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देह , अंग और नेत्रदान के लिए आयोजित राष्ट्रव्यापी अभियान पर
समिति की ओर से प्रेस वार्ता

मानवीय मूल्यों को समर्पित दधीचि देह दान समिति की सेवाओं के 25 साल पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर देह,अंग और नेत्रदान के लिए जागरूकता फैलाने और निष्पादन के उद्देश्य से समिति ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान के आयोजन की योजना बनाई है। इस आयोजन के लिए दधीचि देह दान समिति ने औपचारिक रूप से 23 अगस्त को मालवीय भवन, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में एक प्रेस वार्ता की। इस अवसर पर एडवोकेट आलोक कुमार (संरक्षक, डीडीडीएस), श्री हर्ष मल्होत्रा (अध्यक्ष, डीडीडीएस) और मीडिया एवं चिकित्सा बिरादरी के कई प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे।

इस वार्ता में आए लोगों को कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि राष्ट्रव्यापी अभियान को गति देने के लिए

शनिवार, 3 सितंबर 2022 को एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इसका समापन रविवार, 4 सितंबर 2022 को डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में एक सम्मेलन के साथ होगा। दधीचि ने सम्मेलन को संबोधित करने के लिए भारत के माननीय उपराष्ट्रपति को आमंत्रित किया है। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती ने भी इस सम्मेलन को संबोधित करने की सहमति दी है।

इस कॉन्क्लेव में देह,अंग और नेत्रदान विषय को समर्पित संस्थाओं के साथ-साथ मोहन फाउंडेशन, ऑर्गन इंडिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, नोटो, ओआरबीओ, नेशनल आई बैंक, अम्मा आई ऑर्गन, बॉडी डोनेशन प्रमोटर्स ऑर्गनाइजेशन, द फेडरेशन ऑफ ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन और आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया सहित 60 से अधिक संस्थाओं ने भाग लेने के लिए सहमति दी है।

केंद्रीय मंत्री श्री मनसुख मंडाविया, सुश्री मीनाक्षी लेखी, सुश्री भारती प्रवीण पंवार के साथ-साथ पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और श्री सुशील मोदी ने भी भाग लेने के लिए सहमति व्यक्त की है। श्री राजेश भूषण, सचिव, स्वास्थ्य और श्री अतुल गोयल, डीजीएचएस, भारत भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

दधीचि देहदान समिति को उम्मीद है कि यह कॉन्क्लेव देह,अंग और नेत्रदान के विषय को लोकप्रिय बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान पर विचार करेगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं दधीचि देह दान समिति के संरक्षक आलोक कुमार ने कहा, “1997 में गठित, दधीचि देह दान समिति देह-अंग दान पर जागरूकता फैलाने में अग्रणी रही है। हमारा प्राथमिक उद्देश्य लोगों को यह एहसास दिलाना है कि किस प्रकार किसी मृतक/दाता का दान किया गया शरीर/अंग जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए जीवन रक्षक हो सकता है। हमारी समिति के 200 से अधिक समर्पित स्वयंसेवक अत्यंत विनम्रता के साथ प्रत्येक कदम उठाते हैं और दाता परिवार को बिना किसी परेशानी के दान की एक सहज प्रक्रिया सुनिश्चित करते हैं।”

कुमार ने आगे कहा कि “समिति दाता के परिवार, सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के बीच एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो दान किए गए शरीर के अंगों का उपयोग अनुसंधान और चिकित्सा आपात स्थितियों में कर सकते हैं। अब तक 17 हजार से अधिक दाताओं ने अंगदान के पुण्य काम के लिए अपनी सहमति दी है। पिछले 25 वर्षों में दधीचि देहदान समिति ने 353 देहदान, 870 जोड़े नेत्रदान, छह अंग दान, दो बोन और तीन त्वचा दान की सुविधा प्रदान की है।”

दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा, “भारत सबसे बड़ी आबादी में से एक होने के बावजूद अंगदान के मामले में अन्य विकासशील देशों से बहुत पीछे है। इसके पीछे प्रमुख कारण जन जागरूकता की कमी, धार्मिक वर्जनाएं, जटिल कानूनी प्रक्रिया हो सकती है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस अभियान के माध्यम से हम अधिक से अधिक लोगों को देह-अंग-नेत्र दान के लिए प्रोत्साहित करके अपने लक्ष्य ‘स्वस्थ सबल भारत’ को प्राप्त करेंगे।”

प्रेस वार्ता में आए मीडिया के प्रतिनिधियों को समिति की ओर से कुछ जरूरी जानकारियां भी दी गईं। उन्हें बताया गया कि महर्षि दधीचि से प्रेरणा लेकर, "दधीचि देह दान समिति" 1997 से दिल्ली-एनसीआर में काम कर रही है। समिति देह-अंग-नेत्र दान के बारे में जागरूकता फैला रही है और लोगों को मरणोपरांत अपने अंगों को दान करने का संकल्प लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। समिति जनता से दूसरों की मदद करने के लिए एक कदम और करीब आने का आग्रह करने की दिशा में काम करती है। दधीचि देहदान समिति अंगदान की प्रक्रिया से जुड़ी हर चीज की संवेदनशीलता को समझती है।