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एक वालंटियर का निवेदन

प्रोफेसर कुलविंदर सिंह

मेरे प्यारे दोस्तो !

आप सभी एक टीम के रूप में दधीचि देहदान समिति में वालंटियर की तरह काम करते हैं। हो सकता है यह काम आपको रूटीन ही लगता होगा, पर यह महान काम रब की मेहर ही है। बहुत से लोग समाज को बदलना चाहते हैं , पर अपनी आदतें तक नहीं बदल पाते। हमें किस्मत से समिति मिली है - "ALL IN ONE FREE PACKAGE ।"

एक वालंटियर बन जाने से हमारे हाथों जाने -अनजाने कितने नेत्रों, कितने अंगों और कितनी देहों का दान हुआ। हमारे सामूहिक प्रयास ने हमें कितने नेत्रहीनों की दुआएं दिलवाई और देहदान करवा कर भारत को कितने बेहतरीन डॉक्टर मिले । कभी मान या गर्व न करना, बस शुक्र करना कि सेवा का मौका मिला।

श्री आलोक जी का धन्यवाद दिया करें कि उन्होंने यह समिति बनाकर हमें भी मौका दिया । अनुभवी व उच्च विचार वाले साथियों के साथ रहकर सीखने का भी मौका मिल रहा है।

एक संवेदनशील वेबजीन के द्वारा श्रीमती मंजू जी , श्री पंत जी और हमारे कई बुद्धिजीवी मित्र हमारी लगन की धार को तेज करते रहते हैं। एक बार सारे अंको का प्रिंटआउट लो और पढ़ना शुरू करो। सभी अलौकिक हैं और ऐसी अनुभूति सबको होगी।

हर रोज हर क्षेत्र के साथी ,कहां-कहां क्या-क्या दिनचर्या में कर जाते हैं कि उसे देखकर बस एक ही बात निकलती है सबको हर पल हमेशा नमन । काश यह समर्पण का भाव कई गुना बढ़े और मानवता के इस काम का फल सारे संसार को मिले!

रामधन जी का कोटि-कोटि धन्यवाद कि इस काम से मेरी पहचान कराई।

मैं तो 99 के दायरे में हूं। प्रार्थना करें कि और अधिक समर्पण से काम करने लगूं । वे सदस्य जो केवल ग्रुप की गिनती बढ़ा रहे हैं , वे भी सक्रिय हों और वरिष्ठ साथियों की मदद करें, ऐसी मेरी प्रार्थना है।

प्रभु समिति परिवार के हर सदस्य को श्रेष्ठ सेवा की क्षमता और अधिक तत्परता प्रदान करे। जब भी मौका मिले मेरे शब्द भावों को पढ़ें और मेरी त्रुटियां दूर करें ।

धन्यवाद के साथ