और अंग-दान से बीमार और ज़रूरतमंदों को न केवल ज़िंदगी मिलती है बल्कि दान-कर्ता उनके माध्यम से एक तरह से अमर हो जाता है। दधीचि देह-दान समिति के प्रति लोगों में काफी उत्सुकता और रुचि बढ़ रही है। हमने देह-दान/अंग-दान करने के इच्छुक लोगों के लिए दधीचि देह-दान समिति के फाॅर्म यहां कार्यालय में रखे हुए हैं और अब तक 250 फाॅर्म भरवा कर दधीचि देह-दान समिति को दे चुके हैं।

- इन्दु अग्रवाल