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श्रद्धा सुमन

श्री कृष्ण लाल सचदेवा
बुध विहार, दिल्ली-86 के निवासी श्री कृष्ण लाल सचदेवा का देहांत 1 जनवरी, 2017 को हुआ। उनकी उम्र 69 वर्ष थी। ’मरने के बाद मेरा शरीर किसी के काम आ जाए’ ऐसी उनकी इच्छा थी। पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए उनके पुत्र ने उनकी मृत्यु के बाद दधीचि देह दान समिति से सम्पर्क किया। श्री सचदेवा की मृत देह का आर्मी मेडिकल काॅलेज में विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए उपयोग किया जा रहा है। उनकी आंखें राजेन्द्र प्रसाद आई सेंटर को दान में दी गईं। मानवता की सेवा के लिए किए गए इस महादान के लिए परिवारजनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को हमारी विनम्र श्रद्धाजंलि। सम्पर्क सूत्र पुत्र श्री गौरव, मो. 9811696191।

श्रीमती सुशीला गोयल
कृष्णा नगर, दिल्ली की निवासी श्रीमती सुशीला गोयल का 85 वर्ष की आयु में 15 जनवरी, 2017 को देहांत हो गया। वह रतन देवी आर्य कन्या सीनियर सेकेन्ड्री स्कूल की प्रिन्सिपल के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। अपने जीवन में वह आर्य समाज की गतिविधियों से जुड़ी रहीं। लगभग 25 वर्ष पहले उन्होंने किसी संस्था के माध्यम से मृत्यु के बाद नेत्र दान का संकल्प लिया था। परिवारजनों का उस संस्था से सम्पर्क नहीं हो सका। तब उपस्थित लोगों में से किसी ने दधीचि देह दान समिति से सम्पर्क किया और उनका नेत्र दान सम्भव हो सका। इस महादान के लिए हम परिवार के प्रति नतमस्तक हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें। सम्पर्क सूत्र श्री अनिल गोयल, मो. 9811015105।

श्रीमती पद्मावती जैन
श्रीमती पद्मावती जैन का 83 वर्ष की आयु में 21 जनवरी, 2017 को निधन हो गया। वह सरल स्वभाव की धार्मिक महिला थीं। शरीर की जो चीज़ भी काम आ सके वह परोपकार के लिए दे देनी चाहिए। इसी सोच के अनुरूप उनके पुत्र ने उनकी आंखें वेणु आई बैंक में दान कर दीं। मानव सेवार्थ किया गया यह महादान एक अनुकरणीय कार्य है। दिवंगत आत्मा को हमारी विनम्र श्रद्धाजंलि। सम्पर्क सूत्र पुत्र श्री विनय जैन, मो. 9811309100।

श्री अतुल सरीन
श्री अतुल सरीन का 24 जनवरी, 2017 को दरियागंज, दिल्ली स्थित अपने निवास पर देहांत हो गया। दिगम्बर जैन धर्म का अनुयायी सरीन दम्पति अपने एक मात्र पुत्र को युवावस्था में ही खोकर धर्म के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रहा था। एक वर्ष पूर्व इस दम्पति ने दधीचि देह दान समिति के माध्यम से देह दान का संकल्प लिया था। पति पहले चले गए। पत्नी ने उनकी इच्छा पूरी की। पचहत्तर वर्षीय श्री सरीन की मृत देह मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के उपयोग हेतु आर्मी मेडिकल काॅलेज को दान में दे दी। उनका नेत्र दान गुरु नानक आई सेंटर में किया गया। श्रीमती सरीन के प्रति हम नतमस्तक हैं। दिवंगत आत्मा को प्रभु अपने चरणों में स्थान दें। सम्पर्क सूत्र पत्नी श्रीमती नीना सरीन, लैंड लाइन नं. 011-23264586।

श्री सत्य प्रकाश माहेश्वरी
सहिबाबाद, गाज़ियाबाद निवासी श्री सत्य प्रकाश माहेश्वरी का देहांत 9 फरवरी, 2017 को हुआ। वह 75 वर्ष के थे। वह धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे। आर्य समाज की विचारधारा से जुड़े हुए थे। उनके पुत्र के अनुसार वह अत्यंत शान्त स्वभाव के थे व उनकी इच्छा थी कि उनकी आंखें व मृत देह दान कर दिए जाएं। उनकी इसी इच्छा का सम्मान करते हुए उनके दोनों बेटो ने मरणोपरांत उनकी देह यू.सी.एम.एस. को दान में दे दी। उनकी आंखें वेणु आई सेंटर को दान की गईं। परिवारजनों का साधुवाद जिन्होंने मेडिकल के विद्यार्थियों के लिए एक उपयोगी और प्रेरक कदम उठाया। दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए दधीचि परिवार का ईश चरणों में विनम्र निवेदन। सम्पर्क सूत्र - बेटा श्री राजीव, मो. 9350993455।

श्रीमती सरोज जैन
श्रीमती सरोज जैन का 72 वर्ष की आयु में 14 फरवरी को देहांत हो गया। वह त्रिनगर, दिल्ली में रहती थीं। उनके पोते कुणाल ने बताया कि वह अक्सर कहा करती थीं कि व्यक्ति की जो भी चीज़ काम आ सके ज़रूर दे देनी चाहिए। जैन तीर्थों पर वह जाती रहती थीं। परिवारजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए मरणांेपरान्त उनकी देह आर्मी मेडिकल काॅलेज में दान की गई। मेडिकल के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए उपयोगी व प्रेरक दान करने का निश्चय करने वाले संबंधियों को हमारा नमन। दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए ईश चरणों में हमारी विनम्र प्रार्थना। सम्पर्क सूत्र पोता श्री कुणाल जैन, मो. 9953457087।

श्रीमती शान्ता मलिक
यह दान एक विशेष दान हो गया । जब आर. पी. सेंटर से फोन आया की इतनी अधिक आयु में एकदम स्वस्थ आँखें बहुत कम मिलती हैं । प्रायः इस उम्र की आँखों का उपयोग शिक्षा के लिए किया जाता है पर स्वर्गीय श्रीमती शान्ता मलिक के आँखों से लगभग 4 लोंगों को रोशनी मिलने की आशा है। श्रीमती शान्ता मलिक की 14 फरवरी, 2017 को मृत्यु हो गई। उनकी उम्र 93 वर्ष थी। मरणोपरांत उनकी आंखें राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल सेंटर में दान की गईं। उनके पुत्र श्री विजय मलिक ने संतोष और गर्व से बताया कि मां ने मुस्कुराते हुए मंत्राच्चारण के साथ इस दुनिया से विदा ली। उन्होंने अपने जीवन काल में खूब मेहनत की थी। सबकी इज़्ज़त करना, प्यार बांटना व स्नेह से खाना खिलाना - उनकी कुछ उल्लेखनीय विशेषताएं थीं। भजन गाने का शौक था। उन्होंने अध्यापन कार्य भी किया। जंगपुरा आर्य समाज से उनका परिवार जुड़ा हुआ है। नेत्र दान जैसा महादान करके उनके परिवारजनों ने समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया हैं दधीचि परिवार की ओर से उनका साधुवाद। दिवंगत आत्मा के लिए हमारी विनम्र श्रद्धाजंलि। सम्पर्क सूत्र पुत्र विजय मलिक, मो. 9810266627।

श्रीमती सुशीला
मयूर विहार, दिल्ली निवासी श्रीमती सुशीला का देहांत 28 फरवरी, 2017 को हुआ। वह 79 वर्ष की थीं। उनके पति ने बताया कि लगभग 30 वर्ष पूर्व उन्होंने नेत्र दान का संकल्प लिया था और वह दोनों देह दान भी करना चाहते थे। लम्बे प्रयास के बाद उन्हें दीक्षित दनकौरी जी के माध्यम से दधीचि देह दान समिति की जानकारी मिली। फलस्वरूप वह अपनी पत्नी का देह दान करवा पाए। श्रीमती सुशीला की मृत देह एम्स में व आंखें राजेन्द्र प्रसाद आई सेंटर में दान किए गए। सुशीला जी का जीवनकाल एक शान्त, समर्पित गृहणी का रहा। उनके चारों बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करके अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठित पदों पर काम कर रहे हैं। धन्य हैं परिवार के सभी सदस्य जिन्होंने चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई के लिए देह दान का एक प्रेरक निर्णय लिया। दिवंगत आत्मा को दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धाजंलि। सम्पर्क सूत्र पति श्री सुरेश, मो. 9718827567।