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वो ‘‘पागल’’!

‘‘एक अंग की तुलना में कोई भी सम्पन्नता मूल्यहीन है’’

आज से लगभग ढाई साल पहले उसने अपनी एक घोषणा से पूरे ब्राज़ील को हिला कर रख दिया था। जैसे ही उसने यह घोषणा अपने फेस बुक पेज पर की एक ज़लज़ला आ गया। उसकी घोषणा को पढ़ने वाले सोशल मीडिया के हर पाठक ने उसे ‘‘पागल’’ करार दिया। उस झक्की इंसान का नाम था थेन चिक्विन्हो स्केर्पा। उम्र थी 62 साल। स्केर्पा ब्राज़ील का अति सम्पन्न और नाम उद्योगपति था।

आखिर ऐसा क्या उसने कह दिया था जो उसे ‘‘पागल’’ का तमगा दे दिया गया। दरअसल, स्केर्पा ने अपने फेस बुक पेज पर घोषणा की थी कि उसने अपनी प्यारी कीमती कार बेन्ट्ली काॅन्टिनेन्टल फ्लाईंग स्पर को दफ़नाने की योजना बनाई है। उसकी कार की कीमत 3 लाख 10 हज़ार अमेरिकी डाॅलर थी। अपनी घोषणा में उसने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रेरणा उसे मिस्र के उन फ़राओ से मिली है, जिन्हें उनकी अधिकांश बेशकीमती चीज़ों के साथ कब्र में सुला दिया जाता था, इस विश्वास के साथ कि दूसरी दुनिया में भी वो उनका इस्तेमाल कर सकेंगे। फेस बुक पर उसने यह वादा भी किया कि वह उसी सप्ताह के अंत में(सितम्बर, 2013 को) अपनी कार को दफ़ना देगा।

उसकी सनक यहीं खत्म नहीं हुई। घोषणा के साथ अपने फेस बुक पेज पर उसने वो तस्वीरें भी पोस्ट कर दीं जिनमें वह साओ पाउलो स्थित अपने आलीशान बंगले के पिछवाड़े में कार दफ़नाने के लिए गहरा, बड़ा गड्ढा खोदता दिखाई पड़ रहा था। स्पष्ट था तूफानी गति से बड़े पैमाने पर प्रतिक्रियाएं आईं। सभी नकारात्मक थीं और उसे ऐसा ‘‘पागल’’ कहा गया था,जो परोपकार (चैरिटी) के लिए अपनी कीमती कार को दान करने के बजाए उसे दफ़नाने जैसा बेतुका काम करने जा रहा है।

बहरहाल, सप्ताह के अंत में जब कार को दफ़नाने का समय आया, स्केर्पा ने पूरी मीडिया को आमंत्रित किया, ताकि वह कार के अंतिम संस्कार का गवाह बने। जैसे ही स्केर्पा की कार वहां लाई गई और उसे गड्ढे में उतारा गया उसने कार को दफ़नाने का सारा आयोजन सहसा रोक दिया।

और, यही वह क्षण था, जब उसने अपने भाषण के ज़रिए अपनी ‘सनक’ को एक अकल्पनीय रोचक मोड़ दिया। मीडिया सहित मौज़ूद सभी को झकझोर कर रख दिया। उसने कहा, ‘‘मिलियन डाॅलर की बेन्ट्ली को दफ़नाने की मेरी कोशिश की लोगों ने भत्र्सना की। सच्चाई यह है, अधिकांश लोग मेरी कार से कहीं अधिक मूल्यवान चीज़ों को दफ़ना देते हैं। लोग दिलों, यकृतों, फेफड़ों, आंखों और गुर्दों को दफ़ना देते हैं। यह है बेतुका। ऐसे तमाम लोग हैं जिन्हें इन अंगों के प्रत्यारोपण का इंतज़ार है ताकि वो जी सकें और आप हैं कि इन स्वस्थ अंगों को दफ़ना देंगे जो अनेक लोगों के जीवन को बचा सकते हैं। पूरी दुनिया में यह सबसे बड़ी बर्बादी है। कीमती जीवनदायी अंगों की तुलना में मेरी बेन्ट्ली रद्दी है। अंग की अपेक्षा कोई भी सम्पन्नता मूल्यवान नहीं है, क्योंकि जीवन से ज़्यादा किसी भी चीज़ का मोल नहीं है। मैं औपचारिक रूप से घोषणा करता हूं कि मैं इस सप्ताह का एक अंग-दानी हूं। मैं अंग-दाताहूं, क्या आप हैं? (जाएं और) अपने परिवार को बताएं।’’

अंग-दान की अपील के लिए स्केर्पा का यह अनोखा अंदाज़ सभी के साथ मीडिया को भी बेहद पसंद आया। स्केर्पा के उस आयोजन को उस साल के सर्वाधिक रचनात्मक मीडिया प्रचारों में से एक के रूप में नामांकित किया गया। यही नहीं एक माह के प्रचार में ही ब्राज़ीलियन एसोसिएशन आॅफ ट्रांस्प्लांटेशन को दान में मिलने वाले अंगों का प्रतिशत 31.5 बढ़ गया।

अनुवाद: इन्दु अग्रवाल