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देहदानियों का 42वां उत्सव गाज़ियाबाद क्षेत्र

दधीचि देह दान समिति का ‘देहदानियों का 42वां उत्सव’ 23 फरवरी, 2020, रविवार को प्रातः 9ः30 बजे से आई.एम.ए. भवन, गाज़ियाबाद में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में वर्ष भर के देहदानियों के परिवारों व नए संकल्पित लोगों को सम्मानित किया गया। इस वर्ष 6 देह दान/अंग दान करने वाले परिवारों व 100 से अधिक ऐसे लोगों को सम्मानित किया गया जिन्होंने पिछले एक वर्ष में मृत्योपरांत देह दान या अंग दान करने का संकल्प पत्र भरा। उन्हें परिचय पत्र, प्रमाण पत्र और वसीयत वितरित किए गए।

कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन एवं मंचासीन अतिथियों के सम्मान के साथ हुआ। इसके बाद दधीचि देह दान समिति, गाज़ियाबाद एवं नोएडा के संयोजक श्री अविनाश चन्द्र वर्मा ने समिति के बारे में जानकारी दी। तत्पश्चात डाॅ. राहुल पोद्दार, लेप्रोस्कोपिक सर्जन ने स्लाइड्स द्वारा देह दान व अंग दान के बारे में विस्तार से बताया। आदरणीय बी.के. राजेश दीदी का सानिन्ध्य व आर्शीवाद मिला। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि मृत्यु के बाद शरीर को बेकार मान कर पंचतत्व में विलीन कर दिया जाता है। लेकिन मृत शरीर बेकार नहीं है, अगर इसको मेडिकल काॅलेज के विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए दे दिया जाए जिससे वो मानव शरीर सम्बंधित विस्तृत चिकित्सा ज्ञान प्राप्त कर सकें। इससे बड़ी मानव सेवा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि जो ऋषि-मुनि जंगलों में तपस्या करके शरीर त्यागते थे उनकी मृत देह भी जंगली जानवरों के काम आ जाती थी और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता था। अतः इस भ्रम को मन से निकाल देना चाहिए कि देह दान के बाद मोक्ष नहीं मिलेगा और मानव जाति के कल्याण हेतु देह दान व अंग दान जैसे महादान का संकल्प अवश्य लेना चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. एन. के. गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गाज़ियाबाद ने समिति के कार्यों की सराहना के साथ दानदाताओं की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जीते जी रक्त दान व मरणोपरांत अंग दान या देह दान से बड़ा कोई दान नहीं हो सकता। व्यक्ति की मृत्यु के बाद नेत्र दान करने से 4-6 लोगों को आंखों में रोशनी आ जाए जो इससे बड़ा दान और क्या हो सकता है!

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती भारती सिंह, निदेशक, सद्भावना एन.जी.ओ. ने कहा कि आज के समय में अंग दान, नेत्र दान व देह दान की बहुत अधिक ज़रूरत है। अंगों के न मिलने से कितने लोग देख नहीं पा रहे हैं, कई विकलांग अंगों के अभाव में असामयिक मृत्यु के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे श्रीलंका में नेत्र दान ज़रूरी है, जिससे अब वहां कोई दृष्टिहीन नहीं है, वैसे ही भारत में भी नियम लागू होना चाहिए, साथ ही देह दान व अंग दान के नियमों को आसान बनाया जाना चाहिए।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में समिति के अध्यक्ष व मुख्य वक्ता श्री हर्ष मल्होत्रा ने समिति व अंग दान के बारे में जानकारी दी तथा अंग दान व देह दान करने वाले परिवारों और नए संकल्पित लोगों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि ये सभी समाज व देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

अंत में आई.एम.ए. अध्यक्ष डाॅ. वी.बी. जिन्दल ने सभी देहदानियों, संकल्पित लोगों, अतिथियों और आगंतुकों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विशाल चड्ढा एवं डाॅ. मधु पोद्दार ने किया। कार्यक्रम में श्री कमल खुराना, श्री वी.के. अग्रवाल, श्री ओम प्रकाश, डाॅ. कमल अग्रवाल, डाॅ. एच.एच.डी. भारद्वाज, डाॅ. वाणी, श्री मनु गर्ग, श्री अशोक कुमार अग्रवाल, डाॅ. आर.के. पोद्दार सहित लगभग 200 लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में सभी भोजन प्रसाद ग्रहण किया।