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त्वचा दान को कितना जानते हैं आप ?
जून 2023 में एम्स दिल्ली ने त्वचा दान की प्रक्रिया शुरू की। इसकी व्यवस्था आधुनिकतम तकनीक पर आधारित है । मृत व्यक्ति के शरीर से त्वचा निकालकर जले हुए व्यक्तियों के इलाज के लिए काम में ली जाती है । प्रयोग में लाने से पहले त्वचा की प्रोसेसिंग की जाती है जिसमें 6 सप्ताह का समय लगता है ,इसलिए बैंक की सुचारू व्यवस्था होने पर ही यह दान और दान में ली गई त्वचा का उपयोग हो सकता है। व्यावहारिक रूप से त्वचा दान संभव हो सके इसके लिए अस्पताल ने मरणोपरांत जहां कहीं भी पार्थिव शरीर हो और परिवार के लोगों की सहमति हो तो वहीं से त्वचा लेने की व्यवस्था की है। मृत्यु के 6 घंटे के अंदर अंदर मृत शरीर से त्वचा निकाली जाती है। शरीर के पिछले भाग और जांघों से त्वचा की एक परत ली जाती है। इसे निकालने में 40 मिनट का समय लगता है। त्वचा दान और नेत्रदान दोनों को साथ साथ भी किया जा सकता है। तकनीकी रूप से की गई सभी प्रक्रियाओं के बाद इस त्वचा का प्रयोग 6 हफ्ते के बाद हो पाता है और इसको 5 साल तक बैंक में सुरक्षित रखा जा सकता है।
कुछ खास परिस्थितियों में त्वचा दान संभव नहीं है।
- यदि मृत्यु का सटीक समय की जानकारी न हो,
- अगर मृत्यु का उपयुक्त कारण पता न हो
- जहर की वजह से मृत्यु हुई हो,
- अगर मृत्यु के समय सेप्टिक या कोई और संक्रमण हो ,
- कैंसर से मृत्यु हो अथवा मृत्यु के समय त्वचा की कोई गंभीर बीमारी हो.
मृत्यु त्वचा दान की सारी प्रक्रिया नेत्रदान जैसी ही सरल और सहज है। यह घर से ही हो सकती है। खून बहने की संभावना न के बराबर होती है ,और अगर खून बहता भी है तो ठीक से पट्टी कर दी जाती है। देखने में शरीर में कहीं कोई विकृति नहीं होती।