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श्रद्धा सुमन

जाते - जाते समाज को जागरूक कर गईं

श्रीमती वीना हांडा

श्रीमती वीना हांडा का 84 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे अशोक विहार में रहती थीं। समिति की एक समर्पित कार्यकर्ता श्रीमती सुधा सोनी उनकी निकट संबंधी हैं।

समिति के कामों के बारे में जैसे-जैसे वीना जी को पता चलता गया, वैसे-वैसे उनका स्वयं का नेत्रदान का संकल्प दृढ़ होता गया। जिस अस्पताल में वे अपने अंतिम समय में थीं, वहां के डॉक्टरों का रवैया नेत्रदान के प्रति काफी नकारात्मक व निराशाजनक था। परिवार ने उसकी परवाह नहीं की। अपने प्रियजन के संकल्प का सम्मान करते हुए धैर्य रखा और नेत्रदान की प्रक्रिया को पूर्ण करवाया। परिवार जनों का साधुवाद।

स्व. वीना जी अपने जीवन काल में राधा स्वामी सत्संग में तन्मयता से सक्रिय रहती थीं। मानवता के सेवार्थ उनके नेत्र ई.एस.आई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद की टीम 3 सितंबर को सम्मान सहित दान में लेकर गई। स्व. वीना की प्रेरणा सभा सही अर्थों में नेत्रदान के लिए एक जागरूकता का कार्यक्रम ही बन गई। वहां आए हुए लोगों ने बहुत उत्साह से इस विषय पर जानकारियां लीं और संकल्प पत्र भी भरे। समिति परिवार दिवंगत आत्मा को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : निकट संबंधी, श्रीमती सुधा सोनी, 9818396 595

परिवार ने कराया अपने आत्मीय का नेत्रदान

श्री ईश्वर चंद्र तिवारी

श्री ईश्वर चंद्र तिवारी का 76 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे मॉडल टाउन में रहते थे। परिवार जनों ने नेत्रदान का निर्णय करके मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

परिवार का साधुवाद । 5 सितंबर को गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्रदान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री सौरभ तिवारी 9810575291

महादान में समर्पित पूरा परिवार

श्री उमेश अरोड़ा

श्री उमेश अरोड़ा का 54 वर्ष की आयु में ही परलोक गमन हो गया। वे नोएडा में रहते थे। इनका परिवार सेवाभावी और अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति सचेत है। वर्ष 2012 और 2015 में क्रमशः उनके पिताजी और माताजी का भी देहदान हुआ था। स्व. उमेश की पत्नी ने आदरपूर्वक उनके विषय में लिखित विस्तृत जानकारी भेजी है-

“उमेश अरोड़ा जी, एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने जीवन को मानवता के कार्यों में समर्पित कर दिया था। उनकी शिक्षा में एमएससी कृषि और एमबीए की डिग्री ने उन्हें एक योग्य व्यक्ति बनाया। उन्होंने नियमित रूप से रक्तदान किया और अपने सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम किया।

"उमेश जी एक बड़े हृदय से समर्थन और मदद करने वाले व्यक्ति थे। अपनी कंपनी 'लिंक एंड ग्रो इंडिया' के माध्यम से उन्होंने लोगों को रोजगार प्रदान किया और लोगों को जीवन कौशल में प्रशिक्षण दिया। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने समुदाय में लोकप्रिय थे और अपने दोनों पुत्रों और पत्नी डॉ. अंशु अरोड़ा के साथ खुशहाल जीवन बिता रहे थे।

उमेश अरोड़ा जी, जिन्होंने अपने जीवन को मानवता के कारण समर्पित किया और एक दाता बने रहे। वे एक योग्य व्यक्ति थे जिन्होंने ज्ञान के साथ-साथ पर्यावरण के कारणों के लिए काम किया। उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, हिसार से कृषि में एमएससी किया और एमबीए भी किया। वे नियमित रूप से रक्तदान करनेवाले थे और एक जनप्रिय व्यक्ति थे, जो सहज और दयालु थे। उन्होंने अपने जीवन में अंग-दान और शरीर दान का समर्थन किया। उनका पूरा जीवन सामाजिक सेवा का एक उदाहरण है और वह विभिन्न एनजीओ से जुड़े रहे थे। उनकी कंपनी 'लिंक एंड ग्रो इंडिया' के माध्यम से उन्होंने कई लोगों को रोजगार प्रदान किया और उन्हें जीवन में अच्छा करने के लिए प्रशिक्षण और प्रेरणा दी। उन्होंने अपनी आखिरी सांस 6 सितंबर 2023 को ली, उस वक्त उनके दोनों पुत्र और उनकी पत्नी डॉ. अंशु अरोड़ा (जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं) उनके साथ थे। वे एक सच्चे जेन्टलमेन, एक दोस्त और एक सहारा थे जो हमेशा सबके लिए उपलब्ध रहते थे। उन्होंने जाने के बाद अपनी आंखें और शरीर को मानवता और चिकित्सा अनुसंधान के कारण दान कर दिया। उन्हें वे लोग हमेशा हृदय से याद करेंगे जिन्होंने उन्हें एक सच्चे दाता, एक मित्र, और एक सहायक हाथ के रूप में प्यार किया।”

उनकी मृत्यु के बाद भी, उमेश जी की आत्मा हमें एक अच्छे मित्र, एक उदार दाता, और एक प्रेरणा स्रोत के रूप में याद रहेंगी। उन्होंने जीवन भर समर्पण के माध्यम से एक अच्छे व्यक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी शिक्षा, सेवानिवृत्ति, और पर्यावरण के प्रति समर्पण की यह भूमिका उन्हें हमेशा याद रखने के लिए पर्याप्त है।

उमेश जी की कई नयी शिक्षाएं और समझदारी से भरी कहानियां हमारे जेहन में हमेशा रहेंगी, जो हम सभी को एक बेहतर और सजीव जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करेंगी। उनकी यात्रा ने हमें यह सिखाया कि जीवन का सबसे बड़ा सत्य है दूसरों की मदद और समर्थन करना है।

उमेश अरोड़ा जी की आत्मा को शांति मिले और उनके परिवार को इस कठिन समय में साहस और संबल मिले। उनके समर्पण भरे जीवन के लिए हम सभी कृतज्ञ रहेंगे।

6 सितंबर को स्व. उमेश का पार्थिव शरीर ई.एस.आई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दिया गया। उनके नेत्र भी वहीं के आई बैंक ने सम्मान सहित दान में लिए। परिवार के समर्पण भाव को नमन। ईश चरणों में हम स्व. उमेश की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पत्नी, श्रीमती अंशु अरोड़ा, 8178 446638

एक सफाईकर्मी का महादान

श्री ओम प्रकाश

श्री ओम प्रकाश का 70 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे स्वर्ग वृद्ध आश्रम, निहाल विहार में रहते थे। करोल बाग में सड़क पर सफाई करके आसपास के लोगों की सहायता से उनका जीवन यापन चल रहा था। 6 वर्ष पूर्व वे आश्रम में आकर रहने लगे। आश्रमवासियों ने सहज रूप से देहदान, अंगदान और नेत्रदान के विषय को स्वीकार किया है।

6 सितंबर,2023 को स्व. ओमप्रकाश के नेत्र, गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। इनका पार्थिव शरीर मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद के छात्रों की पढ़ाई के लिए प्रथम गुरु के रूप में सम्मान प्राप्त करेगा। आश्रम संचालकों का आभार इस मिशन से जुड़ने के लिए। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : आश्रम संचालक, श्री तारकेश्वर, 9211965986

भरपूर जिंदगी जीने के बाद कर गए महादान

श्री जयचंद जैन

श्री जयचंद जैन का 95 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे गुरुग्राम में रहते थे। उनके परिवार ने देहदान और नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज में एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन।

स्व. जयचंद का पार्थिव शरीर 6 सितंबर को ई एस आई मेडिकल कॉलेज, अलवर के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दिया गया। चिकित्सा जगत की सेवा में यह एक अतुलनीय दान है। ई एस आई अस्पताल, फरीदाबाद के आई बैंक द्वारा उनके नेत्र ससम्मान दान में लिए गए। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री राकेश जैन, 9818723237

मां के पार्थिव शरीर को दिया सच्चा आदर

श्रीमती माया देवी

श्रीमती माया देवी का 92 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे अशोक विहार में रहती थीं। उनके परिवार जनों ने 9 सितंबर को उनके नेत्रदान करके मानवता की सेवा में एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। समिति परिवार स्व.माया देवी के प्रति सादर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री मनीष सैनी, 9325729627

जग कल्याण के लिए दे गए अपनी देह

श्री गोपाल नवानी

श्री गोपाल नवानी ने 92 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे राजेंद्र नगर, दिल्ली के निवासी थे। उनकी बेटी ने उनके विषय में अपनी भावनाएं बहुत हृदयस्पर्शी शब्दों में लिखकर भेजी है-

पापा को शत शत नमन।

मैंने उन्हें पल-पल गुजरते देखा

जवानी से बुढ़ापे तक शान से चलते देखा

वो जो कद के बहुत ऊंचे तो नहीं थे

मगर दिल के बड़े विशाल थे

अच्छे कर्मों और अच्छी सोच रखने में

हम सबके लिए इक मिसाल थे

वो जो मुस्कुराहटें बिखेर देते थे

और सारे परिवार का दुख

अपने दामन में समेट लेते थे

वो जिन्होंने मेरी नन्ही नन्ही

उंगलियों में पेंसिल थमाई

और मुझे बचपन से ही

पढ़ने की आदत लगाई

वो जो मेरा हाथ थाम के

मुझे स्कूल छोड़ के आते थे

और परिवार के सारे बच्चों को

ढेरों कहानियां सुनाते थे

जिन्होंने मेरी मां की भी

पढ़ाई पूरी करवाई

और 60 साल पहले मां को,

स्वावलंबन की कीमत समझाई

और फिर मां को

आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया

समाज में स्वाभिमान से

जीने का तरीका सिखाया

जिन्होंने हमेशा किचन के काम में

मेरी मां का हाथ बंटाया

हर रिश्ते को बहुत सलीके

और प्यार से निभाया

बरसों पहले उन्होंने एक बात बताई थी

मृत्युपरान्त देह को दान करने की

कीमत समझाई थी

आज वो अपनी सांसों से

अपना रिश्ता तोड़ गए

लेकिन अपनी देह

जग कल्याण के लिए छोड़ गए

मगर वो कहीं गए नहीं

हमारी सोच में हमेशा जीयेंगे

क्योंकि उनका मार्ग दर्शन

हमारे जीवन का आधार है ।

हमें अपने पापा की हर सीख से

बहुत प्यार है ।।

स्व.नवानी का पार्थिव शरीर 11 सितंबर को ईएसआई मेडिकल कॉलेज, अलवर में दान किया गया। इस दान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद। हमारी ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्री, सुश्री रीटा, 9968 727310

छात्रों के लिए अब मौन शिक्षक के रूम में

श्री सुशील गुप्ता

श्री सुशील गुप्ता का 82 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे मयूर विहार के निवासी थे । उनके पुत्र ने आदर पूर्वक उनके विषय में हमें लिखकर भेजा है-

“Born in 1940 in Kanpur, Mr. Sushil Gupta's early years, up until his graduation, were spent in Shimla. His pursuit of knowledge led him to Delhi for post-graduation in English, eventually culminating in a distinguished career as a professor at Delhi University. Mr. Gupta's insatiable appetite for reading spanned across diverse genres, shaping his scientific inclinations and fostering a staunch atheistic stance since his teenage years.

In his literary pursuits, Mr. Gupta made notable contributions, publishing a novel (The Fourth Monkey) and several collections of essays (My Mirror, First Person Singular) while actively engaging with esteemed literary journals.

Throughout his life, Mr. Gupta navigated numerous health challenges, remaining profoundly grateful to medical science and dedicated doctors whose care enabled him to maintain an independent and healthy lifestyle. Driven by this gratitude, he made a profound decision to donate his body to further medical advancements, a wish he diligently impressed upon his family.

Upon his passing, Mr. Gupta's wish was honoured through the support of DDS, with his body gifted to RML Hospital. His legacy continues as he becomes an invaluable source of knowledge, guiding and inspiring future doctors, perpetuating his role as the ultimate teacher in the pursuit of medical excellence.”

परिवार भी साधुवाद का भागी है । उनकी इच्छा का सम्मान करने के लिए। 13 सितंबर को उनका पार्थिव शरीर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए दान किया गया। मौन शिक्षक के रूप में काम आने वाली यह देह छात्रों के लिए एक अतुलनीय भेंट है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री निपुण गुप्ता, 9971084167

गर्व महसूस करने लायक काम

श्री सुनील जैन

श्री सुनील जैन का 63 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे रोहिणी में रहते थे। उनकी बेटी ने उनके विषय में हमें विस्तृत जानकारी दी है। वे अपने परिवार को समर्पित व्यक्ति थे। हर किसी का ध्यान रखते थे। उनकी सोच समय से बहुत आगे चलती थी। उनका व्यक्तित्व सरल व सादगी पूर्ण था। कई हिंदू ग्रंथो का अध्ययन कर चुके थे। अपने जीवन काल में उन्होंने अपने परिवारजनों से लिखित आग्रह किया था, "यदि मेरा मृत शरीर मानवता के किसी अच्छे उपयोग में आ सके तो यह मेरी ओर से मानवता के प्रति मेरे दायित्वों के निर्वहन में एक योगदान होगा। मानव जाति को यह मेरा उपहार होगा, जो मुझे आंतरिक संतुष्टि का अनुभव कराएगा।"

14 सितंबर को परिवार ने उनकी इस इच्छा का सम्मान किया। परिवार जनों का अभिवादन। स्व. सुनील जैन की बेटी ने अपने पिताजी की याद में कुछ शब्द लिखे हैं-

"When my father told me about his decision to donate his body to medical school for research purposes, I felt so proud and inspired by him. He has become a role model for so many people including me. I miss him every day of my life and hope and pray to the Almighty that he may be in peace."

मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद में चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए स्व. सुनील का पार्थिव शरीर दान में दिया गया । उनके नेत्र इसी कॉलेज की आई बैंक की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्री, सुश्री वर्षा, 8587 900586

जाने के बाद भी देख रही हैं उनकी आंखें

श्री जेठानंद छाबड़ा

श्री जेठानंद छाबड़ा का 88 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे फरीदाबाद में रहते थे। परिवार जनों ने मरणोपरांत उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज सेवा का एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। 14 सितंबर को ई एस आई मेडिकल कॉलेज की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री पवन छाबड़ा, 9212400982

मरणोपरांत भी समाज के साथ

श्रीमती कृष्णा कांता मिश्रा

श्रीमती कृष्णा कांता मिश्रा की 73 वर्ष की आयु में संसार यात्रा पूर्ण हुई। वे छतरपुर एनक्लेव में रहती थीं। उनके भाई ने फोन पर उनके बारे में स्नेहपूर्वक विस्तृत चर्चा की- “स्व. कृष्णा का जीवन संघर्षपूर्ण रहा। उस सब में भी वे बहुत उदारमना थीं। पारिवारिक संबंधों को उन्होंने सहेज कर रखा। विकट परिस्थितियों में भी वे सहज निर्णय लेती रही। सभी रिश्तों में उनके मन की निर्मलता झलकती थी। उन्होंने अपनी बेटी को डॉक्टर बनाया। ”

स्व. कृष्णा का स्वयं का संकल्प था कि मरणोपरांत जो कुछ काम आ सके वह समाज को दे देना चाहिए। उनकी बेटी ने उनके संकल्प का संयम पूर्वक क्रियान्वयन करवाया। 19 सितंबर को उनका पार्थिव शरीर ई एस आई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दिया गया। इसी अस्पताल के आई बैंक की टीम उनके नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई। इस समाजोपयोगी प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का अभिवादन। समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्री, डॉ. प्रेरणा, 9821593351

अब उन्हें प्रथम गुरु का सम्मान !

श्रीमती सरिता जीत

श्रीमती सरिता जीत का 88 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे नोएडा में रहती थीं। परिवार जनों ने उनकी मृत्यु के बाद 1 अक्टूबर को उनके देहदान का निर्णय लेकर चिकित्सा जगत की सेवा में एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। स्व.सरिता का पार्थिव शरीर जी एन सी नोएडा के छात्रों में प्रथम गुरु के रूप में सम्मान प्राप्त करेगा। कुशल चिकित्सकों के निर्माण में पार्थिव शरीर की आवश्यकता सर्वविदित है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पोता, श्री विकास सचदेव 9821614521

जाते - जाते भी परोपकार

श्री नाथीराम भारद्वाज

श्री नाथीराम भारद्वाज का 90 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे कालका मंदिर परिसर, दिल्ली के निवासी थे। उनकी बेटी ने आदर पूर्वक उन्हें याद करते हुए कुछ शब्द लिखकर भेजे हैं-

“Late Shri Nathi Ram Bhardwaj Was a pious soul who spent most of his life serving the mankind. He was born on 15th June 1935 & Was raised by his mom due to early demise of his father. He has served the country by being in the Army & later on in Indian mail service. Side by side he was the Chairman of Management that was handling Kalkaji mandir. He was looked up to as a problem solver & peace maker by everyone who knew him. He has touched many lives due to his helping & empathising nature. He had a brilliant memory & perfect eye-sight until his last day.

He was a man of his kind & shall be remembered by everyone who knew him”.

7 अक्टूबर को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने उनके नेत्रदान करवाए। परोपकार का यह एक अनूठा उदाहरण है। परिवार का साधुवाद। ई एस आई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद से आई बैंक की टीम ससम्मान स्व. नाथीराम के नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्री, श्रीमती अनीता 7678 669718

परोपकार के लिए ही जन्म हुआ था !

श्री धनराज कथूरिया

श्री धनराज कथूरिया का 86 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे न्यू राजेंद्र नगर, दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके जीवनकाल की सामाजिक सक्रियता की विस्तृत जानकारी अपने शब्दों में इस प्रकार लिखी है-

“निस्वार्थ सेवा को सार्थक करने के लिए ही शायद उनका जन्म हुआ था। पिताजी को यदि मालूम पड़ गया कि अमुक व्यक्ति किसी समस्या में है तो वे स्वयं तत्काल पहुंचकर हर प्रकार से मदद करते थे। RSS की विचारधारा से जुड़े रहे। बीजेपी में भी कुछ समय सक्रियता से काम किया। भारत विभाजन के समय दिल्ली आकर अपने साथियों के साथ रामलीला कमेटी का गठन किया। उस समय देश एक अजीब दौर से गुजर रहा था। रामलीला के माध्यम से न सिर्फ लोगों के घावों पर मलहम लगाने का काम किया अपितु अपनी सांस्कृतिक धरोहर को पल्लवित विकसित करने का भी सफल प्रयास चलता रहा। रामलीला की स्क्रिप्ट उर्दू में लिखते थे और हर साल वह विकसित होती रहती थी। उनके जीवन का एक ही उद्देश्य था परहित। छोटों को प्यार दिया, बड़ों का सम्मान किया और स्वयं सबके चहेते रहे। जीवन रूपी नैया को राम जी के आदर्शों पर चलते हुए पार किया। एकादशी के दिन उन्होंने आखिरी सांस ली और बैकुंठ में श्री विष्णु जी के चरणों में प्रस्थान किया। उनके परलोक गमन के बाद राजेंद्र नगर आर्ट्स क्लब की रामलीला का मंचन स्व .धनराज को समर्पित किया गया। राजेंद्र नगर का हर व्यक्ति उन्हें प्रेम और सम्मान से याद करता है।”

जीवन पर्यंत समाज सेवा में सक्रिय रहा व्यक्तित्व मरने के बाद भी मानवता की सेवा कर गया। 10 अक्टूबर को एम्स के छात्रों की पढ़ाई के लिए स्व. धनराज का शरीर भेंट में दिया गया। परिवार जनों ने चिकित्सा जगत की सेवा में एक अतुलनीय दान दिया है। चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों द्वारा यह पार्थिव शरीर प्रथम गुरु के रूप में सम्मानित होगा। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री विकास कथूरिया, 9810005324

गुरुद्वारे की सेवा से महादान तक का सफर

श्री ललित भोजवानी

श्री ललित भोजवानी ने 58 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे तिलक नगर में रहते थे। उनकी बहन ने स्नेहपूर्वक उन्हें याद करते हुए उनके विषय में चर्चा की। स्व. ललित गुरुद्वारे में श्रद्धा रखते थे। बहुत सेवाभावी थे। इनका पूरा परिवार देहदान के लिए संकल्पित परिवार है। उनकी माता जी का देहदान हुआ था। देहदान के विषय पर समर्पण भाव रखने वाले परिवार जनों को नमन। 18 अक्टूबर को स्व. ललित भोजवानी का पार्थिव शरीर राम मनोहर लोहिया अस्पताल को दान में दिया गया। चिकित्सा जगत की सेवा में परिवार ने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : बहन, सुश्री रेखा भोजवानी, 992 917 6166

पूरी दुनिया देखने की ताकत देती हैं मां की आंखें

श्रीमती श्याम लता भाटिया

श्रीमती श्याम लता भाटिया का 90 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे नोएडा में रहती थीं। उनके दामाद ने श्रद्धापूर्वक उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-

“All that I am, or ever hope to be, I owe to my angel mother.”

-Abraham Lincoln

The above phrase applies to me well. A mother-in-law is a step forward than a mother because she gives her piece of heart – her daughter to some-one else.

My wife being the only child of her parents, I requested my parents-in-law to allow us to live with them in Delhi. They accepted my request and after our marriage we along with my parents and my parents-in-laws lived together.

My mother-in-law was a very strong, good natured and modern lady. She was very familiar and updated with the modern trends of our society due to her open mindedness. She was very caring and willing to participate on every occasion and happenings in our society. She always participated actively in the financial matters of our family without caring for the need of emergency money which may be needed for her needs. She always believed that I and my wife will take care of her in case of any urgent need which may arise any time due to her old age.

During COVID times, she gave monetary as well as non-monetary help to a number of people and always encouraged us to help others who needed it most.

We always believed her and tried to follow her directions. What we are today is all due to her good wishes. No doubt she was an angel not only for her daughter but for our family too.

We pray the Almighty and wish the departed soul to be more comfortable where-ever she is.”

26 अक्टूबर को स्व. श्यामलता का पार्थिव शरीर एम्स के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।

संपर्क सूत्र: दामाद, श्री कपिल भाटिया, 8800200201

नेत्रदान ने उनकी मृत्यु को भी समाज के लिए उपयोगी बना दिया

श्रीमती मधुबाला जैन

श्रीमती मधुबाला जैन का 72 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे गाजियाबाद में रहती थीं। उनके विषय में उनके पति से संक्षिप्त चर्चा हुई। स्व. मधु दिल्ली के एक सरकारी स्कूल से 35 साल की सेवाओं के बाद रिटायर हुई थीं। वृंदावन जाना उन्हें अच्छा लगता था। काफी समय उनका वहां पर भी बीतता था। समाज सेवा के कार्यों में लगी रहती थीं। बच्चों की शिक्षा व संस्कार के लिए उनके कुछ नियमित कार्यक्रम चलते थे। उनकी जीवन शैली के अनुरूप ही परिवार ने उनकी मृत्यु के बाद उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन करके उनकी मृत्यु को भी समाज के लिए उपयोगी बना दिया। परिवार जनों का साधुवाद।

30 अक्टूबर को ईएसआई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क: पति, श्री सतीश गोयल 9911100390

‘ अपनाघर ’ आश्रय स्थल का महादान

नेत्र दानियों को दधीचि देहदान समिति परिवार की ओर से नमन

आश्रयहीन व्यक्ति जो शारीरिक या मानसिक - किसी भी रुप से लाचार हैं, उन सबका अपना ही घर है, अपना घर आश्रम, पूठ खुर्द, बवाना रोड़ दिल्ली। अपनी खुशी के लिए समाज सेवा का यह प्रकल्प शुरू करने वाले भारद्वाज दंपति का यह दृढ़ विश्वास है कि यह सब कार्य ईशकृपा से सहजता पूर्वक हो रहा है। यहां रहनेवाले व्यक्तियों के लिए "प्रभु" संबोधन है। समिति ने आश्रम में संपर्क व चर्चा करके यहां से नेत्रदान का क्रियान्वयन शुरू किया है। सितंबर अक्टूबर मास में आश्रम के 17 व्यक्तियों के नेत्रदान हुए। चूंकि अधिकांश प्रभु अपने खून के रिश्तो से बिछड़े हुए हैं, इसलिए आश्रम संचालक मरणोपरांत की जानेवाली रीति नीति सबका उत्तरदायित्व निभा रहे हैं। नेत्रदान देहदान के लिए सहमति बनाई, क्रियान्वयन भी शुरू हो गया। आश्रम व्यवस्था में लगे सभी बंधुओं का साधुवाद ।

अपना घर आश्रम से हुए ये सभी सितंबर अक्टूबर के नेत्रदान गुरु नानक आई सेंटर की टीम द्वारा सम्मान सहित लिए गए

नेत्रदानियों को दधीचि देहदान समिति परिवार की ओर से नमन ! नेत्रदानियों को दधीचि देहदान समिति परिवार की ओर से नमन !