दधीचि देह दान समिति का 41वां उत्सव
उपराष्ट्रपति का आह्वान: युवा शक्ति अंग दान के लिए आगे आए
दधीचि देह दान समिति द्वारा आयोजित देहदानियों के उत्सव में माननीय उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेन्कैया नायडू की गरिमामयी उपस्थिति हमारे लिए विशेष उत्साहवर्धक रही। यह कार्यक्रम 12 नवम्बर, 2019 को विज्ञान भवन के प्लेनेरी हाॅल में किया गया। सफ़दरजंग अस्पताल व वर्धमान महावीर मेडिकल काॅलेज इस आयोजन की सहभागी संस्था थी। उत्सव की थीम थी ‘अंग दान’।
देहदानियों के इस उत्सव में समिति के उत्तरी, पूर्वी व दक्षिणी क्षेत्रों के लगभग 700 संकल्पित देहदानियों को सर्टिफिकेट एवं वसीयत वितरित किए गए। नोटो की अध्यक्ष डाॅ. वासन्ती व सफ़दरजंग अस्पताल के एडिश्नल एम.एस. डाॅ. वाधवा ने 30 परिवारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। ये वो परिवार थे जिन्होंने अपने प्रियजन की मृत्यु के बाद उसकी देह या अंग सरकारी मेडिकल काॅलेज को दान कर दिए।
समिति व सफ़दरजंग अस्पताल द्वारा उत्सव स्थल पर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसमें चित्रों व स्लोगन द्वारा अंग दान व देह दान के विषय को दर्शाया गया। इसमें अंग दान का संकल्प लेने की विधि व प्रक्रिया को भी सरल तरीके से समझाने का प्रयास किया गया।
मंचीय कार्यक्रम के आरम्भ में समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने समिति के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि समिति 22 वर्ष से एक आंदोलन के रूप में कार्यरत है। दिल्ली व एनसीआर के अब तक 12000 हज़ार लोग समिति के माध्यम से देह दान व अंग दान का संकल्प पत्र भर कर समिति से जुड़ चुके हैं। समिति द्वारा सरकारी मेडिकल काॅलेजों व अस्पतालों में अब तक 290 लोगों का देह दान, 5 लोगों का अंग दान, 700 जोड़े नेत्र दान, 3 लोगों का अस्थि दान तथा 3 त्वचा दान किए जा चुके हैं।
समिति के संस्थापक-अध्यक्ष व वर्तमान संरक्षक श्री आलोक कुमार ने उस पल को अपने लिए एक आध्यात्मिक अनुभव बताया जिस पल उन्होंने देह दान का अपना संकल्प लिया। समिति के सभी कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ’’देह-अंग दान के लिए वो बिना थके, लगातार जन-जागरण अभियान में जुटे हुए हैं। इस विषय की स्वीकार्यता समाज में तेजी से बढ़ रही है। 6-8 लोगों के संकल्प से शुरू हुई समिति का विस्तार आज दिल्ली व एन.सी.आर. में 8 क्षेत्रों के रूप में हो चुका है। हम पूरी निष्ठा से ’’भारत स्वस्थ-सबल हो’’ के उद्देश्य से आगे बढ़ रहे हैं।’’
सफ़दरजंग अस्पताल के किडनी ट्रान्स्प्लांट सर्जन डाॅ. अनूप कुमार ने अंग दान की आवश्यकता पर चर्चा की और अपने अस्पताल में किए जाने वाले अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, ‘‘5 वर्ष पहले सफ़दरजंग अस्पताल ने अंग प्रत्यारोपण का काम शुरू किया और शीघ्र ही अस्पताल में रोबोटिक रीनल ट्रान्स्प्लांट विधि द्वारा जन साधारण को निःशुल्क सेवाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी। अंगों का अभाव होना मुख्य समस्या है। उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया, ‘‘आप सब अंग दान का संकल्प लें जिससे हम प्रत्यारोपण की सुविधा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा सकें।’’
श्री सतीश गर्ग ने दिल्ली के प्रतिष्ठित समाजसेवी रहे अपने पिता श्री मांगेराम गर्ग के संकल्प का सम्मान करते हुए उनका पार्थिव शरीर लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया। उन्होंने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा, ‘पहले मुझे समाज में खूब प्रतिष्ठा प्राप्त थी, आज मैं समाज के उस प्रतिष्ठा भाव को अपने प्रति श्रद्धा में बदलते हुए देख रहा हूं। नेत्र दान, अंग दान व देह दान करने वाले सभी परिवारों की ओर से मैं दधीचि देह दान समिति का धन्यवाद करना चाहता हूं। दान की प्रक्रिया को सहज, सरल व व्यवस्थित करने का एक अद्भुत कार्य समिति कर रही है।’
अंग प्रत्यारोपण से स्वस्थ जीवन यापन करने वाली श्रीमती पूनम अरोड़ा ने दानी परिवारों का हृदय से धन्यवाद किया। बिना किसी खर्च के उनकी किडनी प्रत्यारोपित की गई थी। उस सारी प्रक्रिया के लिए श्रीमती अरोड़ा ने सफ़दरजंग अस्पताल और विशेष रूप से डाॅ. अनूप का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर नोटो की अध्यक्ष डाॅ. वासन्ती व सफ़दरजंग के एडिश्नल एम.एस. डाॅ. वाधवा ने माननीय उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेन्कैया नायडू को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। माननीय उप-राष्ट्रपति ने दधीचि देह दान समिति द्वारा जन जागृति के लिए डिज़ाइन किए गए एक ब्रोशर व पोस्टर को रिलीज़ किया। ब्रोशर में जन-साधारण के लिए अंग दान व देह दान विषयक उपयोगी व संक्षिप्त जानकारी उपलब्ध है। पोस्टर में, एक व्यक्ति आठ व्यक्तियों को जीवन दान दे सकता है - इस संदेश के साथ अंग दान के लिए प्रेरित करने का प्रयास भी किया गया।
समिति द्वारा जिन सरकारी मेडिकल काॅलेजों को देह दान किया जाता है, लगभग उन सभी मेडिकल काॅलेजों के प्रतिनिधि इस उत्सव में उपस्थित थे। स्वास्थ्य संस्थाओं के उच्च अधिकारी, आई.एम.ए. व डी.एम.ए. के प्रमुख प्रतिनिधि और समाज के अनेक गणमान्य नागरिक भी इस उत्सव के साक्षी बने। दिल्ली और एन.सी.आर. में स्वास्थ्य सम्बंधी विषयों पर कार्यरत कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं की भी भागीदारी रही।
महामहिम उप-राष्ट्रपति ने कहा कि अंग दान विषय को आंदोलन के रूप में लेना अपने आप में एक अनूठा कार्यक्रम है। समिति की कार्यप्रणाली व उपलब्धियों की उन्होंने प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘‘समिति महत्वपूर्ण मानवीय पहलुओं पर दानियों को एकत्र कर रही है और मान्यता प्राप्त सरकारी संस्थाओं तथा अस्पतालों के साथ सहयोग कर रही है। यह विषय बहुत ही संवेदनशील है। यह निजी विश्वास, पारिवारिक संस्कार और संवेदना का प्रश्न है। अतः उद्देश्य की शुचिता और संकल्प-निष्ठा अनिवार्य है। इस दृष्टि से समिति की भूमिका अभिनन्दनीय और अनुकरणीय है।’’
उस दिन गुरु पर्व भी था। उन्होंने गुरु वाणी के इस कथन का उल्लेख किया कि ‘नर मरे कछु काम न आवे, पशु मरे सौ काज संवारे’ और कहा कि इस शबद का निहित भावार्थ देखें तो मनुष्य से अपेक्षा की जा रही है। आज विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है कि मृत्यु के बाद भी मानव देह उपयोगी रहती है। उन्होंने आह्वान किया, ’’समाज में देह-अंग दान को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए युवा वर्ग आगे आए। अंधविश्वास को इस महादान के आड़े न आने दें, क्योंकि भारत मेें वैदिक काल से ही देह-अंग दान की परम्परा रही है और इसका सबसे बड़ा व उल्लेखनीय उदाहरण है महर्षि दधीचि का अस्थि दान। Share and care हमारी सनातन परम्परा है। अपने शांति मंत्र में भी हम ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की प्रार्थना करते हैं। आज इस उत्सव में उपस्थित देहदानियों के परिजन सभी के लिए आदर्श हैं, क्योंकि उनके परिवार के दानियों ने संस्कारगत संशय को किनारे रख कर मानवता की सेवा की।’’
सफ़दरजंग अस्पताल के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. वाधवा ने प्रबुद्ध कार्यकर्ताओं व जनसमूह का मार्गदर्शन करने के लिए माननीय उपराष्ट्रपति का हृदय की गहराइयोें से आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी आगंतुकों के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम-समाप्ति की घोषणा की।
कार्यक्रम की संकल्पना व इसके आयोजन की सफलता में समिति के उपाध्यक्ष डाॅ. विशाल चड्ढा एवं सफ़दरजंग अस्पताल में रीनल ट्रान्स्प्लांट के विभागाध्यक्ष डाॅ. अनूप कुमार का उल्लेखनीय प्रयास रहा।