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गतिविधियाँ

श्रीमती सावित्री देवी - देह दान एवं श्रधांजलि

26.7 .2020 को सुबह 10:30 बजे स्वर्गीय सावित्री देवी के देहदान के समय ,समिति के उपाध्यक्ष डॉ विजय आनंद विद्यार्थी ने वहां उपस्थित जनसमूह को देहदान के लिए प्रेरित किया ।

कोरोना संक्रमण काल में पिछले 4 माह से कोई देहदान नेत्रदान नहीं हो सका था। 25.7 .2020 की शाम को श्री योगेश गर्ग ने समिति के उत्तरी दिल्ली क्षेत्र के संयोजक श्री विनोद अग्रवाल से संपर्क किया और बताया कि हृदय गति रुक जाने से उनकी 90 वर्षीय माता जी का स्वर्गवास हो गया है ।वह देह दान करना चाहते हैं। श्री अग्रवाल ने इस दान को क्रियान्वित करने के लिए प्रयास शुरू किया। श्री सुधीर गुप्ता, सेवा भारती के डॉक्टर रामकुमार व MAMC के डॉक्टर दिनेश के प्रयासों से यह दान संभव हो पाया। समिति की ओर से लगभग 20 व्यक्तियों ने पुष्प चक्र के रूप में स्वर्गीय सावित्री देवी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।वहां उपस्थित जनसमूह ने समिति के कार्यों में निरंतर अपना सहयोग देने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की।

Dadhichi Deh Dan Samiti North participated in Shri Krishna Janmastami Utsav

Dadhichi Deh Dan Samiti North participated in Shri Krishna Janmastami Utsav on 11.08.2020. Awareness on eye, organ & Body donation through different slogan panels.

श्री श्रीनिवास वेदांता - देह दान एवं श्रधांजलि

हम सबकी बहन ओर हमारी समिति की सचिव चित्रा चारी ने अपने पति श्री अरविंद चारी के ( आज से 23 वर्ष पहले) अंगों का दान किया था । चित्रा जी के ससुर श्री श्रीनिवास वेदांता चारी जो कि 94 वर्ष के थे और उनकी कूल्हे ओर कंधे की हड्डी टूटने के कारण उनका ऑपरेशन जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल रोहिणी में होना था। उत्तरी विभाग की पूरी टीम चित्रा जी के साथ हर संभव तरह से खड़ी रही और उनको हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया। विनोद जी, श्री तायल जी, और श्री सुशील मित्तल जी जिन्होंने रक्षाबंधन वाले दिन सच मे बहन के साथ रह कर अपना फर्ज पूरा किया, उनको हॉस्पिटल में एडमिट भी कराया गया। लगभग एक सप्ताह अस्पताल में रहने के बाद घर वापिस आ गये। प्रभु इच्छा कि घर आने के बाद तीसरे दिन उनकी जीवन लीला पूरी हो गयी और वह प्रभु चरणों में लीन हो गये।

कोरोना संक्रमण काल की विकट परिस्तिथियों के चलते हुए चित्रा जी ने उनका शरीर दान करने का साहसिक निर्णय लिया। उनके इस निर्णय ने चारी परिवार की परम्परा को जीवित रखा। चार दिन उनके शरीर को mortuary में रखा गया। चौथे दिन जब उनके शरीर की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई तब अगले दिन, उनके पौत्र दिवाकर ने 18. 08.2020 मौलाना आजाद मैडिकल कॉलेज जा कर देह दान की प्रक्रिया पूरी की।

श्री सोमनाथ मदान जी की अन्तिम प्रार्थना सभा

दिनांक 21. 8.2020 शुक्रवार सुबह 12 से 2 बजे तक आर्य समाज मंदिर मानसरोवर गार्डन में देहदानी श्री सोमनाथ मदान जी की अन्तिम प्रार्थना सभा हुई। करोना वायरस के कारण 50 लोगों की शोकसभा की गई। समिति ने भी लोकडाउन के बाद पहला स्टाल लगाया जिसमें 10 लोगों ने फार्म लिए और 25 ब्रोशर दिए गए। समिति की ओर से हेमा जौली ने मदान जी को श्रद्धांजलि दी, परिवार को दान संकल्प पूरा करने के लिए धन्यवाद किया । या तथा नेत्रदान, अंगदान, देहदान के महत्व को समझाया। यह परिवार समिति का एक हिस्सा ही है। परिवार से छः मास पहले भी एक देहदान वह नेत्र दान हुआ है वह परिवार हर वर्ष समिति को 2200/- रु दान के रूप में देते हैं। प्रार्थना सभा का आयोजन zoom पर भी किया गया जिसमें समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना जी पूरा समय जुड़े। परिवार की ओर से काफी बन्धु जूम से जुड़े।

फ़रीदाबाद शाखा की वर्चुअल बैठक 23.8.2020

23 अगस्त 2020 को दधीचि देह दान समिति की फ़रीदाबाद शाखा की वर्चुअल बैठक का आयोजन 1700-1740 बजे के बीच किया गया। इस का उद्देश्य आगामी 26.8.2020 को केंद्र के द्वारा दधीचि जयंती के अवसर पर ‘अस्थिदान’ विषय पर रखे गए वेबिनार के सफल संचालन और इसे व्यापक रूप से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए चर्चा करना था।
फ़रीदाबाद शाखा संयोजक श्री राजीव गोयल जी ने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि सभी समिति के फ़ेसबुक पेज़ पर कार्यक्रम के logo को like करें, going को टिक करें और इसे अधिक से अधिक लोगों को share भी करें।इस के अलावा अपने सभी सोशल ग्रुपों में, चाहे WhatsApp, Twitter या अन्य माध्यमों से इस की जानकारी अपने परिचितों में बाँटें।जिन लोगों ने समिति के साथ देह-अंग दान के फ़ॉर्म भरे हुए हैं, उन से भी सम्पर्क किया जाए।
इस बैठक में विशेष रूप से समिति की उपाध्यक्षा श्रीमती मंजू प्रभा जी एवं समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना जी भी जुड़े और अपना मार्गदर्शन दिया। श्री कमल जी ने सदस्यों को अस्थिदान के महत्व पर भी जानकारी दी। कार्यकारिणी के भी सभी 12 सदस्य उपस्थित रहे।

मथुरा इकाई के पहली बैठक 25 अगस्त 2020 को

दिनांक 25 अगस्त को देहदान समिति की मथुरा इकाई की टोली की वर्चुअल बैठक हुई जिसमें ।5 बंधु उपस्थित थे ।

चर्चा के विषय - प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को सायं 7:00 की बैठक सक्रिय लोगों कि रहा करेगी। अपनी सूची के लोगों से दूरभाष द्वारा संपर्क व कुशल क्षेम प्राप्त करना । सूचना की टोली बनाने का विचार हुआ बैठक के ,संपर्क के लिए टोली का विचार हुआ नाम बांटे गए । अपने आसपास के कोरोना से प्रभावित और ठीक हुए लोगों की जानकारी और सूची बनाना। फरीदाबाद में ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा बैंक की जानकारी दी गई ।

दिनांक 26 तारीख को फेसबुक के द्वारा सेमिनार की चर्चा हुई यह सेमिनार दिल्ली इकाई द्वारा रखी गई है का विषय bone donation क्या है जिसमें एम्स के Dr Rajesh Malhotra, HoD Ortho, AIIMS तथा श्री आलोक जी, संरक्षक देहदान समिति , अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद का सानिध्य प्राप्त होगा। अपनी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए भी समय रहेगा।

दिनांक 21. 8.2020 शुक्रवार सुबह 12 से 2 बजे तक आर्य समाज मंदिर मानसरोवर गार्डन में देहदानी श्री सोमनाथ मदान जी की अन्तिम प्रार्थना सभा हुई। करोना वायरस के कारण 50 लोगों की शोकसभा की गई। समिति ने भी लोकडाउन के बाद पहला स्टाल लगाया जिसमें 10 लोगों ने फार्म लिए और 25 ब्रोशर दिए गए। समिति की ओर से हेमा जौली ने मदान जी को श्रद्धांजलि दी, परिवार को दान संकल्प पूरा करने के लिए धन्यवाद किया । या तथा नेत्रदान, अंगदान, देहदान के महत्व को समझाया। यह परिवार समिति का एक हिस्सा ही है। परिवार से छः मास पहले भी एक देहदान वह नेत्र दान हुआ है वह परिवार हर वर्ष समिति को 2200/- रु दान के रूप में देते हैं। प्रार्थना सभा का आयोजन zoom पर भी किया गया जिसमें समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना जी पूरा समय जुड़े। परिवार की ओर से काफी बन्धु जूम से जुड़े।

फार्म - 10, ब्रोशर - 25, time-12 to 2pm करोना के कारण 50 लोगों की संख्या थी जिन्होंने भी फार्म लिए सभी ने कहा कि वह पोस्ट करेंगे या फिर फोन कर देगें।

मानव मन्दिर में अंगदान देहदान पर चर्चा

31अगस्त 2020 को दक्षिणी दिल्ली क्षेत्र के संयोजक श्री दीपक गोयल की दक्षिण पूर्व दिल्ली की ज़िला मजिस्ट्रेट सुश्री हरलीन कौर जी से मानव मन्दिर में मिलकर अंगदान देहदान पर चर्चा हुई उन्होंने अंगदान की जागरूकता के लिए अपने कार्यालय में एक कार्यक्रम के आयोजन का समर्थन किया ।

दाधीच समाज इंदौर की पहली ऑनलाइन सभा वेबीनार

On 31.08.2020 दाधीच समाज की पहली ऑनलाइन सभा वेबीनार संपन्न

देहदानी-अंगदानी आज के दधीचि है-आलोक कुमार । आज यदि किसी प्रेरणा की सर्वाधिक आवश्यकता है तो वह महर्षि दधीचि की ही प्रेरणा है। उक्त संबोधन परम पूज्य गोविंद देव गिरी जी ने महर्षि दधीचि जयंती के अवसर पर महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट इंदौर द्वारा आयोजित वेबीनार में दिया।

परम पूज्य ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि जिस प्रकार महर्षि दधीचि ने अपने तपोमय जीवन से स्वयं को अजेय बनाया तथा जिसके कारण उनकी अस्थियों की याचना देवराज इंद्र को करनी पड़ी वैसे ही अपने भीतर तेज का निर्माण करना राष्ट्र की पहली आवश्यकता है। इसी को आत्मनिर्भरता कहते हैं लेकिन इस प्रकार का निर्माण किया गया तेज-संपदा राष्ट्र के लिए होनी चाहिए विश्व के कल्याण के लिए होनी चाहिए। यह अत्यंत महत्वपूर्ण शिक्षा तो महर्षि दधीचि ही प्रदान कर सकते हैं ,इसीलिए वे वज्र के समान न केवल दधीचि वंश के लिए अपितु सेना के लिए, राष्ट्र के लिए आराध्य बने हुए हैं।

दधीचि देहदान समिति दिल्ली के सहयोग से आयोजित दाधीच समाज की इस पहली ऑनलाइन सभा (वेबीनार) में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने भी संबोधित किया ।आपने जानकारी दी कि विज्ञान की उन्नति के चलते अंगदान, नेत्रदान, त्वचादान,देहदान के साथ अब अस्थिदान भी संभव हो गया है ।शरीर की 206 हड्डियों में से कमर के नीचे की 10 हड्डियों से लगभग 22 लोगों का जीवन सुखमय बन सकता है। दो उदाहरण देकर आपने बताया कि देहदान अंगदान का संकल्प लेने वालों के परिजन विकट परिस्थितियों में भी अविचल भाव से अपने प्रियजन के प्रण को पूरा करवाते हैं और वास्तव में ये देहदानी - अंगदानी ही आज के दधीचि हैं।

उत्तरी दिल्ली देहदान समिति के संयोजक श्री विनोद अग्रवाल ने कहा कि महर्षि दधीचि व समकालीन ऋषि से शिक्षा लेकर आधुनिक युग में सुंदर समाज बनाने का प्रयोजन करें। इस हेतु शोध का मार्ग चुने। अश्विनी कुमारों द्वारा की गई शल्य चिकित्सा का उदाहरण देते हुए पुनः उत्तम, सक्षम,सशक्त समाज बनाने के लिए शोध कार्य योजना की जरूरत पर बल दिया।

वेबीनार के प्रथम वक्ता के रूप में दधिमती पत्रिका संपादक श्रीउमेंद्र दाधीच ने दान की महिमा बताते हुए कहा कि भामाशाह हरिश्चंद्र कर्ण तथा दधीचि का दान कहीं न कहीं हमें शिक्षा देता है दान दिखावे के लिए न किया जाए। कवच कुंडल दान, अभयदान,कन्यादान, देहदान जैसे उत्तम दान का जिक्र करते हुए पेड़ पर दिखने वाले फल की अपेक्षा पेड़ के जड़ों के फलों की तरह दिखने वाला दान निष्काम भाव का दान होता है।

आयोजन कर्ता महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री शंकर लाल शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि ऋग्वेद के अंतिम श्लोक महर्षि दधीचि के हैं ।अथर्ववेद में 39 अध्याय कर्मकांड के हैं 40 वा अध्याय ज्ञान कांड का है वह महर्षि दधीचि ने लिखा। पहली बार ओम का किसी वेद अथवा उपनिषद पुराण में महर्षि दधीचि ने किया और कार्य के साथ 100 साल जीने की कला महर्षि दधीचि ने लिखी जो पूरी भागवत गीता उसी पर आधारित है ।परमाणु का आविष्कार महर्षि दधीचि ने किया