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श्रद्धा सुमन

मरने के बाद भी समाज सेवा को समर्पित

श्री के . के . भाटिया

श्री के . के . भाटिया का 95 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे राजौरी गार्डन में रहते थे। उनके पोते ने उनके विषय में यह लिखित जानकारी भेजी है ,

"In 1994, a man waited for six hours to meet a Tihar prisoner convicted for drug peddling, just so that he could arrange for a free artificial limb he had promised the man. Others may have given up when told by jail authorities that with the dis- abled jailer's cell an hour and a half away it would be impossible to arrange a meeting. But not this man. He preserved until he could meet the convict, and later after months of negotiations with jail authorities, managed to have the NGO providing the limb to visit the convict and have him fitted for it. This man with a will of steel was K.K. Bhatia. And he went on to arrange for eight more artificial limbs for prisoners.

Born in 1929. K.K. Bhatia, an ex-armed forces man, was by profession a librarian. In other avatars he was a freedom fighter and social worker. Till his death in November 2023. Bhatia worked relentlessly for the cause of society. He operated, supported by just his pension, from his humble single-story house in Rajouri Garden, a house surrounded by palatial bungalows. He also worked with Tihar authorities to promote reading as a habit among prisoners and stressed on the need for prison libraries. The branch of the Delhi Public Library (DPL.) in Tihar jail, was in fact opened as a result of his persistent efforts. As a library professional Bhatia after retirement travelled to remote areas in the states of Jammu and Kashmir, Himachal Pradesh, and Uttarakhand to raise awareness on the benefits of rural libraries. This man of high integrity and a strong belief in social causes pledged his body to medical science before his death.”

स्व. भाटिया जी समाज की सेवा करते हुए एक लंबी जिंदगी जी कर गए । 2 नवंबर,2023 को उनका पार्थिव शरीर चिकित्सा जगत की सेवा के लिए एम्स दिल्ली को समर्पित कर दिया गया। परिवार जनों ने स्व. भाटिया की इच्छा का सम्मान करते हुए दान प्रक्रिया पूर्ण की। परिवार का आभार। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पोता , श्री आशु 98188 89792

40 वर्ष पहले लिया था नेत्रदान कै फैसला

श्री चंद्रकुमारी मिश्रा

श्री चंद्रकुमारी मिश्रा का 82 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वह वसुंधरा, गाजियाबाद में रहती थीं। उनके पुत्र ने फोन पर बात करते समय अपनी आदरपूर्ण भावनाएं व्यक्त की, “वे हिंदी के अध्यापिका थीं। उनका समाज के प्रति सौहार्दपूर्ण भाव था। अपनी मृत्यु से 40 वर्ष पूर्व ही उन्होंने परिवार में अपने नेत्रदान की इच्छा प्रकट की थी”। एक आदर्श मां के रूप में उनके पुत्र उन्हें आदर से याद करते हैं। 4 नवंबर को मरणोपरांत ईएसआई मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। इस दान के क्रियान्वयन के लिए परिजनों का आभार। ईश्वर से हम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री मनीष 8285 997940

मां की आंखें अभी और दुनिया देखेंगी

श्रीमती मनमोहन कौर

श्रीमती मनमोहन कौर का 92 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे तिलक नगर में रहती थीं। उनके पुत्र ने फोन पर उनके विषय में बहुत आदरपूर्वक बात की, “स्व. कौर ने स्वस्थ जीवन जिया। उन्होंने सब परिवार व मित्रजनों से अच्छे संबंध बनाकर रखे थे”।

 15 नवंबर को उनकी मृत्यु के बाद एक निकट संबंधी ने नेत्रदान के विषय में चर्चा की और परिवार की सहमति बनी। मानवता के सेवार्थ इस दान का क्रियान्वयन करने के लिए परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : निकट संबंधी , श्री अमरपाल 9811220603

ईमानदारी के साथ दान का भी आदर्श

श्री राकेश कुमार कैन

श्री राकेश कुमार कैन का 64 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वे मोती नगर में रहते थे। उनके पुत्र ने श्रद्धापूर्वक उनके विषय में बात की, “छतरपुर वाले गुरुजी के प्रति उनकी श्रद्धा थी। जहां भी आस-पास उनका सत्संग होता था, वे जाते थे। महादेव में उनकी आस्था थी। स्व. राकेश के बेटे ने बड़े गर्व से कहा कि मेहनत और ईमानदारी के लिए आज उनका परिवार एक आदर्श बन गया है”। 16 नवंबर को स्व. कैन के नेत्रदान का निर्णय लेकर परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री गोल्डी कैन 880 2492249

आंखे दूसरों की जिंदगी में रोशनी भरेंगी

श्री सतीश सेठी

श्री सतीश सेठी का 60 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे मोती नगर में रहते थे। उनके पुत्र से उनके विषय में फोन पर बात हुई। स्व. सेठी एक सरल व्यक्ति थे। किसी की भी मदद के लिए हरदम तैयार रहते थे। उनका एक पक्का सिद्धांत था सबको साथ लेकर चलने का। फिर उसमें किसी प्रकार के भी भेदभाव की गुंजाइश नहीं रहती थी। परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री तरुण सेठी 9210 993723

सादगी और ईश्वर प्रेम ही जीवन की पूंजी

श्रीमती कांति देवी

श्रीमती कांति देवी का 80 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे फरीदाबाद में रहती थीं। उनके पुत्र ने अपने शब्दों में मां के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की है-“ईश्वरीय व्यवस्था अनुसार माता श्रीमती कान्ती देवी जी गर्ग (धर्मपत्नी स्वर्गीय श्री श्याम सुंदर जी गर्ग) अपनी सांसारिक यात्रा पूर्ण कर 25 नवंबर 2023 को ब्रह्मलोक सिधार गई। सीमित साधनों के होते हुए भी उन्होंने अपना समस्त जीवन सादगी व ईश्वर का धन्यवाद करते हुए संतुष्टि के साथ व्यतीत किया। वह सामाजिक, धार्मिक और परोपकारी तथा ईश्वर में विश्वास रखने वाली महिला थी। वे गंभीर, उच्च विचारों वाली तथा बहुत हीं मिलनसार थीं। जीवन के अंतिम कुछ दिन शारीरिक कष्ट के साथ जीने के बावजूद भी उनके द्वारा ईश्वर पर विश्वास तथा परिवार के प्रति स्नेह, प्यार तथा आशीर्वाद को कभी नहीं भुलाया जा सकता”। उनके द्वारा परोपकार की भावना को ध्यान में रखते हुए परिवार ने दधीचि देहदान समिति के माध्यम से उनकी आंखें दान देने का निर्णय लिया। समिति द्वारा इस नेक कार्य में सहयोग के लिए हम आभारी हैं।

25 नवंबर को इएसआई अस्पताल फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। समाज में प्रेरक उदाहरण प्र स्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद। समिति परिवार दिवंगत आत्मा के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अशोक गर्ग 9911 268378

मानवता की सेवा में नेत्रदान

श्री हरि कृष्ण अग्रवाल

श्री हरि कृष्ण अग्रवाल का 71 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे रोहिणी में रहते थे। 25 नवंबर को मरणोपरांत उनके नेत्रदान करके परिवार ने मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पोता , श्री वासु अग्रवाल 999999 2747

चिकित्सा जगत की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण

श्रीमती स्मिता धीर

श्रीमती स्मिता धीर का 89 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे नोवेल्टी सिनेमा के पास पुरानी दिल्ली में रहती थीं। उनके दामाद ने आदरपूर्वक उन्हें याद करते हुए उनके विषय में चर्चा की। स्व. स्मिता धीर धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। जपजी साब गुटका का वे नियमित पाठ करती थीं। 26 नवंबर को स्व. स्मिता की मृत्यु के बाद उनके पति से चर्चा करके, नेत्रदान व देहदान की सहमति लेकर उनके दामाद ने चिकित्सा जगत की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस दान के क्रियान्वयन में सहयोगी रहे सभी परिवार जनों का आभार। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग हेतु स्व. स्मिता का पार्थिव शरीर दान में दिया गया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : दामाद , श्री कमल कपूर 93130 10942

हर क्षण समाज सेवा को तत्पर

श्री बी डी भाटिया

श्री बी डी भाटिया ने 84 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे हरी नगर में रहते थे। उनकी बेटी ने बहुत श्रद्धा व आदर के साथ उनके विषय में चर्चा की। वे सात्विक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनका जीवन प्रभु को समर्पित था। उनकी बिटिया ने श्रद्धा से कहा कि, “हम भाग्यशाली हैं जो उनके दिए संस्कारों के कारण हम भी प्रभु चरणों में लगे हैं। पीढ़ियों से परिवार में संस्कारी जीवन निरंतर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने परिवार को पूरा स्नेह व मान दिया। आर्य समाज में उनका विश्वास था। किसी की कहीं भी सहायता करने में जरा भी हिचकते नहीं थे। समाज के प्रति उनका समर्पण भाव उन्होंने मरणोपरांत भी बनाए रखा”। 28 नवंबर को ESI फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। स्व. भाटिया का पार्थिव शरीर ईएसआई मेडिकल कॉलेज अलवर के विद्यार्थियों में प्रथम गुरु का सम्मान प्राप्त कर रहा है। दान की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए परिवार का साधुवाद। सात्विक जीवन यात्रा से दिवंगत आत्मा ने निश्चय ही ईश चरणों में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : दामाद , श्री योगेश 9810 279127

मातृऋण से मुक्ति ऐसे भी

श्रीमती सावित्री देवी

श्रीमती सावित्री देवी का 80 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे त्रिनगर में रहती थीं। उनके पुत्र ने सादर उनके विषय में चर्चा की। अपने समय में वे क्रांतिकारी विचारों वाली रहीं। वे बहुत सहनशील व शांत प्रवृत्ति की महिला थीं। उनका परामर्श हमेशा उपयोगी व व्यावहारिक रहता था। उन्होंने बहुत साल पहले अपने देहदान का संकल्प लिया। तभी अपने बेटे को आग्रह से कहा कि अगर तुमने मेरा देहदान नहीं किया तो तुम मेरे कर्जदार रह जाओगे। परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 4 दिसंबर को उनका पार्थिव शरीर एम्स दिल्ली के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान कर दिया। ESI मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार सादर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अनिल गुप्ता 9871977933

मानवता के लिए महादान

श्री मदन गोपाल गुप्ता

श्री मदन गोपाल गुप्ता का 85 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे पिलखुआ, गाजियाबाद में रहते थे। उनके भतीजे ने उनके विषय में लिखित जानकारी भेजी है-"सकारात्मक सोच का अनूठा रंग, मानव-मूल्यों का उजाला एवं सामाजिक विद्रूपताओं के प्रति विद्रोह के अनूठे संगम से अभिसिंचित श्री मदन गोपाल गुप्ता जी का व्यक्तित्व प्रणम्य है। उन्होंने मरणोपरांत अपनी देहदान करके जिस सोच का परिचय दिया एवं पिलखुवा वासियों के लिए एक उदाहरण बने उसकी मिसाल आनेवाले काफी समय तक दी जाएगी और आशा करते हैं कि उनके इस कृत्य का अनुसरण करते हुए काफी लोग उनसे प्रेरणा लेकर अपना देहदान करने के लिए आगे आएंगे।श्री मदन गोपाल गुप्ता जी का जन्म 30 अक्टूबर,1938 को श्रीमती राममुखी देवी एवं श्री राम अवतार गुप्ता जी के पुत्र के रूप में हापुड़ में हुआ। बाल्यकाल से ही वे प्रतिभा के धनी रहे। अपने जीविकोपार्जन हेतु उन्होंने ज्योति खादी भंडार नामक एक कपड़े की फैक्ट्री लगाई एवं उसी के नाम आगे बढ़ाते हुए ज्योति वालों के नाम से मशहूर भी हुए। उन्होंने कई वर्षों तक पिलखुवा वस्त्र व्यापारी संघ के विभिन्न पदों पर रहते हुए पिलखुवा के वस्त्र व्यापारियों के उत्थान हेतु सदा प्रयासरत रहे। उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक दायित्वों के निर्वहन हेतु भी विभिन्न संस्थाओं के विभिन्न पदों पर कई रहते हुए कई कार्य किए।स्व. श्री मदन गोपाल गुप्ता जी की तीन बेटियां एवं एक पुत्र हैं। उनके कई नाते-नाती एवं तीन पोते भी हैं। कह सकते हैं कि श्री मदन गोपाल गुप्ता जी का एक भरा-पूरा परिवार है। सभी संतान अपने जीवन में उन्हीं के आचरण का अनुसरण करते हुए अपना जीवन सफलतापूर्वक एवं प्रसन्नता के साथ व्यतीत कर रहे हैं। अंत में प्रभु से यही विनय करते हैं कि प्रभु उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें।"

5 दिसंबर,2023 को स्व. मदन गोपाल के नेत्र गवर्नमेंट आई बैंक, मेरठ में दान किए गए। मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद के छात्रों की पढ़ाई के लिए स्व. मदन गोपाल का पार्थिव शरीर दान किया गया”। मानवता की सेवा में किए गए इस प्रेरक कार्य के लिए परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : भतीजा , श्री अभिनव 9810622766

अब छात्रों के प्रथम गुरु बने

श्री आनंद कुमार जैन

श्री आनंद कुमार जैन ने 85 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की। वे दरियागंज में रहते थे। उनके पुत्र ने आदर पूर्वक उनके विषय में बात की। स्व. जैन सबका ध्यान रखते थे। कॉटेज एंपोरियम से रिटायर होने के बाद उनका अधिक रुझान धर्म की ओर हो गया था। कभी किसी को दुख देना नहीं चाहते थे। देहदान के लिए उन्होंने संकल्प लिया हुआ था। उनके संकल्प का सम्मान रखने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। उनके नेत्र, गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। 10 दिसंबर को इनका पार्थिव शरीर, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए समर्पित किया गया। दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : श्री आलोक जैन 9810057148

सादगी के साथ महादान

श्री जगदीश थरेजा

श्री जगदीश थरेजा का 70 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे मोती नगर, दिल्ली के निवासी थे। उनके पुत्र ने उन्हें श्रद्धा पूर्वक याद किया, “वे मिलनसार प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। हर किसी की चिंता करते थे। स्वभाव से शांत थे। उन्होंने सादगी से अपना जीवन बिताया। अपने आस पड़ोस से व अपने जानने वालों से उनका व्यवहार अपनत्व भरा था। स्व. जगदीश ने अपने जीवन काल में ही देहदान का संकल्प लिया था। 10 दिसंबर को उनकी मृत्यु के बाद एम्स, दिल्ली के छात्रों की पढ़ाई के लिए उनका पार्थिव शरीर दान में दे दिया गया”। मानवता की सेवा में किए गए इस प्रेरक कार्य के लिए परिवार का साधुवाद। ईएसआई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री धीरज 9811004465

परिवार ने किया नेत्रदान महादान

श्री श्याम लाल गुप्ता

श्री श्याम लाल गुप्ता का 80 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे सरस्वती विहार में रहते थे। 17 दिसंबर को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : निकट संबंधी , श्री वासु अग्रवाल 999 9992747

आज किसी अन्य की जिंदगी में अपने नेत्रों से उजाला कर रही हैं

श्रीमती नीता जैन

श्रीमती नीता जैन का 68 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे रोहिणी में रहती थीं। उनके पति ने उनके विषय में लिखित जानकारी भेजी है

75 वर्षीय सुश्राविका स्व. श्रीमती नीता जैन अपने जीवनकाल में 2 दशक से अधिक समय अहिंसा लेडिज क्लब, अहिंसा विहार की प्रधान रही हैं। वह धर्मपरायणा सुश्राविका थी, जो जीवन पर्यन्त धर्म-ध्यान, सामायिक संवर, व गुरूभगवंतों की सेवा में संलग्न रही हैं। पिछले वर्ष १8 दिसम्बर 2023 को स्वर्गवास के पश्चात्‌ उनकी भावना के अनुरूप उनके परिवारजनों के द्वारा मानवता के हितार्थ दिल्‍ली की देहदान व नेत्रदान की अग्रणी संस्था दधीचि देहदान समिति को नेत्रदान किया गया। जिससे वह आज किसी अन्य की जिंदगी में अपने नेत्रों से उजाला कर रही हैं।

स्व.नीता जैन के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । मानवता की सेवा में किए गए इस प्रेरक कार्य के लिए परिवार का साधुवाद । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पति, श्री करतार सिंह जैन 844750474

मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण

श्रीमती सीता देवी शर्मा

श्रीमती सीता देवी शर्मा का 98 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे इंदिरापुरम में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदर पूर्वक उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-

“वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोपराणि
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यनानि
संयाति नवानि देही।
अपने 98 वर्ष के जीवन काल में यथा नाम तथा गुण को चरितार्थ करनेवाली स्व. श्रीमती सीता देवी शर्मा का जन्म ग्राम बड़ा गांव, तहसील खेकड़ा, जिला बागपत उत्तरप्रदेश में हुआ था। विवाहोपरांत आप पति के साथ पिलखुवा जिला गाजियाबाद में आ गईं। आपके तीन पुत्र हैं। जिला परिषद उत्तरप्रदेश के शिक्षा विभाग में आप मुख्य अध्यापिका पद पर कार्यरत रहीं। सेवानिवृत होने के पश्चात दिल्ली में अपने पुत्रों के साथ रहते हुए अपनी स्वत: प्रेरणा से 2 फरवरी 2014 में दधीचि देहदान समिति के माध्यम से मरणोपरांत देहदान एवं नेत्रदान करने का संकल्प लिया। अपने पुत्रों को बताया ही नहीं अपितु शीघ्रातिशीघ्र फार्म लाकर व उसे भरकर यथा स्थान उसे जमा करने के लिए दे दिया। फॉर्म जमा होने पर उन्हें आत्म संतुष्टि हुई। आदरणीया श्री आलोक कुमार जी के द्वारा कुछ समय पश्चात चाणक्यपुरी में एक आयोजन किया गया, जिसमें उस वर्ष के दिवंगत देहदानियों को और देहदान का संकल्प करनेवालों को परिवार सहित निमंत्रण दिया गया था। अतः हम पुत्रों को सपरिवार आदरणीय माता जी के साथ उस आयोजन में जाने का शुभ अवसर मिला। उस आयोजन में आदरणीय श्री आलोक कुमार जी, आदरणीया दीदी ऋतंभरा जी व एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर मिश्रा जी के द्वारा दधीचि देहदान के संदर्भ में सभी प्रकार की शंकाओं का निवारण किया गया तथा सारी प्रक्रिया को विस्तार पूर्वक समझाया। उन्हें सुनकर हम सभी परिवार के सदस्यों को आत्म संतुष्टि हुई।
जीवन के अंतिम समय में अचानक चिंताजनक स्थिति होने पर उन्हें अवंतिका अस्पताल इंदिरापुरम में भर्ती कराया गया। स्वास्थ्य लाभ हेतु पूर्ण प्रयास किया गया परंतु अत्यधिक आयु के कारण शरीर के अंगों पर औषधियों का प्रभाव सफल नहीं हुआ। 19 दिसंबर को अपराह्न 2:45 पर उनका देवलोक गमन हो गया। इसके पश्चात श्रॉफ नेत्र चिकित्सालय की टीम ने नेत्रदान का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न किया। तत्पश्चात श्री राकेश कुमार अग्रवाल जी के प्रयास से शाम 6 बजे उनके पार्थिव शरीर को चिकित्सा अनुसंधान एवं अन्वेषण हेतु यूसीएमएस, मेडिकल कॉलेज, दिलशाद गार्डन दिल्ली के शरीर विज्ञान विभाग की टीम को समर्पित किया गया।
विशेष रूप से अवंतिका अस्पताल के निदेशक व पूर्व शाखा अध्यक्ष डॉक्टर युवराज शर्मा जी, दधीचि देहदान समिति के सदस्य व यूसीएमएस की शरीर विज्ञान विभाग की टीम के सहयोग से यह दान संभव हो सका। हम सभी परिवार के सदस्य इन सभी का विशेष आभार व धन्यवाद करते हैं।”

मानवता की सेवा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अनिल भारद्वाज 954013 4407

साधना से साधा अपना जीवन

श्री मुरारी लाल लोढ़ा

श्री मुरारी लाल लोढ़ा का 90 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे महारानी बाग में रहते थे। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में बात हुई। स्व. लोढ़ा दयालु प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। हमेशा खुश रहते थे। उनका अधिकांश समय ध्यान साधना में बीतता था। स्व.लोढ़ा ने अपने नेत्रदान का संकल्प स्वयं से लिया हुआ था। परिवार ने उनके संकल्प का सम्मान करते हुए गुरु नानक आई सेंटर में उनका नेत्रदान किया। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री आलोक 9810 1059 59

निःस्वार्थ प्रेम की मूर्ति मां

श्रीमती मीना निझावन

श्रीमती मीना निझावन का 68 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे लाजपत नगर में रहती थीं। उनकी पुत्री ने आदर पूर्वक अपने शब्दों में मां को याद किया है-
"मां का दर्जा भगवान के बराबर है। मां ही है जिसने हमें जीवन दिया है और हमें अपने पैरों पर खड़ा किया है। मेरी मां निस्वार्थ प्रेम की मूर्ति थीं। थकी होने पर भी मेरे लिए सदैव तत्पर रहती थीं। वह मेरी मां ही थीं जिनपर मैं पूरा भरोसा कर सकती थी। आज भी उनका आशीर्वाद हमारे साथ है।"

20 दिसंबर को स्व. मीना के नेत्र ईएसआई, फरीदाबाद में दान किए गए। मानवता की सेवा में किए गए इस प्रेरक कार्य के लिए परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्री , सुश्री प्रिया आहूजा 921 2246838

बांके बिहारी जी की भक्ति से परोपकार की शक्ति

श्रीमती पुष्पा अग्रवाल

श्रीमती पुष्पा अग्रवाल का 80 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे गाजियाबाद में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदरपूर्वक उनके विषय में लिखित जानकारी भेजी है-
“मेरी पुज्य माताजी श्रीमती पुष्पा अग्रवाल जी जिनका शरीर 26 दिसंबर 2023 को पूर्ण हो गया था। ज्ञानानुसार उनकी आत्मा और आशीर्वाद सदैव हमारे परिवार के साथ रहेगा।
हमारी माताजी अध्यात्मिक प्रवृति की थी उनका बचपन मथुरा की गलियों में गुजरा और शिक्षा भी मथुरा में हुई। इसलिए प्रारंभ से बांके बिहारी जी की भक्ति में लीन रहती थीं। बिहारी जी का स्वरूप लड्डू गोपाल जी की हमेशा सेवा करती थीं। उनको कृष्ण भजन संग्रह का भी बहुत शौक था। परिवार और परिचित लोगों के लिए भोजन बनाना और खिलाना बहुत अच्छा लगता था। माताजी कृष्णा के लिए हर वर्ष छप्पन भोग बनाया करती थी। एकादशी, पुर्णमासी, अमावस्या पर व्रत और हवन किया करती थी। उनके द्वारा जीवन में किये गए कुछ महत्वपूर्ण कार्य जरूर बताना चाहेंगे-
मथुरा में भागवत कराई। गौ दान किया। 6 कन्याओ का कन्यादान किया। और दुनिया से जाते हुए नेत्रदान भी किया। माता जी को शत-शत नमन।”
नेत्रदान करवा कर परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। मानवता की सेवा में आगे आने के लिए परिवार का साधुवाद। ईएसआई, फरीदाबाद की टीम सम्मान सहित उनके नेत्रदान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र , श्री अंकुर अग्रवाल 9313010624

महादान का आत्मसंतोष

श्री सुदर्शन कुकरेजा

श्री सुदर्शन कुकरेजा का 73 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। उनकी पत्नी से उनके विषय में बातचीत हुई। वे पति-पत्नी साहनी फाउंडेशन के वृद्ध आश्रम रंगपुरी, बसंत कुंज में रहते थे। श्रीमती कमल ने बताया कि उनके पति बहुत मिलनसार व्यक्ति थे और सबकी मदद करने को हरदम तैयार रहते थे। उनके दोनों बेटों की मृत्यु होने के कारण वे अवसाद की दशा में आ गए थे। बच्चों की मृत्यु ही एक कारण था कि वे आश्रम में आकर रहने लगे। वहां पर दधीचि देहदान समिति का एक जागरूकता कार्यक्रम होने के उपरांत उन्होंने अपनी देहदान की इच्छा व्यक्त की थी। आश्रम के व्यवस्थापकों की सहायता के कारण उनकी इस इच्छा का सम्मान हो सका। देहदान के प्रति अपनी दृढ़ इच्छा को रखने के लिए स्व. सुदर्शन की पत्नी का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पत्नी , श्रीमती कमल कुकरेजा 93 5522 3205

चिकित्सा शास्त्र के लिए अतुलनीय दान

श्री चंद्र मोहन टंडन

श्री चंद्र मोहन टंडन का 77 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे फरीदाबाद में रहते थे । उनकी मृत्यु के बाद 30 दिसंबर को,परिवार ने चिकित्सा जगत की सेवा के लिए उनका पार्थिव शरीर मां अमृतानंदमयी मेडिकल कॉलेज में दान कर दिया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अतुलनीय दान है। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र,श्री निशांत टंडन 614163 92194

परिवार के सभी सदस्य संकल्पित देहदानी

श्रीमती चमेली देवी

श्रीमती चमेली देवी का 93 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे फतेहपुरी, पुरानी दिल्ली में रहती थीं। उनके पोते ने आदरपूर्वक फोन पर उनके विषय में बात की। उन्हें गीता और रामायण कंठस्थ थी। अपने घर पर भागवत कथा का पाठ और साप्ताहिक सत्संग चलता रहता था। बहुत शांत और स्नेही महिला थी। सबसे मिलना उन्हें अच्छा लगता था। उनके परिवार के सभी सदस्य संकल्पित देहदानी हैं। स्व.चमेली देवी ने भी देहदान का संकल्प लिया हुआ था। परिवार ने उनके संकल्प का सम्मान करते हुए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए 31 दिसंबर को इनका पार्थिव शरीर दान में दे दिया। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पोता , श्री प्रकाश गुप्ता 9953 938500

‘ अपनाघर ’ आश्रय स्थल का महादान

नेत्र दानियों को दधीचि देहदान समिति परिवार की ओर से नमन

आश्रयहीन व्यक्ति जो शारीरिक या मानसिक - किसी भी रुप से लाचार हैं , उन सबका अपना ही घर है , अपना घर आश्रम , पूठ खुर्द , बवाना रोड़ दिल्ली। अपनी खुशी के लिए समाज सेवा का यह प्रकल्प शुरू करने वाले भारद्वाज दंपति का यह दृढ़ विश्वास है कि यह सब कार्य ईशकृपा से सहजता पूर्वक हो रहा है। यहां रहनेवाले व्यक्तियों के लिए " प्रभु " संबोधन है। समिति ने आश्रम में संपर्क व चर्चा करके यहां से नेत्रदान का क्रियान्वयन शुरू किया है। चूंकि अधिकांश प्रभु अपने खून के रिश्तो से बिछड़े हुए हैं , इसलिए आश्रम संचालक मरणोपरांत की जानेवाली रीति नीति सबका उत्तरदायित्व निभा रहे हैं। उन सबों ने नेत्रदान और देहदान के लिए सहमति बनाई , क्रियान्वयन भी शुरू हो गया। आश्रम व्यवस्था में लगे सभी बंधुओं का साधुवाद !

अपना घर आश्रम से हुए ये सभी नवंबर दिसंबर के नेत्रदान, गुरु नानक आई सेंटर की टीम द्वारा सम्मान सहित लिए गए।

नेत्रदानियों को दधीचि देहदान समिति परिवार की ओर से नमन !