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श्रद्धा सुमन

समाज के लिए महादान

श्रीमती लाजरानी प्रणामी

श्रीमती लाजरानी प्रणामी ने 86 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की । वह गुरुग्राम में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदर सहित उनके बारे में हमें लिख भेजा है-

"श्रीमती लाजरानी प्रणामी सर्वधर्म समभाव रखने वाली एक निर्मल आत्मा थी। वे गृहस्थ एवं सामाजिक जीवन के सिद्धांतों को आध्यात्मिक दृष्टि से परमात्मा का हुक्म मानती थीं। अपने दायित्वों को धैर्य, तप और पवित्रता से निभाते हुए परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधने का कार्य करती थीं। वह अक्सर कहती थीं, "आनंद जीव एवं जगत में नहीं अपितु केवल परमात्मा के सानिध्य से ही प्राप्त होता है।" अपने जीवन काल में उन्होंने सभी से स्नेह, प्यार और ममता का व्यवहार रखा। अपने संपर्क में आने वाले को उन्होंने हमेशा 'सुंदर साथ' के नाम से संबोधित किया और उनका अभिवादन 'प्रणाम जी' शब्द से होता था। उनके द्वारा सिखाएं ज्ञान का अनुसरण करने वाले छोटे-बड़े सभी उन्हें झाई जी नाम से संबोधित करते थे। रूहानियत नूर से चमकते व्यक्तित्व का दर्शन करने के लिए सभी लालायित रहते थे। सभी सामाजिक रिश्तों को खूबसूरती से निभाते हुए जीवन की हर परिस्थिति में परमात्मा का ध्यान प्रार्थना और शुकराना करने का संदेश दिया करतीं थीं।

अंतिम क्षणों के संवाद में उन्होंने कहा कि जब प्राण शरीर से निकलेंगे तो रुह अपने परमात्मा के चरणों में लीन हो जाएगी, जीव अपने निर्धारित स्थान अखंड में पहुंच जाएगा। शरीर अग्नि में जलकर राख हो जाए, इससे बेहतर है किसी संस्था समुदाय या प्राणी के काम आ सके । उनके आदेश के अनुसार ही उनका देहदान किया गया।

ऐसी महान, पवित्र, निर्मल आत्मा द्वारा सिखाए सिद्धांतों को शिरोधार्य करते हुए, परिवार जन उनके चरणों में नमन करते हैं ,प्रणाम करते हैं।"

उनके विचारों के अनुरूप ही परिवार ने 4 जनवरी को उनकी देह का दान करके उनकी मृत्यु को भी सफल कर दिया । उनके पार्थिव शरीर का उपयोग फरीदाबाद के मां अमृतानंदमयी अस्पताल व कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए किया जाएगा। मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह पार्थिव शरीर प्रथम गुरु के रूप में सम्मान प्राप्त करेगा। समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का अभिवादन । दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार के शत-शत नमन।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री रमन प्रणामी 88601 09399

यादों में हमेशा बसे रहेंगे

श्री राजीव गुप्ता

श्री राजीव गुप्ता का 55 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे करोल बाग में रहते थे । उनकी पत्नी ने भावपूर्ण शब्दों में उनके विषय में लिख कर भेजा है-

"रो पड़ती हैं आंखें हमारी देख कर तस्वीर आपकी ,

जिंदगी थी छोटी, लेकिन सबसे अच्छी जी गए,

हर जगह सुगंध फैलाकर, स्मृति सबके दिल में रख गए।"

7 जनवरी का वह दुखद दिन था, जब आप हम सब को छोड़कर परमात्मा के श्री चरणों में लीन हो गए। ऐसे लोग बहुत कम होते हैं, जो इस दुनिया से जाने के बाद भी सबके दिलों में हमेशा के लिए रह जाते हैं। ऐसे ही व्यक्ति थे मेरे पति श्री राजीव गुप्ता जी। वे बहुत शांत, धार्मिक, संवेदनशील, दानशील एवं पारिवारिक व्यक्ति थे। उनकी जीवनशैली, कर्म और विचार हमेशा हमारा मार्गदर्शन करेंगे। आप भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमें पूरा यकीन है आपका प्यार और आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है।"

7 जनवरी,2023 को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में

श्री राजीव गुप्ता का नेत्रदान हुआ। परिवार ने इस महादान का क्रियान्वयन करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पत्नी , श्रीमती मंजू गुप्ता 98100 74514

हमेशा समाज के साथ

श्री गुरुदत्त कंवर

श्री गुरुदत्त कंवर ने 94 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे बल्लभगढ़ निवासी थे। वे आजीवन अविवाहित रहे। उनके छोटे भाई ने आदर सहित उनके विषय में जानकारी दी।

श्री गुरुदत्त एक्सटर्नल मिनिस्ट्री में काम करते थे। जिस कारण विश्व के अनेक देशों में उनका जाना हुआ। स्वयं सच बोलते थे और सच का साथ देते थे। वे भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के गिने-चुने विश्वास पात्रों में से एक थे। अधिकतर वे इन्हें अपने साथ रखती थीं। 2008 में इन्होंने देहदान का संकल्प लिया था। इनके परिजनों ने 8 जनवरी को उनका पार्थिव शरीर ई.एस.आई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद में मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया। चिकित्सा जगत की सेवा में यह एक अमूल्य दान है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : अनुज , श्री बलदेव किशन जुनेजा 93150 66627

समाज के लिए एक आदर्श उदाहरण

श्री देवेंद्र चिंतन

श्री देवेंद्र चिंतन का 9 जनवरी को स्वर्गवास हुआ। वह दिल्ली में वसुंधरा एन्क्लेव के निवासी थे। उनके बारे में उनके परिवार की ओर से आदर सहित कुछ शब्द-

" Our father, Mr. Devendra Chintan, was a very courageous, upright and disciplined man. Living for others was his passion. Despite his weak physique due to an injury at a young age, he had enthusiasm of the youth to face new challenges. Though eager to see a hundred springs, he was not oblivious to death and wanted to donate his whole body for the cause of humanity and science. Away from all kinds of rituals, he always used to say, we all are a product of society and should give back the maximum.

When he suddenly left us in void on the morning of January 9, 2023 we were engulfed in grief. By afternoon, when we came to some senses we thought of fulfilling his wish and accordingly contacted the Deh Daan Samiti. As donating the body was not possible at such a short notice, we decided to at least donate his eyes. Our father used to take great care of his eyes and even at the age of 86 could read newspapers without glasses. The Samiti readily accepted our request and sent technicians from Guru Nanak Eye Hospital. Today, we feel extremely content that our father's eyes are helping two people see the world.

-Richa (Daughter), Manan (Son) & Pallavi (Daughter-in-law)

परिवार ने मानवता की सेवा में इस महादान को करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री मनन 98716 44604

पुण्य दान पर परिवार का अभिवादन

श्रीमती सुरेंद्र भंडारी

श्रीमती सुरेंद्र भंडारी ने 84 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वह दिल्ली के अशोक विहार में रहती थीं। उनके पुत्र ने श्रद्धा पूर्वक अपनी मां को याद करते हुए, उनके विषय में फोन पर बात की।

स्व. सुरेंद्र के पति सामाजिक कार्यों में बहुत सक्रिय थे। ये उन्हें बराबर सहयोग करती थीं। 2016 में पति की मृत्यु के बाद भी वह सामाजिक कार्यों में सक्रियता लगी रहीं। गरीब कन्याओं का विवाह और धार्मिक गतिविधियों से उनका जुड़ाव रहा। उनकी जीवनशैली को देखते हुए परिवार ने उनके नेत्रदान का निर्णय लिया। 10 जनवरी को गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित स्व. सुरेंद्र भंडारी के नेत्र दान में लेकर गई। मानवता की सेवा के लिए किया गया यह दान समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है । परिवार का अभिवादन । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री विपिन भंडारी 98108 32442

दिल में बसा था जन कल्याण

श्री महेंद्र कुमार

श्री महेंद्र कुमार का 57 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली में मोती नगर के निवासी थे । उनके पुत्र ने उन्हें आदर सहित याद करते हुए बताया कि वे बहुत मिलनसार थे। सब से बातें करना और दूसरों की भलाई के बारे में सोचना उनके स्वभाव में था। मंदिर जाना उनका नित्य कर्म था। परिवार ने 10 जनवरी को मरणोपरांत उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है । परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री आकाश सेठी 99994 74844

एक रोशनी बिखेर गईं वह

श्रीमती इंदिरा जैन

श्रीमती इंदिरा जैन का 70 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह दिल्ली के टैगोर गार्डन में रहती थीं। 10 जनवरी को मरणोपरांत गुरु नानक आई सेंटर की टीम इन के नेत्र दान में लेकर गई। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हम परिवार का अभिवादन करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे ।

संपर्क सूत्र : पति , श्री अजित जैन 93129 27024

समाज सेवा में एक अमूल्य योगदान

श्रीमती सावित्री मित्तल

श्रीमती सावित्री मित्तल ने 72 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे रोहिणी में रहती थीं। उनके पुत्र ने श्रद्धा पूर्वक उनके विषय में अपनी भावनाएं व्यक्त की है-

1.मां वाकई निडर थीं। सच को सच और झूठ को झूठ कह सकती थीं।

  1. संकोच शब्द उनके शब्दकोश में नही था।
  2. वह हंसमुख थीं। सभी का खिले चेहरे से स्वागत करती थीं।
  3. हमेशा कुछ न कुछ काम करते रहने में ही उनका मन लगता था।
  4. हमेशा किसी न किसी से बातें करते रहना उनके स्वभाव में था।
  5. वह कभी भी कितनी भी बीमार रही हों, अपनी सेवा कभी किसी से नही करवाई।
  6. खुद के लिए मां ने कभी कोई इच्छा नहीं रखी।

11 जनवरी को उनके जीवन के अनुरूप ही उनकी मृत्यु को भी परिवार ने समाज के लिए उपयोगी बना दिया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार का साधुवाद । दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अश्विनी अग्रवाल 99993 00063

आस्थावान सोच के साथ जनसेवा

श्रीमती संतोष ग्रोवर

श्रीमती संतोष ग्रोवर ने 78 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे दिल्ली के मायापुरी रहती थीं। उनके पति से श्रीमती संतोष के विषय में फोन पर लंबी बात हुई। केंद्रीय विद्यालय में वह प्रिंसिपल रहीं। नेत्रहीनों के लिए काम करने वाली एक संस्था से भी जुड़ी हुई थीं। विकलांगों के लिए भी उन्होंने काफी काम किया । हर समय लोगों की सहायता के लिए तैयार रहती थी। आर्थिक मदद हो या समय की मांग, उनका समर्पण पूरा था। गरीब कन्याओं के विवाह में भी वह सहयोग करती थीं। शिक्षा की मदद के लिए भी उनकी तत्परता देखते ही बनती थी। देहदान-अंगदान की जागृति के लिए अपने आस-पड़ोस में कुछ न कुछ करती रहती थीं। कितनी बार उन्होंने इसके लिए पर्चे भी बांटे । उन्हीं से प्रेरणा लेकर उनके पति ने भी देहदान का संकल्प लिया।

रात के 1:30 बजे स्व. संतोष ग्रोवर के नेत्रदान और देहदान की प्रक्रिया में दधीचि देह दान समिति की टीम जुट गई थी। इसे देखकर श्रीमती संतोष ग्रोवर का परिवार भी

इस उद्देश्य के लिए सक्रिय रहने की इच्छा व्यक्त कर रहा है। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई । चिकित्सा शास्त्र के विद्यार्थियों के उपयोग के लिए एम्स दिल्ली में स्व. संतोष का पार्थिव शरीर 12 जनवरी को दान में दिया गया। इस उपयोगी दान के लिए परिवार का साधुवाद । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पति , श्री हरबंस लाल ग्रोवर 99100 60277

एक आदरणीय जिंदगी

श्रीमती सत्या

श्रीमती सत्या ने 80 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की। वह दिल्ली के मयूर विहार में रहती थीं। उनकी बेटी ने आदर पूर्वक अपनी भावनाएं इस प्रकार व्यक्त की है-

"Mummy Satya was an epitome of courage, intelligence, strength, and righteousness. She was a beacon of light for all of us. She was always full of positivity and social concern.

May we all love her ideals and thoughts as homage to her great persona!

May she rest in peace."

13 जनवरी को उनका पार्थिव शरीर यू.सी.एम.एस., जी. टी. बी. में दान किया गया। मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के आरंभ में 1 साल तक केडेवर (पार्थिव शरीर) पर सीखना होता है । उन छात्रों के लिए यह एक अमूल्य दान है। छात्र इस केडेवर के रखरखाव की शपथ भी लेते हैं ।परिवार ने इस अमूल्य दान से समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद । दधीचि देहदान समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्री , सुश्री अर्चना 98993 52255

सोच बड़ी, दान बड़ा

श्री कृपा शंकर मिश्रा

श्री कृपा शंकर मिश्रा का 88 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वह मथुरा में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में आदर सहित फोन पर बात की। वे आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता थे। समाज सेवा के कार्य में लगे रहते थे। 2017 में मथुरा के एक कार्यक्रम में इन्होंने देहदान का संकल्प लिया था। अपने इस संकल्प को वे परिवार में दोहराते रहते थे ।

14 जनवरी को श्री कृपाशंकर का पार्थिव शरीर एस.एन. मेडिकल कॉलेज ,आगरा में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए दान किया गया। विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए प्रथम गुरु के रूप में उपयोग के लिए यह दान अमूल्य है। स्व. कृपाशंकर के संकल्प का सम्मान करने के लिए परिवार जन साधुवाद के पात्र हैं। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अतुल मिश्रा 82659 20063

स्वभाव में पलता था परोपकार

श्रीमती मोहिनी डंडोना

श्रीमती मोहिनी डंडोना ने 92 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की। वह दिल्ली के पटेल नगर की निवासी थीं। उनकी बेटी ने आदर पूर्वक उन्हें याद करते हुए हमें उनके बारे में बताया।

श्रीमती मोहिनी बहुत स्नेही व सबका ध्यान रखने वाली महिला थीं। बहुत सरल स्वभाव की थीं। वो सब पर विश्वास करती थी । अपने बच्चों में तो जैसे उनकी जान ही बसती थी। सबके बारे में चिंता करती थीं।

19 जनवरी को उनका पार्थिव शरीर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दिया गया। परिवार द्वारा किए गए इस अनुकरणीय दान के लिए उनका साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्री , सुश्री दीपा वर्मा 98107 67679

हमेशा आदर के योग्य

श्रीमती फूलवती

श्रीमती फूलवती का 74 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली में रोहिणी की निवासी थीं। 22 जनवरी को स्व. फूलवती के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम दान में लेकर गई । नेत्रदान का निर्णय लेकर परिवार ने मानवता की सेवा में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : श्री संजय शौकीन 98999 95707

स्वभाव से विनम्र , सोच में अटल

श्री सुरेंद्र कुमार महाजन

श्री सुरेंद्र कुमार महाजन का 76 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के शक्ति नगर में रहते थे। उनकी पुत्रवधू से फोन पर उनके बारे में जानकारी मिली। सीएसआईआर की नेशनल फिजिकल लैब में वह अनुसंधान में व्यस्त रहते थे। इसी उपलक्ष्य में उनका अधिकांश समय विदेशों में बीतता था । गंभीर स्वभाव वाले स्व. सुरेंद्र अपने काम के प्रति पूर्णतया समर्पित थे । स्वभाव से विनम्र थे। 22 जनवरी को मरणोपरांत उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । परिवार का साधुवाद । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधू , श्रीमती साक्षी महाजन 98106 93394

समाज को उपहार देकर गए

श्री विजय कांत

श्री विजय कांत का 75 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के मॉडल टाउन में रहते थे । उनके पुत्र ने आदर पूर्वक उनके विषय में लिख कर भेजा है-

"My father was a very cool, calm and nobel person.

He spent his whole life in a very simplistic manner

He had great passion for travelling . He traveled many parts of the world .

I had donated his eyes because I want that he will keep on seeing the world even after death."

23 जनवरी को गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित स्व. विजय कान्त के नेत्र दान में लेकर गई। परिवार ने मानवता की सेवा में समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री संजीव कांत 98115 58628

जीना इसी का नाम है !

श्रीमती चंपा देवी

श्रीमती चंपा देवी ने 87 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की। वह दिल्ली के रोहिणी में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदर सहित उन्हें याद करते हुए बताया कि वे बहुत अच्छे स्वभाव की थीं। परिवार को हमेशा साथ लेकर चलती थीं। अभावग्रस्त समय में भी उन्होंने अपने बच्चों का लालन-पालन बहुत मनोयोग से किया।

श्रीमती चंपा देवी की जीवन शैली ऐसी रही कि किसी के भी काम आने वाले व्यक्ति का जीवन ही सफल जीवन होता है। इसी सब के अनुरूप, परिवार ने 26 जनवरी को उनका पार्थिव शरीर चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए अंबेडकर कॉलेज को दान किया। उनके नेत्र भी गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में एक प्रेरक कार्य करने के लिए परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री महेंद्र गोयल 70700 00010

जिंदगी भर अपने संस्कार पर

श्रीमती कुलवंत कालरा

श्रीमती कुलवंत कालरा का 81 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह गुरुग्राम में रहती थीं। उनके पुत्र ने बहुत गर्व से बताया कि 25 वर्ष पूर्व उनके पिताजी ने अपने परिवार के सभी सदस्यों का देहदान का फॉर्म एम्स के माध्यम से भरवाया था। इस कार्य में उनकी माताजी की भी सहमति रही। स्व. कुलवंत हिंदी में पोस्टग्रेजुएट थीं और रशियन पत्रिका स्पूतनिक की संपादक रहीं।

वे अपने परिवार को समर्पित एक स्नेही महिला थीं। किसी की भी सहायता के लिए हरदम तैयार रहती थीं। 5 फरवरी को उनके देहावसान के बाद परिवार जनों ने उनका पार्थिव शरीर मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए फरीदाबाद के मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज को दान किया। विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए यह एक अमूल्य दान है। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अमित कालरा 99990 28933

परोपकार की राह पर

श्रीमती सुदेश अरोड़ा

श्रीमती सुदेश अरोड़ा ने 82 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूरी की। वह दिल्ली के अशोक विहार में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदर पूर्वक उन्हें याद करते हुए बताया कि उन्होंने आनंदपुर साहिब से नाम लिया हुआ था। अपने परिवार को भरपूर प्यार करने वाली व सबकी सहायता करने वाली महिला थीं। उन्होंने नेत्रदान का संकल्प लिया हुआ था। परिवार ने उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए 12 फरवरी को उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर में दान किए । मानवता की सेवा में इस महादान को कर के परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अजय अरोड़ा 91635 00113

जब दिल में बसे जनकल्याण

श्रीमती वीना ललवानी

श्रीमती वीना ललवानी ने 78 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की। वह दिल्ली के रोहिणी में रहती थीं। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में बातचीत हुई।

श्रीमती वीना परिवार को समर्पित एक गृहिणी थीं। 21 फरवरी को उनकी मृत्यु के बाद परिवार में किसी मित्र ने नेत्रदान के बारे में चर्चा की ,जिसके लिए परिवार की सहमति बन गई। श्रीमती वीना के नेत्र एम्स के राजेंद्र प्रसाद आई सेंटर को दान किए गए। परिवारजनों ने इस महादान के निष्पादन से समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री प्रवीण ललवानी 98101 18943

ऐसी सोच सबकी हो

श्रीमती त्रिलोचन कौर साहनी

श्रीमती त्रिलोचन कौर साहनी 82 वर्ष की आयु में परलोक सिधार गईं। वह दिल्ली के इंदरपुरी की निवासी थीं। उनके पुत्र ने आदर सहित अपनी माता जी को याद करते हुए उनके विषय में चर्चा की ।

उन्हें गुरुद्वारे में बहुत श्रद्धा थी । उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने बच्चों को योग्य और आत्मनिर्भर बनाया। उनका बौद्धिक स्तर बहुत ऊंचा था । शिक्षा पर विशेष जोर देती थी । अपने परिवार के ही एक सदस्य श्री अमरपाल से प्रेरित होकर उन्होंने नेत्रदान के विषय में सोचा था।

21 फरवरी को स्व. त्रिलोचन कौर के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। परिवार ने नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री मंजीत सिंह साहनी 98101 29781

जाते - जाते परोपकार

श्री चंद्र प्रकाश

श्री चंद्र प्रकाश का 100 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के जनकपुरी में रहते थे । उनकी पुत्री ने फोन पर विस्तार से उनके विषय में जानकारी दी।

उन्होंने सार्थक और उपयोगी जीवन बिताया । स्वयं 16 वर्ष के थे, तो पिताजी की मृत्यु होने पर परिवार को संभाला। 58 वर्ष की आयु में पत्नी भी परलोक सिधार गई । उन्होंने परिवार को जोड़ कर रखा। सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहे वह पार्को के रखरखाव में व्यस्त रहते, लोगों को योग सिखाते और हमेशा सबकी मदद के लिए तैयार रहते थे। सबके साथ अच्छा व्यवहार ही उनकी पहचान था। हर व्यक्ति को उसकी योग्यता व सामर्थ्य के हिसाब से ही उसके लिए मार्ग बताते थे । उन्हें उर्दू और अंग्रेजी आती थी ।उर्दू में शायरी लिखना व सुनाना उनका शौक था। सुखद बात तो यह है की गीता पढ़ने के लिए इन्होंने पहले हिंदी और फिर संस्कृत सीखी । शारीरिक श्रम की नियमितता और अनुशासन का पालन घर में सुनिश्चित किया हुआ था। स्वयं पूर्णत: स्वस्थ रहे । अपना नेत्रदान का कार्ड परिवार में संभाल कर रखा हुआ था।

22 फरवरी को स्व. चंद्र प्रकाश के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । परिवार का अभिवादन इस नेत्रदान महादान के निष्पादन के लिए । प्रेरणास्पद जीवन जीने वाले व्यक्तित्व को समिति परिवार श्रद्धा सहित नमन करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्री , डॉ रीता अरोड़ा 93122 32224