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मिश्रिख मंदिर भूमि पर कब्ज़े की भू-माफिया की कोशिश नाकाम

एक तरफ विकास हुआ तो दूसरी तरफ साथ ही मंदिर की ज़मीन पर वहां के कुछ लोगों की बुरी नज़र भी पड़ी । इन लोगों में वहां के नगर पालिका के अध्यक्ष श्री रामशंकर वर्मा भी शामिल थे। नगर पालिका अध्यक्ष के बेटे प्रशांत वर्मा ने मंदिर के महंत श्री देवदत्त गिरी पर यह दबाव डाला कि मंदिर की 500 वर्ग गज भूमि उनको बेच दें। जब उन्होंने (महंत जी ने) यह स्वीकार नहीं किया तब गुंडों को लेकर उस मंदिर पर हमला किया गया, वहां के पुजारी दीक्षित को पीट-पीट कर घायल कर दिया, और महंत जी का अपमान किया।

बहुत कहने पर संबंधित थाने मेें एफआईआर लिखी गईं। मिश्रिख से विधायक और उत्तर प्रदेश में कारागार विभाग के मंत्री हैं श्री रामपाल राजवंशी। एफआईआर लिखे जाने के बावज़ूद, क्योंकि आरोपी प्रशांत को कारागार मंत्री और नगर पालिका अध्यक्ष का प्रश्रय प्राप्त थी इसलिए, पुलिस कार्रवाई नहीं की।

यह दुर्भाग्य रहा कि मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए, और महंत जी ने कह दिया जब तक समस्या का निराकरण नहीं होता मंदिर नहीं खुलेगा।

इसके बाद दधीचि देह दान समिति ने पत्र लिख कर उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री राम नाईक जी से प्रार्थना की कि वह इस विषय में दखल दें और अपनी सरकार को कहें कि मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए तथा अपराधियों पर कार्रवाई करने के लिए पुलिस को समुचित आदेश दिए जाएं।

अंत में मिश्रिख के धर्म प्रेमी समाज और दधीचि देह दान समिति के प्रयास से स्थानीय राजनीति और बाहुबली माफिया को झुकना पड़ा। मंदिर में दंगा करने वाले सभी नामज़द मंदिर गए और महंत जी से न केवल माफी मांगी, बल्कि उनसे यह भी वादा किया कि वो अब से मंदिर की किसी भी भूमि को हथियाने का प्रयास नहीं करेंगे। इसके बाद मंदिर के कपाट खोल दिए गए और पहले की तरह दर्शन जारी हो गए।