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श्रद्धा सुमन

श्रीमती कौशल्या देवी

साऊथ एक्सटेन्शन निवासी श्रीमती कौशल्या देवी पहुजा ने 90 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। परिवारजनों ने मरणोपरान्त उनके नेत्र दान का निर्णय करके समाज में मानवता की सेवा के लिए एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया। 4 मई, 2019 को वेणु आई सेन्टर की टीम द्वारा ससम्मान उनके नेत्र दान में लिए गए। स्वर्गीय कौशल्या देवी के पुत्र ने अपने शब्दों में अपनी भावनाएं इस प्रकार व्यक्त की:-

’’दिवंगत श्रीमती कौशल्या देवी पहुजा ममता की ऐसी महान वटवृक्ष थीं, जिसकी शीतल छांव में बैठ कर हज़ार थके यात्री सुख की सांस लेकर शान्ति प्राप्त कर सकते थे। वह ऐसा कल्पतरु थीं जिससे याचना कर कोई भी मनवांछित फल प्राप्त कर सकता था। वह अपनी कोख से जन्मी चार सन्तानों की माता ही नहीं थीं, वरन् वह तो कालान्तर में जगत् जननी का रूप ले चुकी थीं। वह पूजा पद्धति के संस्कारों में यद्यपि आर्य समाज में प्रेरणा मूर्ति थीं तथापि आर्य संस्कृति के अनुसार सनातन पूजा पद्वतियों में भी उतना ही विश्वास रखती थीं। गुरुद्वारों में भक्ति भाव से अरदास करती थीं। उनके व्यक्तित्व का वर्णन करने में लेखनी शिथिल पड़ जाती है, शब्दों का अकाल पड़ जाता है। आदरमना श्रीमती कौशल्या देवी पहुजा सर्वगुण सम्पन्न महिला थीं। शत्-शत् नमन।’’

दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार की सादर श्रद्धांजलि।

सम्पर्क सूत्र - श्री विनोद पहुजा, पुत्र, 7042906414

श्री अनिल कुमार जैन

नोएडा निवासी श्री अनिल कुमार जैन ने 78 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। इंजीनियर के रूप में वह सरकारी नौकरी करते रहे। तीस वर्ष से वह नोएडा में ही रहते थे। उनकी पोती ने फोन से सम्पर्क करने पर बताया कि उनकी हार्दिक इच्छा थी कि उनके मरने बाद उनके अंग दान में दिए जाएं। स्वर्गीय अनिल के तीनों बेटों के परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान किया। 9 मई, 2019 को वेणु आई सेन्टर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। मानवता की सेवा के लिए किए जाने वाले इस महा दान से परिवारजनों ने समाज में एक उदारहरण प्रस्तुत किया है। हम उनका अभिवादन करते है। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - डाॅ. ईशा जैन, पौत्री, 9310119522

प्रतीक

सत्रह वर्षीय प्रतीक अल्पायु में ही इस दुनिया से विदा हो गया। उसका परिवार न्यू मुल्तानपुर नगर में रहता है। उसके पिताजी से फोन पर बात करके पता चला कि प्रतीक का रुझान कला की तरफ था। दस वर्ष की आयु में उसने अपनी मां को खो दिया था। विधि का विधान है कि घर में दादाजी-पिताजी व प्रतीक थे...... अब दो पुरुष ही बचे हैं। जीवन की इस कठिन घड़ी में भी परिवारजनों ने नेत्र दान का निर्णय लिया। मानवता की सेवा के लिए राजेन्द्र प्रसाद आई सेन्टर (एम्स) की टीम द्वारा स्वर्गीय प्रतीक के नेत्र ससम्मान दान में लिए गए। परिवारजनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें।

सम्पर्क सूत्र - श्री राजकुमार, पिता, 9650706817

श्रीमती नारायणी देवी

अस्सी वर्ष की आयु में श्रीमती नारायणी देवी ने परलोक गमन किया। वह नेहरु नगर, गाज़ियाबाद में रहती थीं। उनके पति ने फोन पर हुई बातचीत के दौरान बताया कि वह सबका ध्यान रखने वाली एक स्नेही महिला थीं। पति-पत्नी दोनों संकल्पित देह दानी हैं। पत्नी के पहले दिवंगत हो जाने पर पति ने तत्परता से उनका देह दान करवाने का कर्तव्य निभाया। परिवारजनों की सहमति से 15 मई, 2019 को नारायणी देवी का मृत शरीर एम्स में दान किया गया। मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए उपयोग में आने वाला यह एक अमूल्य दान है। उनके नेत्र वेणु आई सेन्टर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। परिवारजनों का साधुवाद। समिति दिवंगत आत्मा के लिए सादर श्रद्वा सुमन अर्पित करती है।

सम्पर्क सूत्र - श्री हरि राम शर्मा, पति, 9958392483

श्री सुशील कुमार

श्री सुशील कुमार ने 58 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वह शाहदरा के निवासी थे। सन् 2016 में उन्होंने अपनी देह के दान का संकल्प लिया था और परिवार में सबको ठीक से अपनी इच्छा बताई हुई थी। वह अविवाहित थे। उनके भतीजे ने उनके बारे में चर्चा करते हुए बताया कि वह हर समय सबकी मदद करने को तैयार रहते थे। दुनिया से जाने के बाद भी उनका पार्थिव शरीर किसी काम आ सके, उनकी इस सोच ने समाज में भी एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवारजनों का हम अभिवादन करते हैं कि उन्होंने इस महा दान का क्रियान्वयन किया। 15 मई, 2019 को उनके देहावसान के बाद उनका पार्थिव शरीर यू.सी.एम.सी. के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान कर दिया गया। गुरु नानक आई सेन्टर की टीम द्वारा उनके नेत्र ससम्मान दान में लिए गए। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - श्री हितेेश अरोड़ा, भतीजा, 7503998534

श्रीमती शोभा गांधी

श्रीमती शोभा गांधी का 68 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वह कृष्णा नगर में रहती थीं। उनके बेटे ने उनके जीवन के बारे में हमें इस प्रकार लिख कर भेजा:-

’’उनका पूर्ण जीवन काल ही चुनौतियों से भरा रहा। बचपन में ही उनके माता पिता का निधन हो गया था और साथ ही किसी गम्भीर बीमारी के चलते वह पैरों से विकलांग हो गई थीं। उनके भाई-बहनों ने उन्हें पाला-पोसा और विवाह किया। बाद में भी उन्हें कई गम्भीर बीमारियों ने घेरा हुआ था। इन सब परिस्थितियों में भी उन्होंने केवल एक चाय की दुकान के काम से ही अपने दोनों बच्चों को योग्य बनाया। अभी वो दोनों विवाहित हैं। पिछले पांच वर्षों में वह दो बार आई.सी.यू. में भर्ती हुईं, रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ, सांस की बीमारी तो चल ही रही थी। परन्तु अपने जीवन काल में उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और जाते-जाते भी नेत्र दान जैसा पुण्य कार्य कर गईं। हम सभी परिवारजन यही कामना करते हैं कि ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दें तथा अपने पावन चरणों में स्थान दें।’’

समिति परिवारजनों का आभार व्यक्त करती है कि उन्होंने स्वर्गीय शोभा की अन्तिम इच्छा का सम्मान किया। 19 मई, 2019 को, मरणोपरान्त, उनकी आंखें गुरु नानक आई सेन्टर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें।

सम्पर्क सूत्र - श्री मनीष, पुत्र, 9911051369

श्रीमती आशा रानी

श्रीमती आशा रानी ने 80 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वह उत्तम नगर में रहती थीं। परिवार के एक निकट सम्बन्धी ने बताया कि वह हर समय, हर-एक की सहायता के लिए तत्पर रहती थीं। प्रति दिन दोनों समय गुरुद्वारे जाना व रविवार को सत्संग में जाना उनकी जीवनचर्या का नियमित हिस्सा था। उन्होंने राधा स्वामी परम्परा में नाम दान लिया था। उन्होंने मरणोपरान्त अपनी सभी व्यवस्थाएं निश्चित की हुई थीं, जो उनकी दूरदृष्टि का परिचय देती हैं। उन्होंने अपनी देह के दान की इच्छा भी बताई हुई थी। परिवारजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 23 मई, 2019 को उनका मृत शरीर मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए भाई वर्धमान मेडिकल काॅलेज में दान कर दिया। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के लिए समिति सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करती है।

सम्पर्क सूत्र - श्री महेश कुमार, निकट सम्बन्धी, 9818707716

श्रीमती कमलेश जैन

श्रीमती कमलेश जैन ने नमोऽरिहंताणम् मंत्रोच्चार के बीच अपनी अन्तिम सांसें लीं। वह जंगपुरा एक्सटेन्शन में रहती थीं। आखिरी एक महीना छोड़ दें तो 72 वर्ष की आयु उन्होंने धार्मिक कृत्यों को श्रद्धापूर्वक करते हुए उपयोगी रूप से बिताई। उनके पति ने सम्मानपूर्वक बताया कि जैन मुनियों की सेवा करना, उनके लिए प्रेमपूर्वक आहार बनाना-खिलाना, प्रति दिन दान करना - यह सब उनके जीवन का नियमित कार्यक्रम रहता था। परिवार की मुखिया होने से, हर सदस्य का सहयोग करने को तत्पर रहती थीं। सबको जोड़ कर रखना भी उनकी एक विशेषता थी। उनकी स्वयं की नेत्र दान करने की इच्छा थी। 23 मई, 2019 को, स्वर्गीय कमलेश जैन की इच्छा का सम्मान करते हुए उनके परिवारजनों ने राजेन्द्र प्रसाद आई सेन्टर (एम्स) में उनके नेत्र दान में दे दिए गए। मानवता की सेवा के लिए किए गए इस प्रेरक दान हेतु परिवारजनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार के शत्-शत् नमन।

सम्पर्क सूत्र - श्री एल. आर. जैन, पति, 9312251664

श्री मदन गोपाल मलिक

रोहिणी निवासी श्री मदन गोपाल मलिक का देहान्त 25 जून, 2019 को हुआ। उनकी इच्छा के अनुसार उनके नेत्र वेणु आई सेन्टर में दान किए गए। उनके पुत्र ने उन्हें इस प्रकार याद किया:-

“My father late Madan Gopal Malik was M.A. (Pol. Sc.), B.Ed. and worked as a school teacher in Delhi Government School. He was very humble and entrusted all his life for the well being of his family and that is why all children are Post Graduate. He had special flare for Urdu and even at the age of 75 he did course in Urdu and a teacher used to come to our home in Rohini. He was a true Arya Samaji and we used to do havan at our home on all occasions of happiness and sorrow. He expressed his desire to donate eyes, before his death for a noble cause. He expired at age of 81 and was on normal diet due to his healthy life and being tea-totaller which we also inherited from him. At the end, I will say he was a noble soul with heavy heart…….”

दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि।

सम्पर्क सूत्र - श्री राजेश मलिक, पुत्र, 9999717265

श्रीमती शशि गुुप्ता

श्रीमती शशि गुुप्ता ने 74 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वह गुरुग्राम में रहती थीं। 25 मई, 2019 को उनकी मृत्यु के बाद उनका पार्थिव शरीर, मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए एम्स में दान कर दिया गया। मानवता की सेवा के लिए किए गए इस अमूल्य व उपयोगी दान हेतु परिवारजनों का अभिनन्दन। उनके पुत्र ने भावपूर्ण शब्दों में अपनी मां को इस प्रकार याद किया:-

She lived the life of a saint. Loved unconditionally. Served the family till her death could support. She was always there as pillar till last. Gods wanted to take her away but she did not want to go. She did not want to leave her children alone. But ultimately we all have to bow down to God’s will. May her soul rest in peace.

दधीचि परिवार द्वारा दिवंगत आत्मा के लिए सादर श्रद्धा सुमन।

सम्पर्क सूत्र - डाॅ. पंकज, पुत्र, 9650501116

श्री सुरिन्दर पाल

श्री सुरिन्दर पाल बालूजा ने 75 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वह केशवपुरम् में रहते थे। उनकी पत्नी ने बताया कि वह हर समय किसी की भी मदद करने को तैयार रहते थे। धार्मिक व कर्मठ व्यक्ति थे। नेत्र दान का निर्णय उनकी पत्नी द्वारा लिया गया। मानवता की सेवार्थ लिए गए इस प्रेरणास्पद निर्णय पर दधीचि परिवार, बालूजा परिवार का अभिनन्दन करता है। 30 मई, 2019 को राजेन्द्र प्रसाद आई सेन्टर (एम्स) की टीम द्वारा ससम्मान इस महा दान को स्वीकार किया गया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - श्री पुनीत बालूजा, पुत्र, 9811276123

श्रीमती नीलिमा जैन

गुरुग्राम निवासी श्रीमती नीलिमा जैन का 65 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। उनके पुत्र ने अपनी माता जी को भावपूर्ण शब्दों में इस प्रकार श्रद्धांजलि दी:-

’’देह दानी श्रीमती नीलिमा जैन धार्मिक विचारों से परिपूर्ण, सादगीपूर्ण संयमित जीवन की धनी महिला थीं। माता-पिता से धर्मनिष्ठ संस्कार लेकर वह कैथल के एक सम्भ्रान्त जैन परिवार में श्री नरेन्द्र कुमार जैन के साथ परिणय सूत्र में बंधीं। परिवार का माहौल अत्यंत धार्मिक था। श्रीमती नीलिमा धर्म और समाज सेवा के कार्यों में सदा अग्रणी रहती थीं। अनेक साधु-साध्वियों के साथ उनके परिवार जैसे सम्बन्ध रहे और वह सदैव उनकी सेवा-सुश्रुषा करने को तत्पर रहती थीं। फिर भले ही हैदराबाद जाना हो या अहमदनगर, वह सन्तों-साध्वियों की सेवा करने से नहीं चूकती थीं। धर्म लाभ के लिए उनके दर्शनार्थ आती-जाती रहती थीं। समाज सेवा हेतु अपने जीवन में एक सूत्र साधा था - ’सम्पूर्ण देह दान’ और उनकी अन्तिम इच्छा स्वरूप परिवारजनों ने उनका देह-दान किया। समस्त जैन परिवार के प्रति हम सब आभारी हैं और प्रभुश्रेष्ठ से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।’’

8 जून, 2019 को, मरणोपरान्त उनका पार्थिव शरीर एम्स में चिकित्सा शास्त्र के विद्यार्थियों के उपयोग के लिए दान किया गया। उनके नेत्र वेणु आई सेन्टर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। परिवारजनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार के शत्-शत् नमन।

सम्पर्क सूत्र - श्री राजीव जैन, दामाद, 9871425306

श्रीमती सुरिन्दर कौर

श्रीमती सुरिन्दर कौर गिल ने 89 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वह टैगोर गार्डन एक्स. में रहती थीं। उनके पुत्र श्री अमरीक सिंह ने बताया कि उनकी माताजी ने कभी बातचीत में कहा था कि "मेरे शरीर को जलाना नहीं। किसी के उपयोग के लिए दान में दे देना।" यही कारण है कि उनके परिवारजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए आर्मी मेडिकल काॅलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए उनका मृत शरीर 10 जून को दान में दे दिया। स्वर्गीय सुरिन्दर कौर ने अपना जीवन स्वस्थ रह कर, परिवार में मेल-जोल की भावना के साथ बिताया। वह लिविंग ट्रैजर संस्था से जुड़ी हुई थीं। इसके माध्यम से लोगों को जीने की कला सिखाई जाती है। मानवता की सेवा के लिए किए गए इस महादान हेतु समिति परिवारजनों का अभिवादन करती है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें - ऐसी हम प्रार्थना करते हैं।

सम्पर्क सूत्र - श्री अमरीक सिंह, पुत्र, 9212523237

श्रीमती सरस्वती सेतिया

श्रीमती सरस्वती सेतिया का देहान्त, 80 वर्ष की आयु में गुरुग्राम स्थित अपने निवास पर हुआ। परिवार ने शीघ्र ही दधीचि देह दान समिति से सम्पर्क किया व ई.एस.आई. मेडिकल काॅलेज को उनकी देह का दान किया गया। नेत्र दान गुरुग्राम की ही एक संस्था निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से हुआ। आर्य समाज की विचारधारा को जीवन में उतार कर समाज सेवा के कार्यों में वह अग्रणी रहीं। आर्य प्रतिनिधि सभा, हरियाणा के उप-प्रधान श्री कन्हैया लाल आर्य के शब्दों में:-

’’माता जी सबको नेत्र दान के लिए प्रेरित करती रहती थीं और निरामया ट्रस्ट ने उन्हें ’’नेत्र दूत’’ की उपाधि से सम्मानित किया हुआ था। वह यज्ञ-प्रेमी थीं। आस-पास के सभी पार्कों में प्रतिदिन यज्ञ की व्यवस्था भी माता जी ही किया करती थीं। सेतिया परिवार के इस प्रेरणादायक कार्य के लिए समाज उनका आभार व्यक्त करता है।’’

मेडिकल की पढाई करने वाले छात्रों के लिए किए गए अमूल्य दान हेतु दधीचि संस्था द्वारा परिवारजनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें - ऐसी हमारी विनम्र प्रार्थना है।

सम्पर्क सूत्र - श्री वीरेन्द्र सेतिया, पुत्र, 8130797687

श्री एम एस माथुर

श्री एम एस माथुर ने 90 वर्ष की आयु में परलोकगमन किया। वे वैशाली गाज़िआबाद में रहते थे। उनके बेटे ने बताया कि एक मित्र से प्रेरित होकर उन्होंने अपने पिताजी ने नेत्रदान व देहदान का निर्णय लिया। इस निर्णय के लिए हम परिवार का अभिवादन करते हैं। 11 जून को स्व. श्री माथुर का पार्थिव शरीर यू.सी.एम.एस. के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दिया गया। वेणु आयी सेंटर की टीम द्वारा इनके नेत्र ससम्मान दान में लिए गए। स्व. श्री माथुर के पुत्र के शब्दों में उनका जीवन परिचय कुछ इस प्रकार है -

"Mr. M. S. Mathur was the second sibling among 4 brothers and a sister. His father passed away while they were quite young, and he stepped up to take care of the education and careers of his two younger brothers and sister.
Having taken up an early job to support the family, he himself graduated quite late; but had an excellent command of Hindi and English languages. His creativity found outlet in his writings, as well as in water color paintings.
His wife, late Mrs. Prem Mathur, was a post graduate in the Hindi language and proficient in classical music and playing the violin.

Despite numerous struggles in life, they nurtured and motivated their son to become an engineer. This became the means for realizing his ambition for a technical vocation. In the years after his wife's passing, he travelled extensively to meet old friends and members of the extended family, and helped them to the best of his means. In light of his nature to help the needy, his family chose to donate his body for students of medical sciences."

समिति द्वारा दिवंगत आत्मा को शत शत नमन।

संपर्क सूत्र - श्री अशीष माथुर, पुत्र (9811706235)

श्री बलदेव राज

श्री बलदेव राज आर्य ने 80 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वह तिलक नगर में रहते थे। समाज के लिए एक अत्यन्त उपयोगी जीवन जीने वाले अपने पिता जी के विषय में उनके पुत्र ने हमें लिखित सन्देश भेजा:-

’’पश्चिमी पकिस्तान में जन्मे श्री बलदेव राज आर्य हमेशा सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धान्त पर चले। माता आरती देवी तथा पिता प्रेमदास आर्य के उत्तम संस्कार उन्हें विरासत में मिले। करनाल व दिल्ली में शिक्षण कार्य करते हुए उन्होंने अपने भाइयों तथा बहनों का पालन-पोषण में भरपूर सहयोग दिया। धर्मपत्नी श्रीमती कुसुम लता संग उनका सद्गृहस्थ जीवन रहा। जहां उन्होंने माता-पिता की सेवा की वहीं परिवानजनों के सुख-दुख में सदा हमसाए की तरह सक्रिय सहयोगी रहे। सेवानिवृत्ति के बाद समाजसेवी कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। जब दिल्ली सरकार ने बाहरी रिंग रोड तथा करोल बाग के डी.सी.एम. रेलवे कालोनी के आर्यसमाजों को तोड़ने का कुत्सित प्रयास किया, तो उन्होंने तुरन्त अपने भाइयों व मित्रों के साथ धर्म रक्षा अभियान में प्रमुख भूमिका निभाई तथा उच्च अधिकारियों ने भी इस पवित्र रक्षा कार्य में योगदान किया।’’

’’वेद प्रचार मण्डल पश्चिमी दिल्ली डेरावाल; सहायक सभा, कीर्ति नगर; महर्षि दयानन्द जन्मभूमि टंकारा {गुजरात}; भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा; वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब; समर्थ शिक्षा समिति; राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ; विश्व हिन्दू परिषद जैसी अनेक रचनात्मक संस्थाओं के सक्रिय सदस्य रहे। वह नियमित योगाभ्यास और सैर करते थे। पिछले दिनों सैर के दौरान एक जीव की रक्षा करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गए। 14 जून, 2012 को उन्होंने नेत्र दान को संकल्प लिया था। परिवारजनों ने उनके परोपकारी संकल्प को पूरा करके उनके पावन मिशन में प्रमुख भूमिका निभाई। उनके परिवार के सभी सदस्यों सहित अनेक सामाजिक विभूतियों ने भी कर्मयोगी स्वर्गीय बलदेव राज आर्य को प्रेरणा सभा में उनके अधूरे मिशन को पूरा करने का संकल्प लिया।’’

14 जून, 2019 को, मरणोपरान्त, उनके नेत्र वेणु आई सेन्टर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। परिवारजनों का साधुवाद। कर्मठ व उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने वाले महामानव को दधीचि परिवार की ओर से सादर श्रद्धांजलि।

सम्पर्क सूत्र - श्री वीरेन्द, पुत्र, 9350099667

श्री हरनाम दास अरोड़ा

श्री हरनाम दास अरोड़ा का 77 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वह तिलक नगर में रहते थे। वह बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे। मार्च 2018 तक वह एक नगर के माननीय संघचालक रहे। हरनाम दास जी की अपनी इच्छा तो थी कि ’’मरणोपरान्त समाज हित में मेरे शरीर का सब कुछ दान में दे दिया जाए।’’ परन्तु अन्तिम समय में उनकी शारीरिक अवस्था को देखते हुए डाॅक्टरों ने केवल नेत्र दान की ही स्वीकृति दी। आजीवन समाज सेवा में लीन रहने वाला व्यक्तित्व जाते-जाते भी मानवता की सेवा के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर गया। 22 जून, 2019 को, मरणोपरान्त, उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए परिवारजनों ने वेणु आई सेन्टर की टीम को उनके नेत्र दान में दिए। परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें - ऐसी दधीचि परिवार की विनम्र प्रार्थना है।

सम्पर्क सूत्र - श्रीमती पुष्पा अरोड़ा, पत्नी, 9211063638

श्री फकीर चन्द गुप्ता

श्री फकीर चन्द गुप्ता ने 86 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वह यमुना विहार में रहते थे। लगभग 30 वर्ष से उन्होंने व्यावसायिक ज़िम्मेदारियों से अपने को अलग कर लिया था। वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के वह एक सक्रिय सदस्य थे। क्लब के कार्यक्रमों में वह अक्सर गीत-ग़ज़ल गाते थे। नियमित योग करना व सबको सिखाना उनका प्रिय शौक था। उनके पुत्र ने फोन पर बताया कि उन्होंने स्वयं ही एम्स में अपनी देह दान का संकल्प लिया हुआ था। परिवारजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 23 जून, 2019 को, उनकी मृत्यु के बाद उनका पार्थिव शरीर एम्स को दान में दे दिया। मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए किए गए इस अमूल्य व उपयोगी दान के लिए परिवारजनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - श्री अश्विनी गुप्ता, पुत्र, 9312049973

श्रीमती कौशल्या आहूजा

श्रीमती कौशल्या आहूजा ने 80 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वह फरीदाबाद में रहती थीं। उनका जीवन आर्य समाज की विचारधारा से प्रभावित व संस्कारित रहा। वह तन-मन-धन से आर्य समाज की धार्मिक गतिविधियों में लगी रहती थीं। उन्होंने लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज से नर्सिंग की शिक्षा प्राप्त की थी। उनके पति श्री ऋषिकेश आहूजा ने बहुत गर्व से बताया कि उन दोनों ने देह दान का संकल्प लिया हुआ था। परिवारजनों ने स्वर्गीय कौशल्या की इच्छा का सम्मान करते हुए मेडिकल काॅलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए उनका पार्थिव शरीर दान में दे दिया। 30 जून, 2019 को ई.एस.आई. मेडिकल काॅलेज की टीम ने ससम्मान इस दान को ग्रहण किया। उनके नेत्र वेणु आई सेन्टर में दान किए गए। परिवारजनों का साधुवाद। समिति दिवंगत आत्मा के लिए श्रद्धा सुमन अर्पित करती है।

सम्पर्क सूत्र - श्री ऋषिकेश आहूजा, पति, 9971571177