Home
Print
Previous

श्रद्धा सुमन

महारानी से महादानी तक

श्रीमती रमा अग्रवाल

श्रीमती रमा अग्रवाल का 80 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे दिल्ली के अशोक विहार में रहती थीं। उनके पति, समिति के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। स्व.रमा के पुत्र ने अपनी भावनाएं इस प्रकार लिखी है -

"Smt Rama Agrawal a Dehdani, was born and brought up in a Royal Family of Shahjahanpur (UP). Her parents’ family was known as ‘Raja Sahab Family ’ there.

  1. After her marriage in 1960, She came down to an ordinary family of Farrukhabad (UP) which ultimately shifted to Delhi where her husband was in job.
  2. She was a matriculate at the time of her marriage but she attained BA, BED afterwards privately in Delhi. Through her hard work, intelligence, zeal and dedication.
  3. As her husband’s earnings were small and adequate, she decided to go for higher studies needed for a job.
  4. In course of time. She got a job as TGT in NDMC where she retired in 2003 after putting in a long service. She retired peacefully for 21 years and passed away at the age of 80 years on 01-03-2024, donating her body for the cause of HUMANITY and returning her soul to the feet of the creator of this world.
  5. She left behind her husband, R.P. AGRAWAL, one son and two daughters, married & leading a happy life.
  6. PUNCTUALITY: was her slave. Not a single occasion she reached school or elsewhere late whether she reached there by some vehicle, bus or on foot, she earned a lot of appreciation in all the schools she worked and was quoted as an example.
  7. Soft speaking, sweet temperament and tolerance were her ornaments & her determination to accomplish the hardest tasks.
  8. Having come from a Royal Family. She never never demanded, grumbled or complained for anything in life and compromised with acute circumstances.
  9. Such Souls rarely come to our earth."

    स्व.रमा का पार्थिव शरीर, 3 मार्च को भाई वर्धमान मेडिकल कॉलेज, सफदरजंग के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। चिकित्सा जगत की सेवा में यह एक अतुलनीय दान है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दें।

    संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री मनोज अग्रवाल 9582200682

संसार को सुंदर बनाने का सपना

श्री अनिल कुमार

श्री अनिल कुमार का 66 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे पहाड़गंज, दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र ने अपने शब्दों में उन्हें इस प्रकार याद किया है-

" My father, Shri Anil Kumar Sachdeva was an ardent businessman who worked diligently to provide for our family. He always believed in making lives better and comfortable in all the ways he could. His eye donation may have been his last service, but it gives us warmth and a sense of his existence as he continues to witness this beautiful world through his sight that lives on.

He fought with his health ailments with a strong will power and came out of a number of difficult situations which is a testament of his resilience. We may have lost him, but we learnt so much about life with the way he embraced both life and death.

We love you papa and we hope to meet you on the other side !

3 मार्च को स्व.अनिल के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में किए गए इस महादान का निर्णय लेने के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री विपिन 98994 86541

जाते-जाते परोपकार

श्री के एल भाटिया

श्री के एल भाटिया का 86 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे इंद्रपुरी, दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में विस्तृत चर्चा हुई। मोती नगर में उन्होंने भाटिया बिरादरी का कार्यालय खोला था। वहां पर फिजियोथैरेपी सेंटर व होम्योपैथिक डिस्पेंसरी चलती है। गरीब विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर शिक्षा का भी प्रबंध है। वहां पर यह वैवाहिक संबंध जोड़ने का भी काम करते थे। स्व.भाटिया का जीवन सादगीपूर्ण था। हर काम समर्पण भाव से करते थे। हर किसी का सम्मान करना उनका विशेष गुण था। समाज में इनका स्वयं का भी बहुत सम्मानित स्थान था। 5 मार्च,2024 को स्व.भाटिया के नेत्रदान का क्रियान्वयन करवा कर परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के प्रति समिति परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र,श्री रवि भाटिया 989971 2749

परोपकार का सर्वश्रेष्ठ मार्ग

श्री केदारनाथ कूल

श्री केदारनाथ कूल का 83 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे नोएडा में रहते थे। उनकी बेटी ने उनके विषय में अपनी लिखित भावनाएं भेजी हैं -

" Dad was only 7 when partition forced him to migrate from Dera Bassi, Gujranwala, to Baramulla, old Delhi. He pursued his passion for mathematics, earning bachelor's and master's degrees, and was in the pioneering batch of computer science graduates from IIT Delhi. His love for sports led him to establish a Recreation Centre at IARI, engaging in badminton, table tennis, cricket, carrom, chess, and bridge. There, he met my mom, both active in the IARI badminton team. Their bond grew, leading to a marriage that defied his parents' wishes.

Dad worked as a computer programmer and established another sports centre. His easy going nature made him popular among colleagues of all ages. As a father to two daughters, he was loving and caring. His humour was legendary, earning him the nickname 'drama company' from his sisters. Dad's talents were many. He juggled, wrote poetry in Hindi and Urdu, and sang with a voice reminiscent of Talat Mahmood. He entertained with duets alongside mom, played the harmonica, and loved solving crossword puzzles, a passion he shared with his family. His grandchildren were his joy. After retiring, a spinal stroke left him a paraplegic, yet he remained cheerful and resilient. Inspired by my mom, he pledged to donate his body and organs a decade ago. I will always remember him as a loving, cheerful, and caring person who lived life to the fullest."

6 मार्च को स्व.केदारनाथ के संकल्प का सम्मान करते हुए परिवार ने चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए उनका पार्थिव शरीर दान कर दिया। ई एस आई सी फरीदाबाद ने इस अतुलनीय भेंट को सम्मान सहित स्वीकार किया। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्री, डॉ वंदना कूल 9810494 925

एक पुण्य कार्य

श्री रामचंद्र

श्री रामचंद्र का 70 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे अपना घर आश्रम में रहते थे। आश्रम व्यवस्थापक ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। पूठ खुर्द, अपना घर आश्रम ने देहदान, अंगदान को अपनी गतिविधि का एक प्रमुख अंग स्वीकार किया है। यह एक पुण्य कार्य है और आश्रम के व्यवस्थापक वंदनीय हैं। स्व.रामचंद्र के नेत्र 6 मार्च को गुरु नानक आई सेंटर की टीम दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : अपना घर आश्रम पूठ खुर्द, 95820 57841

समाज कल्याण का बड़ा उदाहरण

श्रीमती विमला सुराणा

श्रीमती विमला सुराणा का 81 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह कौशांबी, गाजियाबाद में रहती थीं। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में लंबी चर्चा हुई। उनका अपना जीवन अनुशासित था। तरुण मित्र परिषद से जुड़ने के कारण उनकी समाज सेवा में सक्रियता रही। गुजरात विहार के जैन मंदिर से भी उनका जुड़ाव था। शारीरिक रूप से स्वस्थ थीं। उनके क्रियाकलाप से उनकी आयु का अनुमान नहीं लगाया जा सकता था। 6 मार्च को उनकी मृत्यु के बाद उनके पति ने देहदान का सुझाव रखा और परिवार ने सहज ही इसमें अपनी सहमति दी। यू सी एम एस, गुरु तेग बहादुर अस्पताल के छात्रों की पढ़ाई के लिए किया गया उनका देहदान छात्रों के लिए एक उपयोगी व अतुलनीय भेंट है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री मितेश सुराणा 9810163187

नेत्रदानी को प्रणाम!

श्री महेंद्र कुमार जैन

श्री महेंद्र कुमार जैन का 81 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वह ग्रेटर कैलाश में रहते थे। परिवार ने 8 मार्च को मरणोपरांत उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण पर प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री मनीष जैन 9811095 588

प्रथम गुरु का सम्मान

श्री रतन प्रकाश जैन

श्री रतन प्रकाश जैन का 89 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहते थे। 9 मार्च को स्व.रतन प्रकाश का पार्थिव शरीर एम्स में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को भेंट किया गया। कुशल चिकित्सकों के निर्माण में यह पार्थिव शरीर प्रथम गुरु का सम्मान प्राप्त करता है। उनके नेत्र ई एस आई फरीदाबाद की टीम ने सम्मान सहित दान में प्राप्त किए। इस पुण्य कार्य के लिए परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश्वर से विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पत्नी , श्रीमती अरुणा जैन 8279603886

सबसे बड़ी सेवा

श्रीमती बबीता गर्ग

श्रीमती बबीता गर्ग का 59 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे अशोक विहार में रहती थीं। उनके पति से उनके विषय में बात हुई। स्व.बबीता एक धार्मिक महिला थीं। परिवार का स्नेह व तालमेल लगातार इन्होंने बनाए रखा। सेवा कार्यों में वह हरदम तत्पर। वडेरा भवन, अशोक विहार में सेवा भारती के केंद्र में, 8 साल से नियमित भोजन सामग्री उपलब्ध करवा रही थी। इस कार्य को परिवार आज भी कर रहा है ।

श्री अशोक गर्ग ने बहुत गर्व से बताया कि उन्होंने व उनके दोनों बच्चों ने भी देहदान का संकल्प लिया है। उल्लेखनीय है कि यह प्रतिष्ठित समाजसेवी व देहदानी स्व मांगेराम गर्ग जी का परिवार है। उनके परिवार से चार देहदान हो चुके हैं। मानवता के प्रति सेवा भाव व समर्पण के लिए परिवार को नमन। 11 मार्च को स्व.बबीता का पार्थिव शरीर यू सी एम एस, गुरु तेग बहादुर में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान किया गया। दिवंगत आत्मा को समिति परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पति , श्री अशोक गर्ग 9811063232

समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण

श्रीमती ईश गेरा

श्रीमती ईश गेरा का 85 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे गुरुग्राम में रहती थीं। उनकी पुत्री ने उनके विषय में हमें लिखित जानकारी भेजी है-

दिवंगत श्रीमती ईश गेरा एक सरल हृदय वाली, प्रभु में बहुत विश्वास रखने वाली, नेक दिल व मेहनती महिला थीं। वह एक अध्यापिका थीं और बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उत्तम संस्कार व देशभक्ति के बारे में भी बताती रहती थीं। उनका यज्ञ हवन में तथा ईश्वर में पूर्ण विश्वास था। उन्होंने पूरा जीवन प्रभु द्वारा दिए गए कर्तव्यों को ईमानदारी से निर्वाह करते हुए व्यतीत किया। उनका दृष्टिकोण आध्यात्मिकता के साथ साथ वैज्ञानिक भी था। वे मानती थीं कि आत्मा अमर है पर ये नश्वर शरीर यदि मृत्यु के बाद भी किसी के काम आ जाए तो उचित होगा, अत: उन्होंने देह दान का निर्णय लिया था।

स्व.गेरा का पार्थिव शरीर 15 मार्च को ई एस आई,फरीदाबाद में मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। परिवार जनों ने स्व.गेरा के संकल्प का सम्मान करके समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र: पुत्री, सुश्री माला 9691 832796

जिंदगी में प्रेम, जिंदगी के बाद भी प्रेम

श्री प्रेम खुराना

श्री प्रेम खुराना का 73 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह राजौरी गार्डन, दिल्ली में रहते थे। वह समिति के एक सक्रिय सदस्य थे। उनकी बेटी ने बहुत सुंदर शब्दों में उनके प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं -

" जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च। तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।

(पैदा हुए की जरूर मृत्यु होगी और मरे हुए का जरूर जन्म होगा। इस का निवारण नहीं हो सकता। अतः इस विषय में तुम्हें शोक नहीं करना चाहिए।)

The loss of a person is always immeasurable for the family but what we can remember the most about him is his attitude towards life, death and other human beings. He was a great father, a wonderful grandfather, a dutiful son and brother, a helpful friend and above all a loving husband. His wish of donating his eyes and body meant a lot to him and the family fulfilled it with utter satisfaction.

FYI: He donated his eyes when he turned 18 around 1974, hats off to his unknown adventurous and daring side. Well, Our tears will dry, but our memories of him will stay on and our love for him will be cherished forever. Every time you think about him, you smile a little, because if you cry or be sad, he will feel the pain and burden of it. Lets just free him of this worldly circle of emotions and remember him with positive expressions. He made his children brave enough to fight with any circumstances, so on behalf of his entire clan, We thank him for every gesture. for every teaching, for every detailing, for his efforts and just for being there. Someone so special can never be forgotten. His family loved, still loves and will always love him.

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः !!

17 मार्च को उनका पार्थिव शरीर मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद और उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर में दान किए गए। स्व.खुराना के संकल्प का क्रियान्वयन करके परिवार ने समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्री , सुश्री तन्वी 999 9820 275

मानवता की सेवा में दान

श्री सोमनाथ मेहंदीरत्ता

श्री सोमनाथ मेहंदीरत्ता का 88 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे फरीदाबाद में रहते थे 17 मार्च को उनकी मृत्यु के बाद परिवार ने ईएसआई फरीदाबाद में उनका नेत्रदान किया। मानवता की सेवा में यह एक अतुलनीय भेंट है। समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री भारत मेहंदीरत्ता 9818698601

सोच वही, जिसमें हो भलाई !

श्री सुरेंद्र कपूर

श्री सुरेंद्र कपूर का 75 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह विकासपुरी, दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में चर्चा हुई। वे डी एल एफ से रिटायर हुए थे। उनकी सोच हमेशा यही रही कि वह काम जरुर करना चाहिए जिससे किसी का भला हो सके। उनकी इसी सोच को ध्यान में रखते हुए परिवार ने 17 मार्च को मरणोपरांत उनके नेत्रदान का निर्णय लिया। मानवता की सेवा में यह एक प्रेरक उदाहरण है। परिवार जनों का साधुवाद। स्व.कपूर ने निश्चिंत व मस्त जीवन बिताया। उन्हें कभी किसी से कोई शिकायत या अपेक्षा नहीं रही। संतोषी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनके जीवन में किसी प्रकार के वहम या दुविधा का कोई स्थान नहीं था। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है ।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री राजीव कपूर 98914 1006 6

एक प्रेरक उदाहरण

श्रीमती सरला सेठी

श्रीमती सरला सेठी का 60 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वह मोती नगर, दिल्ली में रहती थीं। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में बात हुई। वह एक घरेलू व परिवार को समर्पित महिला थीं। 17 मार्च को स्व.सरला के नेत्रदान का क्रियान्वयन करके परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन। गुरु नानक ऑय सेंटर की टीम उनके नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री राजन 92100 70832

छात्रों को लिए एक अमूल्य भेंट

श्री चंद्र प्रकाश दाहरा

श्री चंद्र प्रकाश दाहरा का 87 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह फरीदाबाद में रहते थे। उनके पुत्र से उनके विषय में विस्तृत चर्चा हुई। परिवार समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय है। स्व.चंद्र प्रकाश रोटरी ब्लड बैंक के ट्रस्टी थे। 15 साल उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। व्यवसाय बहुत अच्छा चलता था। समाज सेवा के क्षेत्र में उन्हें सम्मानित भी किया गया। परिचित व प्रतिष्ठित स्थान था उनका सेवा के क्षेत्र में। 15 साल पहले से ही उन्होंने अपने नेत्रदान व देहदान की इच्छा परिवार में बताई हुई थी। परिवार ने उनकी इसी इच्छा का सम्मान करते हुए 18 मार्च को मरणोपरांत ई एस आई फरीदाबाद में उनके पार्थिव शरीर का दान किया, जो मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए एक अमूल्य भेंट है। मां अमृतानंदमयी मैडिकल कॉलेज की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री समीर दाहरा 9811085917

महादानी को प्रणाम

श्री गुरदीप सिंह होरा

श्री गुरदीप सिंह होरा का 82 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह जनपथ लेन, दिल्ली में रहते थे। परिवार जनों ने चिकित्सा जगत की सेवा में उनका पार्थिव शरीर दान किया। 18 मार्च को आर्मी मेडिकल कॉलेज ने अपने छात्रों की पढ़ाई के लिए स्व.गुरदीप सिंह का देहदान सम्मान सहित स्वीकार किया। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश्वर से विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : दामाद , श्री विक्रम 981057 6929

नेत्रदान से जनकल्याण

श्री अशोक कुमार अनेजा

श्री अशोक कुमार अनेजा का 70 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वह पश्चिम विहार के निवासी थे। गुरु नानक ऑई सेंटर की टीम 19 मार्च को स्व.अनेजा के नेत्र दान में लेकर गई। नेत्रदान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री धीरज अनेजा 981052 9915

मानवता की सेवा में समर्पित जिंदगी

श्री ओम प्रकाश अरोड़ा

श्री ओम प्रकाश अरोड़ा का 98 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे अशोक विहार के निवासी थे। परिवार जनों ने उनका पार्थिव शरीर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया। 23 मार्च को मरणोपरांत, गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में किए गए इस पुण्य कार्य के लिए परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्री, सुश्री रेनू वाधवा 9999 5050 18

जाते-जाते जन कल्याण

श्रीमती सीता देवी

श्रीमती सीता देवी का 86 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह त्रिनगर, दिल्ली में रहती थीं। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में बात हुई। स्व सीता देवी एक धार्मिक महिला थीं। वे गुरुद्वारे व मंदिर जाती रहती थीं। परिवार की उन्होंने अच्छी देखभाल की। 24 मार्च को परिवार जनों ने स्व.सीता देवी के नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। ई एस आई फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री सतीश आनंद 9899 628095

दूसरों की सेवा में...

श्रीमती महेंद्री देवी जैन

श्रीमती महेंद्री देवी जैन का 84 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे जागृति एन्क्लेव, दिल्ली में रहती थीं। उनके पुत्र से पता चला कि वे हमेशा कहती थीं कि आंखों का तो दान होना ही चाहिए। उन्होंने स्वयं को अपनी गृहस्थी तक सीमित रखा हुआ था। पारिवारिक तालमेल बहुत अच्छा था। 27 मार्च को उनके मरणोपरांत परिवार ने नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र,श्री विजेंद्र जैन 9810245005

सादगीपूर्ण जिंदगी और जनसेवा

श्रीमती सुषमा सपड़ा

श्रीमती सुषमा सपड़ा का 69 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे पश्चिम विहार में रहती थीं। उनके पति ने उनके विषय में विस्तृत चर्चा की। स्व.सुषमा प्रतीक स्पेशल स्कूल मुंडका से जुड़ी हुई थीं। स्पेशली चैलेंज्ड बच्चों के लिए उन्होंने अपनी सेवाएं निरंतरता से दी। वनवासी रक्षा परिवार फाउन्डेशन के लिए भी उनका सहयोग बना रहता था। धार्मिक विचारों की थीं। उन्होंने अपना पूरा परिवार जोड़ कर रखा हुआ था। अपना जीवन सादगीपूर्ण था। किसी से कोई शिकायत नहीं रहती थी ।कभी किसी से नाराज भी नहीं हुई। 28 मार्च को परिवार जनों ने स्व.सुषमा के नेत्र ईएसआई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद के नेत्र बैंक में दान किए। मानवता की सेवा में किए गए इस प्रेरक कार्य के लिए परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में समिति परिवार की विनम्र प्रार्थना।

संपर्क सूत्र : पति, श्री राजकुमार सपड़ा 9810132160

नेत्रदान से समाजसेवा

श्री नरेंद्र कुमार

श्री नरेंद्र कुमार का 65 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे करावल नगर में रहते थे। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए उनका पार्थिव शरीर दान किया गया। 30 मार्च को भाई वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज ने सम्मान पूर्वक यह दान स्वीकार किया। निकट संबंधियों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : मित्र, श्री श्याम बिहारी मित्तल 981031 0285

समाज के लिए अतुलनीय दान

श्री सुरेश चंद्र माहेश्वरी

श्री सुरेश चंद्र माहेश्वरी का 86 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वह अशोका निकेतन, दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में लिखित जानकारी भेजी है -

"A banker by profession, Suresh Chandra Maheshwari was a literary scholar, voracious reader, avid writer, and devout activist, with a hunger for learning and a passion for excelling.

Hailing from New Delhi, the oldest son of 5 siblings, he graduated from Hindu College, Delhi and earned his law degree from Agra University and further went on to work in prestigious banks till he retired. He decided just shy of 40 years ago, to donate his eyes, organs, and body, to serve a greater purpose he believed in - science.

A devoted adherent of Lord Shiva and his principles, he dedicated his life to the pursuit of knowledge and excellence. With many books, laurels, prizes and awards to his name, he actively published articles in leading English daily’s and advocated for the right to euthanasia.

A man who “threatened to be popular with [his] unpopular and unconventional ideas”, Suresh Chandra Maheshwari is remembered first and foremost as a loving grandfather, father, husband, and brother, who left the world better than he found it, at the age of 86."

उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार जनों ने उनका पार्थिव शरीर 1 अप्रैल को यू सी एम एस,गुरु तेग बहादुर अस्पताल में दान किया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अतुलनीय दान है। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित स्व.माहेश्वरी के नेत्र दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में किए गए इस पुण्य कार्य के लिए परिवार काअभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री राहुल माहेश्वरी 880025547 7

मानवता की सेवा में

श्री आनंद मोहन माथुर

श्री आनंद मोहन माथुर का 77 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे जनकपुरी में रहते थे। 3 अप्रैल को परिवार जनों ने सफदरजंग के त्वचा बैंक में,जले मरीजों के उपचार के लिए, उनकी त्वचा का दान किया। गुरु नानक आई बैंक की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में किए गए इस पुण्य कार्य के लिए परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश्वर से विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री मुंजीश माथुर 9899454085

जिएं तो जिएं ऐसे!

श्री सुरेंद्र जैन

श्री सुरेंद्र जैन का 57 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे बुद्ध विहार,दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में अपनी भावनाएं लिखकर भेजी है -

" नमन है पावन चरणों में ...

जिंदगी की डोर के एक छोर का नाम है जीवन और दूसरे छोर का नाम है मृत्यु। हम बुद्ध विहार में रहते थे। मेरे पिताजी वजीरपुर में काम करते थे। उनका स्वास्थ्य कुछ अच्छा नहीं रहता था। दिल्ली के एक प्रसिद्ध डॉक्टर श्री संजय जैन से उनका इलाज चला। बहुत इलाज के बाद भी मैं अपने पिता को बचा नहीं पाया। वह समय भी आया, जिस पिता ने मेरे लालन पालन, अच्छे भरण पोषण के लिए जी तोड़ प्रयत्न किया था,उसी अपने अच्छे पिता की छत्रछाया से मैं वंचित हो गया। सभी को सहयोग देने वाले मेरे अच्छे पापा की देह, आज मेडिकल कॉलेज में दान की गई और अनेकों विद्यार्थी उससे कुछ सीखेंगे, इस बात का चिंतन कर मेरा माथा गर्व से ऊंचा हो जाता है।

स्व.सुरेंद्र जैन जी की तीन सुपुत्रियों ने महासाध्वी, जैन भारती श्री सुशील कुमारी जी महाराज के चरणों में जिन दीक्षा ली है। तीन साध्वियों के सांसारिक पिता होने का सौभाग्य उन्हें अपने जीवन काल में मिला। वे एक वीर पिता थे। धर्मध्यान करने वाले, विनम्र स्वभाव के देव - गुरु - धर्म निष्ठावान श्रावक थे। अंतिम समय में उन्हें संत दर्शन एवं मंगल पाठ का लाभ मिला। बीमारी की अवस्था में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती उषा व पुत्र अर्चित जैन ने समर्पित मन से उनकी सेवा की। उनके भ्राताओं ने भी बहुत आत्मीयता से सहयोग दिया।

मेरे पापा देह से मेरे साथ न भी हो तो भी उनका प्यार, संस्कार सदा मेरे साथ है। 4 अप्रैल 2024 का वह दिन मेरी स्मृति में सदा तरोताज़ा बना रहेगा। उनके पावन चरणों में मेरा तथा मेरी पूज्य माता का श्रद्धापूर्वक नमन। "

4 अप्रैल को परिवार जनों ने स्व.सुरेंद्र का पार्थिव शरीर हिंदू राव अस्पताल में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान किया। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अर्चित जैन 8178216947

देहदान और त्वचादान भी !

श्रीमती कमलेश जैन

श्रीमती कमलेश जैन का 83 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे राणा प्रताप बाग में रहती थीं। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में लंबी बात हुई। सामाजिक जीवन में उनकी सक्रियता थी। अपने क्षेत्र में महिला मंडल की सेक्रेटरी रहीं। दान करने में हमेशा सबसे आगे। भरा पूरा परिवार है। विदेश घूमने का शौक था। बच्चों ने भी उनकी हर इच्छा पूरी की। पार्क में घूमने जाती थीं ।वहीं से सुना कि मरने के बाद भी शरीर काम आ जाता है। बस अपनी यही दान की इच्छा बच्चों को बता दी। पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था ।

4 अप्रैल को परिवारजनों ने स्व.कमलेश जैन का पार्थिव शरीर वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज सफदरजंग के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए दान किया। उनकी त्वचा का भी दान सफदरजंग अस्पताल के त्वचा बैंक में किया गया। मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र,श्री राकेश जैन 98100 23763

देहदान से मानव सेवा

श्री सुरेश चंद सूद

श्री सुरेश चंद सूद का 90 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे राजौरी गार्डन में रहते थे। उनकी पुत्रवधू ने उनके विषय में एक लिखित संदेश भेजा है -

" श्री सुरेश चंद्र सूद का जन्म हिमाचल प्रदेश के रूडी गांव में हुआ था। उनका व्यक्तित्व बहुत रौबदार था। उन्हें हर कार्य समय पर करने की आदत थी। वे हमेशा दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। हमारे दादाजी वोल्टास कंपनी में मैनेजर रिटायर हुए थे। उन्हें अपनी कंपनी से बहुत शोहरत प्राप्त हुई थी। हमें प्रेरणा मिलती है कि मानव सेवा करनी चाहिए। उन्होंने अपनी मृत्यु के बाद देहदान करके सबसे बड़ी मानव सेवा की है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। "

4 अप्रैल को उनका पार्थिव शरीर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। गुरु नानक ऑय सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधू, श्रीमती पूनम सूद 931266 08

समाज को समर्पित एक संस्कारी व्यक्तित्व

श्रीमती ऊषा गुप्ता

श्रीमती ऊषा गुप्ता का 73 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे लाजपत नगर, दिल्ली की निवासी थीं। उनका परिवार आर एस एस के प्रति समर्पित परिवार है। सेवा भारती के सेवा कार्यों में अखिल भारतीय स्तर पर स्व.उषा के पति अपने दायित्व निभा रहे थे। उन सभी कार्यों में इन्होंने बहुत लगन व सच्चाई के साथ सहयोग किया। सेवा बस्ती की बहन बेटियों को मानसिक संबल देना हो या पारिवारिक परामर्श, सभी के लिए वे तत्पर रहती थीं। अपने गुणों व अपनी जीवन शैली के अनुरूप ही अपने दोनों बेटों को संस्कारी व्यक्तित्व वाला बनाया। मृत्यु से पहले एक लंबी बीमारी से भी वे जीवंतता से मुकाबला करती रहीं।

समाज को समर्पित एक संस्कारी व्यक्तित्व 4 अप्रैल को अपनी जीवन यात्रा पूर्ण कर गया। परिवार जनों ने उनके परोपकारी जीवन यापन के अनुरूप ही उनकी त्वचा व नेत्रों का दान मानव सेवार्थ निष्पादन कराया। परिवार का साधुवाद। सफदरजंग के त्वचा बैंक ने जले मरीजों के उपचार के लिए उनकी त्वचा का दान स्वीकार किया। ई एस आई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद के नेत्र बैंक ने सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लिए। दिवंगत आत्मा के प्रति समिति परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री दमन गुप्ता 9810775677

संकल्प का सम्मान

श्री चंद्र प्रकाश कालरा

श्री चंद्र प्रकाश कालरा का 83 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह विकासपुरी में रहते थे। 17 अप्रैल को उनकी मृत्यु के पश्चात परिवार जनों ने उनकी त्वचा का दान एम्स के त्वचा बैंक में किया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में किए गए इस पुण्य कार्य के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : दामाद, श्री रंजन चंडोक 9811627 2 8 2

सामाजिक सेवा ही ध्येय

श्री राजिंदर पाल सिंह

श्री राजिंदर पाल सिंह का 75 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे तिलक नगर में रहते थे। उनकी पुत्रवधू ने उनके विषय में बहुत आदर पूर्वक बातें की। परिवार में सबसे बड़े थे। अपने सब भाई बहनों की अच्छी देखभाल की। 2010 में अस्वस्थ हुए। एक महीना वेंटिलेटर पर रहे। जब स्वस्थ हो गए तो प्रबल इच्छाशक्ति के कारण सामाजिक कार्यों में बहुत सक्रिय हो गए ।

अंतिम समय तक मंगलवार गुरुद्वारे के प्रेसिडेंट थे। उनका व्यवहार सबके साथ में स्नेह पूर्ण था। अंतिम समय में उनकी शारीरिक स्थिति ऐसी थी कि केवल त्वचा दान ही संभव हो सका। जले हुए रोगियों के उपचार में त्वचा की बहुत आवश्यकता रहती है। सफदरजंग अस्पताल के त्वचा बैंक ने आदर पूर्वक उनकी त्वचा का दान स्वीकार किया। परिवार जनों का अभिवादन समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधू,श्रीमती तरविंदर कौर 98 71260349

मानवता की सेवा का अनुपम उदाहरण

श्रीमती कृष्णावंती

श्रीमती कृष्णावंती का 72 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह पहाड़गंज, दिल्ली की निवासी थीं। उनके पुत्रों से फोन पर उनके विषय में बात हुई। उनका स्वयं का जीवन संघर्षमय रहा। एक धार्मिक घरेलू महिला थीं। उनके पुत्र ने बहुत गर्व से बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को समाज सेवा के कार्यों को करने से कभी नहीं रोका।

25 अप्रैल को परिवार जनों ने मरणोपरांत स्व.कृष्णावंती के नेत्र दान करा के मानवता की सेवा का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र,श्री अरुण 88269 90 338

एक आदर्श जिंदगी !

श्री आनंद कुमार अग्रवाल

श्री आनंद कुमार अग्रवाल का 82 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे केशव पुरम, दिल्ली के निवासी थे। उनकी पुत्रवधू ने स्व.आनंद कुमार की उपलब्धियां व उनके विचार निम्न शब्दों में लिखकर भेजे हैं-

"देहदानी डॉ आनंद कुमार अग्रवाल जी का नाम देश और दुनिया के शिक्षाविदों और कलाविदो के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है। श्रद्धेय डॉ अग्रवाल 38 वर्षों से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अवन्तिका नामक संस्था का संचालन कर रहे थे। डॉ. अग्रवाल जी श्री बांके बिहारी के अनन्य भक्त, अवन्तिका के अनुपम पुजारी और देश के पहले डी.लिट.चित्रकार, ललित कला अकादमी के पूर्व सदस्य, संगीत कला और साहित्य साधकों के उत्थान हेतु अहर्निश चिंतन करने वाले, कमजोर से कमजोर छात्र-छात्राओं के अंदर छिपी प्रतिभा को आगे लाने के लिए हर समय उत्सुक रहते थे। डॉ. अग्रवाल अत्यंत ही मिलनसार व्यक्ति थे। जीवन के अंतिम क्षणों में उन्होंने यह निश्चय कर लिया था कि मरणोपरान्त मेरा शरीर मेडिकल में दान कर दिया जाए। यह उनके शब्द थे कि पूरा जीवन मैं देश के लिए कार्य करता रहा और मैं चाहता हूं कि यह मेरा शरीर भी देश के काम आए। जिससे कि मेडिकल के बच्चे परीक्षण कर एक अच्छे डॉक्टर बन पाएं।

जीवन में दान के महत्व को सब जानते हैं इस जन्म में किए दान से हम वर्तमान और भविष्य को सुधारते हैं। एक और महादान है- “देहदान” शरीर, अंग और त्वचा दान कर उन्होंने समाज में एक मिसाल कायम की है। उनका मानना है कि मृत्यु के उपरान्त सारा शरीर फिर से जीवित होकर किसी प्भी व्यक्ति के शरीर में लगाया जा सकता है। डॉ. अग्रवाल जी की इस अंतिम इच्छा को उनके बच्चों ने भी पूर्ण किया। धन्य हैं वो बच्चे जिन्होंने मरणोपरान्त अपने पिता की देह को दधीचि देहदान समिति को दान किया। डॉ. अग्रवाल चाहते थे कि हम सबको इस समाज को अंतिम उपहार में अपने शरीर को दान करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।

वह अक्सर कहते थे, “मेरा मानना है कि परमात्मा के विशेष आशीर्वाद के बाद ही इस महादान की भावना पैदा होती है। मैनें स्वयं अपनी देहदान कर रखी है आप भी करें।”

5 अप्रैल को स्व.आनंद कुमार की त्वचा का दान एम्स में जले हुए रोगियों के उपचार के लिए किया गया। उनका पार्थिव शरीर एम्स में चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए दान किया गया। परिवार में मानवता की सेवा में यह एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा को हम सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधू,श्रीमती रजनी अग्रवाल 9953776958

परोपकार से पुण्य तक

श्री छगनलाल बोथरा

श्री छगनलाल बोथरा का 64 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह शास्त्री नगर में रहते थे। 27 अप्रैल को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। गुरु नानक आ­ई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश्वर के चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र :पुत्र, श्री अमित 9555451 574

संस्कार में सेवाभाव

श्री अशोक कुमार जैन

श्री अशोक कुमार जैन का 75 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे शालीमार बाग, दिल्ली के निवासी थे। उनके दामाद ने आदर पूर्वक उन्हें याद करते हुए लिखा है-

 " स्व.अशोक कुमार जैन सेवाभावी और लोगों की मदद करने वाले इंसान थे। सादा जीवन, उच्च विचार उनके जीवन का मूल मंत्र था। उन्होंने 60 वर्ष की आयु तक प्राइवेट नौकरी की। 15 साल से सामाजिक और धार्मिक कार्यों में सक्रिय थे। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती प्रेमलता जैन ने भी देहदान का संकल्प लिया है। "

उनकी एक बेटी और दामाद है। स्व.जैन का देहदान होने से परिवार में और लोगों ने भी प्रेरणा ली है। 4 मई को स्व.जैन का पार्थिव शरीर एम्स में छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। एम्स के त्वचा बैंक ने जले हुए रोगियों के उपचार के लिए उनकी त्वचा का दान स्वीकार किया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित स्व.अशोक जैन के नेत्र दान में लेकर गई। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

 संपर्क सूत्र: दामाद ,श्री विपुल जैन 8766214456

समाज के लिए प्रेरक उदाहरण

श्रीमती संपाति देवी

श्रीमती संपाति देवी का 96 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे फरीदाबाद में रहती थीं। उनके पुत्र से फोन पर लंबी बात हुई। सन् 2000 से उन्होंने अपने पति के साथ वानप्रस्थ आश्रम, हरिद्वार में रहना शुरू किया था। स्वास्थ्य कारणों से, 4 वर्ष पूर्व उनके पुत्र उन्हें अपने पास फरीदाबाद ले आए थे। उनकी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी, पर गुणों में कहीं कमतर नहीं आंका जा सकता। 50 लोगों के संयुक्त परिवार को उन्होंने स्नेहपूर्वक संभाला। उन्हें कभी क्रोध नहीं आया। स्वभाव सौम्य था ।

स्व.संपाति देवी के पति ने उनके नेत्रदान व त्वचा दान की इच्छा प्रकट की, जिसे परिवार जनों ने सहज ही क्रियान्वित किया। समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का अभिवादन। 4 मई को मरणोपरांत उनके नेत्र ई एस आई सी ,फरीदाबाद व त्वचा एम्स, दिल्ली में दान की गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार ईश्वर के चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री जय किशन गुप्ता 9810173441

समाज को एक अनुपम भेंट

श्रीमती कन्नू कपूर

श्रीमती कन्नू कपूर का 9 मई को देहांत हुआ। वे रोहिणी में रहती थीं। उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। उनकी त्वचा ,एम्स में जले हुए मरीजों के उपचार के लिए दान की गई। मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद के चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए उनका पार्थिव शरीर एक अनुपम भेंट है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र उपलब्ध नहीं ।

जिंदगी के बाद भी शिक्षक का सम्मान

श्री लक्ष्मी नारायण

श्री लक्ष्मी नारायण का 71 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे गुरुग्राम में रहते थे। फोन पर उनकी पत्नी से लंबी बात हुई। स्व.लक्ष्मी नारायण आईआईटी कानपुर के विद्यार्थी थे। गणित के प्रोफेसर बने। पढ़ाई का बहुत शौक था। विदेश में भी शिक्षक के नाते जाना हुआ। शांत व्यक्तित्व था। अपना घूमने का शौक भी पूरा कर लेते थे। जन ज्ञान पत्रिका में देहदान के विषय में पड़ा और संकल्प ले लिया। दोनों बेटियों ने इस विषय में सहमति बनाने में काफी समय लिया। पति-पत्नी दृढ़ संकल्प वाले थे ,इन्होंने धैर्य पूर्वक बच्चों की सहमति की प्रतीक्षा की। 9 मई को स्व.लक्ष्मी नारायण का पार्थिव शरीर वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। जीवन काल में भी शिक्षक रहे और मरणोपरांत भी शरीर क्रिया विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों में 'प्रथम मूक गुरु' का सम्मान प्राप्त कर रहे हैं। समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र: पत्नी ,श्रीमती उषा गुप्ता 8585956609

...और अब प्रथम मूक गुरु का सम्मान !

सुश्री विद्या डाटा

सुश्री विद्या डाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे मॉडल टाउन, रेवाड़ी (हरियाणा) की निवासी थीं। उनके भतीजे से फोन पर उनके विषय में बात हुई। स्व.विद्या स्वयं कॉलेज में पढ़ाती थीं। पोलियो होने के कारण वे अविवाहित रहीं। इनका परिवार स्वतंत्रता सेनानियों का परिवार है। स्व.विद्या सबसे फोन पर संपर्क रखती थीं। उनकी जीवन शैली व विचार दोनों ही सात्विक थे। उन्होंने स्वयं से देहदान का संकल्प लिया हुआ था। उनके संकल्प का सम्मान करते हुए परिवार ने मां अमृतानंदमई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद के छात्रों की पढ़ाई के लिए उनका पार्थिव शरीर दान किया। जीवन भर शिक्षक रहा यह व्यक्तित्व मरणोपरांत भी चिकित्सा जगत में प्रथम मूक गुरु का सम्मान प्राप्त कर रहा है। स्व.विद्या के संकल्प का सम्मान करके परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा के प्रति समिति परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र: भतीजा, श्री हर्षवर्धन 98122 99000

मानवता की सेवा का प्रेरक उदाहरण

श्री जोगिंदर लाल मरवाहा

श्री जोगिंदर लाल मरवाहा का 70 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे पश्चिम विहार में रहते थे। उनकी पत्नी ने उनके विषय में कुछ शब्द लिखकर भेजे हैं-

 " Thanks to dhadan semti to fulfill his wish to donate his body. He was very keen to listen to gurbani and same times speak about it spontaneously his favorite line was -Jo Aya so chalsi sab ke aye variye. Thanks!"

 13 मई को स्व.जोगिंदर का पार्थिव शरीर आर्मी मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। स्व.मरवाहा के नेत्र ,गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। समाज में मानवता की सेवा का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है।

 संपर्क सूत्र :पत्नी ,श्रीमती अनीता मरवाहा 9810 9130 30

लोग प्रेरणा लेते रहेंगे

श्रीमती ज्योति भरताकुर

श्रीमती ज्योति भरताकुर का 89 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे गुरुग्राम के प्रेम आश्रम में रहती थीं। 19 मई को मरणोपरांत उनके नेत्र ईएसआईसी, फरीदाबाद के नेत्र बैंक में दान किए गए और आर्मी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए उनका पार्थिव शरीर दान किया गया। मानवता की सेवा में यह एक प्रेरणास्पद कार्य है। समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है।

 संपर्क सूत्र उपलब्ध नहीं ।

हम सबके लिए प्रेरक दान

श्री धनीराम

श्री धनीराम का 72 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे स्वर्ग वृद्ध आश्रम, पश्चिम विहार में रहते थे ।आश्रम व्यवस्थापकों ने उनका ,17 मई को मरणोपरांत पार्थिव शरीर, यू सी एम एस ,जी टी बी अस्पताल में दान किया। उनके नेत्र, गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में किए गए इस प्रेरक दान के क्रियान्वयन के लिए आश्रमवासियों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को समिति परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र : श्री तारकेश्वर 9211965986

 जब दिल में हो सहायता का भाव

श्रीमती ललिता राव

श्रीमती ललिता राव का 91 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे ग्रीन पार्क, दिल्ली में रहती थीं। उनके पुत्र ने भावपूर्ण शब्दों में उनके विषय में लिखकर भेजा है-

 " Smt. S. Lalitha Rao was born in 1933 in Cuddalore, a town in the Madras state (now Chennai). Her father, a doctor, treated patients at home, which instilled in her a deep compassion for the sick and needy from an early age.

She began her education at a government school and later attended Stella Maris College in Chennai. However, before she could complete her graduation, she was married off in 1950 and moved to Delhi.

Despite her early marriage, Lalitha Rao always regretted not finishing her studies. In the 1960s, when distance education and correspondence courses became available, she, with the encouragement of her husband, completed her graduation after having two children—me her son and daughter. She was the first woman in her extended family to achieve this distinction.

Lalitha Rao was content as a homemaker and dedicated her time to social work through organizations like Andhra Vanita Mandali. She was also renowned for her culinary skills. Also had a special interest in kitchen garden activities.

After fulfilling her familial responsibilities, she started offering home tuitions later in life, which she thoroughly enjoyed. Lalitha Rao expressed to her grandson who was pursuing a medical degree ,the desire to donate her body . She urged him to obtain the necessary forms, but he did not take it seriously at first. Later, when he joined Safdarjung Hospital as a Junior Resident, she continued to remind him to complete the formalities for body donation.Her grandson found the process cumbersome in 2013 and did not pursue it. Lalitha Rao also shared her wish with her daughter. Honoring her wishes, the family decided to donate her body for the betterment of humanity, despite being an orthodox family.

Special thanks go to our family doctor, Dr. S.V. Madhu, and his wife, Sunita, who played a crucial role in fulfilling Lalitha Rao’s wishes. We also express our gratitude to the members of Dadhichi Deh Dan Samiti for organizing the process with speed and efficiency."

 19 मई को स्व.ललिता का पार्थिव शरीर ई एस आई सी, अलवर में चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान किया गया। परिवार ने चिकित्सा जगत की सेवा में एक अनुपम भेंट देकर समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र ,श्री सतीश राव 981 869 90 8 0

परोपकार की भावना से ओत-प्रोत

श्री अनिल गोगिया

श्री अनिल गोगिया का 70 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। उनकी बेटी ने उनके प्रति अपनी आदरपूर्ण भावनाएं अपने शब्दों में व्यक्त की है-

"Mr Anil Gogiya -the most remarkable man ,most sincere husband and a doting father.

Those who knew him closely, would agree with me when I say that he was an epitome of confidence. He had immense will power and discipline. No matter how he was feeling ,he would always be calm and Happy. He loved his work as much as he loved being with his family. He was and always will be an idol for his son, me and grandchildren. I wish he could impart his qualities in my kids a little more . He quietly slipped out of life but his fame will live ever more and I pray his soul will be in the best place now. We all love you papa and will miss you forever."

 20 मई को स्व.अनिल की त्वचा, सफदरजंग अस्पताल के त्वचा बैंक की टीम सादर दान में लेकर गई। जले हुए मरीजों के उपचार के लिए यह एक अमूल्य दान है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

 संपर्क सूत्र: पुत्री, श्रीमती रितिका 9560 162614

आस्था का एक रूप यह भी

श्रीमती शांति देवी

श्रीमती शांति देवी का 90 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे भोलानाथ नगर, शाहदरा की निवासी थीं। उनके पुत्र से उनके विषय में बात हुई। इनका पूरा परिवार आनंदपुर साहिब में श्रद्धा रखता है। स्व.शांति देवी एक धार्मिक महिला थीं। वे नियमित मंदिर जाती थीं। मृत्यु होने पर किसी परिवारजन ने नेत्रदान करवाने का सुझाव दिया। इस विषय पर सब की सहमति बनी ।

परिवार जनों ने इस महादान का निर्णय लेकर मानवता की सेवा में एक अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है ।परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

 संपर्क सूत्र: पुत्र ,श्री सुभाष 9312578956

परमार्थ जिनकी भक्ति थी

श्रीमती उषा बांगिया

श्रीमती उषा बांगिया का 80 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे फरीदाबाद में रहती थीं। उनकी बेटी ने बहुत सुंदर शब्दों में अपनी भावनाएं व्यक्त की है-

स्व.उषा का पार्थिव शरीर,श्रीनगर के एस के आई एम एस मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों में 'प्रथम मूक गुरु 'के रूप में सम्मान प्राप्त कर रहा है। 25 मई को परिवार जनों ने स्व.उषा के देहदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम विनम्र प्रार्थना करते हैं।

 संपर्क सूत्र : पुत्री, श्रीमती सुनीता चौधरी 78380 28505

करुणा के लिए याद आते रहेंगे

श्रीमती चांद नांगिया

श्रीमती चांद नांगिया का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे कीर्ति नगर में निवास करती थीं। उनके पुत्र ने फोन पर उनकी स्मृतियों को साझा किया। स्वर्गीय नांगिया बच्चों से अत्यधिक स्नेह करती थीं और उनका जीवन सादगी और प्रेम का प्रतिरूप था। सुबह और शाम के कीर्तन और पूजा-पाठ उनके दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। उनके पड़ोसी और परिचित भी उनकी इस धार्मिक प्रवृत्ति और मददगार स्वभाव के प्रशंसक थे।

उन्होंने अपने जीवनकाल में ही परिवार के समक्ष यह इच्छा व्यक्त की थी कि उनके निधन के बाद उनके शरीर का जो भी अंग उपयोगी हो, उसे दान कर दिया जाए। परिवार ने उनकी इस अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए 30 मई को उनके नेत्र ईएसआईसी, फरीदाबाद के नेत्र बैंक में दान किए। मानवता की सेवा में यह एक अनुपम योगदान है। इसके अलावा, वे हमेशा समाजसेवा में अग्रणी रहीं, और उन्होंने कई निर्धन परिवारों की मदद की।

उनकी उदारता और करुणा के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा। परिवार का अभिनंदन। समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री प्रवीण नांगिया, 9871717900

जनकल्याण का अनुकरणीय उदाहरण

श्री जगमंदर दास गर्ग

श्री जगमंदर दास गर्ग का 90 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे त्रिनगर, दिल्ली के निवासी थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-" मेरे बाउजी बड़े सरल,सामाजिक एवं सीधे स्वभाव के व्यक्ति थे।अपने गांव नाहरा, हरियाणा में सबसे अधिक शिक्षा ग्रहण करने वाले,तीस हजारी कोर्ट में नौकरी होने की वजह से सभी गांव वालों के वकील साहब कहकर पुकारते थे। हम 6 बहन भाई सभी उनको बाऊजी कहकर बुलाते थे।

दिल्ली आने के बाद उन्होंने अपने आपको भारतीय योग संस्थान को समर्पित कर दिया। त्रिनगर की वर्धमान वाटिका में बाऊजी ने कई वर्ष तक योग की कक्षा में शिक्षक की भूमिका निभाई। माताजी और बाऊजी दोनों राधा स्वामी सत्संग ब्यास से भी जुड़े हुए थे।उसी से प्रेरित होकर उन्होंने अपने घर पर ही सत्संग भवन का निर्माण कराया। सत्संग से ही दोनों को देहदान की प्रेरणा मिली। माताजी का देहदान भी बाऊजी की सहमति से 14 अक्तूबर, 2018 को दधीचि देहदान समिति के सानिध्य में हुआ। माताजी के देहदान के बाद अब बाऊजी के देहांत के बाद उनकी इच्छा के अनुसार उनका भी देहदान दधीचि देहदान समिति के सानिध्य में 30 मई , 2024 को संपूर्ण हुआ। "

 30 मई को स्व.जगमंदर का पार्थिव शरीर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र: पुत्र ,श्री नरेश गर्ग 9212 192011