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अयोध्या तक आस्था की एक यात्रा

माननीय श्री आलोक कुमार जी (विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष) एवं श्रीमती मंजू प्रभा जी (दधीचि देहदान समिति की उपाध्यक्षा ) के नेतृत्व में श्री राम जन्म भूमि पर नवनिर्मित श्री राम मंदिर और रामलला के दर्शन के लिए शनिवार, 20 जुलाई 2024 की प्रातः 6 बजे तक दधीचि देहदान समिति के 75 सक्रिय कार्यकर्ता आनंद विहार रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर एकत्रित होकर वंदे भारत ट्रेन से अयोध्या के लिए रवाना हुए। ज्यों ही ट्रेन ने चलना शुरू किया, सारा वातावरण जय श्री राम के जयघोष से गूंज उठा। हम सभी इस यात्रा को लेकर बहुत ही उत्साहित थे, और सबके मन मस्तिष्क में विभिन्न प्रकार के विचार उद्वेलित हो रहे थे।

हम सभी लोगों ने यात्राएं तो बहुत की हैं, तीर्थ यात्राएं भी बहुत की हैं, लेकिन इस बार की यह अयोध्या धाम की यात्रा अपने आप में बहुत ही अनोखी थी। यह यात्रा केवल श्री राम के साकेत धाम की ही नहीं, बल्कि आस्था की नगरी, विश्वास की नगरी, संस्कृति, अध्यात्म और भक्ति की नगरी की भी थी l यह यात्रा 500 वर्षों की सतत संघर्ष और फिर विजय उपलब्धि की गाथा अपने में समेटे हुए इतिहास की भी थी ।

अयोध्या धाम के रेलवे प्लेटफार्म पर 2:15 बजे जब वंदे भारत ट्रेन पहुंची सभी के सिर पर दधीचि देहदान समिति अंकित पीली टोपी थी वह दृश्य अपने आप में अनूठा था l सभी लोग बसों द्वारा मानस भवन पहुंचे, जहां हम सब लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी सुविधा की दृष्टि से सभी लोगों को 6-7 लोगों की छोटी-छोटी टोलियों में विभाजित कर दिया गया था और सभी लोग अपने-अपने तरीके से अयोध्या भ्रमण के लिए स्वतंत्र थे। लगभग सभी लोगों ने हनुमानगढ़ी पर हनुमान जी के दर्शन, कनक महल, सरयू नदी में स्नान, सरयू नदी की सायं कालीन आरती और लेजर शो का आनंद लिया।

मानस भवन लौटने पर सुरुचिपूर्ण भोजन और उसके बाद एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में माननीय श्री चंपत राय जी (महामंत्री तीर्थ ट्रस्ट क्षेत्र अयोध्या) एवं श्री गोपाल जी (संघ के वरिष्ठ प्रचारक) का सानिध्य प्राप्त हुआ, जिसमें श्री गोपाल जी ने मंदिर में देश विदेश से श्री राम लला के दर्शनों के लिए आए दर्शनार्थियों के कुछ मार्मिक प्रसंग बताए एवं मंदिर व्यवस्थाओं के बारे में संपूर्ण जानकारी से सभी को अवगत कराया।

माननीय श्री चंपत राय जी ने श्री राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए हुए 492 वर्षों के ऐतिहासिक संघर्षों का सजीव चित्रण सरल शब्दों में सबके सामने रखा।

इस बैठक में डॉक्टर श्रीधर द्विवेदी जी (वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट) ने चंपत राय जी को स्वास्थ्य के विषय में स्वलिखित पुस्तक श्री राम लला मंदिर की लाइब्रेरी के लिए भेंट स्वरूप दी।

अगले दिन 21 जुलाई की सुबह अपने इष्ट और श्रद्धेय रामलला के विग्रह के दर्शन करने जाना निश्चित हुआ था। सुबह जब श्री राम मंदिर के द्वार से मंदिर प्रांगण में प्रवेश कर रहे थे, मेरे सामने तो वह बाबरी ढांचे के तीनों गुंबद नजर आने लगे और वह 6 दिसंबर 1992 का दिन भी, जिस दिन वह बाबरी ढांचे के तीनों गुंबद एक के बाद एक गिराए गए थे । उस समय वीडियो की इतनी अच्छी व्यवस्था तो नहीं थी, लेकिन साथियों के फोन से और दूसरे माध्यम से पता चल रहा था कि बावरी ढांचे का एक गुंबद गिर गया जब पहली बार यह समाचार सुना तो विश्वास नहीं हुआ। थोड़ी देर के बाद खबर आई कि दूसरा गुंबद भी गिर गया और फिर थोड़ी देर में पता चला कि तीसरा गुंबद भी गिरा दिया गयाl मन गदगद हो गया खुशी से दिल झूमने लगा कि हमारी संस्कृति और हमारे इतिहास पर लगा हुआ वह काला कलंक चलो हट गया। शाम होते होते तो वहां से उन गुंबदों का और मस्जिद का मलवा भी हटा दिया गया। वह जगह साफ हो भी गई, वहां एक चबूतरा बनाकर उस पर रामलला के विग्रह की स्थापना भी कर दी गई और वहां यथावत पूजा और आरती भी की गई। सारा दृश्य एक-एक करके आंखों के सामने घूम गयाl

बहुत से कार्य सेवक जो इस पूरे विध्वंस के सूत्रधार बने थे, उस मलबे की कुछ ईंटें और कंकर वापसी में अपने साथ भी उठाकर लाए थे उसको देखने का भी एक अजीब सा कौतूहल हम लोगों के मन में था। और फिर 30 साल की लंबी अदालत की लड़ाई। सुप्रीम कोर्ट में दी गई पूज्य श्री रामभद्राचार्य जी की जो बचपन से ही दृष्टिबाधित थे एक-एक करके जिस तरीके से तथ्य उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए वे भी अपने आप में अद्भुत था श्री गोगोई जी की अध्यक्षता में दिया गया वह निर्णय जो श्री रामलला जी के मंदिर बनने का मुख्य कारण बना।

यह कहना भी अब अप्रासंगिक नहीं होगा कि केंद्र में मोदी जी के नेतृत्व की सरकार और प्रदेश में योगी जी के नेतृत्व की सरकार के कारण ही पिछले 500 वर्षों का यह कलंक हट पाया और यह सब कुछ इतने कम समय में संभव हो पाया। 500 वर्ष के इस लंबे संघर्ष में लाखों राम भक्तों और सनातन प्रेमियों ने अपने जीवन की आहुति दी है ऐसे सभी शहीदों को हमारा शत-शत नमन।

इन्हीं विचारों की उधेड़बुन में, और विभिन्न चेक पोस्ट को पार करते हुए हम अब तक मंदिर के प्रांगण में पहुंच चुके थे। हम सब सच में बहुत भाग्यशाली हैं धन्य हैं, जो अपने इस जीवन में इतने भव्य मंदिर के भव्य प्रांगण में श्री राम लला जी के विग्रह के दर्शन कर पाए। हम सभी में से शायद ही कोई ऐसा होगा यह सब याद करके जिसकी आंखें नम ना हुई हों। हमारे प्रभु का विग्रह और उसका दर्शन सच में अद्भुत अद्वितीय और अनुपम रहा।

परमपिता परमात्मा की असीम अनुकंपा, परिवार के सभी बुजुर्गों के आशीर्वाद एवं आप सभी प्रिय जनों की शुभकामनाओं से, अयोध्या में नवनिर्मित भगवान राम के मंदिर में रामलला के भव्य दर्शनों का सौभाग्य मिला। रामलला के भव्य दर्शन कर हम तो धन्य हो गए। कितनी पीढ़ियों के पुण्य का फल मिला है जो आज हमें प्रभु के भव्य दर्शनों का सौभाग्य मिला। इन्हीं मधुर यादों के साथ अपने भाग्य को सराहते हुए एक नई ऊर्जा और शक्ति को संचय कर, हम सभी साथी मानस भवन वापस लौटे।

 भविष्य में अपनी समिति के कार्यों की रूपरेखा एवं अन्य योजनाओं पर विचार विमर्श करने के लिए दधीचि परिवार की बैठक हुई, बैठक में चर्चा का मुख्य बिंदु था कि स्वस्थ और सबल भारत जो कि अपना उद्देश्य है - की पूर्ति के लिए कुछ नीतिगत निर्णय लेने होंगे। जिसमें सभी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। शांति पाठ के साथ बैठक का समापन हुआ।­­

मौसम की विषमता के बावजूद भी सभी को यात्रा का खूब आनंद प्राप्त हुआ। दोपहर के भोजन के पश्चात मंदिर ट्रस्ट की गाड़ियों ने रेलवे स्टेशन पहुंचाया।