"चलते फिरते हाथ पैर जाएं, अंतिम समय में लाचारी न हो..." ये वे शब्द हैं जो हमने आपने अपने घर में बड़ों को हमेशा कहते हुए सुना है । इसी विषय से संबंधित कुछ बातें माननीय राष्ट्रपति ने आईएलबीएस के नवें दीक्षांत समारोह में भी रखी । 27 दिसंबर, 2023 को श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने उपाधि प्राप्त डॉक्टरों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय पद्धति में संतुलित जीवन शैली का व्यवधान है। समय पर सोना, समय पर उठना, समय पर भोजन करना... ये गीता के ही शब्द हैं-
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु। युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुखहा ।।
इसके अनुसार चलते हुए व्यक्ति दुखों से पार पाता है । समाज से डॉक्टर को बहुत सम्मान तो प्राप्त होता है पर साथ-साथ अपेक्षाएं भी बहुत होती हैं। लिवर प्रत्यारोपण में प्रशंसनीय उपलब्धियां प्राप्त करने वाले आई एल बी एस से लीवर संबंधी बीमारियों को लेकर प्रिवेंटिव हेल्थ केयर के विषय पर भी हमें बहुत अपेक्षाएं हैं। जहां एक ओर उन्होंने अंगदान पर देश में बड़े पैमाने पर जागरुकता कार्यक्रम करने की बात कही, वहीं उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि 'प्रिवेंटिव हेल्थ केयर फॉर आल' पर भी ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है । "सर्वे संतु निरामया:" के उद्देश्य को लेकर चलने वाले चिकित्सा जगत को उन्होंने संदेश दिया कि आप सबको किसी भी समय, किसी भी परिस्थिति में रोगी की सेवा करनी है, इसलिए उत्साह से अपने काम को कर सकें, इसके लिए आवश्यक है कि विमान यात्रा में दी गई सूचना को ध्यान में रखें- "यात्रियों से निवेदन है कि दूसरों की सहायता से पहले कृपया स्वयं अपना ऑक्सीजन मास्क पहनें।"
महामहिम का यह संदेश सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय भूमिका का निर्वहन करने वाले हर व्यक्ति के लिए उपयोगी व ध्यान रखने योग्य है। 'जीवेम शरद: शतम्' के वेद वाक्य को ध्यान में रखकर हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखना है और उपयोग में आने योग्य स्थिति में ही छोड़ कर जाना है ।
शुभेच्छु
मंजु प्रभा