Home
Print
Previous
Next
"हम जीतेंगे - Positivity Unlimited" व्याख्यानमाला

हम सब वो चिराग हैं, जिसकी रौशनी हजारों बवंडरों पर भारी है|

सोनल मानसिंह जी

सभी दर्शकों को नमस्कार

आज हमलोग मूक दर्शक बनकर नहीं बैठे हैं। हम, मैं और काफी सारे लोग, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री से लेकर सभी, इसी युद्ध में लगे हुए हैं, और यह युद्ध एक आसुरी मायावी शत्रु के सामने है. जिनकी बातें हमने अपने रामायण, महाभारत, श्रीमद्भागवत में सुनी थीं। श्री देवी भगवत, लगता है कि आज प्रत्यक्ष हो रहा है। अरे, मैं स्वयं उठी हूं अभी। अप्रैल 8 को मेरी रिपोर्ट आ गई। उसके पहले दो तीन जगह बाहर जाना पड़ा था और ये एयर बॉर्न है, आमने सामने वाला गया पिछले वर्ष। इस वर्ष वाला भयानक है। हवा में तैरता तैरता कब आपके शरीर में घुस जाता है, पता नहीं चलता। उस वक्त मैं बिल्कुल असहाय और मेरे साथ जो काम करते हैं घर में, उनको भी दो तीन दिन में हो गया। उनको पीछे भेज दिया। घर में मैं बिल्कुल अकेली। और ये मेरे फेफड़ों में चला गया था। मैं ज्यादा इसका वर्णन नहीं करूंगी कि किस तरीके से रात रात भर बैठ कर लगता था कि जैसे अंतड़ियां मुंह से बाहर निकलेंगी। गर्म पानी किया, पानी भर दिया। कुछ पड़ा है खा लिया, नहीं पड़ा है नहीं खाया।

मैं आपके साथ साझा करना चाहती हूं कि ऐसा क्या हुआ कि जिससे मैं इससे उभर कर बाहर आई। कुछ क्षण तो मुझे ऐसा लगा कि मैं टपकी, मैं टपकी। मुझे, मेरे एक्सिडेंट वाले दिन याद आए 1974-75 के, प्लास्टर कास्ट, रिब्स ब्रोकन और उस वक्त जो होता था कि मन ही मन में आप लड़ते हो कि क्यों मुझे ये हुआ, तू क्या चाहती है मां, मैं अकेली बैठी हूं तो देखती नहीं है।

ये जो बारी बारी से मन में तरंग उठते हैं, गुस्सा आता है, निसहाय, निराशा, हताशा और शरीर आपका जवाब दे रहा है, ऐसा लगता है, सांस नहीं निकल रही। उसमें ऐसे कौन सी नैय्या और इसके रव्वैया कौन जो मेरी पतवार को मझधार से बवंडरों से बचाकर किनारे ले आया। मेरी अपनी कला। मैं मानती हूं कि सभी के मन, हदय में कुछ न कुछ छिपा हुआ है। चाहे कोई गीत है, कुछ सुभाषित, कोई दोहा, कोई श्लोक, कोई सिनेमा का गाना, कोई नाटक देखा है, कुछ पंक्तियां कहीं की और उस वक्त यदि मैं अपने आपको मजबूत करके ये ना करती तो मैं भी शायद निराशा के समुद्र में डूब रही होती। किसी ने मुझे हाथ पकड़ कर बाहर खींचा है तो मैं कहती हूं, उन कलाओं ने जो सभी में हैं। तो आप हताश नहीं हों आप निराश नहीं हों। सभी में वो गुण हैं। फिर मैं आपको ये कहूं कि जो हमारे पास है, उसको हम साझा करें, शेयर करें। कुछ सुन्दर बातें, कुछ सुंदर यादें, कुछ पेड़ पत्ते, पौधे फूल की बात, कुछ इन्द्रधनुष की बात।

आप कहेंगे कि अरे बीमार पड़े हैं। तो मैं बता रही हूं, मैं अकेले इस संकट से बाहर आई, कोई मेरे साथ नहीं था। केवल पराशक्ति जगदंबा, देवी मां मेरे साथ थी। तो जिसका जो मन करे किसी का ध्यान करो क्योंकि ऐसी शक्ति है। और दूसरी बात कि यदि आपका काम इस पृथ्वी पर हो चुका है तो जाना पड़ता है और नहीं हुआ है तो कितने भी आप बीमार हो, मृतप्रायः हो, आप बच जाएंगे। तो जो हम फिलॉस्फी सुनते हैं, भगवद्गीता के श्लोक का उद्धरण देते हैं, उपनिषद की बात करते हैं, अब काम आनी चाहिए आती है। और मैंने कुछ ऐसी बातें आपके लिए लिखी हैं।

मैं टूट गई थी। और कई बार हुआ, इस बार तो बिल्कुल टूट गई।

आय थॉट आय विल डाय, मुझे लगा मैं मर रही हूं।

आय थॉट आय एम ड्राउनिंग, मुझे लगा मैं डूब रही हैं।

एंड देन, आय केम आउट, हेअर आय स्टैंड

जीवन में बहुत झेला, बहुत सहा है, बहुत उतार चढ़ावों से मैं गुजरी हूं। और ये जो उतार था तो बिलकुल गर्त में कि आसुरिक, मायावी, दानव महामारी मुझे खींच कर ले जा रही है। लेकिन कुछ काम बाकी है बची हूँ, आप भी बचे रहेंगे, पॉजिटिविटी, ग्रेटीच्यूटी, प्रेयर। सकारात्मक विचारों को ले आना, अपने मन को कमजोर, नहीं होने दूंगी। मेरा काम अभी बाकी है। अपने मन पर कंट्रोल लाना पड़ेगा, चाहे कितने बिमार हों। हताशा में छोड़ देना, नो नो नो नो नो, ये मनुष्य का काम नहीं है।

यदि मैं कर सकती हूँ तो आप सब कर सकते हैं। पॉजिटिविटी अनलिमिटेड, असीम आशा, असीम सकारात्मकता। पॉजिटिविटी अनलॉक्ड। ये ताला खोल दो और पॉजिटिविटी को बहने दो। अपने आप में समा लो। पॉजिटिविटी अनलीशड, अनलीशड का मतलब जैसे बाढ़ आती है। तो सकारात्मकता की, आशा की, प्रार्थनामयता की, कुशल मंगलता की बाढ़ आने दो और उस बाढ़ में सारा गंदा, जो काला है वो धुल जाएगा।

तो मेरा यही कहना है मैं तो मात्र इतना कहती हूं कि मैं नृत्यकार हूं, मैं कलाकार हूं। जीवन जीने की कला मुझे कलाओं ने सिखाई है। जीवन जीने की कला और उसी से मेरी नैय्या, जिसमें मेरी मां खैवेय्या है। मैं तो मात्र बह रही हूं। कहीं भंवर है, कहीं मझधार में हैं, लेकिन वो मैय्या मेरी नैय्या को किनारे ले आती है। सभी की नैय्या किनारे लगनी ही है। तो इसी बात में मेरा कहना है कि मैं वो चिराग हूं, जिसकी रौशनी हजारों बवंडरों पर भारी है और हम सब वो चिराग हैं। वी आर ऑल देट, वी ऑल हेव लैम्प, वी ऑल हेव लाइट विद इन अस। वी ओनली हेव टू सी इट, रिक्ग्नाइज़ इट, फील इट, और अपने शरीर को तेजोमय, बलवान बनाकर रखना है, कुछ भी हो जाए।

मेरी तो यही प्रार्थना है, और मैं आप सबके लिए बहुत ही कुशल मंगल का अभिवादन तो करती हूं, शुभेच्छा देती हूं और मुझे यकीन है वी विल कम आउट ब्राइट, हम जीतेंगे, दुश्मन कभी नहीं जीत सकता, नहीं जीत सकता, नहीं जीतेगा।

प्रणाम करती हूं, नमस्कार।