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अस्थि दान,अस्थि कोष एवं अस्थि प्रत्यारोपण

आचार्य राजेष मल्होत्रा
अस्थि प्रत्यारोपण विशेषज्ञ
एम.बी.बी.एस. (AIIMS)]  एम.एस. (AIIMS)]  एफ.आर.सी.एस.
एफ.ए.सी.एस.,  एफ.आई.एम.एस.ए.,  एम.एन.ए.एस सी.

शरीर के कई अंगों की भाँति अस्थियाँ भी कोष में रखी जा सकती हैं और उनका प्रत्यारोपण संभव है। किसी मनुष्य की अस्थियाँ कई कारणों से विक्षत हो सकती हैं जैसी कि दुर्घटना में, कैंसर के कारण, इन्फेक्शन के कारण, जोड़ प्रत्यारोपण के आप्रेशन फेल अथवा कई वर्षों के बाद घिस जाने के कारण इत्यादि। यदि किसी व्यक्ति की हडडी में बहुत बड़ा दोष आ जाने पर या तो धातु की बनी कृत्रिम ढाँचानुमा चीज (Implant) लगाई जा सकती है अथवा अस्थि प्रत्यारोपण द्वारा उसका उपचार किया जा सकता है।

अस्थि दान कौन कर सकता है?
18 से लेकर 65 वर्ष की आयु के लोग जिन्हें कोई संक्रामक रोग, कैंसर, गठिया इत्यादि रोग नहीं है, अपनी अस्थियाँ दान कर सकते हैं। अस्थियाँ मरणोपरांत ही दान की जाती हैं लेकिन जिन व्यक्तियों को जीवन सहायक (Life support) उपकरणों पर जिंदा रखा गया हो अथवा वह दिमागी तौर मृत (Brain dead) हों तो वह भी अस्थिदान कर सकते हैं।

क्या शरीर की सभी अस्थियाँ निकाल ली जाती हैं ? ऐसे में अंतिम संस्कार, अस्थि विसर्जन इत्यादि कैसे हो ?
अस्थिदान में केवल शरीर के निचले अंगों की अस्थियाँ ही सामान्यतया निकाली जाती हैं। उनके निकाले जाने पर भी शरीर की कुल 206 अस्थियों में से अधिकतर मृतक के शरीर में ही रहती है और यथाविधि अंतिम संस्कार के लिय पर्याप्त होती है।

क्या अस्थिदान के पष्चात् शरीर क्षत विक्षत नहीं हो जाता ?
अस्थिदान के पश्चात् विशेष रूप से निर्मित लकड़ी के डडों और रूई द्वारा अंगों का पुनर्निमाण कर दिया जाता है जिससे यह आभास भी नहीं होता कि शरीर के निम्न अंगों में से हडिडयाँ दान कर दी गई है। रूई द्वारा अंगों के उभारों को दुबारा आकार देने से शरीर में किसी प्रकार की विकृति का आभास नही होता है।

अस्थि प्रत्यारोपण के लिए क्या रक्त वर्ग का मिलान आवष्यक है ?
अस्थि प्रत्यारोपण के लिए किसी प्रकार के मिलान अथवा मैच की आवश्यकता नहीं होती है। एक व्यक्ति की हडडी का किसी भी और व्यक्ति के शरीर में प्रत्योरपण किया जा सकता है और उसमें किसी प्रकार का अस्वीकरण नहीं होता।

अस्थिकोष में अस्थियाँ कितने समय तक रखी जा सकती हैं ?
शून्य से 80 डिग्री नीचे वाले तापमान पर यह अस्थियाँ पाँच वर्ष तक रखी जा सकती हैं।

मृत्यु के कितने समय बाद तक अस्थियों का दान संभव है ?
सामान्य तापमान पर मृत्यु के 12 घंटे बाद तक और 4 डिग्री पारे के तापमान पर फ्रीज़र में रखें शव से 48 घंटे तक अस्थियाँ दान हेतु ली जा सकती हैं।

क्या इन अस्थियों के कोष बनाने और प्रत्यारोपण के लिए विषेष प्रषिक्षण की आवष्यकता होती है ?
इस प्रकार की तकनीक के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवशयकता होती है। भारत में अ.भा.आ.वि. संस्थान (AIIMS)  मे यह कोष पिछले 15 वर्षों से कार्यरत है। इस प्रणाली से इन वर्षो में सैकड़ों रोगियों को राहत मिली है और विश्व भर में कई विशिष्ट पत्रिकाओं में इनका वर्णन है। इस प्रणाली की उलब्धता के चलते देश भर में अस्थिरोग संबंधी अधिकतम जटिल व्याधियों का उपचार भी (AIIMS) में सहज संभव है और इसके लिए रोगी से कोई अतिरिक्त राशी नहीं ली जाती है। फेल हुए जोड़ प्रत्यारोपण, कैंसर इन्फेकशन इत्यादि के रोगियों को इससे अत्यंत लाभ की प्राप्ति हुई है।

अस्थि प्रत्यारोपण बाकी अन्य अंग प्रत्यारोपण से किस प्रकार भिन्न है ?
जहाँ गुर्दा, यकृत, हृदय आदि अंगों के प्रत्यारोपण जीवन दायक होते हैं, वहीं  अस्थि प्रत्योरपण जीवन की गुणवत्ता का संवर्धन मात्र ही करता है। लेकिन जहाँ नेत्र और बाकी अंगों के दान से एक या दो व्यक्तियों को लाभ होता है, वहीं एक व्यक्ति मात्र के अस्थि दान से 15-20 व्यक्तियों का भला हो सकता है और बहुत से रोगी जो शय्याग्रस्त हैं, एक बार फिर किसी और की टाँगों पर खड़ें हो सकते हैं।