कोई भूखा नहीं सोएगा- शिरडी साईं रसोई
मंजु प्रभा
हमारे घर में सबको करोना हो गया। पहले ही दिन से हमारे दो पड़ोसियों ने सुबह दोपहर शाम, तीनों समय के भोजन की व्यवस्था अपने जिम्मे ले ली। उस समय वे हमारे लिए भगवान के रूप में ही थे ।सब बीमार और घर में कोई मेड नहीं, ऐसे में भोजन की व्यवस्था हो गई तो बहुत निश्चिंतता हुई।
पर, समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनका पड़ोस का दायरा बहुत बड़ा है। करोना के पीक समय में, शिरड़ी साईं रसोई के नाम से श्री राजीव मिश्रा के नेतृत्व में काम करने वाली 30/35 लोगों की टीम ने 600 परिवारों को खाने के पैकेट पहुंचाएं। ये वो परिवार थे जो निशुल्क भोजन लेना नहीं चाहते थे, पर क्योंकि पूरा परिवार करोना की चपेट में है तो मजबूरी में यह मदद उन्हें लेनी पड़ी। जीवन के लिए भोजन बहुत आवश्यक है और कठिन समय में इसकी व्यवस्था करने वाले लोग तो जीवन रक्षक ही लगने लगते हैं।
19 वर्ष से एक एनजीओ के रूप में काम करने वाले ये सभी कार्यकर्ता समाज के उच्च मध्यम वर्ग व मध्यम वर्ग से आते हैं। यह संस्था मुख्य रूप से रोज़ एक समय लंगर लगाती है। पर करोना शुरू होते ही, इन्होंने करोना पीड़ित परिवारों से अपील की व उनके फोन आने पर दोनों समय का पैक खाना उनके घरों तक पहुंचाया। पटपड़गंज, कृष्णा नगर, मयूर विहार और भी जहां से कहा गया, किसी को मना नहीं ।साफ सुथरा, पौष्टिक भोजन (मल्टीग्रेन आटे का प्रयोग), श्रद्धा से स्वयं बनाया और प्रेम से वितरित किया ।इस टीम के एक उत्साही कार्यकर्ता, श्री गौरव कपूर से बात होने पर पता चला कि बीमारी के पीक समय में अट्ठारह सौ पैकेट तक घरों में पहुंचाए गए। अभी भी 250 पैकेट जा रहे हैं। जिन परिवारों को भोजन कराया उनमें से अनेक ने अपनी श्रद्धा -सामर्थ्य अनुसार धन, साईं के लिए चढ़ाया ।अभी संस्था ने राम मनोहर लोहिया व सफदर जंग अस्पताल में मरीजों के साथ ठहरे हुए अटेंडेंट्स के लिए, वेटिंग हॉल में खाना पहुंचाना भी शुरू किया है ।
भारतीय परंपरा में अन्न दान का महत्व संस्कारों में बहुत गहरा है ।कोई भूखा न सोए, ऐसी करुणा भावना जनमानस में भरी हुई है। श्री राजीव मिश्रा इसी भावना को पोषित करता हुआ एक उदाहरण है। मानवता पर आई इस संकट की घड़ी में भारत में असंख्य एनजीओस धार्मिक संस्थाएं आरडब्ल्यूएस व व्यक्तिगत स्तर पर भी बहुत स्थानों पर समाज इस तरह की सेवा में जुटा हुआ है।