समिति के ईजरनल के प्रवेशांक का लोकार्पण
दधीचि ऋषि के आविर्भाव दिवस की पूर्व संध्या गत 1 सितम्बर 2014 को देश की राजधानी नई दिल्ली में संसद मार्ग स्थित यातायात भवन के खचाखच भरे सभागार में केन्द्रीय मंत्री (सड़क परिवहन राजमार्ग एवं पोत परिवहन) भारत सरकार, के करकमलों द्वारा दधीचि देहदान समिति के अन्तर्राष्ट्रीय ई-जर्नल का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर धर्मयात्रा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांगे लाल गर्ग, दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार(एडवोकेट), महामंत्री हर्ष मल्होत्रा (अध्यक्ष, शिक्षा समिति, पूर्वी दिल्ली नगर निगम) के अतिरिक्त दर्जनों गणमान्य नागरिकों, सामाजिक राजनैतिक, धार्मिक तथा सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
समारोह के अवसर पर केन्द्रीय मंत्री गडकरी में समिति के द्वारा निस्वार्थभाव से की जा रही समाज की सेवा की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उनके विचार में व्यक्ति को जीवन के अन्तिम क्षण तक लोक हित के कार्य करने चाहिये। उन्होंने हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा आयोजित कार्यक्रम के उद्धाटन समारोह में आमन्त्रित भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम के उद्बोधन का हवाला देते हुये कहा कि लोक सेवा, लोक जागरण व लोक शिक्षण के द्वारा लोगों के नया जीवन देना ही सही अर्थ में राजकाज है। इसलिये राजनीति में लगे हुये लोगों को शत-प्रतिशत लोक सेवा में अपना जीवन लगाना चाहिये। केन्द्रीय मंत्री ने अपने जीवन का उदाहरण देते हुये कहा कि जब वह महाराष्ट्र विपक्ष के नेता थे तब उन्होने साढ़े छैः हजार हृदय के आपरेशन निःशुल्क कराये जिसका परिणाम यह हुआ कि इन स्वस्थ हुये के शुभाषीश की शक्ति ने उन्हें व उनके परिवार को एक प्राणघातक कार दुर्धटना से बचा लिया।
इस कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने विस्तार से देहदान के विषय पर चल रहे आन्दोलन की जानकारी दी। उन्होंने देहदान आन्दोलन के महत्व को रेखाकिंत करते हुये कहा कि जब एक देहदानी अपने देह को समाज देवता के चरणों में अर्पित कर देता है तो वह उस देह का वह स्वामी नही वरन् ट्रष्टी बन जाता है। वह अपने देह के द्वारा सामान्य भाव से दैन्यदिन के कार्यों को सम्पादित करते हुये देहजन्य मोह से विलग रहता है। उसके सारे कर्म निष्काम हो जाते हैं। उसका जीवन एक तपष्या का रुप लेने लगता है वह परमानन्द की अनुभूति में जीता है, उसे मृत्यु की भय लेश मात्र भी नहीं रहता। ऐसे दानी की मुक्ति निश्चित है। सच तो यह है देहदान मुक्ति का प्रथम सोपान है। यह मानवता की सेवा ही नही वरन् आत्मोत्थान का पहला चरण है।
अध्यक्ष ने भारत के प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी की हाल में सम्पन्न जापान यात्रा का जिक्र करते हुये कहा कि क्योटो जैसे प्राचीन आध्यातिमक शहर में मोदी जी न केवल भव्य मन्दिरों के दर्शन कि वरन् वहां की अत्याधुनिक स्टेम सेल रिसर्च सेन्टर मे जा कर इस विषय पर हो रही ताजा शोधों की भी गहन जानकारी प्राप्त की। साथ भारत-जापान की बीच इन शोधों पर आपसी सहयोग का एक वृहद समझौता भी किया। साथ ही आलोक जी नें दधीचि और अखिल भारतीय शोध संस्थान द्वारा हाल ही पुनरप्रारम्भ स्टेम सेल व बोनमैरो डोनेशन की एशियन सजिस्ट्री का उल्लेख करने हुये यह आशा जताई की प्रधानमन्त्री के स्टेम सेल पर अत्याधुनिक शोध की महती योजना का हमारे दानियों द्वारा दान हेतु प्रस्तुत स्टेम सेल इस योजना के ध्वज वाहनी का कार्य करेंगे।
ई-जर्नल के प्रधान सम्पादक श्री महेश पंत के आग्रह पर माननीय केन्द्रीय मन्त्री ने कमप्यूटर माउस का बटन दबा कर लोकार्पण किया। पंथ के अनुसार यह जर्नल द्विमासिक होगा। किसी स्वयम् सेवी संस्थान के द्वारा प्रकाशित पहला अन्तरराष्ट्रीय स्तर का स्वदेशी द्विभाषीय शोधपरक मानव स्वाथ्य एवं देहदान-अंगदान पर पहला ई-जर्नल होगा। उन्होने सभी विषय वस्तु के प्रस्तुतिकरण की नीति को गहराई से समझाया।
इस कार्यक्रम का कुशल संचालन महामंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ने किया। अन्त में उपाध्यक्ष डा. आशीष सरकार ने सभी सहानुभावों को दधीचि की ओर से धन्यवाद दिया।