सकारात्मक सोच - Positive Attitude
Vinod Agarwal
There is a quote in English which I read few years back and it says
There is no difference between Person to Person
In case there is some difference Then it is in their ATTITUDE
It further says
There is no difference between Attitude to Attitude
Incase there is some difference in Attitude Then it is whether it is Negative or Positive
The above saying is perfectly true in present context. On the lighter side, in case our Covid report is positive- the next moment we become untouchable not to society but to our family also. And the moment our report becomes negative – the person is acceptable not only to the family but to society as well.
We know to make our corona test report negative from positive, not the negavity but positivity in our attitude becomes an essential element besides the doctor’s advice, his treatment .
Below are three case studies of our Samiti volunteers. Two of them were hospitalized and Mrs Sudha Soni was in home isolation under doctor supervision.
पद्मा बत्रा
हिम्मत बहुत बड़ी ताकत है
कोई भी बीमारी या विपरीत स्थिति, हम पर हावी नहीं हो सकती यदि हम जीवन के दो मुख्य मंत्र याद रखें। इन्हीं मंत्रों ने मुझे करोना की परिस्थिति से बाहर निकाला ।
पहला मुख्य मंत्र है -परमात्मा का सिमरन और हमेशा धन्यवाद करते रहना।
दूसरा मंत्र है- सकारात्मक सोच रखना और इसी सोच वाले लोगों का साथ । आज अगर मैं स्वस्थ हूं तो इन्हीं पॉजिटिव लोगों के साथ की वजह से, जिन्होंने मेरा मनोबल बनाए रखा ।
मैं परमात्मा की बहुत-बहुत शुक्रगुजार हूं, जिसने मेरे जीवन जीने के मकसद को और मजबूत किया।
Rajendra Kumar
WILL POWER SHOULD BE VERY STRONG
I have been associated with Dadhichi Deh Dan Samiti. I am also an Officer at United India Insurance Co. Ltd.
On April 18th I started developing Covid symptoms. My oxygen level had started to dip, and I had to be admitted at Jaipur Golden Hospital. Thereafter I tested positive for Covid.
With everyone’s blessings I recovered well, got discharged and returned home on May 5th.
Through this time when I was admitted in the hospital, my daughter, my son-in-law, my wife, my son, and my daughter-in-law took a lot of care and looked after me. My relatives, colleagues and friends also used to call me everyday and wished me good health. My 2 elder brothers, and my sisters also used to send me motivational messages everyday. Everyone asked me to stay mentally strong and positive.
Also, Special thanks to Shri Vinod Agarwal ji from Dadhichi Deh Dan Samiti who also checked upon me regularly, wished me good health, and encouraged me to stay strong.
I used to pray to God all the time, asking for his blessings and my recovery. I also followed everyone’s advice and tried to be as mentally positive as possible. Now I am recovering well at home.
To all those who are still recovering, I ask you all to stay mentally positive by praying to God regularly, by listening to spiritual songs, reading good messages, and talking to your family regularly. All these things really matter and help you recover fast.
सुधा सोनी
हमें विश्वास नहीं खोना
मुझे दूसरी वैक्सीन लगने के 10 घंटे के बाद पेट दर्द व डायरिया शुरू हो गया। घर में सभी संभव उपचार करने के पश्चात स्थिति असह्य हो गई। रात के 2:00 बजे मुझे फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया। वहां हमें अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली, कहा गया कि यहां केवल कोविड के मरीज ही अंदर जा सकते हैं। रात के 3:00 बजे घबराते हुए, मैंने डॉ तरुण सेकरी ( इनमास एक्स डायरेक्टर )को फोन पर अपना हाल बताया । उनकी दवा से मैं तीन-चार घंटे में स्वस्थ हो गई और मैंने उन्हें अपना हाल बताने को फोन किया । उनकी राय के अनुसार हमने घर के सभी सदस्यों का RTPCR कराया । टेस्ट रिपोर्ट में मैं और मेरी 7 वर्ष की नातिन पॉजिटिव पाए गए। मेरी बेटी की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद उसमें करोना के सभी लक्षण दिख रहे थे । बेटी और नातिन अलग घर में हो गए और मैं अलग एक कमरे में। दवाओं से वे दोनों दो-तीन दिन में ठीक हो गए । मैंने 1 मई से अपने डॉक्टर को भगवान ही मान लिया। बुखार और दर्द फिर बढ़ने लगा। ऑक्सीजन लेवल घटने लगा। आवाज धीरे धीरे धीमी हो गई। डॉक्टर साहब के निर्देशानुसार मैंने अपने कमरे में जरूरत का सब सामान उपलब्ध करा लिया। मेरी दिनचर्या में, सुबह उठकर नित्य कार्यक्रम से फ्रेश होकर, गरम पानी के गरारे, स्टीम, योगा और 10 मिनट का प्राणायाम जुड़ गया। ऑक्सीजन लेवल जब 93 से कम हो गया तो मैंने डॉक्टर से बात की ।उन्होंने मुझे एक वीडियो भेजी जिसके अनुसार मैं 4 तकियों की मदद से दिन में 8-10 बार व्यायाम करती, तो तुरंत ऑक्सीजन लेवल 2 से 3% बढ़ जाता था। धार्मिक पुस्तकें पड़ती, पुराने गीत सुनती, अपने परिवार -डॉक्टर साहब व शुभचिंतक मित्रों के साथ अपना हाल सांझा करती। मुझे कमरे के बाहर, छोटी सी मेज पर खाना परोस दिया जाता । गरम पानी, चाय, कॉफी यह सब मैं स्वयं बना लेती। अपने प्रभु से बात करते हुए मैं अपने आप को धन्य महसूस करती कि आपने मुझे अस्पताल जाने से बचा कर रखा । अपने कपड़े धोकर अंदर ही सुखा लेती ।अपने बर्तन साफ करती। ऐसा महसूस होता कि जैसे मैं रेल में लंबी यात्रा करने निकली हूं, अभी मेरा डेस्टिनेशन प्वाइंट दूर है ।मेरा धैर्य उस समय काफी टूट गया जब 14 /15 दिन के बाद मेरी नातिन को पेट दर्द और डायरिया हो गया ।डॉक्टर साहब ने तुरंत करोना रिलेटिव टेस्ट करवा दिए । रिपोर्ट बहुत खराब आई। बच्ची को रात को ही गंगा राम हॉस्पिटल और फिर मैक्स शालीमार में दाखिल करवाना पड़ा। भगवान की बहुत कृपा हुई कि डॉक्टरों ने सारी स्थिति संभाल ली। 2 दिन में बच्ची ठीक हो गई ।हमारी परीक्षा समाप्त हुई । ईश्वर को हाथ जोड़कर नमन। 17 दिन बाद स्वयं को टेस्ट रिपोर्ट में नेगेटिव पाया। सबसे पहले भगवान को नमन व धन्यवाद जिसने पग पग पर किसी ना किसी रूप में मेरी सहायता की। मैं अपने पति, बेटे, सभी संबंधियों व मित्रों की बहुत आभारी हूं। दधीचि देहदान समिति के सदस्यों ने भी मेरा मनोबल गिरने नहीं दिया और प्रेरणापूर्ण संदेशों द्वारा मेरा आत्मबल मजबूत करते रहें।
समाज के प्रति मेरा यह अनुरोध है कि हमें इस महामारी का डटकर मुकाबला करना है। अफवाहों पर ध्यान नहीं देना है । डॉक्टर की सलाह माननी है। और सबसे महत्वपूर्ण हमें विश्वास नहीं खोना
As their narration itself express that they could come out of their thought process, positive attitude and meditation because all the three are God loving persons.
Mrs Sudha Soni says she did not want to die due to Corona because in that case her body could not have been donated to Medical College and thus her pledge to donate body wasted.
Similarly is the case with Sh Rajendra Kumar. He is a regular blood donor and donates the blood month. He says that because of corona he may not be able to donate blood for many months.
Ms Padma Batra gives her services to a blind institute. It pains her that she will not be able to give her services for many months.
So, it is their positive attitude to serve the humanity, which brought them back to the normal lifestyle so that they may continue to serve the humanity.