ब्रेन डेड मरीजों को ICU में रखने का खर्च देगी केंद्र सरकार
ब्रेन डेड मरीजों को आइसीयू में लंबे समय तक रखने का खर्च अंगदान में सबसे बड़ा बाधक है। ब्रेन डेड घोषित मरीजों को आइसीयू में रखने का खर्च अब सरकार उठाएगी।
सफदरजंग अस्पताल में स्थित राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) का कहना है कि योजना के तहत निजी अस्पतालों को 50 हजार रुपये तक भुगतान किया जाएगा।
नोटो के निदेशक डॉ.विमल भंडारी ने कहा कि तीन निजी अस्पतालों को धनराशि उपलब्ध भी करा दी गई है। यह योजना देशभर के निजी अस्पतालों के लिए है।
इसके शुरू होने से उम्मीद की जा रही है कि अंगदान के मामले बढ़ेंगे। देश में हर साल करीब दो लाख लोगों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत होती है।
इसी तरह करीब 50 हजार मरीजों को लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, जबकि उस अनुपात में अंगदान बहुत कम होता है।
इस वजह से देश में हर साल करीब पांच हजार मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण व डेढ़ हजार मरीजों का लिवर प्रत्यारोपण हो पाता है।
नियमों के मुताबिक जिन अस्पतालों में आइसीयू की सुविधा है वहां प्रत्यारोपण संयोजक की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है, ताकि ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया जा सके।