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श्रद्धा सुमन

नवंबर दिसंबर में 33 संकल्पित जनों के परलोक गमन के बाद समिति से नेत्रदान या देहदान के लिए संपर्क किया गया। हर संभव प्रयास करने पर भी हम 7 दानियों की इच्छा पूर्ण नहीं करा पाए। उन सब को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए हम उनकी सूची भी यहां दे रहे हैं।

श्री तरुण गुलाटी

श्री तरुण गुलाटी ने 44 वर्ष की अल्पायु में ही अपनी यह लीला समाप्त की ।वह गीता कॉलोनी में रहते थे ।उनकी पत्नी ने बताया कि उनके परिवार में नेत्रदान/ देहदान की परंपरा सी बनी हुई है ।वे एक खुशमिजाज इंसान थे। बहुत छोटी आयु में ही एलआईसी में काम करना शुरू कर दिया था। सब से मिलकर रहना, रिश्तो को बनाना, निभाना व बचाकर चलना- यही उनकी इच्छा रहती थी। परिवार जनों का अभिवादन, जिन्होंने इस दुखद घड़ी में भी नेत्रदान जैसे महादान को क्रियान्वित किया। 3 नवंबर को स्व. तरुण गुलाटी के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम से ससम्मान दान में लेकर गई ।ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें, ऐसी समिति परिवार की विनम्र प्रार्थना।

संपर्क सूत्र - पत्नी, श्रीमती दीप्ति गुलाटी 9910223360

डॉ शांता वर्मा


83 वर्षीय डॉ शांता वर्मा ने 3 नवंबर को अपनी इह लीला समाप्त की। वे विकासपुरी में रहती थीं। 1988 तक वे चिकित्सा व्यवसाय में रहीं ।बाद में उन्होंने कुछ वर्ष लॉरेंस रोड की आर्य समाज चैरिटेबल डिस्पेंसरी में अपनी निशुल्क सेवाएं दी। उनके पुत्र ने आदर सहित उन्हें याद करते हुए बताया कि मंदिर व आर्य समाज उनका निरंतर जाना होता था। चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने के कारण ही संभवतः उनकी देह दान की मनः स्थिति रही होगी। उन्होंने स्वयं से नेत्रदान /देहदान का संकल्प लिया हुआ था। उनकी बेटी ने बताया कि हमारे परिवार की परंपरा ही है कि मरने के बाद भी कहीं शरीर का उपयोग हो सके तो किया जाए। उनके पिताजी स्व.श्याम लाल वर्मा का भी देहदान 2018 में किया गया था। परिवार जनों का साधुवाद जिन्होंने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए स्वर्गीय शांता का पार्थिव शरीर चिकित्सा जगत की सेवा के लिए मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में दान किया । सफदरजंग अस्पताल की टीम द्वारा उनके नेत्र भी ससम्मान दान में लिए गए। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है ।

संपर्क सूत्र - पुत्र, डॉक्टर प्रदीप वर्मा 8800540038

श्रीमती भाग चौधरी


श्रीमती भाग चौधरी ने 80 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे राजेंद्र नगर में रहती थीं। उनके पोते ने फोन पर बताया कि उन्होंने नेत्रदान के लिए स्वयं से संकल्प लिया हुआ था ।परिवार में उन्होंने बहुत अच्छे संबंध बनाए हुए थे । रामशरणम् में नियमित जाती थी । 17 नवंबर को मरणोपरांत उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। मानवता की सेवार्थ किए जाने वाले इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का अभिवादन ।समिति परिवार दिवंगत आत्मा को अपने सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री रजत 9811169455

श्रीमती पद्मा


श्रीमती पद्मा का 60 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वे मोती नगर में रहती थीं। उनके पुत्र ने श्रद्धा भाव से उन्हें याद करते हुए बताया कि सिलाई का काम करके उन्होंने अपने तीन बच्चों की गृहस्थी को खूब संभाला। ढाई महीने का छोटा बेटा था, जब उनके पति का देहांत हो गया। सहज भाव से मेहनत करते हुए वे अपने परिवार को संभालने में लगी रहीं। परिवार जनों का साधुवाद, जिन्होंने समिति के एक कार्यकर्ता कपिल जी द्वारा चर्चा करने पर तत्क्षण नेत्रदान के लिए अपनी सहमति दे दी। 17 नवंबर को मरणोपरांत उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा के प्रति हम सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री गुरमीत सिंह 9560522888

श्रीमती सुंदरी देवी भाटिया


श्रीमती सुंदरी देवी भाटिया का 92 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे पटेल नगर में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके विषय में बड़ी श्रद्धा से हमें लिखकर भेजा है-

" हमारी पूज्य माता जी की सहमति के अनुसार उनकी आंखें दान की गईं। इस प्रक्रिया में श्रीमती अर्चना मित्तल जी का बहुत सहयोग रहा। आपका जन्म पाकिस्तान में हुआ ।आपकी पढ़ाई पांचवी कक्षा तक हुई थी। आप गृह कार्य में निपुण, धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। 92 वर्ष की आयु में भी भोजन बनाना, अपने वस्त्र स्वयं धोना और घर के कामों में सहयोग करना- निरंतर उत्साह से चलता रहता था। स्नान के पश्चात, सुबह के 2 घंटे भगवान श्री कृष्ण की सेवा में बैठती थीं। आप इस वृद्ध अवस्था में भी मंदिर जाया करती थीं। मथुरा, वृंदावन, ब्रज की चौरासी कोस की यात्रा भी आप द्वारा की गई ।इसके साथ ही साथ भारत के विभिन्न धार्मिक स्थल जैसे हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, कन्याकुमारी, उज्जैन पुष्कर, नैमिषारण्य आदि सभी तीर्थों की यात्रा की ।भगवान से हमेशा कहती थीं कि मुझे चलता फिरता इस दुनिया से भेजना। प्रभु ने वास्तव में उनकी यह पुकार सुनी ।अंतिम समय, गिर जाने के कारण मात्र 1 सप्ताह में ही प्रभु की गोद में चली गईं।

एक बार मैंने उन्हें श्मशान में लगा हुआ एक बोर्ड पढवाया "मरने पर अपने नेत्रदान करें" " अपने अंग दान करें "।उन्होंने प्रश्न किया, अगर मैंने नेत्रदान कर दिया तो अगले जन्म में क्या नेत्रहीन होकर जन्म लूंगी ।उन्हें यह समझाने पर कि ऐसा नहीं होगा, अपनी आंखें दो व्यक्तियों को लगेंगी और वे जिंदगी भर आपको दुआ देंगे, उन्होंने अपने नेत्रदान के लिए सहमति दे दी ।हम सभी के जीवन में उनकी मीठी और श्रद्धा पूर्ण यादें हैं। " उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार जनों का अभिवादन ।ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र- श्री विजय भाटिया 8800010675

श्रीमती गुणवंत कौर


श्रीमती गुणवंत कौर ने 82 वर्ष की आयु में अपनी इह लीला समाप्त की। वे राजौरी गार्डन में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके विषय में अत्यंत श्रद्धा से जानकारी दी। वह लिविंग ट्रेजर संस्था की अध्यक्ष रहीं। यह संस्था गुरुवाणी के माध्यम से व्यक्तियों को अपने भीतर का खजाना जांचने के लिए प्रेरित करती है ।परिवारों को जोड़ कर रखना व पारिवारिक समस्याओं के समाधान के लिए काउंसलिंग करने का काम भी किया जाता है। सुधांशु जी महाराज द्वारा इन्हें बेस्ट विमेन अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इनके एक निकट स्नेही जन ने अपने शब्दों में उनके लिए अपनी श्रद्धा व्यक्त की है-

“Late Mrs Gunvant Kaur ji was a lady with a golden heart and divine intellect .She was so elevated that she had decided to be a someone's help even after her death. She had vowed to donate her body for medical research for the future generations because she spent her entire life serving the mankind with empathy and dedication . Not just her body but her eyes too brought light in the otherwise dark world of 2 to 8 people .Her warmth and concern brought smile on many faces . An epitome of love and care, she not only spread kindness while being alive but also made her death alive . She will live in our thoughts always for her precious qualities.”

उनके संकल्प का सम्मान रखते हुए परिवार ने 22 नवंबर को उनका पार्थिव शरीर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में दान किया । गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान इनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार जनों का हम अभिवादन करते हैं। दिवंगत आत्मा ने अपने सत्कर्मों से ईश्वर के श्री चरणों में अपना स्थान निश्चित कर ही लिया था। हमारे सादर श्रद्धा सुमन।

संपर्क सूत्र -निकट स्नेही जन श्री पुष्पिन्दर 7838525758

श्री हेमराज चोपड़ा


श्री हेमराज चोपड़ा का 85 वर्ष की आयु में निधन हुआ ।वे गगनविहार में रहते थे। उनके पुत्र ने अपने शब्दों में उन्हें याद करते हुए कुछ इस प्रकार लिखा है-

“Shri Hemraj Chopra, the man of his words never disappointed the rest ones he promises . He was the man who justified the meaning of Guru in his lifetime as he was the best teacher .Listening to his narration we went closer to the times when India struggled against the Britishers, as he witnessed the tough era of Independence. Our Pitaji defined sincerity in its true sense . He was highly punctual . "Simple living high thinking" was the funda of his life. He was a very polite and kind hearted person. He used to spread the message of positivity with his positive affirmations - khush khush raho, Shabash (motivating one ),Hamesha Sath Raho. It is the result of his blessings only that both of his sons cherished all the happy moments together and stood alongside each other in bad times too along with their families and are still doing that living under the same roof, sharing the same business. None of them had "two "children of theirs, each had and still have their "four" children .

Though we never had discussion with him regarding donation of organs but even after bidding goodbye to the world, he did this act of kindness by donating his eyes. Pitaji we love you ! “

गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। मानवता की सेवा के लिए किए जाने वाले इस महादान के क्रियान्वयन के लिए हम परिवार जनों का साधुवाद करते हैं। दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री गुलशन चोपड़ा 99713 64898

श्री त्रिलोक सिंह छाबड़ा


श्री त्रिलोक सिंह छाबड़ा का 83 वर्ष की आयु में, 28 नवंबर को देहावसान हुआ। वे अशोक विहार में रहते थे। उनके पुत्र ने अपनी भावनाएं निम्न शब्दों में हमें लिखकर भेजी है- “

My father was a great personality .He was a self made, hardworking, focused, spiritual man. He always believed in helping others either it is relative or any meest. He was a man of ethics and values. He was a loving and caring husband. He loved all his children and educated them with the best of his potential. He departed his soul so peacefully listening to the Bani of Guru. His last desires were that his eyes should be donated and CNG cremation, which went so smoothly as if Babaji was there by his side and accompanying his journey to Heaven. He was a pure peaceful soul. ”

उनकी नेत्रदान की इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार जनों ने गुरु नानक आई सेंटर में उनकी आंखों का दान किया ।परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दें ऐसी हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री गुरमीत छाबड़ा 9312271399

श्रीमती रमेश आहूजा


श्रीमती रमेश आहूजा ने 70 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे कृष्णा नगर में रहती थीं ।उनके पुत्र ने सादर उन्हें याद करते हुए बताया कि वे स्थानीय मंदिर से जुड़ी धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय थीं। वे जैन स्कूल की वाइस प्रिंसिपल के रूप में रिटायर हुई थीं। स्वयं से वे अपने नेत्रदान के लिए इच्छुक थीं। परिवार जनों का साधुवाद जिन्होंने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए मानवता की सेवा हेतु उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन किया । 1 दिसंबर को उनकी मृत्यु के बाद गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई ।ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें- ऐसी दधीचि परिवार की सविनय प्रार्थना।

संपर्क सूत्र- पुत्र श्री संदीप आहूजा 9811111072

श्री नाथूराम


प्रह्लादपुर, दिल्ली के निवासी श्री नाथूराम का 3 दिसंबर को देहावसान हुआ । वे 71 वर्ष के थे । उनके पोते ने श्रद्धा से बताया कि उन्होंने फॉर्म भरा हुआ था और नेत्रदान के लिए याद कराते रहते थे। श्रम पूर्वक अपनी आजीविका चलाते रहे ।परिवार जनों का साधुवाद जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए नेत्रदान का क्रियान्वयन किया ।गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र- पोता श्री अरुण 70656 61945

श्रीमती संतोष मदान


श्रीमती संतोष मदान ने 6 दिसंबर को 80 वर्ष की आयु में अपनी इह लीला समाप्त की ।वे मानसरोवर गार्डन में रहती थीं। पति पत्नी दोनों ने देहदान का संकल्प लिया था ।अगस्त 20 20 में इनके पति श्री सोमनाथ मदान का भी पार्थिव शरीर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए दान किया गया ।स्व. संतोष मदान का देहदान गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, अनंतनाग, श्रीनगर के छात्रों के उपयोग के लिए किया गया। परिवार जनों का साधुवाद कि उन्होंने, अपने प्रियजन की इस इच्छा का सम्मान किया। उनके पुत्र श्री मनीष ने अपनी माता जी को याद करते हुए कुछ भावुक शब्द हमें इस प्रकार लिखकर भेजे हैं- “

Losing a mother at any given age is a tragedy that,s hard to cope with .Sadly life goes on regardless of who is left with us on this journey. Many weird thoughts have crossed my mind so many times that I have lost count but whenever I try to accomplish with any such thoughts I just remember you saying "God's timing is unquestionable and in him, you should always seek refuge, for he will never abandon you ." I know that you have been gone for now but I still don't think that it has hit me yet. I thought your empty bed and The Silence that your voice should be filling would knock me into reality but I think all it does is make me numb. I feel like I am waiting I am waiting for you to yell my name again. I am just constantly.... waiting .You are missed mom. Death became an enemy and took you away from us at a stage where we need you the most, as it's hardly any time while we were grieving for Dad and you gave us all the shock of our life.

After you retired, you never took what you might have dreamed of doing because you always put your family first . Life got it in the way but you always restated that it was ok and you were already doing what you loved. I miss the food you made .No one can make food the way you made it Mom. You fed us all with love and your smile .It can't be replicated. Its impossible: no one else has your smile and how you used to cook with all the love and passion. I think we all are going to miss you both forever. sometimes I don't think I will ever feel any better, sometimes I feel okay.I wish I could pinpoint all of my feelings because it seems they are all over the place .I just miss you, Mom. I miss your laugh, your voice, your cooking and your talks .I miss all of you. I always will. I will always look for you in everything I do. You are the reason I am the person I am today and I made promises to you that I intend to keep forever. I can't wait to see both of you again and catch up with you on my journey towards you . The only regret and complaint I have with you that you never give us the time to say goodbye..... I'll remember you each day that I live, you were such a good person with so much to give. To the Heavens Above I wish I could fly ....only to give you a warm good bye!!!

Missing you and love you... Always and forever!!

दधीचि परिवार ईश्वर से प्रार्थना करता है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र- पुत्र श्री मुनीश 98100 20046

श्रीमती सुदर्शन गुप्ता


श्रीमती सुदर्शन गुप्ता 74 वर्ष के में दिवंगत हो गईं। वे प्रशांत विहार में रहती थीं। उनके पति ने अपनी भावनाएं हमें लिख कर भेजी है- “

She was a teacher par excellence, the recipient of multiple awards including gvg state award. She served most of her life in rural areas as a teacher and principal for more than 40 years of her life .She was fully dedicated to every creative art of education. She was of the view that each and every part of her body, be utilised for the great cause of education. To fulfill her wish, the family donated her eyes to Guru Nanak Dev Eye hospital and body to Government Medical College, Anantnag, Srinagar, with the whole hearted efforts of Dadhichi Dehdaan Samiti, with a special mention of Mr Vinod Agrawal and Mr. Tayal, along with their whole team in making all arrangements of donations procedure. ”

परिवार जनों का साधुवाद जो उन्होंने स्वर्गीय सुदर्शन की देहदान की इच्छा का सम्मान किया ।वे स्वयं जीवन भर विद्यार्थियों को पढ़ाती रहीं और अब उनका शरीर भी चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई कर रहे छात्रों के उपयोग में आएगा । दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा के प्रति अपने सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करता है ।

संपर्क सूत्र -पति श्री एसपी गोयल 3912176469

श्रीमती उर्मिला देवी


श्रीमती उर्मिला देवी 10 दिसंबर 20 20 को 74 वर्ष की आयु में इस नश्वर संसार को छोड़कर प्रभु चरणों में विलीन हो गईं । वह रोहिणी में रहती थीं। उनके पुत्र ने उन्हें याद करते हुए भावपूर्ण शब्दों में हमें लिखकर भेजा है -"माता जी का जीवन अत्यंत धार्मिक समाजसेवी व भारतीय परंपरा से ओतप्रोत था। मधुर और मिलनसार स्वभाव उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी ।वह भारत विकास परिषद, वरदान शाखा एवं अन्य कई समाजसेवी संस्थाओं से सक्रिय रूप से जुड़कर समाज कल्याण और जन सेवा के कार्यों में लगी रहती थीं। उनकी इच्छा थी कि मृत्यु के बाद जनकल्याण में नेत्रदान कर दिया जाए, जो कि हम दोनों भाइयों( पंकज और पारस) द्वारा उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए कर दिए गए ।" स्वर्गीय उर्मिला के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई ।मानवता के लिए किए जाने वाले इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार जनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार सादर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र - पुत्र डॉक्टर पारस मंगला 9871226969

श्रीमती उर्मिल नरूला


गाजियाबाद निवासी श्रीमती उर्मिल नरूला 71 वर्ष की आयु में परलोक सिधार गईं । उनकी बेटी ने बहुत गर्व से अपनी मां के विषय में बताया। वह धार्मिक महिला थी। खुले दिमाग से सोचना, समझना, परिस्थितियों को स्वीकार करके हर माहौल में कैसे जिया जाता है यह उन्होंने अपने परिवार में खूब सिखाया। एक योग्य महिला थीं। वह हर चीज के लिए आगे बढ़कर पहल करने के लिए तैयार रहती थीं। उनकी अंतिम इच्छा देहदान करने की थी। उनकी बेटी ने सहज रूप से ही उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनका पार्थिव शरीर 13 दिसंबर 2020 को गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज, अनंतनाग को दान में दिया। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा के लिए समिति परिवार की सविनय श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र - पुत्री सुश्री नीतू नरूला 8527105078

श्री सुभाष चंद्र


श्री सुभाष चंद्र ने 74 वर्ष की आयु में 15 दिसंबर 2020 को अपनी इह लीला समाप्त की।वे शालीमार बाग में रहते थे। उनके भतीजे ने बताया कि उन्होंने 20 वर्ष पूर्व एम्स में स्वयं को देहदान के लिए रजिस्टर किया था। कोविड के कारण एम्स ने कैडेवर लेने में असमर्थता दिखाई । स्व.सुभाष चंद्र चूंकि देह दान के लिए परिवार को बार-बार याद दिलाते थे, इसलिए उन्होंने दधीचि समिति से संपर्क किया व उनके देहदान की व्यवस्था अनंतनाग मेडिकल कॉलेज में हो पाई। परिवार के धैर्य व दृढ़ निश्चय के लिए अभिवादन । दूसरों की भलाई करते हुए सक्रिय जीवन जीने वाले व्यक्तित्व को हमारा नमन । ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र -भतीजा श्री अनूप शर्मा 9811096006

श्री प्रीतम लाल अदलखा


फरीदाबाद निवासी श्री प्रीतम लाल अदलखा की मृत्यु के पश्चात उनका पार्थिव शरीर गवर्नमेंट कॉलेज, अनंतनाग में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान में दिया गया ।उनके पुत्र ने उन्हें याद करते हुए अपने शब्दों में इस प्रकार आदर व्यक्त किया है-

“अगर हम हिंदू शास्त्र उठा कर देखे तो पाएंगे कि समय-समय पर धर्म की रक्षा के लिए लोगों ने काफी कुछ किया है । युद्ध करें हैं, उपवास रखे हैं व दधिची ऋषी जैसे महापुरुष ने तो धर्म की रक्षार्थ अपनी देह तक दान कर दी थी । जिनको हम आज भी आदर पूर्वक स्मरण करते हैं ।

इसी प्रकार आज के युग में भी कुछ महापुरुष अपनी देह दान कर समाज में एक आदर्श स्थापित कर रहे हैं । उनमें से ही एक श्री प्रीतम लाल अदलखा जी निवासी फरीदाबाद भी हैं जिनकी मृत्यु 89 वर्ष की आयु में दिनांक 19:12 :2020 को हो गई, मृत्यु से पूर्व श्री प्रीतम लाल जी ने अपनी सुपुत्री (अंजू व रेनू ) से अपनी देह दान के प्रति इच्छा व्यक्त की, जिसका पूर्ण आदर करते हुए उनकी पुत्री श्रीमती अंजू वासदेव एवम् रेणु बाला ने, श्री अदलखा जी की मृत्यु के पश्चात देह दान संस्था से संपर्क कर उनकी इच्छा अनुसार देह दान कर दी व समाज में एक आदर्श स्थापित किया ।

श्री प्रीतम लाल अदलखा जी जीवन परिचय : श्री प्रीतम लाल जी का जन्म बंटवारे से पूर्व पाकिस्तान स्थित बन्नू शहर में हुआ था । पढ़ाई के पश्चात व बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया व गवर्नमेंट प्रिंटिंग प्रेस फरीदाबाद में उनकी सरकारी नौकरी लग गई,

उनका विवाह श्रीमती मीरा बाई पुत्री हकीम होतू राम जी चंदौसी निवासी से हुआ जिनसे उनकी चार संताने श्री सुरेंद्र कुमार, मधुबाला, अंजू वासदेव व रेनू बाला है । चार संतानों में से श्री सुरेंद्र अदलखा व कु. मधुबाला का निधन अभी कुछ ही वर्षों पूर्व हुआ है । अब श्रीमती अंजू वासदेव एवम् रेनू बाला ही उनकी जीवित संताने है । गवर्नमेंट प्रिंटिंग प्रेस से रिटायरमेंट के पश्चात उनका रुझान अपने ससुर श्री हकीम होतू राम जी के आयुर्वेद नुस्खों की तरफ ज्यादा रहा व उन्हीं आयुर्वेदिक नुस्खो को आचार्य एस एम वसन्त की देख रेख में उन्होंने अपनी जीविका का साधन बनाया । जिससे वह रिटायरमेंट के बाद भी लोगो की सेवा करते रहे । इसके अतिरिक्त श्री ऐस एन टिक्कू जोकि ए .यू तिबिया कॉलेज के प्राचार्य भी थे से उनके घनिष्ठ संबंध रहे । अपने जीवन काल में उन्होंने बहुत अधिक संपत्ति तो अर्जित नहीं की परंतु अपने सभी बच्चों को काफी शिक्षित किया । उनका कहना था कि मेरे बच्चों की शिक्षा ही मेरी संपत्ति है ।

मृत्यु से कुछ समय पूर्व भी उन्होंने अपनी पुत्री श्रीमती अंजू वासदेव व श्रीमती रेनू बाला से अपनी देह दान के विषय में कहा, जिसका सम्मान करते हुए उनकी पुत्रियों ने उनकी मृत्यु के पश्चात उनका देह दान कर दिया व समाज में एक आदर्श स्थापित किया । ”

परिवार जनों का अभिवादन जिन्होंने देहदान की प्रक्रिया में अपने धैर्य व दृढ़ संकल्प का परिचय दिया। हम ईश चरणों में दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र - पौत्र मणि वासदेव 9650860030

श्री मुकेश बाहरी

61 वर्षीय श्री मुकेश बाहरी ने 22 दिसंबर को परलोक गमन किया। वह द्वारका, दिल्ली में रहते थे ।उनकी पत्नी से बात होने पर पता चला कि उनके परिवार में देहदान की एक लंबी परंपरा है ।इस समय परिस्थितियां भिन्न थी। कोविड महामारी काल में देहदान संभव नहीं हो पाया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई । चिकित्सा जगत की अमूल्य सेवा में लगातार कर्मशील बाहरी परिवार को बारंबार नमन । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र - पत्नी श्रीमती अंजू 9910055679

श्री नरसिंह दास भाटिया


श्री नरसिंह दास भाटिया का 93 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया । वे रमेश नगर में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में चर्चा करते हुए बताया कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नियमित सक्रिय कार्यकर्ता थे। निरंतर समाज के सेवा कार्यो में लगे रहते थे। उन्होंने अपनी पत्नी का भी नेत्रदान करवाया था। जीवन पर्यंत समाज सेवा करने वाला व्यक्तित्व जाते-जाते भी नेत्रदान करके मानवता की सेवा कर गया । परिवार जनों का अभिवादन जिन्होंने 24 दिसंबर को मरणोपरांत ससम्मान उनका नेत्रदान गुरु नानक आई सेंटर में किया। दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र - पुत्र प्रदीप भाटिया 9811912191

श्रीमती चंद्रप्रभा मैनी


श्रीमती चंद्रप्रभा मैनी ने 81 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे वैशाली, गाजियाबाद में रहती थीं। उनके दामाद ने उनके विषय में चर्चा करते हुए आदर से बताया कि वे एक साहसी महिला थीं। 18 साल पहले उन्होंने अपने बेटे को एक किडनी दान की थी। एक सकारात्मक सोच के साथ निरंतर चलती रहीं। सीनियर सिटीजन क्लब की सक्रियता भी उन्हें जीवंत रखती थी। मृत्यु से 2 सप्ताह पूर्व ही उन्होंने देहदान के संकल्प के लिए दधिचि देहदान समिति के संपर्क को ढूंढा और अपनी ही पहल पर फॉर्म भरकर जमा कराया। परिवार का अभिवादन जो उन्होंने स्वर्गीय चंद्रप्रभा के संकल्प को सम्मान पूर्वक पूरा किया । 29 दिसंबर को उनका पार्थिव शरीर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दिया गया । चिकित्सा जगत की सेवा में यह एक अमूल्य दान है। समिति परिवार दिवंगत आत्मा के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र - दामाद श्री बृजमोहन आनंद 9650855477

श्री रामचंद्र


श्री रामचंद्र का 85 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वे भजनपुरा, दिल्ली के निवासी थे। समिति के साथ वे प्रारंभ से ही जुड़े हुए थे। लगभग 15 वर्ष पूर्व उन्होंने अपने पोते राहुल की अकाल मृत्यु होने पर भी धैर्य पूर्वक उसके देहदान की व्यवस्था की। 2011 में अपनी पत्नी का भी देह दान कराया। अन्य सामाजिक कार्यों के साथ-साथ वे समिति के क्रियाकलापों के विषय में भी समाज में चर्चा करते रहते थे। उनके पुत्र ने संक्षेप में आदर पूर्वक उनकी जीवन शैली के विषय में हमें लिखकर भेजा है-

" हमारे पिताजी का जन्म 1935 ईस्वी का था। आपने उस समय में बीएससी की पढ़ाई हंसराज महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, से पूरी करी। वह सायं शाखा के स्वयंसेवक बने और फिर जब तक जीवित रहे संगठन से जुड़े सभी दायित्वों को निभाते रहे। सेवा भारती, यमुना विहार का संरक्षक का पद भी उन्होंने सुशोभित किया। अर्थात 75 वर्ष तक तो संगठन का जो भी कार्य मिला उसे पालन करने में अपना जीवन लगा दिया। सेवा के कार्य जो उन्होंने किए उसमें कुष्ठ आश्रम, गोपाल धाम, सेवा भारती प्रमुख है । मेरे विचार से जब भी दधीचि देहदान समिति का गठन किया होगा वह तब से ही इस समिति के सदस्य रहे थे ।स्वतः प्रेरणा से उन्होंने अपने पोते और अपनी धर्मपत्नी का देहदान भी कराया।करोना पर विजय प्राप्त कर ली थी। अतः जाते-जाते अपना संकल्प भी पूरा किया। मैं अपने परिवार की ओर से समिति को साधुवाद देता हूं कि आपने पिताजी का संकल्प पूरा कराने में हमारा सहयोग किया। धन्यवाद"

परिवार जन अभिवादन के पात्र हैं जिन्होंने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनका देहदान गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज अनंतनाग के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया। उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई ।मानव जीवन में किए गए सत्कर्मों से इस दिव्य आत्मा ने ईश चरणों में निश्चय ही अपना स्थान बनाया है ।हमारी सादर श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र -पुत्र श्री संजीव 9899028997

श्रीमती गुलाब कुमारी


गुड़गांव निवासी श्रीमती गुलाब कुमारी का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके पुत्र ने उनके प्रति अपने कुछ भावपूर्ण शब्द हमें इस प्रकार लिख कर भेजे हैं- "Smt. Gulab Kumari Mehta passed away on 23rd November 2020 .By her wishes and strong support from her husband Dr Navratan Chand Mehta, family took the initiative to donate her last remains to Medical Research Institute to further the larger cause of humanity.

Despite being born in the traditional middle class family in pre independence era, when our country was trying to find its foothold on the global map, Shrimati Gulab got wonderful support from her mother, who wants to see her daughters to get highest education.She did her MA in Economics from Jodhpur University and taught for sometime in girls college in Pilani .

After marriage she spent over 27 years in Sindri, Dhanbad when she took care of her family as an efficient home maker. Her desire to serve society, connected her to Vanita Samaj in sindhari. After retirement they settled in Jodhpur .Shrimati Gulab Mehta actively worked in Lioness club, also holding the position of president, for one tenure. She continued with her passion to teach school children from poor background .Her affectionate demeanour keeps her alive in our memories. We wish that she and her husband will motivate more to come forward for the noble cause of their "Deh Daan". Om Shanti ."

परिवार जनों ने स्वर्गीय गुलाब कुमारी का पार्थिव शरीर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा जगत की सेवा के लिए दान किया ।परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री नवनीत मेहता 7838594440

श्री संजय गर्ग


श्री संजय गर्ग का 53 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया ।वह इंद्रलोक, दिल्ली में रहते थे। उनकी बेटी ने बातचीत में बताया कि वे बड़ों का बहुत आदर करते थे ।परिवार देहदान के लिए इच्छुक था, परंतु उनकी अपनी कुछ समय सीमा थी जिसमें देहदान संभव नहीं हुआ ।22 दिसंबर को उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। परिवार जनों की दान भावना का हम सम्मान करते हैं ।दिवंगत आत्मा के प्रति हमारे सादर श्रद्धा सुमन ।

संपर्क सूत्र - पुत्री सुश्री अक्षिता 98118 53569

श्री भंवर लाल जैन

श्री भंवर लाल जैन ने 80 वर्ष की आयु में अपनी इह लीला समाप्त की। वे शास्त्री नगर, दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र ने गर्व से बताया कि उनका जीवन बहुत ही नियमित था । नित्य के कार्यों का ठीक समय निर्धारित रहता था । परिश्रमी व्यक्ति थे। मरणोपरांत परिवार जनों ने आपसी चर्चा में नेत्रदान की सहमति बनाई। जस्ट डायल से संपर्क साधने पर उन्हें दधिचि देहदान समिति का संपर्क मिला । 31 दिसंबर को उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम आदर सहित दान में लेकर गई ।मानवता की सेवा के लिए स्वप्रेरणा से किए गए इस महादान के लिए हम परिवार जनों का अभिवादन करते हैं । दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दे ।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री राजेश जैन 9354664144

श्री नरेंद्र गिरी गोस्वामी


श्री नरेंद्र गिरी गोस्वामी का 90 वर्ष की आयु में निधन हुआ ।वह पश्चिम विहार के निवासी थे। उनकी पुत्री से फोन पर उनके विषय में जानकारी मिली। वह केंद्रीय विद्यालय, पश्चिम विहार में प्रिंसिपल रहे। उन्होंने आजीवन अर्थ- दान की प्रक्रिया जारी रखी ।मूलतः रुड़की निवासी थे। रुड़की में उन्होंने अपनी मां के नाम पर एक आर्य समाज और पत्नी के नाम पर एक फिजियोथैरेपी सेंटर खोला। रुड़की मेन मार्केट की आर्य समाज में एक दयानंद गैलरी के नाम से स्वामी दयानंद के जीवन से संबंधित चित्रों के साथ एक हॉल का निर्माण भी करवाया। देहदान का संकल्प लिया हुआ था। अपने संकल्प के प्रति दृढ़ निश्चय इतना.... कि घर के दरवाजे पर दधीचि समिति के फोन नंबर के साथ लिखा कि मेरे मरने पर वहां सूचित करें ।जीवन भर यथासंभव अर्थ दान, मरणोपरांत भी देहदान ...ऐसे व्यक्तित्व को हमारे शत शत नमन। परिवार ने भी उनके संकल्प का सम्मान किया व उनका पार्थिव शरीर 26 दिसंबर को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अनंतनाग में दान किया गया। परिवार का अभिवादन ।दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र - पुत्री श्रीमती वंदना पुरी 9999442587

श्री प्राणनाथ भाटिया


श्री प्राणनाथ भाटिया का 80 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया ।वह रोहिणी निवासी थे ।उनकी पुत्रवधू ने सादर उन्हें याद करते हुए बताया कि वे अपने परिवार के प्रति समर्पित थे। उन्होंने अपने सब भाई बहनों को योग्य बनाया ।आजीवन वे सब के परिवारों को स्नेह करते रहे ।उन्हें घूमने व पढ़ने का शौक था। पंजाब नेशनल बैंक से मैनेजर के रूप में रिटायर हुए। पत्नी की अस्वस्थता के कारण उनकी समुचित देखभाल में लगे रहे । 11 दिसंबर को, परिवार के एक निकट संबंधी व समिति के समर्पित कार्यकर्ता श्री अजय भाटिया की प्रेरणा से स्व. प्राणनाथ भाटिया का नेत्रदान गुरु नानक आई सेंटर में किया गया। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा के प्रति हम सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र - पुत्रवधू श्रीमती भावना भाटिया 9811858850

श्री भंवर लाल खटेड़


श्री भंवर लाल खटेड़ का 26 दिसंबर को 69 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया । वे योजना विहार, दिल्ली के निवासी थे ।उनके पुत्र ने उनके जीवन के विषय में जानकारी देते हुए लिखा-

"मेरे पिताजी अपने परिवार में सबसे बड़े थे ।परिवार के सभी लोगों को एक साथ जोड़ कर रखते थे ।उन्होंने सब बच्चों को अच्छे संस्कार दिए। सामाजिक स्तर पर भी उनकी बहुत सेवाएं हैं ।आप कुछ सामाजिक संस्थाओं मे उच्च पद पर भी वे रहे। जैन समाज के प्रति उनका सराहनीय योगदान रहा ।हम श्रद्धा पूर्ण भाव से उन्हें याद करते हैं।".

स्व. भंवरलाल के नेत्रदान का निर्णय करके परिवार जनों ने मानवता की सेवा में एक प्रशंसनीय कार्य किया है ।परिवार का अभिवादन। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान इनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ऐसी हमारी सविनय श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री अंकुश 9958338999

जिनका दान सम्भव नहीं हो सका:

  1. स्व. हेमंत विश्नोई, आईपी एक्सटेंशन, दिल्ली
  2. स्व. गुरुदयाल अहूजा, करमपुरा, दिल्ली ।
  3. स्व.इंद्रसेन कक्कड़, रमेश नगर, दिल्ली
  4. स्व. निर्मल कौर, फरीदाबाद
  5. स्व. विधि जैन, नवीन शाहदरा,दिल्ली (ब्रेन डेथ होने पर परिवार की अंगदान की इच्छा, पर सेप्टीसीमिया ग्रसित होने के कारण अंगदान संभव नहीं हुआ )
  6. स्व. हितवंत सिद्धू, विकासपुरी, दिल्ली
  7. स्व. शीला देवी,पटेल नगर,दिल्ली