संरक्षक की कलम से
देह और अंग दान से प्रधानमंत्री का सरोकार

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 'मन की बात' के 99 वे एपिसोड में 26 मार्च, 2023 को देह-अंगदान के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि "हमारे देश में परमार्थ को इतना ऊपर रखा गया है कि दूसरों के सुख के लिए, लोग, अपना सर्वस्व दान देने में भी संकोच नहीं करते। इसलिए तो हमें बचपन से शिवि और दधीचि जैसे देह-दानियों की गाथाएं सुनाई जाती हैं।"

प्रधानमंत्री जी ने बताया कि, "आधुनिक मेडिकल साइंस के इस दौर में ऑर्गन डोनेशन, किसी को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है। कहते हैं, जब एक व्यति मृत्यु के बाद अपना शरीर दान करता है तो उससे आठ से नौ लोगों को एक नया जीवन मिलने की संभावना बनती है। संतोष की बात है कि आज देश में ऑर्गन डोनेशन के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है। साल 2013 में, हमारे देश में, ऑर्गन डोनेशन के पांच हजार से भी कम केसेस थे, लेकिन 2022 में, ये संख्या बढ़कर, 15 हजार से ज्यादा हो गई है। ऑर्गन डोनेशन करने वाले व्यतियों ने, उनके परिवार ने, वाकई, बहुत पुण्य का काम किया है।"

प्रधानमंत्री जी ने इस विषय पर बात करते हुए अमृतसर की एक गुड़िया अबाबात कौर के विषय में बताया व उसके माता-पिता से बात की। अबाबात को 39 दिन में दो बार दिल का दौरा पड़ा। इतनी छोटी उम्र में वह उसे झेल नहीं पाई। ऐसे में उसके माता-पिता ने तय किया कि वह इसके अंगों का दान करेंगे। और उसके अंगों का दान हुआ।

हमे प्रधानमंत्री जी को बताने में यह संतोष होगा कि दधीचि देह दान समिति के द्वारा तो 7 दिन के बच्चे का देहदान हुआ। सूरज गुप्ता और आंचल गुप्ता के बेटे का सातवे दिन ही ओपन हार्ट सर्जरी हुई और उसके कुछ घंटो बाद ही उसे मृत घोषित कर दिया गया। ऐसे कठिन समय में बच्चे के माता पिता ने मेडिकल के छात्रों के लिए इसका देहदान करने का निर्णय किया। इस बच्चे की देह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संसथान (एम्स) में दान की गई। बच्चे के दादा जी का यह कहना था कि यह दुनिया में आया ही सबसे छोटे बच्चे के शरीर की पढ़ाई के लिए था। यह देश का सबसे कम उम्र का देहदान था।

इसके बाद 10 नवंबर 2017 को जब 'देहदानियों का उत्सव' राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी की उपस्थिति में सम्पन्न होना तय हुआ। इसका सीटिंग प्लान राष्ट्रपति भवन भेजा गया तो स्वयं राष्ट्रपति जी ने इसमें सात दिन के देहदानी बच्चे के पिता श्री सूरज गुप्ता को ऊपर मंच पर साथ में बैठने के लिए कहा।

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राष्ट्रपति भवन में आयोजित 'देहदानियों के उत्सव' में 7 दिन के देहदानी बच्चे के पिता श्री सूरज गुप्ता मंच पर सबसे दायीं ओर

इसी प्रकार प्रधानमंत्री जी ने झारखंड की स्नेहलता चौधरी जी के बारे में बात की और उनके परिवार से भी बात की। 63 वर्षीय स्नेहलता चौधरी जी को एक दिन मॉर्निंग वाक करते समय किसी मोटर साइकिल वाले ने पीछे से धक्का दे दिया। जिससे उनके सर पर काफी चोट आई और सात-आठ दिन बाद उन्हें ब्रेन-डेड घोषित कर दिया गया। ऐसे में उनके परिवार ने उनके ऑर्गन डोनेशन करने का साहसिक निर्णय लिया। स्नेहलता जी की हार्ट,किडनी और लिवर दान की गई।

हमे प्रधानमंत्री जी को यह बताने में भी संतोष होगा कि दधीचि देह दान समिति द्वारा तो 76 वर्षीय वीर भान चौधरी जी के अंगों का दान एम्स में कराया गया। श्री वीर भान चौधरी को सांस लेने में कुछ कठिनाई हुई और उन्हें 14 फरवरी, 2015 को आर्किड अस्पताल, जनकपुरी में भर्ती होना पड़ा। 16 फरवरी, 2015 को डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। उनकी देह एम्स में लायी गयी। 17 फरवरी, 2015 को उनकी आंखें, गुर्दे और यकृत निकाले गए और कई लोगों को स्वस्थ जीवन जीने में मदद करने के लिए प्रत्यारोपित किया गया। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा दिल्ली में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इन अंगों को प्रत्यारोपित करने में मदद की गई।

प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्र को अंगदान के लिए प्रेरित किया है। प्रधानमंत्री जी जो विषय उठाते हैं, उसको सफल करने के सब प्रयत्न भी देश में होते हैं। हमें जानकारी मिली कि दधीचि देह दान समिति के रजत जयंती वर्ष पर आयोजित विमर्श और उसमे दिए गए सुझावों की भी प्रधानमंत्री जी ने जानकारी ली थी। स्वयंसेवी संस्थाओं का देह-अंग दान का अभियान अब राष्ट्रव्यापी हो गया है। स्वयं प्रधानमंत्री इसका नेतृत्व कर रहे हैं। सरकारें इसके लिए योग्य कदम उठा रही है।

हमें विश्वास है कि निकट भविष्य में ही 'सर्वे भवन्तु निरामयाः' यानी सब जन स्वस्थ रहें की वैदिक प्रार्थना अब सफल होने जा रही है। भगवान हमारा मार्ग प्रशस्त करें।

   
आलोक कुमार

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A letter to the NGOs by DDDS
Encouraging decisions taken by the central government
एक वालंटियर का निवेदन
प्रोफेसर कुलविंदर सिंह
Article
Uterine Transplant: Some Facts
Dr. Satabdi Dey
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