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श्रद्धा सुमन

परिवार की धुरी और समाज के लिए आदर्श

श्रीमती दर्शना भाटिया

श्रीमती दर्शना भाटिया का 84 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वह फरीदाबाद में रहती थीं। उनके पुत्र ने अत्यंत आदर व गौरव के साथ उनके विषय में बात की। स्वयं अशिक्षित थीं, पर बच्चों की शिक्षा पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया। घर आए हर व्यक्ति का सत्कार करती थीं। बहुत मनोयोग से परिवार का ध्यान रखते हुए बचत कर करके अपने बच्चों को योग्य बनाया। घरेलू व सरल महिला थीं। परिवार के सभी लोग उनसे सलाह मशविरा करते थे और वे भी हर समय किसी के लिए भी संबल बनने को तैयार रहती थीं। सब उनका आदर करते थे।

4 मार्च को उनकी मृत्यु के बाद परिवार ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। आर.पी .सेंटर,एम्स की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री अभिनव 98731 77918

समाज के लिए उदाहरण

श्री सुनील रस्तोगी

श्री सुनील रस्तोगी का 63 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वह सराय रोहिल्ला, दिल्ली के निवासी थे। सामाजिक रूप से अत्यंत सक्रिय श्री सुनील के विषय में उनकी पत्नी से फोन पर बात हुई। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति निष्ठावान और परिवार के सक्रिय सदस्य थे। उनके भाई श्री मांगेराम दिल्ली में भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष रहे। उनके चाचा हजारीलाल जी श्री लाल कृष्ण आडवाणी के बहुत निकट के कार्यकर्ता थे।

40 वर्ष पूर्व सुनील जी संघ के स्वयंसेवक बने। जीवन भर संघ द्वारा दिए गए दायित्वों को निष्ठा पूर्वक निभाया। जब संघ ने अपनी गणवेश बदली और निकर के बजाय पेंट उसमें शामिल हुई तो उसे देशभर में उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी अकेले सुनील जी ने उठाई। सुनील जी दिल्ली के वस्तु भंडार को संभालते रहे। वे संघ की व्यवस्था टोली के सदस्य थे। सुनील जी ने इसके साथ ही अपने परिवार की जिम्मेदारियों को सटीक निभाया। उनके दोनों बच्चे आईआईटी से सुशिक्षित हुए।

श्री सुनील ने जीवन भर अपनी देह से समाज की सेवा की और संकल्प लिया कि मृत्यु के बाद भी उनकी देह समाज के ही काम आएगी। परिवार ने 6 मार्च,2023 को मृत्यु के बाद उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए नेत्रदान और देहदान की प्रक्रिया सजगता से करवाई। परिवार का अभिवादन।

गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। एम्स, दिल्ली के न्यूरो विभाग में उनका देहदान हुआ। उनकी पत्नी ने बताया कि संघ सुनील जी का प्राण था और इसलिए उनके जाने के बाद वह भी संघ का काम करेंगी।

समाज सेवा को समर्पित जीवन वाले व्यक्तित्व को हम नमन करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पत्नी, श्रीमती विजया रस्तोगी 7827 5004 00

विद्या दान से देहदान तक का

श्रीमती कृष्णा कुमारी झाम

श्रीमती कृष्णा कुमारी झाम, हेरिटेज सिटी, गुरुग्राम में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदर पूर्वक अपनी भावनाएं इन शब्दों में लिख कर भेजा है-

"परम पूजनीय माता कृष्णा कुमारी झाम जी 92 वर्ष की आयु में, चलती फिरती अवस्था में ब्रह्मलीन हुई। आपने भरे पूरे परिवार को आशीर्वाद देकर इस संसार से अपनी इच्छानुसार 7 मार्च,2023 पूर्णमासी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में मोक्ष प्राप्त किया। आप एक बहुत ही कर्त्तव्यनिष्ठ एवं वात्सल्य से भरपूर माँ, दादी, नानी, पत्नी, चाची, मामी, बुआ, मासी और सभी की अत्यंत प्यारी "माता जी" थी। आपने अपनी नेक कमाई जी भर के अपने पुत्र, ससुराल और मायके के परिवारों को बढ़ाने में तो लगाई ही, साथ ही आपने समाज की अपने तन, मन और धन से जीवनपर्यन्त सेवा की। आप सभी धर्मों का आदर करती थी एवं नित्य हवन व स्वाध्याय करती थीं। आपकी विशेष रुचि गुरुकुलों के नन्हे विद्यार्थियों में थी जहाँ आपका योगदान स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। आपकी कर्मठता, विद्वता, मधुर वाणी और पात्रों की सहायता करने वाले गुण हमारे लिए युगों युगों तक प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।"

स्व.कृष्णा के नेत्र आर.पी. सेंटर एम्स की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। ई.एस.आई. मेडिकल कॉलेज, अलवर में उनका पार्थिव शरीर दान किया गया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह शरीर प्रथम गुरु के रूप में उपयोगी रहेगा। चिकित्सा जगत के लिए यह एक अमूल्य भेंट है। नेत्रदान और देहदान का निर्णय लेकर परिवार ने मानवता की सेवा में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। हम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री अंबरीश झाम 99101 08211

जीवन जीने की कला सिखा गए

श्रीमती सीमा सेन

श्रीमती सीमा सेन ने 60 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वह गाजियाबाद के इंदिरापुरम की निवासी थीं। उनकी बेटी ने आदर सहित उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-

" Late Mrs. Seema Sen dedicated her life to her family. Born in Raipur on 23 June, 1969,

she grew up with her parents and seven siblings. A master’s degree in psychology, a keen interest in Indian classical music and an ace sportswoman, she was multi-talented.

On 7 December, 1984, she got married and shifted to Delhi. Facing and managing the many demands and challenges of a joint family, she devoted her life to her family members. But her compassion and kindness were her biggest assets. She helped everyone she came across to the best of her abilities. She was a keen believer of humanity. She lived by the philosophy that we can only be responsible for our own acts.

Even in her untimely death (7 March, 2023), she gave back to the society. Full body donation was her last wish. In her lifetime, she had officially donated her eyes and her< body. After her death, her husband, Mr. Alok Sen, and her children, Nilofer Sen and Aditya Sen, fulfilled her wish. A few eyebrows were raised, a few doubts were expressed.

But her words gave strength to her family, “Don’t bother about what people have to say.

If you are doing the right thing, then don’t bother about anybody."

7 मार्च,2023 को उनका पार्थिव शरीर ई.एस.आई. मेडिकल कॉलेज, अलवर को दान में दिया गया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अमूल्य दान है। परिवार ने स्व. सीमा सेन की इच्छा का सम्मान करते हुए देहदान का प्रेरक उदाहरण समाज में प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्री, सुश्री नीलोफर 91675 71007

दूसरों के लिए समर्पित सारा जीवन

श्रीमती लाजवंती

श्रीमती लाजवंती का 76 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वह दिल्ली के पहाड़गंज में रहती थीं। उनके पुत्र ने श्रद्धा पूर्वक अपनी माता जी के विषय में लिख कर भेजा है-

"श्रीमती लाजवंती एक बहुत ही सरल व ममता से भरी महिला थीं। शादी के बाद से लेकर अपनी जीवन यात्रा खत्म होने तक उन्होंने अपने जीवन की हर जिम्मेदारी को बहुत ही शिद्दत से निभाया। अपने पूरे परिवार को एक माला की तरह एक ही धागे में पिरो कर रखा। घर में बड़ों की दिन-रात सेवा करना व अपने पति का हर परिस्थिति में साथ देना, यह उनका कर्तृत्व रहा। कठिन परिस्थितियों में घर पर ही कुछ काम करके अपना आर्थिक सहयोग भी परिवार में देती रहीं। किसी के घर आने पर वह बहुत ही खुश होती तथा दिल से उनका सत्कार करती थीं। उनको हम बहुत आदर से याद करते हैं। अपने बच्चों में उन्होंने वही संस्कार दिए। शुरू से ही पूरा परिवार माता रानी का भगत रहा। अपनी वृद्धावस्था में वह नित्य मंदिर जाया करती थीं। अपने पूरे जीवन काल में वह किसी पर भी आश्रित नहीं हुई। जैसे कि हर मां अपनी परेशानियों को भूल अपने बच्चों की खुशियों के लिए सब कुछ करती है और उफ तक नहीं करती वैसे ही थी श्रीमती लाजवंती। ऐसी आत्मा करोड़ों में एक होती है जो अपना सारा जीवन दूसरों के समर्पण में गुजार देती है और जाते-जाते भी शायद उनके उसी भाव ने उनके बच्चों को प्रेरित किया और उनकी आंखें दूसरों की भलाई के लिए दान में दी गई।"

10 मार्च,2023 को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री ललित पटनी 98997 63970

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भरोसा अपने परिश्रम का था उन्हें

श्रीमती शकुंतला भाटिया

श्रीमती शकुंतला भाटिया का 73 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के रोहिणी में रहती थीं। उनकी बेटी ने आदर सहित उनके विषय में बात की। वे बहुत परिश्रमी महिला थीं। परिवार में सब को बहुत प्यार करती थीं। हर एक की सहायता के लिए तत्पर रहती थीं। उनका ईश्वर स्मरण निरंतर चलता था। भजन कीर्तन में उनकी रुचि थी। 13 मार्च को मरणोपरांत परिवार ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों का अभिवादन। गुरु नानक आई सेंटर की टीम उनके नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्री, सुश्री भावना भाटिया 98118 58850

मन ही पूजा , मन ही धूप

श्रीमती मुन्नी देवी

श्रीमती मुन्नी देवी का 82 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के पश्चिम विहार में एक वृद्ध आश्रम रहती थीं। 3 वर्ष पहले उन्हें डायमेंशिया की हालत में आश्रम में लाया गया था। आश्रम के संचालक श्री तारकेश्वर सिंह जी ने उनके नेत्रदान और देहदान की प्रक्रिया संपन्न करवाई। वृद्ध आश्रम से नेत्रदान के प्रचार प्रसार व क्रियान्वयन में सक्रियता होना चिकित्सा जगत की सेवा में एक उपयोगी कदम है। आश्रम की व्यवस्था में लगे सभी कर्मचारी साधुवाद के पात्र हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: आश्रम संचालक, श्री तारकेश्वर 92119 65986

ऐसे ही बनता है नया समाज

श्री राम भल्ला

श्री राम भल्ला का 90 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह गाजियाबाद के चंद्र नगर में रहते थे। उनकी बेटियों ने आदर पूर्वक अपने शब्दों में अपनी भावनाएं लिखकर भेजी हैं-

"हमारे पिताजी ने अपना संपूर्ण जीवन बहुत ही सादगी व ईमानदारी से बिताया। हम दोनों बहनों को अच्छी तरह पढ़ा लिखा कर अच्छे परिवारों में हमारा विवाह किया। सन 2007 में मेरी मां के निधन के बाद मुझे (बिंदु को) अपने पिता जी के साथ रहकर उनकी सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसमें हमारे पूरे परिवार का सहयोग रहा। प्रारंभ से ही अपने पिताजी को हमने बहुत सादा जीवन व्यतीत करते देखा था। कोई कीमती वस्त्र, कोई कीमती वस्तु की इच्छा उनके ह्रदय में कभी नहीं आई। जब कभी हम उनके लिए नई कमीज, स्वेटर या चप्पल लेकर आते, वो नाराज होते और पहनने से साफ इनकार कर देते। वैराग्य की भावना से ओतप्रोत थे वे। कुछ दिन पूर्व देहदान समिति के माध्यम से जीवित रहते ही उन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों के लिए देहदान का निर्णय लिया और हमें भी समझाया कि यह शरीर तो आत्मा का वस्त्र है। इसे नष्ट कर देने से अच्छा है किसी के काम आ जाए। भक्ति का बीज हम दोनों बहनों के ह्रदय में बचपन से ही बो दिया था उन्होंने। बचपन में ही पिताजी ने हमें गीता के 18वें अध्याय का अध्ययन करवा दिया था। उनका जीवन हम दोनों के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत रहेगा। 20 मार्च को उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया। दधीचि देहदान समिति के सभी कार्यकर्ताओं ने इन कठिन पलों को बहुत सहज रूप से स्वीकार करने की शक्ति परिवार को दी और सारी प्रक्रिया में भरपूर सहयोग किया। हम सभी परिवार जन समिति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।"

-पापा की बेटियां बिंदु-इंदु ।

परिवार का साधुवाद समाज में एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्री, श्रीमती बिंदु 98414 60536

नर सेवा ही नारायण सेवा

श्री सोमदत्त गुप्ता

श्री सोमदत्त गुप्ता का 83 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के सूरजमल विहार में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में आदर सहित लिखकर भेजा है-

"पिताजी गुरदासपुर के एक साधारण परिवार से थे। बचपन से ही वे धुन के धनी थे और बहुत अच्छे अंकों के साथ में अपनी पढ़ाई पूरी की थी। दिल्ली आकर सरकारी विद्यालय में शिक्षक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दीं। बचपन से ही सोमदत्त जी समाज सेवा में लगे रहते थे। अपने अध्यापन काल में किसी बच्चे के पास यदि पुस्तके नहीं है तो पुस्तके दिलवा देना और अन्य ऐसे सहयोग करना जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो और समग्र संपूर्ण उन्नति हो। कालांतर में उनकी पत्नी श्रीमती कमलेश महाजन जो कि हमारी माताजी हैं, उन्होंने भी पिताजी की भावना को समझते हुए समाज सेवा में स्वयं को समर्पित कर दिया। सेवा के दौरान ही पिताजी ने संघ के कार्यक्रमों में निरंतर भाग लेना और आर्य समाज के बैनर तले विभिन्न प्रकार के सेवा संकल्पों का संचालन करना शुरू कर दिया था। संयोगवश जब सूरजमल विहार के वह संस्थापक मंत्री थे तब तक आर्य समाज के भवन के लिए जगह नहीं मिली थी। इस दौरान हमारे घर में ही उनके निर्देशन और नेतृत्व में आर्य समाज का सत्संग चलता रहा। भवन बन जाने पर पिताजी ने सब लोगों को साथ लेकर आर्य समाज में गरीब बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था और योग कक्षाओं का नियमित संचालन प्रारंभ किया।

पिताजी जीवन को प्रभु की देन मानते थे और हमेशा "नर सेवा नारायण सेवा" को अपना प्रथम उद्देश्य मानते रहे। इसी भाव को लेकर कि "जीवन के साथ भी जीवन के बाद भी" अपनी देह को समाज के निरंतर ज्ञान वर्धन के लिए मरणोपरांत अपनी देह का दान चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को कर दिया। हम धन्य हैं कि हम ऐसे योग्य पिता की संतान हैं। हम भी संकल्प लेते हैं कि उनके दिखाए पथ पर चलकर उनको सही अर्थों में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।"

परिजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनका पार्थिव शरीर एम्स, दिल्ली के न्यूरो विभाग में दान किया। इनके नेत्र आर. पी. सेंटर, एम्स की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। परिवार जनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री अमित महाजन 97101 12255

समाज के लिए आदर्श

श्रीमती सत्या देवी लूथरा

श्रीमती सत्या देवी लूथरा का 86 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वह दिल्ली के दयानंद कॉलोनी में रहती थीं। उनके पोते ने उनके विषय में आदर पूर्वक चर्चा की। चूंकि उनके पति काम के सिलसिले में प्रायः घर से दूर रहते थे, उन्होंने अकेले हीं परिवार की भरपूर देखभाल की। अपने विचारों में पक्की व सशक्त महिला थीं। मंदिर जाती थीं, ईश्वर में उनका अटूट विश्वास था।

4 अप्रैल,2023 को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को हम विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र: पोता, श्री जतिन लूथरा 88604 78920

ज्योति से ज्योति जले

श्रीमती रानी देवी

श्रीमती रानी देवी का 74 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के वे त्रिनगर में रहती थीं। उनके पुत्र ने श्रद्धा पूर्वक उनके विषय में फोन पर बात की। ठाकर सिंह जी महाराज से उन्होंने दीक्षा ली थी। वे साप्ताहिक सत्संग की सारी तैयारी स्वयं करती थी। सत्संग में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। परिवार की देखभाल व बच्चों की परवरिश भी इन्होंने पूरी लगन व समर्पण भाव से की। 2014 में उन्होंने नेत्रदान का संकल्प लिया और उसका सर्टिफिकेट अपने घर की दीवार पर चिपका दिया। बार-बार घर में सबको याद दिलाती थीं कि मेरा नेत्रदान करना है। परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 6 अप्रैल,2023 को उनका नेत्रदान गुरु नानक आई सेंटर में किया। समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हम परिवार का अभिवादन करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री प्रवीण तोमर 77039 88087

जीवन की खोज है यहां

श्रीमती देवी बाई

श्रीमती देवी बाई का 83 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वह दिल्ली के शाहदरा में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके विषय में श्रद्धा सहित बात की। वह शांत स्वभाव की थीं। निरंकारी मिशन से जुड़े हुए सत्संग में नियमित जाती थीं। सबसे स्नेह करने वाली महिला थीं। मिशन के गीत गाने व मिशन का सिमरन करते करते ही उनकी दिनचर्या चलती रहती थी। 10 अप्रैल,2023 को स्व. देवी बाई के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। समाज में इस महादान का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद। हम दिवंगत आत्मा के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री गिरधारी लाल गंभीर 98101 18511

यहां से धर्म की एक यात्रा

श्रीमती राजरानी

श्रीमती राजरानी का 78 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के मोती नगर में रहती थीं। उनके पोते ने आदर पूर्वक उनके विषय में बातचीत की। उनका मस्तिष्क बहुत तीव्र था। उन्होंने स्कूल जाकर पढ़ाई नहीं की पर अपने अनुभव और व्यवहारिकता से उन्होंने अपना जीवन बहुत अच्छे तरीके से जीया। मंदिर- गुरुद्वारे जाना उनका अक्सर होता था। 10 अप्रैल को उनकी मृत्यु के बाद परिवारजनों ने इनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का अभिवादन। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित इनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पोता, श्री धीरज 97174 80234

दिल से समाजसेवी

श्री विद्यासागर

श्री विद्यासागर का 73 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वह दिल्ली के मोती नगर, दिल्ली में रहते थे। उनकी पत्नी से फोन पर उनके विषय में जानकारियां मिली। वे आरएसएस और हिंदू मंच में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर सक्रियता से काम करते रहे। दधीचि के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री रामधन जी ने उन्हें समिति के बारे में बताया तो वे दधिचि देहदान समिति की गतिविधियों में भी सक्रिय हो गए। उनकी नेत्रदान की इच्छा का परिवार ने सम्मान किया। नानक आई सेंटर की टीम 12 अप्रैल को सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पत्नी, श्रीमती गीता नागपाल 95400 88883

दूसरों के काम आ पाने की चाह

श्रीमती शांति थॉमस

श्रीमती शांति थॉमस की 70 वर्ष की आयु में मृत्यु हुई। वह दिल्ली के द्वारका में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके प्रति अपनी भावनाएं इन शब्दों में लिखकर भेजी हैं-

"Mrs. Shanthi Thomas was a God-fearing, simple, generous and loving person. Her early years were spent under the guidance of her father who was also her Guru and Spiritual Guide. She was a school teacher for over 30 years, educating children in Mathematics, Physics, Moral Science and Life.

She could always been seen wearing a smile and even in the smallest of interactions she had the ability to touch human lives. Her life was dedicated to living the following principles:

  1. Constantly loving and encouraging other human beings
  2. Charity
  3. Simplicity
  4. Honesty, and
  5. Punctuality

Her faith in Jesus Christ and Sai Baba was absolute and gave her the courage to deal with life's tribulations. May her Soul rest in peace."

स्व. शांति थॉमस की स्वयं की इच्छा थी देहदान करने की। परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान कर के समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। स्व. शांति थॉमस का पार्थिव शरीर एम्स के न्यूरो विभाग में चिकित्सा जगत की सेवा में एक अमूल्य भेंट है। हम उन्हें सादर श्रद्धांजलि देते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री जैफरी थॉमस 99536 93481

यह भी एक उपासना है !

श्रीमती कैलाश सतीजा

श्रीमती कैलाश सतीजा का 85 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वह दिल्ली के सम्राट एंक्लेव में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके विषय में श्रद्धा सहित कुछ शब्द लिखकर भेजे हैं-

" The chair where you sat lies vacant and still,

The air so silent give us the chills,

The sound of your laughter echoes in our ears,

Working past the hallway make us feel like you're here.

We look into the night sky every night,

To see the star of our lives shining bright,

Each and every day passing by,

Gives us memories to miss you day and night.

We miss you!"

स्व. कैलाश के नेत्रदान का निर्णय लेकर परिवार ने मानवता की सेवा में एक अद्भुत योगदान दिया है। परिवार जन साधुवाद के पात्र हैं। 21 अप्रैल को गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री संजीव सतीजा 98733 48946

काम में जीवन क्रांति के सूत्र

श्रीराम

श्रीराम का 60 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह पुरानी दिल्ली के सीताराम बाजार में रहते थे। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में बात हुई। सब की सहायता करने में हमेशा तत्पर रहते थे। उनको खेलने का शौक था। अपने समय में वे अच्छे बॉलर रहे। शांत स्वभाव व दृढ़ इच्छाशक्ति वाले स्व. राम सबसे बहुत आदर का व्यवहार रखते थे। 26 अप्रैल,2023 को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं कि उन्हें शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र : पुत्र, श्री प्रवीण कश्यप 81306 69109

महाजीवन के द्वार को पार करते हुए

श्री आर.पी. गुप्ता

श्री आर.पी. गुप्ता का 73 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के फतेहपुरी में रहते थे। समाज में प्रतिष्ठित व्यक्तित्व वाले स्व. गुप्ता के विषय में उनके पुत्र ने बहुत गौरव व आदर से कुछ शब्द लिखे हैं-

"बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आने के कारण देशभक्ति, देश के लिए कुछ कर गुजरने की ऊर्जा उनमें थी। स्वर्गीय श्री राम चन्द्र जी के आह्वान पर उन्होंने अपनी मां, पुत्र व पुत्रवधू के साथ देहदान का संकल्प पत्र 2011 में ही भर दिया था। यही उनकी अंतिम इच्छा भी थी, जिसका परिवार ने अनेको विरुद्ध अवधारणाओ के बाद भी संकल्प पूरा किया एवं ई.एस.आई. अस्पताल, अलवर को समर्पित की। उन्हीं के प्रयास से उनके पिताजी भी स्वयंसेवक बने। उन्हीं की छत्रछाया में ही उनके दोनों पुत्र (प्रकाश गुप्ता - धर्म जागरण- दिल्ली प्रान्त व विकास गुप्ता) भी बहुत छोटी आयु में ही संघ कार्य करने लगे व 23 वर्ष की आयु से पहले ही संघ का तृतीय वर्ष का एक माह का नागपुर में लगने वाला वर्ग पूर्ण किया व भिन्न भिन्न दायित्व संभालते हुए वर्तमान में भी कार्ययुक्त हैं। श्री राजेन्द्र प्रसाद जी ने कभी भी शाखा में जाना नहीं छोड़ा। कुछ समय की ही बीमारी व ट्रैफिक जाम में फंसने के कारण ही अस्पताल जाते हुए 26 अप्रैल, 2023 को उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।"

देहदान करने के कारण उनका समाज में विलक्षण योगदान रहेगा। उनके परिवार में उनकी माता, पत्नी, दो पुत्र, दो पुत्रवधू व पौत्र, पौत्री है।

स्व. गुप्ता जी का अपना संकल्प था देहदान का। जिसे आदर देने के लिए परिवार ने दृढ़ता व अपने स्व. प्रियजन के प्रति श्रद्धा दिखाते हुए क्रियान्वित कराया। प्रकाश जी ने बताया कि अंतिम संस्कार न होने के कारण उस समय के पारिवारिक वातावरण में बहुत शंकाएं व भय पैदा करने वाली बातें कर रही थी। उस समय देहदानी स्व.मांगेराम गर्ग जी के सुपुत्र श्री सुरेश गर्ग, सुबह 5:30 बजे ही इनके घर आए और परिवार के सभी सदस्यों से निरंतर चर्चा करते करते सबकी मन: स्थिति को देहदान के अनुरूप तैयार किया। इसी तरह देह अंगदान के विषय को समाज में ले जाने वाले सिपाही भी अविलंब अपना दायित्व निभाते रहते हैं। परिवार के समर्पण भाव को नमन।

26 अप्रैल को स्व. गुप्ता का पार्थिव शरीर ई.एस.आई. मेडिकल कॉलेज अलवर को दान में दिया गया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित इनके नेत्र लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री प्रकाश गुप्ता 99539 38500

गीता के श्लोक की तरह पवित्र जीवन यात्रा

श्रीमती सुमित्रा सोनी

श्रीमती सुमित्रा सोनी का 61 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वह दिल्ली के पीतमपुरा में रहती थीं। उनके पति ने स्नेह पूर्वक उनके विषय में बातचीत की। एक साल पहले ही दोनों ने अंगदान का संकल्प लिया था। स्व. सुमित्रा गीता परिवार से जुड़ी हुई थीं। गीता के छह अध्याय उन्होंने कंठस्थ कर लिए थे। हर सामाजिक कार्यक्रम में वे आगे बढ़ कर अपना दायित्व लेती थीं व अंत तक निभाती थीं। घर के सभी कार्यों में रुचि व दक्षता उनके पास थी। विद्यार्थी जीवन में, पढ़ाई में शीर्ष पर व गृहस्थ में, सभी सामाजिक दायित्वों को निभाने में अग्रणी रहीं स्व. सुमित्रा। 29 अप्रैल को उनकी मृत्यु के बाद परिवार ने उनके नेत्रदान के संकल्प का आदर किया। परिवार का अभिवादन। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पति, श्री शंकर लाल सोनी 9818100 613

जाने के बाद भी साथ हैं हमारे

श्री योग राजपाल

श्री योग राजपाल का 82 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वह दिल्ली के रोहिणी में रहते थे। उनकी पोती ने अपनी भावनाएं अपने शब्दों में लिखकर भेजी हैं-

"कोई इतना प्यारा कैसे हो सकता है

फिर सारे का सारा कैसे हो सकता है

तुझसे जब मिलकर भी उदासी कम नहीं होती

तेरे बगैर गुजारा कैसे हो सकता है' l

कितना दूर हो के भी इतना पास है कि उनका हर एक सिखाया अक्षर, सन्नाटा और खुशी घर की दिवारों में धड़क रहा है और 'दादा', 'नाना' व 'डैडी' की गूंज ने कानो में घर बसा लिया है, क्योंकि इन्हीं शब्दों में ही तो घर की महक बसती है।

अब हर एक खुशी या दुख में ये महक हमारे साथ चलेगी, क्योंकि वो सदा हमारे साथ चलेंगे l

चाहे सबके रूमाल गिलें हैं, उनके कर्मों से हमारे आंसू पुंछ रहे हैं

छोड़ के जाते हुए भी, अपने आंखों की रोशनी कितनो के नाम कर गए हैं l

दुनिया में हर एक दर्द कह दिया गया है और शायद

शहज़ाद अहमद ने ये ग़ज़ल हमारे अपनों की यादों के लिए लिखी थी,

मेंने इसे अपने घर के सबसे प्यारे सदस्य को समर्पित कर दिया। "

मरणोपरांत उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर परिवार ने एक प्रेरक व प्रशंसनीय कार्य किया है। परिवार का अभिवादन। गुरु नानक आई सेंटर की टीम 16 अप्रैल को उनके नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पोती, सुश्री राधिका 70421 74447

परोपकार की मिसाल

श्री अश्विनी कुमार

श्री अश्विनी कुमार का 74 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह गाजियाबाद के साहिबाबाद में रहते थे। उनकी बहन ने उनके विषय में लिख कर भेजा है-

" वे भारतीय सैन्य इंजीनियरिंग सेवा में कार्यरत थे। उन्होंने जीवन का लंबा समय अकेले ही बिताया । अपनी पत्नी और पुत्र के देहांत के बाद 2014 में उन्होंने देहदान का संकल्प लिया। उनका संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक और परोपकारी ही रहा। वह पूर्ण सात्विक ,सनातनी संस्कारित और मृदुभाषी थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।"

निकट संबंधियों ने उनके देहदान के संकल्प का आदर करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनका अभिवादन। 29 अप्रैल,2023 को उनका पार्थिव शरीर मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद में दान किया गया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह शरीर, प्रथम गुरु के रूप में बहुत उपयोगी रहेगा। आर.पी. सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र:बहन, श्रीमती मृदुला कोहली 77018 67332

सदा सम्मान के साथ याद आएंगे

श्री विजय कुमार शर्मा

श्री विजय कुमार शर्मा का 69 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली के रोहिणी में रहते थे । उनकी पुत्री से उनके विषय में बात हुई । स्व. विजय ने स्वयं से देहदान का संकल्प लिया हुआ था । 22 अप्रैल को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने देहदान का विरोध किया । उनकी बेटी के समर्पण को नमन, जिन्होंने अडिग रहकर अपने पिताजी की इच्छा का आदर रखते हुए देहदान की प्रक्रिया करवाई। स्व.विजय का पार्थिव शरीर करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज को दान किया गया। उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्री, श्रीमती आकांक्षा 99650 33885