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दधीचि कथा संवाद


जो करे अंगदान, वे नए युग के दधीचि-  स्मृति ईरानी

दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर के प्रांगण में दिनांक 23 नवम्बर, 2021 को दधीचि कथा का आयोजन देहदानी स्व. मांगे राम गर्ग जी के जन्म जयंती पर आयोजित हुआ।
स्व. मांगे राम जी जीते जी महर्षि की तरह समाज के कार्यों में लगे रहे और मानवता के कल्याण के लिए उन्होंने मरणोपरांत अपने देहदान का संकल्प भी लिया था। उनके विचारों और आदर्शों को दर्शाते हुए एक वीडियो भी दिखाया गया, जिसके माध्यम से सभा में बैठे हर एक व्यक्ति ने मांगे राम गर्ग जी के जीवन के बहुत से पहलुओं को जाना और समझा।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्वलन से हुआ। मंच का संचालन, समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष कुमार मल्होत्रा जी ने किया। यह भव्य आयोजन दधीचि देहदान समिति और श्री मांगे राम गर्ग चैरिटेबल सोसाइटी के माध्यम से हुआ। कार्यक्रम में आए गणमान्य व्यक्तियों का सम्मान गर्ग जी के परिवार और समिति के विशिष्ट बंधुओं द्वारा किया गया। कथावाचक परम श्रद्धेय श्री अजय भाई जी को व्यास गद्दी पर विराजमान होने का आमंत्रण और फूलमाला एवं अंगवस्त्र से उनके स्वागत के साथ कथा का आरम्भ हुआ।
भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने सभी को सुंदर और नेक कार्यक्रम की बधाई दी। उन्होंने श्री मांगे राम गर्ग जी को एक प्रखर समाजसेवी, धर्मयात्रा महासंघ का संस्थापक और एक ऐसा चरित्र बताया, जिन्होंने सबको यह सिखाया कि धर्म और समाज का उत्थान कैसे हो। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि अगली पीढ़ी इसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, "मांगे राम जी के जीवन से अगर हम कुछ सीख लें तो हमारा जीवन सफल हो सकता है।"
समिति के कार्यों का उल्लेख करते हुए आदेश जी ने कहा कि, "समिति ने परमार्थ का रास्ता हम सबको दिखलाया है।"

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत कार्यवाहक श्री दयानंद जी की धर्मपत्नी का भी देहदान, समिति के माध्यम से हुआ था। दयानंद जी ने आलोक जी द्वारा संस्थापित समिति के कार्य को बहुत महत्वपूर्ण बताया और कहा कि "जब तक मेडिकल पढ़ने वाले बच्चों को देह के द्वारा व्यावहारिक ज्ञान नहीं मिलेगा उनकी पढ़ाई अधूरी है।"
दयानंद जी ने अपने संबोधन में मांगे राम गर्ग जी की स्वच्छ छवि पर बोलते हुए कहा कि “राजनैतिक क्षेत्र में बहुत फिसलन होती है, किन्तु श्री मांगे राम गर्ग जी हमेशा ईमानदारी से अपने कार्यों में लगे रहते थे।"
समिति के ही माध्यम से एम्स में पहला अंगदान, वीरभान जी का 77 वर्ष की आयु में उनके निधन पर हुआ था। उनकी धर्मपत्नी और पुत्री ने व्यासगद्दी पर विराजमान अजय भाई जी का मुकुट और पटके के साथ सम्मान किया। मंत्रमुग्ध करने वाले राष्ट्र गीतों और भजनों के आवरण में महर्षि दधीचि की कथा का मंचन किया गया। अजय भाई जी ने कहा "कार्यक्रम की सफलता का मापदंड उसकी भव्यता नहीं, बल्कि यहां से कितने व्यक्ति दधीचि का संकल्प कर के गए, इससे आंकी जानी चाहिए।”
अजय भाई जी द्वारा यह चौथी दधीचि कथा थी। बेहद सम्मोहित करनेवाली कथा। महर्षि दधीचि, जिन्होंने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी अस्थियों का दान दिया, ताकि उससे बनाये वज्र से वृत्रासुर नामक असुर का नाश किया जा सके। संगीतमय दधीचि कथा में श्री अजय भाई जी ने दान की महिमा, राष्ट्र के प्रति हर एक की जिम्मेवारी और समिति के कार्यों को एक धागे में पिरोकर प्रस्तुत किया। इस बार कथा को नवीनीकरण के साथ प्रस्तुत किया गया। समिति के माध्यम से जिनका देहदान- अंगदान - नेत्रदान हुआ, उनके बारे में चर्चा और उन्हें इस युग के दधीचि की संज्ञा दी गई। इस मौके पर लोग इस तथ्य से भी अवगत हुए कि 11 अक्टूबर 1997 को श्रद्धेय नानाजी देशमुख जी की प्रेरणा से समिति की स्थापना की गई थी। मरणोपरांत नाना जी का देह एम्स में दान किया गया था।
इस आयोजन में

  1. चित्रा बारी, जो हृदयदानी अरविंद चारी जी की धर्मपत्नी हैं, उनके साहस को याद किया गया।
  2. इन्द्रजीत और संपूर्णजीत कौर जी का एक दूसरे के प्रति देहदान के क्रियान्वयन और वचनबद्धता का उल्लेख किया गया।
  3. मित्तल परिवार को दधीचि की उपाधि दी गई।
  4. सात दिन का छोटा सा देवदूत, जो संभवतः इस संसार में देहदान के परम उद्देश्य से हीं आया था, के त्याग को सबने जाना।
  5. दस साल की सुचेता, जो एक दिन दुर्घटना में अचेत हो गई, और परिवार ने नेत्रदान कर समाज के प्रति अपनी निष्ठा का परिचय दिया, उनको याद किया गया।


दधीचि देहदान समिति के संस्थापक एवं संरक्षक और विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी ने देहदानी मांगे राम गर्ग जी के देहदान शपथ और उनकी बातों से सबको अवगत कराया। आलोक जी ने मांगे राम गर्ग जी के कई प्रेरणादायक प्रसंग को सबके साथ साझा करते हुए बहुत आत्मीयता के साथ उन्हें याद किया।

आलोक जी ने देहदानियों को पुनः नमन करते हुए कहा कि अगले वर्ष समिति 25 साल पूरे करेगी, इसलिए इस रजत जयंती वर्ष को यादगार बनाया जाए। उन्होंने समिति के 'स्वस्थ सबल निरामय भारत' के सपने को सबके सामने रखा और इस बात पर जोर दिया कि, "आंखों की वेटिंग लिस्ट न रहे, हड्डियों की वेटिंग लिस्ट न रहे, त्वचा और देह पर्याप्त मात्रा में हो, हम सभी यही सुनिश्चित करें।"

इस मौके पर मुख्य अतिथि और महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री स्मृति ईरानी जी के द्वारा रजत जयंती वर्ष के लोगो का भी अनावरण हुआ। स्मृति जी ने समिति के हर एक कार्यकर्ताओं का, जो इस पुण्य कार्य में लगे हैं, उन सबका समाज की ओर से आभार व्यक्त किया। स्मृति जी ने 14 वर्ष बाद समिति के कार्यक्रम पर आने को बनवास की समाप्ति की उपमा दी।

अपने संबोधन में उन्होंने 7 दिन के बालक की माता के धैर्य को नमन किया। चित्रा बारी बहन के शौर्य को सराहा। उन्होंने कहा, “समिति समाज में मात्र देहदान का काम नहीं करती, अपितु समाज के सनातन धर्म की उस परंपरा को बार-बार याद दिलाती है कि जो ईश्वर ने दिया, वो समाज को ही लौटाना है।" मंच से ही स्मृति जी ने हृदय दान का संकल्प लिया। याद रहे, नेत्रदान का संकल्प वह पहले ही ले चुकी हैं। इसी मंच से उन्होंने देश मे चल रहे टीकाकरण अभियान से जुड़ने के लिये भी सबको प्रेरित किया। इस कामना के साथ कि संगठित समाज, सनातन धर्म को आगे ले जाए, उन्होंने पुनः सबका आभार व्यक्त किया।

एनडीएमसी के वाईस चेयरमैन श्री सतीश उपाध्याय, दिल्ली भाजपा संगठन के महामंत्री श्री सिद्धार्थन जी, दिल्ली के नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी, विधायक गण - श्री विजेंद्र गुप्ता, श्री अजय माहवार, श्री मोहन बिष्ट, श्री अनिल बाजपेयी, श्री ओपी शर्मा, श्री अभय वर्मा व अन्य गणमान्य व्याक्तियों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को बढ़ाया।
इस मौके पर भाई अजय जी ने कुछ प्रसंग बताए और फिर से इस बात को दोहराया कि अभी दुनिया से लेने की प्रवृति दिख रही, जबकि दुनिया को देना, यह प्रकृति है।

उन्होंने कार्यक्रम की सराहना कुछ इस प्रकार की, "कर्त्तव्य की भावना जिम्मेवारी को दर्शाती है, समर्थता, पूर्णता को दर्शाती है, और पूरी समर्थता और कर्तव्य के साथ जयंती का कार्यक्रम किया गया, यह बहुत प्रशंसनीय है।" कार्यक्रम का समापन वहां उपस्थित सब व्यक्ति पर फूलों की वर्षा और देश भक्ति के गीतों के साथ संपन्न हुआ।