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श्रद्धा सुमन

श्रीमती सरोज अग्रवाल

श्रीमती सरोज अग्रवाल ने 71 वर्ष की आयु में 6 जुलाई 2019 को अपनी इहलीला समाप्त की। वह डी.एल.एफ. गुरुग्राम में रहती थीं। आर्य समाज से संस्कारित इस परिवार ने देह दान की परम्परा कायम की है। उनके पुत्र ने हमें अपने शब्दों में अपनी भावनाएं भेजी हैं:-

"श्रीमती सरोज अग्रवाल का जन्म सुप्रसिद्ध भीमसेनी काजल वालों के परिवार में हुआ था। उनकी उच्च शिक्षा दिल्ली के खालसा काॅलेज से हुई। जीवन को गति देते हुए 1970 में उन्होंने गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किया। दो पुत्र व दो पुत्रियों वाले एक संस्कारी व सेवाभावी परिवार का निर्माण किया। परमात्मा की अटल व्यवस्था के अनुसार श्रीमती सरोज अग्रवाल ने 6 जुलाई 2019 को अपना नश्वर शरीर त्याग दिया। अग्रवाल परिवार ने परम्परा से हट कर उनके मृत शरीर को अग्नि के सुपुर्द न करके 'देह दान महा दान' के संकल्प का पालन किया और लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए उनकी मृत देह दान कर दी। श्रीमती सरोज अग्रवाल बेहद प्रगतिशील विचारों वाली महिला थीं।

'देह दान महा दान' की भावना को प्रबल करते हुए सम्पूर्ण समाज को एक प्रेरक संदेश देने की कोशिश की गई है, क्योंकि मृत्यु के बाद प्रथा के अनुसार मृत शरीर को अग्नि को समर्पित किया जाता है। इस समर्पण से जहां एक ओर वातावरण प्रदूषित होता है और रोग भी बढ़ते हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसी स्थिति में अच्छे व सुयोग्य डाॅक्टरों की आवश्यकता सदैव बनी रहती है, क्योंकि मानव शरीर पर शोध न होने के कारण पर्याप्त संख्या में सर्जन व डाॅक्टर तैयार नहीं हो पा रहे हैं, अतः इसके लिए मेडिकल काॅलेजों में मृत मानव शरीर उपलब्ध कराने होंगे। इस दृष्टि से देह दान ही एक मात्र उत्तम विकल्प है। मेरे पिताजी ने अपने ताऊजी श्री बंसीलाल सूतवाले, अपने पिताजी श्री राधासरण अग्रवाल, माताजी श्रीमती प्रेमलता अग्रवाल व सासू मां श्रीमती कृष्णा आर्य के शव भी लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज को दान किए थे।"

समाज में पीढ़ियों से इस प्रेरणास्पद दान का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले परिवारजनों का दधीचि देह दान समिति अभिवादन करती है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री अमित अग्रवाल, 9818865333

श्रीमती कौशल्या रानी

श्रीमती कौशल्या रानी का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह प्रीत विहार में रहती थीं। उनकी पुत्रवधू ने फोन पर बताया कि वह अत्यंत स्नेही स्वभाव की एक धार्मिक महिला थीं। प्रति दिन गुरुद्वारे जाती थीं। कुछ शारीरिक परेशानी के कारण अपने जीवन के अंतिम 13 वर्ष वह केवल लीक्विड डाइट पर थीं। अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से उनकी सामाजिक सक्रियता में कभी कोई कमी नहीं आई। उनकी मृत्यु के बाद 6 जुलाई 2019 को वेणु आई सेन्टर की टीम द्वारा उनके नेत्र दान में लिए गए। मानवता की सेवा हेतु किए गए इस महादान के लिए दधीचि परिवार स्वर्गीय कौशल्या रानी के परिवारजनों का अभिवादन करता है। श्रीमती कौशल्या रानी के परिवार ने समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - पुत्रवधू श्रीमती संगीता खुराना, 9873795271

श्रीमती लक्ष्मी देवी

श्रीमती लक्ष्मी देवी ने 11 जुलाई 2019 को 79 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। उनके पुत्र ने गर्व से निम्न शब्दों में अपनी मां को याद किया:-

"वह बहुत मृदुभाषी थीं। उनका मुख्य उद्देश्य सबसे प्रेम व सबकी सेवा करना था। वह सबको एक समान दृष्टि से देखती थीं। उनके लिए अमीर-गरीब में कोई भेद नहीं था। मोती बाग, दिल्ली में करीब 18 साल तक मंदिर में सुबह-शाम निःस्वार्थ सेवा की। चाहे कोई परिवार से हो या कोई पड़ोसी अथवा कोई भी ज़रूरतमंद - सबसे पहले उसकी सेवा पर ध्यान देती थीं। सन् 2014 में जैसे ही उनको देह दान के बारे में जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत निश्चय किया कि "मैं भी देह दान करुंगी&" और हम सबको भी देह दान करने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणाम स्वरूप हम सबने भी देह दान करने का संकल्प लिया और हमारा परिवार आज देह दानी परिवार बन गया। ज़िंदगी के साथ भी सेवा और ज़िंदगी के बाद भी सेवा का धर्म निभाते हुए 11 जुलाई को उन्होंने अपनी स्वर्ग यात्रा प्रारम्भ की"

उनका पार्थिव शरीर चिकित्सा शास़्त्र की पढ़ाई कर रहे छात्रों के उपयोग के लिए एम्स में दान किया गया। परिवारजनों के इस प्रेरक कार्य के लिए समिति का साधुवाद। समिति परिवार दिवंगत आत्मा के प्रति सादर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री दीपक गुप्ता, 9811711626

श्रीमती कृष्णा कपूर

पीतमपुरा निवासी श्रीमती कृष्णा कपूर का 12 जुलाई 2019 को निधन हो गया। वह 75 वर्ष की थीं। उनके पुत्र ने गर्व से बताया कि उनकी माताजी ने देह दान का संकल्प लिया हुआ था व अंतिम समय में स्वास्थ्य बिगड़ने पर वह लगातार घर में सभी को अपने संकल्प की याद दिलाती रही थीं। वह धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। अनाथाश्रम-अंधविद्यालय में दान करना व प्रति दिन दो समय मंदिर जाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। अपने समवयस्क लोगों के बने हुए क्लब में भी वह सक्रिय रहती थीं। मरणोपरांत उनका पार्थिव शरीर, मेडिकल रिसर्च हेतु एम्स में दान किया गया। परिवारजनों द्वारा किए गए इस महा दान के लिए समिति परिवार का साधुवाद करती है। निष्काम सेवा संस्थान के श्री अजय मित्तल ने इस दान के लिए समिति से सम्पर्क किया। हम उनका भी धन्यवाद करते हैं। निष्काम सेवा संस्थान भी देह दान/अंग दान के लिए समाज को प्रेरित करने का कार्य कर रहा है। दिवंगत आत्मा को समिति परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री अजय कपूर, 9811172865

श्रीमती कांता जैन

श्रीमती कांता जैन ने 88 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वह रोहिणी में रहती थीं। उनके पुत्र ने गर्व से बताया कि उनकी औपचारिक शिक्षा केवल 8वीं कक्षा तक थी, पर उनकी योग्यता उससे कहीं अधिक थी। उन्होंने अपने बच्चों को अक्षर ज्ञान देने में एक योग्य शिक्षिका का भूमिका अदा की। जैन धर्म का अच्छा ज्ञान रखती थीं व धर्मानुसार एक संस्कारी परिवार का उन्होंने निर्माण किया। उनकी स्वयं की इच्छा थी कि मरने के बाद भी उनका शरीर किसी न किसी के काम आ जाए तो अच्छा है। उनकी इसी इच्छा का सम्मान करते हुए 13 जुलाई 2019 को, मरणोपरांत, परिवारजनों ने उनका पार्थिव शरीर एम्स में दान कर दिया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए कैडेवर {मृत शरीर} उनका प्रथम गुरु होता है। उसी पर उन्हें मानव देह का ज्ञान प्राप्त करना होता है। इस अमूल्य दान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का साधुवाद। दधीचि परिवार की ओर से दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री अशोक जैन, 9818501949

श्री यश बवेजा

श्री यश बवेजा का 56 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह मजलिस पार्क, दिल्ली 33 के निवासी थे। मरणोपरांत 13 जुलाई 2019 को उनके नेत्र एम्स की टीम द्वारा ससम्मान दान में लिए गए। मानवता की सेवा हेतु किए गए इस दान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का हम अभिवादन करते हैं। उनकी बेटी ने अपने पिता के प्रति अपनी भावनाएं हमें अपने शब्दों में भेजी जो इस प्रकार हैं:-

“Mr. Yash Baveja was a man with full of enthusiasm. His will power gave the strength to fight against all the contradict situations in his life. He was a believer of God and he trust journey by God’s grace. Mr. Baveja was a man who know how to smile in his life, no matter whatever was the situation. He wants to help all needy who came across him. He loved his family and children and words are less to define that he was a man full of capability."

ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

सम्पर्क सूत्र - पुत्री सुश्री चनिका, 9953905415

श्रीमती कृष्णा देवी सहगल

श्रीमती कृष्णा देवी सहगल ने 81 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वह इंदिरापुरम में रहती थीं। राधास्वामी सत्संग व्यास से उनका अत्यंत जुड़ाव था। उनके बेटे ने गर्व से बताया कि उनकी माताजी ने निष्ठा से अपने परिवार की परम्पराओं और मान्यताओं का निर्वहन किया। इन सभी संस्कारों को उनके जाने के बाद भी सभी बच्चे बड़े सहज तरीके से सहेजे हुए हैं। छोटी आयु में पति की मृत्यु हो जाने पर 6 बच्चों के परिवार को उन्होंने कठिन समय में भी नैतिक मूल्यों के साथ ही आगे बढ़ाया। राधास्वामी सत्संग में निरंतर अंग दान/देह दान पर बनी फिल्मों की सी.डी. दिखाई जाती है। वहीं से प्रेरणा लेकर स्वर्गीय कृष्णा ने अपनी देह का दान करने का संकल्प लिया हुआ था। अंतिम समय तक उन्होंने एक स्वावलम्बी जीवन जिया। परिवारजनों ने स्वर्गीय कृष्णा सहगल के संकल्प का सम्मान करते हुए 18 जुलाई, 2019 को उनका पार्थिव शरीर एम्स के न्यूरो विभाग में दान कर दिया। परिवार ने चिकित्सा जगत में शिक्षा व अनुसंधान के उपयोग में आने वाले इस महा दान से समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री अनिल सहगल, 9810018380

श्रीमती राजकुमारी बजाज

श्रीमती राजकुमारी बजाज का 93 वर्ष की आयु में 22 जुलाई 2019 को देहावसान हो गया। वह फरीदाबाद में अपनी बेटी के पास रहती थीं। उनकी बेटी ने बताया कि वह बचपन से ही आर्य समाज मंदिर से जुड़ी हुई थीं। अपने जीवन के कुछ अंतिम वर्षोंं में, जब वह काफी-कुछ भूलने लगी थीं, तब भी वह अपने बच्चों व बच्चों के बच्चों के जन्म दिन पर गायत्री-जाप करना नहीं भूलती थीं। स्वर्गीय राजकुमारी के पार्थिव शरीर को मेडिकल काॅलेज के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए दान में देने का निर्णय उनकी बेटी का था। अपने परिवारजनों को इस विषय के लिए तैयार करने का काम भी उनकी इसी बेटी ने किया। ई.एस.आई. फरीदाबाद के मेडिकल स्टाफ द्वारा उनकी देह का दान लेते समय की सम्मानजनक प्रक्रिया ने परिवारजनों की सभी शंकाओं को दूर कर दिया। परिवार के सदस्यों ने दधीचि देह दान समिति के सहयोग की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की। स्वर्गीय राजकुमारी के नेत्र एम्स की टीम द्वारा ससम्मान दान में लिए गए। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवारजनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

सम्पर्क सूत्र - पुत्री श्रीमती किरण गांधी, 9873426475

श्री ओंकार चंद सूद

श्री ओंकार चंद सूद का 91 वर्ष की आयु में देवलोक गमन हुआ। वह आदर्श नगर में रहते थे। उनके पुत्र ने फोन पर बात करते हुए गर्व से बताया कि उनके पिता सामाजिक रूप से काफी सक्रिय थे। सेवा भारती के प्रकल्प हों या वात्सल्य ग्राम वृंदावन के, वह मुक्त हस्त से दान करते थे। आर.एस.एस. के समर्पित कार्यकर्ता थे। उन्होंने स्वयं ही देह दान का संकल्प लिया हुआ था। मृत्योपरांत, 27 जुलाई 2019 को उनका पार्थिव शरीर ई.एस.आई. मेडिकल काॅलेज, फरीदाबाद में, मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दे दिया गया। शरीर क्रिया विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए कैडेवर {दवाइयों द्वारा संरक्षित पार्थिव शरीर} पहला मूक टीचर होता है। चिकित्सा जगत् की सेवा में दिया गया यह महा दान वंदनीय है। परिवारजनों का साधुवाद, जिन्होंने स्वर्गीय ओंकार चंद सूद के संकल्प का सम्मान किया। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा के लिए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री संजय सूद, 8750413838

श्रीमती सुदेश चुग

पश्चिम विहार निवासी श्रीमती सुदेश चुग का 29 जुलाई 2019 को निधन हो गया। वह 75 वर्ष की थीं। उनके पति से बात करने पर पता चला कि कि उनके जीवन में दान और सेवा भाव का बहुत महत्व था। प्रधानमंत्री राहत कोष में उनका नियमित योगदान जाता था। अपने आस-पास काम करने वाले सभी घरेलु सहायकों के स्वास्थ्य की चिंता उन्हें रहती थी। समाज के प्रति वह एक जागरूक व सक्रिय नागरिक का कर्तव्यपालन करती थीं। उनकी इच्छा थी कि मरणोपरांत उनके शरीर के सभी अंग दान में दे दिए जाएं। अंतिम समय की उनकी अवस्था के अनुरूप केवल नेत्र दान ही सम्भव हो सका। स्वर्गीय सुदेश चुग के नेत्र एम्स की टीम ससम्मान ले गई। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का हम अभिवादन करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - पति श्री हंसराज, 9868803390

श्रीमती सीतावंती घई

टैगोर गार्डन निवासी श्रीमती सीतावंती घई की 94 वर्ष की आयु में मृत्यु हुई। परिवारजनों ने मानवता की सेवार्थ उनके नेत्र दान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनके दामाद ने उनके प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि निम्न शब्दों में वयक्त की है:-

"She was an extra ordinary woman who tought her five children the real meaning of life. A very hard working woman, making sure that she gives best of education and lessons of life to her children. She, truly was an inspirational personality, making every one walk hand in hand in ups and downs of life. She was a woman full of love, generosity and always showered blessings and love upon every one, she came accross. She always showed keen interest in helping others in whatever way. Today when she is not with us anymore, some one will see this world with the eyes that she donated. While she left, she did help some one by donating eyes. All of us will miss you."

स्वर्गीय सीतावंती के नेत्र 5 अगस्त, 2019 को वेणु आई सेंटर की टीम द्वारा ससम्मान दान में लिए गए। परिवार के इस संवेदनापूर्ण निर्णय के लिए समिति उसका साधुवाद करती है। दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्वांजलि।

सम्पर्क सूत्र - दामाद श्री जी.एल. महता, 9810066167

श्रीमती कमला सूरी

श्रीमती कमला सूरी का 92 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वह वीरेन्द्र नगर {जनकपुरी} में रहती थीं। उनकी बेटी ने सम्मानजनक शब्दों में अपनी माताजी को इस प्रकार श्रद्धांजलि दी:-

"श्रीमती कमला सूरी ने, जिनकी मृत्यु 7 अगस्त 2019 को हुई, देह दान का संकल्प लिया हुआ था। वह अहिंसा के प्रति गांधीजी की फाॅलोअर थीं। यदि उन्हें मदर टेरेसा की छवि कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। किसी की भी सेवा करना उन्हें अत्यंत खुशी देता था। उनकी नज़र में कोई भी काम छोटा या गन्दा नहीं था। एक मध्यमवर्गीय परिवार वाली बेहद संस्कारी व डिवाइन सोल थीं। उनका मानना था कि ज़िंदगी वह सब देती है जिनके हम हकदार हैं। अतः कभी भी किसी से भी कोई शिकायत या अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। समाज ने उन्हें सहनशीलता की देवी का नाम दिया हुआ था। उनका स्लोगन था "सैनिक को विश्राम कहां?" सुबह 5 बजे से रात के 10 बजे तक वह निरंतर कार्यरत रहती थीं। उनका कहना था कि इस नाशवान शरीर का जितना सदुपयोग कर सको करो। यदि यह शरीर किसी की भलाई, किसी को सुख देने के काम आ सकता है तो इससे अच्छी बात नहीं हो सकती। इन सभी संस्कारों से ओत-प्रोत उनके चारों बच्चे उन्हीं की परछाईं हैं।

7 अगस्त 2019 को, मरणोपरांत, उनका पार्थिव शरीर एम्स में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान में दिया गया। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हम परिवारजनों का साधुवाद करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - पुत्री सुश्री मंजुला सूरी, 9910555066

श्रीे जौहरीमल गुप्ता

रोहिणी निवासी श्रीे जौहरीमल गुप्ता का 85 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। उनके दामाद ने गर्व से बताया कि उनकी इंग्लिश भाषा पर बहुत अच्छी पकड़ थी। आजीवन उन्होंने अपना पहनावा भारतीय ही रखा। बांके बिहारी से उन्हें लगाव था। इतने उदार हृदय थे कि राह चलते वस्त्रहीन भिखारी को अपने कपड़े उतार कर पहना देते थे। बाज़ार से फल इत्यादि खरीद कर दिन भर बच्चों में बांटते रहना उनका प्रिय शौक था। मरणोपरांत 13 अगस्त 2019 को उनके नेत्र एम्स की टीम द्वारा ससम्मान दान में लिए गए। मानवता की सेवार्थ किए जाने वाले इस महा दान के क्रियान्वयन के हम परिवारजनों का साधुवाद करते हैं। दधीचि परिवार की विनम्र प्रार्थना है कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - दामाद श्री राजेश चेतन, 9811048542

श्री सुरेन्द्र कुमार जैन

श्री सुरेन्द्र कुमार जैन ने 72 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वह रोहिणी में रहते थे। परिवारजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनका पार्थिव शरीर एम्स में दान किया। आर.पी.सेंटर {एम्स} की टीम ससम्मान उनके नेत्र भी दान में लेकर गई। इस प्रेरक दान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का हम अभिनन्दन करते हैं। स्वर्गीय सुरेनद्र जैन के पुत्र ने हमें इस प्रकार श्रद्धांजलि भेजी:-

"यह बात कई वर्ष की है जब मेरे जीवन के दिशा निर्देशक, जैन धर्म के प्रबल अनुयायी मेरे पिता श्री सुरेन्द्र कुमार जैन को मृत्यु के उपरान्त देह दान की महत्ता के बारे में अचानक पता चला। उन्हें ज्ञात हुआ कि जीवन समाप्ति के बाद भी उनके लिए पुण्य प्राप्ति का मार्ग खुला है। उन्हें समझ आ गया कि जीवन काल में धन द्वारा दान करने और जीवन के उपरान्त देह दान करने से व्यक्ति मरणोपरान्त भी मानवता पर परोपकार का हेतु बन सकता है। यूं भी अनेक धर्मों के साथ-साथ जैन धर्म में भी देह दानियों को मोक्ष प्राप्ति में बाधक माना गया है। यह भी एक महत्वपूर्ण बात थी कि उन्होंने अपनी अंतःप्रज्ञा को जागृत करते हुए दधीचि देह दान समिति को मृत्योपरांत देह दान का संकल्प पत्र दिया वहीं उन्होंने ठीक ऐसा ही संकल्प पत्र अपनी धर्मपत्नी श्रीमती चन्द्र प्रभा जैन का भी समिति को सौंप दिया।

इस कार्य को करने के उपरान्त उनकी दिनचर्या में, स्वभाव में, व्यवहार में अभूतपूर्व परिवर्तन दिखाई देने लगा। अपने व्यावसायिक कर्तव्यों को धीरे-धीरे मेरी तरफ ट्रांस्फर करना प्रारम्भ कर दिया। जीवनचर्या को धर्म साधना की ओर मोड़ लिया, पूर्ण निष्ठा भाव से देव-गुरु-धर्म की उपासना में आप स्वयं को व्यस्त रखने लगे।

मैं समझता हूं कि परिवार व समाज के प्रति उनकी कर्तव्य परायणता ने जीपन के साथ भी और जीवन के बाद भी उनकी यशोगाथा को दीर्घकालिक बना दिया है, इसमें संदेह की कोई बात नहीं है। मुझसे देह दान के विषय पर वह अक्सर चर्चा किया करते थे, तत्समय उनकी मुख मुद्रा जहां प्रसन्नता का दर्शन कराती थी वहीं उनमें अथाह आत्मिक ऊर्जा देख कर, उनकी सुहृदयता के समक्ष मस्तक झुक जाता था, जो आज भी झुका है और जब-जब उनकी स्मृतियोंका ज्वार मेरे मनो-मस्तिष्क में, मेरे विचारों में हिल्लोरें लेगा, मेरा मसतक इस देवात्मा समान व्यक्तित्व को नमन हेतु नम जाएगा।

मेरे पिता श्री सुरेन्द्र कुमार जैन का जन्म रावलपिण्डी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। मात्र तीन वर्ष की आयु में देश विभाजन की विभीषिका घटित हुई और परिवारजन के नए भारत की ओर स्थानांतरित हो गए। युवावस्था तक पहुंचते-पहुंचते उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियां अपने कंधों पर ले लीं। उनके द्वारा किए गए प्रयासों ने हमें उत्कर्ष प्रदान किया है। उन्हीं की छत्रछाया में ही मुझे जैन समाज में सेवा कार्य करने की सतत् प्रेरणा मिली, फलस्वरूप आज मैं समाज में विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर सक्रिय हूं।

सहजता, संयम व समन्वयता के जहां वह प्रतीक बने रहे, वहीं, जीवन के अंतिम दिनों में वह व्याधिग्रस्त हुए। तीव्र शारीरिक वेदना से जूझने के उपरान्त भी उन्होंने, आगन्तुको से कुशलक्षेम पूछते समय अपनी वेदना को अहसास नहीं होेने दिया। उनके जीवनवृत्त का दर्शन जहां वैभवशाली रहा वहीं जीवन के उपरान्त वह गौरवशाली बन गया है, एक विलक्षण उदाहरण या कहूं कि एक मानवीय प्रेरणा देकर गया है।

देह दान के माध्यम से मेडिकल साइंस द्वारा विभिन्न शोध के ज़रिए मानव कल्याणार्थ महान उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है। आज मानव कल्याण हेतु परम आवश्यक है कि भारत में मृत्यु के उपरान्त अंग दान-देह दान को एक परम्परा के रूप में स्वीकार किया जाए, ऐसा लिखना यद्यपि सहज है, किन्तु ऐसे विचार मात्र व्यक्ति को, परिवारजनों को असहज करने वाला है। भारत की कुल जनसंख्या का केवल 0.04 प्रतिशत अंग दान हो रहा है, जबकि पश्चिमी देशों में यह प्रतिशत काफी ऊंचा है।

आइए, आरम्भ करें सोचना, एक नई दृष्टि से कि 'जीवन के साथ स्वयं में जीएं और जीवन के बाद औरों में जीएं।' "

ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री विपुल जैन, 9811740074

श्रीमती स्वरण जीत कौर

केशवपुरम् निवासी श्रीमती स्वरण जीत कौर का 62 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके पुत्र से बात होने पर पता चला कि उनके पिताजी की मृत्यु बहुत जल्द हो गई थी, फलस्वरूप माताजी को जीवन में काफी संघर्ष भी करना पड़ा। स्वभाव से वह एक उत्साही महिला थीं। घूमने व बागवानी का बहुत शौक था। जीवन के हर पल को वह जीवंतता से जी लेना चाहती थीं। धर्म-कर्म में पूरा विश्वास रखती थीं। नेत्र दान के लिए भी उन्होंने घर में पहले से चर्चा की हुई थी। परिवारजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए, मरणोपरांत उनके नेत्र वेणु आई सेंटर को दान में दिए। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हम परिवार का साधुवाद करते हैं व दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते है।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री दीपक, 9871408090

श्रीमती उमा रानी जिंदल

श्रीमती उमा रानी जिंदल का 77 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वह माॅडल टाउन में रहती थीं। उनकी पुत्रवधू से बात होने पर पता चला कि वह एक समर्पित गृहणी थीं। उनका जीवन सादा था व उन्हें खाना बनाने का विशेष शौक था। मरणोपरांत उनके नेत्र दान करके परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। एम्स की टीम द्वारा 18 अगस्त 2019 को उनके नेत्र ससम्मान दान में लिए गए। इस महा दान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

सम्पर्क सू़त्र - पुत्रवधू श्रीमती मीना गुप्ता, 9810023975

श्रीमती शालिनी भाटिया

श्रीमती शालिनी भाटिया का 57 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह फरीदाबाद में रहती थीं। उनके पति से बात करने पर पता चला कि वह बहुत हंसमुख स्वभाव की थीं। परिवार में सबको खुश रखती थीं। छतरपुर में गुरुजी के आश्रम में श्रद्धापूर्वक नियमित जाती थीं। परिवारजनों ने 28 अगस्त 2019 को, मरणोपरांत, उनके नेत्र एम्स में दान करने का निर्णय लिया। समाज में इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सम्पर्क सूत्र - पति श्री गुलशन भाटिया, 9990720008

श्री अशोक गुप्ता

श्री अशोक गुप्ता का 61 वर्ष की आयु में 29 अगस्त 2019 को देहावसान हो गया। वह राम नगर एक्सटेंशन, शाहदरा में रहते थे। परिवार से बात होने पर पता चला कि एक साधारण नौकरी के बल पर ही उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा किया। हम परिवारजनों का साधुवाद करते हैं कि उन्होंने इस दुःखद घड़ी में भी उनके नेत्र दान करने के लिए अपने मन को तैयार किया। मानवता के लिए किया जाने वाला यह महा दान समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है। एम्स की टीम द्वारा ससम्मान उनके नेत्र दान में लिए गए। दधीचि परिवार स्वर्गीय अशोक गुप्ता को विनम्रता से श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री अनिल गुप्ता, 9560981423

श्री मांगे राम गर्ग-एक समर्पित समाजसेवी


श्री मांगे राम गर्ग भाजपा, दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष रहे। उन्होंने वैश्य समाज धर्म यात्रा महासंघ जैसी कई सामाजिक संस्थाओं की स्थापना करके उनमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दधीचि देह दान समिति से उनका भावनात्मक सम्बंध रहा। समय-समय पर हमने उनके अनुभवी विचारों का लाभ उठाया। उनके देह दान के संकल्प का सम्मान करते हुए परिवारजनों ने 21 जुलाई, 2019 को उनका पार्थिव शरीर लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज में दान किया। मेडिकल के छात्र दो वर्ष तक उस पर शरीर क्रिया विज्ञान की पढ़ाई कर सकेंगे। चिकित्सा जगत के लिए यह एक अमूल्य दान है। मानवता की सेवा के लिए समाज में एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए स्वर्गीय मांगेराम जी के बंधुजनों का अभिवादन। दधीचि परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धा सुमन।

सम्पर्क सूत्र - पुत्र श्री सतीश गर्ग, 9811168980