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श्रद्धा सुमन

सेवा और योग की मूर्ति श्री आश्चर्य लाल जी

श्री आश्चर्य लाल नरूला जी का 17 अगस्त, 2015 को उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद में निधन हो गया। वह अस्वस्थ चल रहे थे। उनकी उम्र 85 वर्ष थी। बीमारी की वजह से उनका देहदान नहीं हो सका, लेकिन उनके नेत्रों का दान हो गया। श्री नरूला संघ के निष्ठावान कार्यकर्ता थे। उनके जीवन के ध्येय सद्शिक्षा, संघ कार्य और योग थे।

श्री नरूला रुद्रपुर में राष्ट््रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे। सन् 1975 में आपात्काल में वह नैनी जेल में भी बंद रहे। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने परिवार व व्यवसाय के सभी काम छोड़ दिए और पूरी तरह समाज के लिए समर्पित हो गए।

उनका मकसद था कि बच्चों में भारतीय संस्कारों के बीज बोए जाएं और उन्हें प्रस्फुटन का पूरा अवसर दिया जाए। इसके लिए उन्होंने सुरुचिपूर्ण पुस्तकों का प्रसार किया। उनके प्रयासों से ब्रज क्षेत्र में 40 से अधिक विद्यालय खुले और ये सभी आज भी सुचारु रूप से बच्चों में नैतिकता और भारतीयता की नींव मज़बूत करने में सक्रिय हैं।

श्री नरूला स्वस्थ और सबल भारत के पक्षधर थे। इसके लिए उन्होंने योग को महत्व दिया और ब्रज क्षेत्र में वासियों को योग की शिक्षा दी। वह पूरे इलाके में योगाचार्य के नाम से विख्यात थे।

हमें पूरा भरोसा है श्री नरूला के नेत्र जिन्हें भी लगेंगे वह उनके माध्यम से अपने सपनों को आगे बढ़ता हुआ अवश्य देख सकेंगे।

दधीचि परिवार की ओर से श्रद्धांजलि।

श्रीमती अंगूरी देवी, ’आपको तो मीटिंग में जाना है जी!’


दिल्ली के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यक्तित्व श्री मांगे राम गर्ग की अर्धांगिनी श्रीमती अंगूरी देवी का लम्बी बीमारी के बाद 25 अगस्त, 2015 को निधन हो गया। उनकी उम्र 76 वर्ष थी। उनकी आंखें दान की गई हैं। सन् 1958 में उनका विवाह श्री मांगे राम जी हुआ था। वह अपने पीछे अपने पति, पांच बेटे और बेटी सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ कर गई हैं।

श्रीमती अंगूरी देवी अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। जब तक उनके शरीर ने उनका साथ दिया वह नियमित रूप से लक्ष्मी नारायण मंदिर में जाकर पूूजा करती रहीं। उनमें पूरे कुनबे को जोड़ कर रखने की विशेषता थी। इस हद तक कि यदि उनके घर आधी रात को भी कोई पहुंच जाता तो वह उसे न केवल आग्रहपूर्वक अपने घर के अंदर बुलाती थीं बल्कि स्वयं बना कर गर्मागर्म खाना भी खिलाती थी। श्री मांगे राम जी भी राजनीतिक ज़िम्मेदारियों की वजह से अक्सर देर रात घर लौटते थे। अंगूरी देवी ने हमेशा उन्हें गर्म खाना ही परोसा।

सेवा कार्यों में उनकी बहुत रुचि थी। धर्मशालाएं व अन्य सेवा केन्द्र खोलने के लिए वह अपने परिवार को प्रोत्साहित करती रहती थीं।

कहा जाता है कि हर सफल व्यक्ति के पीछे एक महिला होती है। अर्धांगिनी के रूप में यह लोकोक्ति अंगूरी देवी पर पूरी तौर पर सटीक बैठती है। अगर कभी मांगे राम जी घर पर आराम कर रहे होते तो वह उनसे पूछतीं ‘आपको फलां मीटिंग में नहीं जाना है जी!’, ‘आपको उनकी शोकसभा में नहीं जाना है जी!’ ‘आपको फलां उद्घाटन समारोह में नहीं जाना है जी!’ तात्पर्य यह है कि उन्होंने श्री मांगेराम जी को हमेशा उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूक रखा।

दधीचि परिवार की ओर से श्रद्धांजलि।

स्वयंसेवकों के ध्येयदेव श्री सोहन सिंह जी


श्री सोहन सिंह जी का जन्म 18 अक्टूबर, 1923 को ग्राम हर्चना, ज़िला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी मृत्यु 4 जुलाई, 2015 को हुई। मृत्यु के समय उनकी आयु 92 वर्ष थी। मृत्योपरांत उनके नेत्र दान कर दिए गए।

लगभग 20 साल की उम्र में श्री सोहन सिंह जी 1943 में राष्ट््रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने और जीवनपर्यन्त यानी 72 वर्ष तक निरंतर प्रचारक की ज़िम्मेदारी निभाते रहे। इस दौरान उन्होंने हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान प्रांतों में विभिन्न ज़िम्मेदारियां निभाईं। संघ ने जब धर्म जागरण विभाग शुरू किया तो 1996 से 2000 तक वह इसके अखिल भारतीय प्रमुख रहे।

सोहन सिंह जी ने संघ के स्वयंसेवक की पूर्णता के आदर्श उदाहरण के रूप में अपना पूरा जीवन गठित किया था। वह ध्येयदेव की ऐसी मूर्ति थे जिनके जीवन, कर्म और आवचरण से हज़ारों स्वयंसेवकों ने संघ देखा, सीखा और उस प्रकाश में अपपना जीवन गढ़ने का प्रयत्न किया।

उनका जीवन एक संन्यासी का जीवन था। वह अपनी आवश्यकताओं को न्यूनतम रखते थे। बड़ी बीमारी में भी वह अपने कपड़े खुद धोने और अपना कमरा स्वयं साफ करने का आग्रह करते थे।

सोहन सिंह जी व्यक्ति निर्माण कला के शिल्पी थे। असंख्य कार्यकर्ताओं के जीवन में उन्होंने प्रवेश किया था। उनमें आदर्शवाद भरा। उनके जीवन में गुण विकास कर उनमें पुरुषार्थ को जागृत किया और सभी को अपना जीवन भारत माता की सेवा के योग्य-यंत्र के रूप में बना लेने की सामथ्र्य दीं।

दधीचि परिवार की ओर से श्रद्धांजलि।

श्रीमती राजरानी


श्रीमती राजरानी की मृत्यु 26-7-2015 को हो गई। पति का नाम श्री अमीर चंद (9971597984) है और वह 19/3जी, ए ब्लाक दिलशाद गार्डन, दिल्ली में रहती थीं।

उनकी आंखें गुरु नानक आई हाॅस्पिटल और देह जीटीबी अस्पताल को दान किए गए। श्रीमती राजरानी का जन्म दिल्ली के जोगीबाड़ा, चांदनी चैक में हुआ था। वह ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय, दिलशाद गार्डन की सदस्य भी थीं। वह अपने पीछे 3 पुत्र 1 पुत्री छोड़ कर गई हैं।

श्री किशन लाल भाटिया



सत्तर साल के श्री किशन लाल भाटिया की मृत्यु 27-7-2015 हो गई। वह 28/्419, न्यू मोती नगर, दिल्ली-15 की आंखें गुरुनानक आई हाॅस्पिटल और देह एमएएमसी को दान किए गए। उनका जन्म पाकिस्तान का था और उनका टायर का व्यापार था।

श्री आर एन अग्रवाल
श्री आर एन अग्रवाल की मृत्यु 13-8-2015 को हुई। उनकी उम्र 88 साल थी। वह 175, आनंद विहार, पीतमपुरा, दिल्ली के निवासी थे। उनकी आंखें गुरु नानक आई हाॅस्पिटल को दान की गईं। सम्पर्क सूत्र हैं श्री नरेन्द्र अग्रवाल (9811524224)।

श्री शिव गणेश शर्मा
अस्सी साल के श्री शिव गणेश शर्मा की मृत्यु 25-7-2015 को हुई। वह बीई 342, गली नं. 6, मोहन मंदिर, सुभाष नगर, दिल्ली के निवासी थे। सम्पर्क सूत्र हैं श्री विनय(8800996919) और बेटा श्री अरुण (9810584709)। श्री शिव शर्मा की आंखें गुरु नानक आई हाॅस्पिटल को दान की गई हैं।

श्रीमती कांता गोगना


श्रीमती कांता गोगना की मृत्यु 22 जुलाई 2015 को हुई। उनकी उम्र 59 वर्ष थी। उनकी आंखें गुरु नानक आई सेन्टर को दान की गईं। सम्पर्क सूत्र हैं उनकी पुत्री निधि (08553030120)