Dehdan Samiti Inspire Donation
77-year-old man, Vir Bhan Choudhury, helped save five lives
On Tuesday night, the Delhi Traffic Police created a 25km green corridor to facilitate the oldest cadaver donation at AIIMS Trauma Centre.
The police cleared traffic and helped in the transportation of the body from Orchid hospital in Janakpuri to the AIIMS Trauma Centre in just about 20 minutes around Tuesday midnight.
The organs from the body of the 77-year-old man, Vir Bhan Choudhury, helped save three lives and restored the eyesight of two others.
Choudhury was a retired Delhi government school teacher. Permission was sought and received by the authorities from his wife and five daughters and son-in-law before the whole process was set into motion.
“He (Choudhury) was admitted to Orchid hospital in Janakpuri with breathing problems on February 14 and was declared brain dead at the hospital on February 16. The representatives from Dadhichi Deh Daan Samiti contacted us and convinced us for organ donation at the trauma centre. The body was shifted to AIIMS on Tuesday night and they started the process. The body was handed over to us at 1:30pm the next day (Wednesday),” said Prem Makkar, son-in-law of the donor.
The family gave consent for the transplant of liver, both kidneys, both corneas and the heart. But due to the past history of CABG (coronary artery bypass graft) and the age of donor, the heart and heart valves could not be retrieved.
“This was the fifth cadaver donation at AIIMS this year and the oldest at the institute. The liver was donated to Institute of Liver and Biliary Sciences (ILBS) and transplanted to a 30-year-old man at the institute.
The kidneys were transplanted to 48-year-old and 50-year-old male patients at AIIMS. The corneas have been preserved at the AIIMS eye bank,” said Dr MC Misra, director, All India Institute of Medical Sciences (AIIMS).
“We conducted two tests to declare brain stem death at 1am and 7am on Wednesday. The body was taken to the operation theatre at 9:30am for retrieval of organs. The body was handed over to the family at 1:30pm on Wednesday,” said Rajeev Maikhuri, organ transplant coordinator, Organ Retrieval Banking Organisation, AIIMS.
महिला के अंगों से 3 को मिली नई ज़िंदगी
एक बच्चे और लड़की को किडनी ट्रांसप्लांट की गई और एक मरीज़ को लीवर दिया गया
राहुल आनंद, नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली
छब्बीस साल की महिला की मौत के बाद परिजनों ने ऑर्गन डोनेशन का फैसला लिया। इससे तीन लोगों को नई ज़िंदगी मिली है। एम्स में 14 साल के एक बच्चे और 26 साल की एक लड़की को किडनी ट्रांसप्लांट की गई और आईएलबीएस में एक मरीज़ में लीवर ट्रांसप्लांट किया गया। मृतक का काॅर्निया और हार्ट वाॅल्व सुरक्षित रखा गया है। बाद में ज़रूरतमंद मरीज़ों में इनका ट्रांसप्लांट किया जाएगा। इस साल दिल्ली में यह चौथा कैडवेर डोनेशन है, जिससे अब तक कई लोगों की जान बचाई जा सकी है। नांगलोई निवासी दिनेश कुमार ने अपने घर का कंस्ट््रक्शन कराया था। सात फरवरी को सभी लोग घर में थे। उनकी बेटी सो रही थी। उसी समय छत गिर गई और सभी लोग उसके नीचे आ गए। एक साल की बच्ची की मौत हो गई, जबकि दिनेश कुमार और पत्नी को एक्शन बालाजी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जहां दिनेश तो ठीक हो गए, लेकिन उनकी पत्नी की तबियत खराब होती चली गई। ब्रेन में चोट की वजह से बाद में उनकी ब्रेन डेथ हो गई। दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार को जब यह पता चलो तो उन्होंने परिजनों को ऑर्गन डोनेशन के लिए तैयार किया। एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम.सी. मिश्राा ने ताया कि जैसे ही हमें सूचना मिली, हमने अपनी टीम एक्शन बालाजी हॉस्पिटल भेजी। शनिवार की रात 10 बजे हमारी टीम हॉस्पिटल गई और वहां महिला के ससुराल पक्ष और मायके पक्ष से सहमति ली। महिला के पिता के अलावा उनके ससुर और पति ऑर्गन डोनेशन के लिए तैयार हो गए।
एम्स के ऑर्गन डोनेशन के कोऑर्डिनेटर राजीव कुमार ने बताया कि शनिवार को देर रात हम अस्पताल से मरीज़ को एम्स ट्रांॅमा सेंटर लाए। यहां पर डाॅक्टरों की टीम ने प्रोटोकोल के तहत महिला को ब्रेन डेड घोषित किया। इसके बाद ऑर्गन निकालने के लिए सर्जनी शुरू की गई। किडनी एम्स में ही रखी गई और 14 साल के लड़के में और 26 साल की लड़की में ट्रांसप्लांट की गई। लीवर आईएलबीएस भेजा गया, क्योंकि एम्स में कोई मरीज़ वेटिंग में नहीं था।
हार्ट की हालत खराब हो चुकी थी, केवल 25 परसेंट ही काम कर रहा था, इसलिए हार्ट ट्रांसप्लांट सम्भव नहीं था। हार्ट वॉल्व और काॅर्निया का बाद में इस्तेमाल किया जाएगा।