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एम्स में बनेगा दिल्ली का पहला स्किन बैंक

एम्स में अब स्किन बैंकिंग बनाने जा रहा है। इस बैंक में कैडेवर डोनेशन से मिली स्किन को रखा जाएगा। इसका इस्तेमाल बर्न के मरीजों के जख्म भरने और एक्सीडेंट के केस में डैमेज स्किन को रिप्लेस करने में किया जाएगा। एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर एमसी मिश्रा का कहना है कि ट्रॉमा सेंटर में जख्म और सॉफ्ट टिशू इंजरी के मरीज काफी आते हैं। इनमें से 30 पर्सेंट ट्रॉमा मरीजों को भी स्किन की जरूरत होगी है। अभी तक एम्स में स्किन रखने के रिसोर्सेज नहीं थे, लेकिन अब हम इसके लिए स्किन बैंक बनाने जा रहे हैं। यही नहीं, यहां पर स्किन को रीजेनरेट भी किया जाएगा। रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी बनेगी बेहतर एम्स के प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉ मनीष सिंघल ने कहा कि   हमारा मकसद रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी को बेहतर बनाना है। खासकर बर्न इंजरी में होने वाले जख्म को जल्दी ठीक करने और एक्सीडेंट के मरीजों में स्किन की जरूरत को पूरा करना है। यह बैंक एम्स ट्रॉमा सेंटर में बनाया जा रहा है। छह महीने में शुरु कर देंगे। इस साल 55 लोगों में बर्न इनफेक्शन के मामले आए थे, ऐेसे मरीजों के लिए यह बैंक कारगर साबित होगा।

कैडेवर बॉडी से बैंकिंग स्किन बैंकिंग में चार डिग्री टेंप्चर रे पर स्किन को रखा जाता है। बैंक में स्किन रखने से पहले स्किन को एक खास प्रोसेस से गुजारा जाता है। इसके लिए ग्लेसरॉल का यूज किया जाता है। हालांकि  बहुत जगह लिक्विड नाइट्रोजन का यूज होता है, लेकिन यह महंगा है। डॉ सिंघल ने कहा जिस तरह लीवर, किडनी, हार्ट, कॉर्निया लोग डोनेट करते हैं, ठीक उसी प्रकार स्किन भी डोनेट की जाती है।

कैडेवर बॉडी से स्किन निकाली जाती है। डेड बॉडी के थाई और पीठ से स्किन निकाला जाता है। जख्म भरने में मिलेगी मदद डॉक्टर सिंघल का कहना है कि स्किन का यूज जख्म को भरने के लिए किया जाता है। जख्म पर जब बाहर से स्किन लगाई जाती है तो वह जख्म से चिपकती नहीं है। इसका फायदा यह है कि मरीज का जख्म जल्दी हील होता है और इनफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। स्किन लगाने से जख्म दो हफ्ते के अंदर भर जाता है और वहां पर नई स्किन बनने लगते हैं। किसी की स्किन निकालने से पहले उसके इनफेक्शन और एचआईवी की जांच की जाती है।

स्किन बैंकिंग के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है। एक बार ट्रेनिंग लेने के बाद 20 से 25 मिनट में बॉडी से स्किन निकाली जाती है। जितना वक्त आई (आंख) डोनेशन करने पर कॉर्निया निकालने में टाइम लगता है, ठीक उसी तरह स्किन निकालने में भी वक्त लगता है। डॉ मनीष ने कहा कि एक कैडेवर से निकाली गए स्किन को पांच साल तक बैंक में रखा जा सकता है, लेकिन इससे सिर्फ 30 पर्सेंट ही मरीज की समस्या सॉल्व हो पाएगी। इसलिए हम इस बैंक की मदद से स्किन रीजेनेरेट करने की दिशा में भी काम करेंगे।