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श्रद्धा सुमन

श्री लक्ष्मी चंद क्वात्रा

2 जनवरी को श्री लक्ष्मी चंद क्वात्रा ने 85 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे फरीदाबाद में रहते थे। आर्य समाज के संस्कार उन्हें विरासत में मिले थे। पहले पलवल और फिर फरीदाबाद दोनों स्थानों पर रहते हुए जगह जगह आर्य समाज व उससे जुड़े वाचनालय, पुस्तकालय व विद्यालयों की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा। केवल इतना ही नहीं, यह सब संस्थान समाज के लिए नियमित रूप से उपयोगी बने रहें इस पर भी वो विशेष ध्यान देते थे।समाज सेवा की भावना के कारण आर्य कन्या सदन व कन्या अनाथालय से भी जुड़े रहे।राजस्व विभाग की नौकरी में रहते हुए भी अपनी ईमानदारी के कारण उनकी एक अलग पहचान थी। स्व. लक्ष्मी चंद की पत्नी भी आर्य समाज के कामों में सक्रियता से सहधर्मिणी बनीर हीं। सेक्टर19 की आर्य समाज में धर्मार्थ चिकित्सालय, सिलाई प्रशिक्षण केंद्र और आर्य कुमार सभा जैसे कई प्रकल्प शुरू किये।धर्मार्थ औषधालय ने तो एक अच्छे खासे अस्पताल का रूप ले लिया है।उनका मानना था की धन के अभाव में कोई सामाजिक काम नहीं रुकता।स्वयं में एक चलती फिरती आर्य समाज बनकर स्वर्गीय लक्ष्मी चंदजी ने आर्य निर्माण का निरंतर काम किया है।वह सब के लिए निश्चय ही एक प्रेरणा स्रोत हैं।

उनके पुत्र के शब्दों में "यदि हम बाबूजी को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो एक संकल्प लें की निस्वार्थ भाव से परोपकार के यज्ञीय कार्य करते हुए आर्य निर्माण करके “कृण्वन्तोविश्वमार्यम”का संकल्प पूरा करते रहेंगे।बाबू लक्ष्मी चंद जी अपनी देह त्याग कर ईश्वरीय न्याय व्यवस्था में चले गए।लेकिन उनका उज्जवल जीवन, उनका वैदिक आर्य सिद्धांतों के प्रति समर्पण हम सभी का मार्ग प्रशस्त करेगा।"

स्वर्गीय लक्ष्मी चंद जी आजीवन परोपकार में लगे रहे और संस्कारी प्रियजनों द्वारा मानवता के कल्याण के लिए वेणु आई सेंटर में इनके नेत्र भी दान में दिएगए।परिवारजनों का साधुवाद।समिति द्वारा दिवंगत आत्मा के लिए सादर श्रद्धांजलि।

संपर्कसूत्र : पुत्र श्री दिनेश 9818212272

श्री बिमल कुमार गुप्ता

श्री बिमल कुमार गुप्ता ने 84 वर्ष की आयु में शरीर छोड़ा । वे कविनगर, गाज़ियाबाद के निवासी थे । लगभग दस वर्ष से ये दधीचि देह दान समिति से जुड़े हुए थे । इनका बेटा भी गाज़ियाबाद इकाई की मुख्य भूमिका में है । 5 जनवरी को मरणोपरांत परिवार जनों ने स्व. बिमल कुमार का पार्थिव शरीर UCMS (GTB) को दान में दे दिया। इनके नेत्र वेणु आई सेंटर की टीम ससम्मान लेकर गई। वे बहुत स्नेही और मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे। स्व. बिमल के पुत्र ने भावुक होकर उन्हें याद करते हुए कहा, "बाबूजी तो बस बाबूजी ही थे। रिटायरमेंट के बाद भी मित्रमंडली के साथ समय तो बिताते ही थे, पर मेरा घर तो उन्होंने ही सम्भाला हुआ था।” मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए विशेष रूप से उपयोगी इस देहदान के क्रियान्वयन के लिए समिति स्व. बिमल कुमार के परिवार का अभिवादन करती है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र डॉ. कमल 9625824836

श्री अभिनव जैन

33 वर्ष की अल्पायु में ही श्री अभिनव जैन दिवंगत हो गए।वे पंजाबी बाग़ में रहते थे।उनके पिताजी से बात करने पर पता चला कि अभिनव एक हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति थे। उनके परिवार के सभी सदस्यों ने नेत्रदान का संकल्प लिया हुआ है। दुःख की घडी में भी नेत्रदान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का साधुवाद । 5 जनवरी को उनके नेत्र वेणु अस्पताल की टीम द्वारा ससम्मान दान में लिए गए। मानवता की सेवा के लिए किया गया यह दान समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पत्नी श्रीमती आकांक्षा 9891945559

श्रीमती कृष्णा छाबड़ा

नजफगढ़ निवासी श्रीमती कृष्णा छाबड़ा का 85 वर्ष की आयु में देहांत हो गया । उनके पोते ने बहुत सम्मान के साथ उन्हें याद करते हुए बताया कि वे परिवार के लिए एक ड्राइविंग फ़ोर्स थीं । पीढ़ियों की विचार भिन्नता होने पर भी आराम से समझना व फिर नए विचारों को स्वीकार भी कर लेना - यही उनकी विशेषता थी । परिवार को अच्छे से बाँध कर रखने की कोई विशेष कला थी उनके पास । सकारात्मक सोच के साथ कठिन परिस्थितियों में भी बच्चों को आगे बढ़ना सिखाती रहीं । 14 जनवरी को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने आर्मी मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढाई के लिए, उनका पार्थिव शरीर दान में दे दिया । वेणु आई सेण्टर की टीम द्वारा ससम्मान उनके नेत्र भी दान में लिए गए । इस प्रेरणास्पद काम के लिए उनके परिवार का अभिनन्दन । दिवंगत आत्मा के लिए समिति की विनम्र श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र : पौत्र श्री कौशांक 9711159121

श्रीमती चंचल रानी
श्रीमती चंचल रानी की इहलीला 53 वर्ष की आयु में ही समाप्त हो गई। वह पटेल नगर में रहती थीं। 19 नवम्बर, 2018 को उनकी मृत्यु के बाद मानवता की सेवा के लिए उनके नेत्र दान करने का निर्णय लेकर परिवारजनों ने समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। राजेन्द्र प्रसाद आई सेंटर की टीम द्वारा उनके नेत्र दान में ले लिए गए। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

श्री देवेंद्र स्वरुप अग्रवाल

बहुआयामी प्रतिभा के धनी श्री देवेंद्र स्वरुप अग्रवाल ने 93 वर्ष की आयु में इहलीला समाप्त करके देवलोक में गमन किया। वे समाजशास्त्र, समसामयिक राजनैतिक परिस्थितियां और हिन्दू विचारधारा जैसे विषयों पर कई पुस्तकें लिख गए। पत्रकारिता में भी उनकी लेखनी समाज को दिशा देने वाले विषयों पर चलती रही। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। 14 जनवरी को मरणोपरांत उनका पार्थिव शरीर मयूर विहार स्थित उनके निवास पर 4 घंटे के लिए दर्शनार्थ रखा गया। बौद्धिक धरातल पर कार्यक्षेत्र में सहयोगी रहे उनके मित्र , अड़ोसी-पड़ोसी, नाते-रिश्तेदार सभी उपस्थित थे। लगभग चार वर्ष पूर्व उन्होंने अपनी देहदान के संकल्प को अपने परिवार के समक्ष सुनिश्चित किया था । दधीचि देहदान समिति द्वारा परिवार जनों का अभिनन्दन जिन्होंने उनकी इच्छा का सम्मान किया। समिति वर्धमान मेडिकल कॉलेज की एनाटमी की विभागाध्यक्ष श्रीमती मंगला कोहली का भी आभार व्यक्त करती है कि दान में लिए जाने वाले पार्थिव शरीर की जीवन यात्रा की गरिमा का मान रखते हुए वे स्वयं मयूर विहार आईं। मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए यह एक अमूल्य दान है । स्वर्गीय देवेंद्र स्वरुप के पुत्र ने अपने पिताजी द्वारा विरासत में मिले संस्कारों के अनुरूप ही अपनी भावनाएं कुछ ऐसे व्यक्त कीं, "हमारे पिताजी परिवार में हम सब के प्रेरणास्रोत थे। हमें उनके आदर्शों को समझने व जीने का हर समय अवसर मिला। जो भी उनके संपर्क में आता वो हमारे परिवार का हिस्सा बन जाता था। घर पर आने वाले सब व्यक्ति हमारे चाचाजी, ताऊजी, बुआजी होते थे। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को उन्होंने वास्तविक रूप से जिया। उनकी हमेशा दो ही चिंता रहीं – एक उनकी बौद्धिक धरोहरको सँजोना और दूसरी उनके बृहत्-परिवार को जोड़े रखना। बौद्धिक धरोहर की चिंता बुद्धिजीवी वर्ग कर रहा है। मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि हमारा परिवार पिताजी के आदर्शों पर चलते हुए समाज और देश के लिए अपने योगदान देगा।” दिवंगत आत्मा को दधीचि परिवार की सादर श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री रोहित अग्रवाल 9871038888

श्री चंद्रमोहन भुड्डी

रोहिणी निवासी श्री चंद्रमोहन भुड्डी का 51 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वे डेरा सच्चा सौदा से जुड़े हुए थे। वहीं पर उन्होंने नेत्रदान का संकल्प लिया था । वे आजीवन निष्ठापूर्वक सेवा के कामों में लगे रहे। 18 जनवरी को मृत्यु के बाद गुरुनानक आई सेंटर की टीम ने उनके नेत्र दान में लिए । दधीचि देह दान समिति परिवार का अभिनन्दन करती है जिसने उनके संकल्प का सम्मान किया और मानवता की सेवा में इस महादान को सम्पन्न करवाया । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें, ऐसी हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : भाई श्री सुखदर्शन 9871772851

सुश्री रुचिका जैन
25 वर्षीय सुश्री रुचिका जैन 20 जनवरी को दिवंगत हो गयीं। गुप्ता कॉलोनी, दिल्ली के निवासी उनके परिवार जनों ने उनका नेत्रदान करने का निर्णय लिया। परिवार जनों का साधुवाद। गुरु नानक आई सेण्टर की टीम द्वारा ससम्मान इनके नेत्रदान में लिए गए। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

परिवार ने संपर्क सूत्र देने की अनुमति नहीं दी।

श्री इंद्र नारायण सिंघल

न्यू गांधीनगर, गाजिआबाद निवासी श्री इंद्र नारायण सिंघल का 67 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया । उनके बेटे ने बताया कि उनका जीवन तो सामान्य रहा पर साल में एक बार वे बालाजी दर्शन के लिए जरूर जाते थे । 20 जनवरी को उनकी मृत्यु के बाद वेणु आई सेंटर की टीम ने ससम्मान उनके नेत्र दान में लिए । मेडिकल की पढाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए उनका मृत शरीर ई.इस.आई मेडिकल कॉलेज को दान में दिया गया । परिवार जनों के इस प्रेरणास्पद काम के लिए दधीचि परिवार उनका अभिवादन करता है । दिवंगत आत्मा के लिए हमारी विनम्र श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री अंशुल सिंघल 9811680187

श्री बलदेव प्रसाद भाटिया

श्री बलदेव प्रसाद भाटिया ने 82 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे सेक्टर 55, नॉएडा में रहते थे। उनके बेटे ने अपने ही शब्दों में अपने पिताजी की स्मृतियाँ हमें लिख कर भेजीं :

“No love is greater than that of a father for his son. Mothers express it and father silently feel the happiness and proud. This I have understood myself more after becoming father of my son.

My father Shri Baldeo Prasad Bhatia was a businessman in Mathura and worked throughout his life there till 1999. For ours and my parents happiness, I asked him to be with their grand children. My parents accepted my request. Thereafter we lived with our parents till now.

My father was a very simple, non-materialistic and religious person. As I remember, he used to go daily, without fail, Dwarkadheesh temple at Mathura for Mangaladarshan. During his stay at Mathura, this routine never broke. Sometimes I also accompanied him for Mangal Darshan. After coming to Delhi/Noida, his routine of daily worship pf Krishna never stopped. The trend continues. Now after him, we i.e my wife Anand Priya and I do this worship daily. Further to remember the name of God Krishna regularly on daily basis, he himself named his grand son as Kanhaiya and his great Grandson as Krishna.

The other great charity act of donation of his body after death, for the common good of the people, is another example of his greatness shown to us. Dhadhichi Deh Daan Samiti played a great role in this regard. Dhadhichi Deh Daan Samiti is playing a great role in this direction of spreading the awareness amongst the people for this great act of charity. I am very much thankful to them. I feel that one father is more than a hundred school masters. I learnt from him tolerance, charity, satisfaction with what you have, simplicity.

स्व. बलदेव प्रसाद भाटिया के नेत्र वेणु आई सेंटर व इनका पार्थिव शरीर एम्स में छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। दधीचि परिवार की ओर से दिवंगत आत्मा को सादर श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री कपिल भाटिया 8800200201

श्रीमती शकुन्त गोयल

श्रीमती शकुन्त गोयल का 69 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया । वे आज़ाद मार्किट, दिल्ली में रहती थीं । उनके बेटे से बात होने पर पता चला कि वे दान करने में सदा आगे रहती थीं । निरंतर पूजा-पाठ करने वाली एक जागरूक महिला थीं । इनके पूरे परिवार ने नेत्रदान का संकल्प लिया हुआ है । परिवार जनों का साधुवाद जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए मरणोपरांत, 25 जनवरी को उनके नेत्र आर.पी. सेंटर (एम्स) में दान कर दिए । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री विनय 9818435324

श्रीमती कस्तूरी देवी जैन

रोहिणी निवासी श्रीमती कस्तूरी देवी जैन 85 वर्ष की आयु में परलोक सिधार गयीं। उनकी पुत्रवधु ने फ़ोन पर बताया कि उन्होंने अपने जीवन में बहुत परिश्रम किया। कपड़ों की सिलाई कर के उन्होंने अपने परिवार का भरण पोषण किया। 40 वर्ष की आयु में उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत का नियम ले लिया। नियमित अनापूर्वी पढ़ती थीं। 5 घंटे सुबह और 5 घंटे शाम उनकी दैनिक पूजा चलती थी। 27 जनवरी को उनके देहावसान के बाद परिवार ने उनके नेत्र दान करने का निर्णय लिया। आर.पी. सेंटर (एम्स) की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गयी। इस महादान को संपन्न करने के लिए परिवारजनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार की सादर श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधु श्रीमती पुष्पा जैन 9958954277

श्री गुरदयाल सिंह सेठी

वसंत कुञ्ज निवासी श्री गुरदयाल सिंह सेठी का 27 फरवरी को देहांत हो गया। वे 82 वर्ष के थे। उनकी बेटी ने अपने पापा की याद में कुछ शब्द हमें लिख कर भेजे हैं :

Our father Shri Gurdial Singh Sethi was an Advocate by Profession but did not possess any qualities of cunningness or manipulation required for this profession. He was a noble soul who loved Humanity and could not see any one in trouble or pain. He was always ready to help anyone who would come to him for any type of help or support, be it financial, emotional or moral. He always offered a helping hand without thinking twice if the person is related to him or not or if the person would be able to repay the favor. I think this was the reason why his last wish was to donate his body and eyes so he could be of help to a person in need; this is how our father was - helping anybody and everybody around him, loving everybody selflessly. We are proud of our father who could think of all this even when he was in great pain and towards the end of his life.

स्वर्गीय सेठी जी का पार्थिव शरीर भाई वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज में छात्रों की पढाई के लिए दान में दिया गया। इनके नेत्र वर्धमान आई सेंटर द्वारा ससम्मान दान में लिए गए। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद। दधीचि परिवार की ओर से दिवंगत आत्मा को शत शत नमन।

संपर्क सूत्र : बेटी श्रीमती बीना 9650616992

श्री राम नाथ अग्रवाल

फरीदाबाद निवासी श्री राम नाथ अग्रवाल का 69 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया । उनके बेटे ने गर्व से बताया कि वे बहुत अच्छे विचारों के इंसान थे । उन्होंने अपने जीवनकाल में ही अपने नेत्र दान करने की इच्छा बताई थी । परिवार ने इस इच्छा का सम्मान किया । वेणु आई सेंटर की टीम 29 जनवरी को मरणोपरांत स्व. रामनाथ के नेत्र, दान में ले गयी । समाज में एक प्रेरक उदाहरण रखने के लिए परिवार जनों का साधुवाद । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें । दधीचि परिवार की सविनय श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री मनोज गुप्ता 9213784384

श्री इन्द्रसेन माहेश्वरी

श्री इन्द्रसेन माहेश्वरी ने 92 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की । वे गाजियाबाद विभाग के पूर्व संघचालक थे । माहेश्वरी समाज के साथ साथ सेवा कार्यों को करने वाली कई सामाजिक संस्थाओं में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही । उनकी स्मृति सभा में गाजियाबाद के कई गणमान्य महानुभावों ने उनकी कर्मठता और कार्यशैली की निरंतरता को याद किया । किसी भी समाजोपयोगी प्रकल्प के लिए चंदा इकठ्ठा करने से लेकर, सभी व्यवस्थाएं करने तक में वे तत्पर रहते थे । उन्होंने स्वतः प्रेरणा से अपनी देहदान का संकल्प भी लिया हुआ था । उनके संकल्प का आदर करते हुए परिवारजनों ने 30 जनवरी को मरणोपरांत उनका शरीर मेडिकल छात्रों की पढाई के लिए UCMS (जी.टी.बी. अस्पताल) को दान में दे दिया । वेणु आई सेण्टर की टीम ने ससम्मान उनके नेत्र दान में ले लिए । इस समाजोपयोगी महादान के क्रियान्वयन के लिए हम परिवार को आभार व्यक्त करते हैं । आजीवन समाज को समर्पित व्यक्तित्व मरणोपरांत भी स्वयं को समाजोपयोगी बना गया । समिति परिवार की ओर से सादर नमन । ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री सुनील माहेश्वरी 9311520013

श्रीमती पुष्पा ओबेरॉय

ईस्ट अर्जुन नगर निवासी श्रीमती पुष्पा ओबेरॉय ने 80 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया । उनके एक निकट सम्बन्धी ने बताया कि दो छोटे बच्चों को छोड़ कर उनके पति चल बसे थे । संघर्षमय जीवन रहा । गृहस्थ में प्रवेश कर के जल्दी ही बेटा और दामाद भी दिवंगत हो गए । चट्टान की तरह रह कर उन्होंने अपनी बेटी और बहु को सम्बल प्रदान किया । परिस्थितियों ने उन्हें बहुत मजबूत बना दिया था । परिवार ने मरणोपरांत स्वर्गीय पुष्पा की आँखें वेणु आई सेंटर को दान कीं । समाज में दान का एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हम परिवार जनों का अभिवादन करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें - ऐसी दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र : निकट सम्बन्धी श्रीमती सुमन ओबेरॉय 9910066744

श्री जगदीश भारतीय

श्री जगदीश भारतीय 87 वर्ष की आयु में 10 फरवरी को दिवंगत हो गए । वे टैगोर गार्डन में रहते थे । उनके बेटे से बात करने पर पता चला की उनका जीवन सामाजिक रूप से सक्रिय रहा । उन्होंने टैगोर गार्डन में RWA बनाई और 15 साल उसके अध्यक्ष रहे । वे हर साल राम नवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बच्चों के लिए चित्र प्रतियोगिता कराते थे । उन्होंने CBSE केशिक्षा विभाग में पेपर सेटर के रूप में अपनी सेवाएं दीं थीं । उनके बेटे ने मृत्यु के बाद उनकी आँखें दान करने का निर्णय लिया । परिवार ने भी इसमें उनको सहमति दी । वेणु आई सेंटर की टीम ने ससम्मान इस दान को स्वीकार किया । मानवता की सेवा में किये गए इस महादान के लिए परिवार जनों का अभिवादन । ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें । दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि ।

संपर्क सूत्र : पुत्र मनीष भारतीय 9810221814

श्रीमती कश्मीरी देवी

90 वर्ष की आयु में श्रीमती कश्मीरी देवी का देहावसान हो गया। वे त्रिनगर में रहती थीं। परिश्रमी व परिवार के प्रति समर्पित महिला थीं। उनके बड़े बेटे ने भावुकता से अपनी माँ को याद करते हुआ फ़ोन पर बताया, "जब देश में आपात काल घोषित हुआ तब मैं अज्ञात रूप से जेल ले जाया गया। तीन दिन तक भूखी प्यासी रहकर माँ जब मेरे से मिलने में सफल हुईं, तब जाकर कुछ खा पायीं। इसी घटना क्रम में अनेकों बार पुलिस से भी सामना हुआ। इस तरह की घटनाओं से वे घबराती नहीं थीं ।” 12 फरवरी को मरणोपरांत स्व. कश्मीरी देवी के दोनों बेटों ने उनके नेत्रदान का निर्णय लिया। मानवता की सेवा में किए गए इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवारजनों का अभिवादन। गुरु नानक आई सेण्टर की टीम ससम्मान इनके नेत्र दान में ले गई। दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार की सविनय श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : पौत्र नितिन गोयल 9311142708

श्री सत्यपाल भाटिया

श्री सत्यपाल भाटिया जी का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया वे पटपड़गंज में रहते थे। आर्यसमाज विचारधारा से ओतप्रोत व कर्मठ स्व. सत्यपाल प्रिंटिंग का काम करते थे। चारों वेदों का हिंदी भाषानुवाद इनकी सहायता से ही छप सका। हिन्दू धर्मरक्षक पुस्तकें अधिकांशतः इन्ही की प्रेस में सस्ते दामों में छपा करती थीं।ये हिंदी आर्य प्रतिनिधि सभा के उपप्रधान रहे और कई आर्य संस्थाओं से भी जुड़े रहे। 14 फरवरी को इनके देहावसान के बाद परिवारजनों ने आर.पी. सेंटर (एम्स) को इनके नेत्र दान किये। दधीचि परिवार मानवता की सेवा में किये गए इस देहदान के लिए परिवार जनों का साधुवाद करता है। ईश्वर से हमारी प्रार्थना है की दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री जितेंद्र भाटिया 9811322155

श्री रमेश चंद्र अग्रवाल

श्री रमेश चंद्र अग्रवाल का 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे मालवीय नगर में रहते थे। मरणोपरांत उनका पार्थिव शरीर वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज में छात्रों की पढाई के लिए दान में दे दिया गया। इस पुण्य कार्य के लिए परिवार जनों का अभिनन्दन। स्व. रमेशचंद्र के एक निकटस्थ स्नेही बंधू ने उन्हें इन शब्दों में याद किया, “हमारे भाई रमेश चन्द्र अग्रवालजी ने मृत्यु से पूर्व ही अपनी देह को दान करने का निश्चय कर लिया था व अपने इस निर्णय की जानकारी अपनी पत्नि, चारों पुत्रियों, भाई सहित सभी निकट सम्बन्धियों आदि को दे दी थी। रमेश जी हमारी बुआजी के पोते थे। बचपन से देहावसन तक उनका मेरे साथ अटूट प्रेम बना रहा। सहृदय, हर दिल अजीज, सबकी सदैव खैर- खबर रखने वाले बरेली, पीलीभीत और अब दिल्ली निवासी स्वर्गीय रमेश भाई सेन्ट्रल वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन मे रीजनल मेनेजर के पद से रिटायर होकर पत्नि सहित सुख - शान्ति पूर्वक जीवनयापन कर रहे थे।

रमेश चन्द्र जी का जन्म पीलीभीत मे 13 दिसम्बर 1942 को हुआ था, गवर्नमेंट इन्टर कालेज से 12 वी करने के बाद आपने गोविन्द बल्लभ पन्त विश्वविद्यालय से पढाई पूरी करने के बाद बरेली मे नेशनल सीड कार्पोरेशन मे सर्विस की शुरूआत की। आपकी शादी 26 नवम्बर 1967 मे बरेली में हुई। कुछ वर्ष वहां कार्य करने के बाद उन्होंने सेन्ट्रल वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन मे अपने जीवन की लम्बी पारी की शुरूआत की और लखनऊ, कोलकाता, अहमदाबाद, दिल्ली व मुम्बई में कार्य कर कामशिृयल मेनेजर के पद से रिटायर हुए। उनकी कुशल कार्य शैली, सख्त व ईमानदार प्रशासनिक क्षमता का लोहा CWC में सभी मानते थे और आज भी उन्हे याद करते हैं। 2007 -08 मे सेवा निवृत्त होने के बाद भाई रमेशजी 'डीएलएफ ' मे सलाहकार रहे और कुछ समय बाद उन्होंने RITES & Window Impex Delhi मे क्रमशः सलाहकार व chief controller के पद पर आजीवन ।वह अपने पीछे पत्नि, चार पुत्रियों, भाई –बहिनों का भरा पूरा परिवार छोड गए हैं। रमेश भाई ने अपनी अन्तिम सांस अपोलो अस्पताल दिल्ली मे 15 फरवरी को ली। देहदान की प्रक्रिया अस्पताल में ही पूरी कर उनका शव अस्पताल / मेडिकल कालेज को सौंप दिया गया। इस प्रकार हमारे रमेश भाई ने इस 21 वीं शताब्दी में अपनी देहदान कर वह पद प्राप्त कर लिया जो 'महर्षि दधीचि ' को मिला हुआ है। उनका जीवन ही त्यागमय रहा। मां – पिता की सेवा, बहनो भाईयो की हर संभव देखभाल और अपनी चारों पुत्रियों को उच्च शिक्षा व उनकी सभी की यथासमय योग्यतम वर की खोज कर शादी सम्पन्न कराना उनके ही बस में था। मेरे व हमारे परिवार पर भी उनका सदैव वरदहस्त रहा। जीवन के अंतिम समय भी रमेश भाई हम सभी को सीख दे गए है मृत्यु उपरान्त भी जीवन को सफल बनाने और दूसरों के काम आते रहने की जाते जाते हुए भी बहुत अहम सीख दे गए हैं व दिव्य आत्मा बन गए हैं। उस महान विभूति, दधीची तुल्य दिव्य मानव को सादर नमन।” दधीचि परिवार द्वारा दिवंगत आत्मा के लिए सविनय श्रद्धा सुमन।

संपर्क सूत्र : पुत्री डॉ. सोनू अग्रवाल 9810508029

श्रीमती आशा गुप्ता

श्रीमती आशा गुप्ता का 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे बुराड़ी में रहती थीं। वे सामान्य रूप से अपना जीवन चलाने वाली एक धार्मिक महिला थीं। उनके बेटे ने बताया की उनके पिताजी के नेत्र दान हुए थे, और उसमे माँ की सहमति भी रही। यद्यपि माँ ने कभी व्यक्तिगत रूप से नेत्रदान की चर्चा नहीं की, पर उनके पुत्र ने सहज एक निश्चित रूप से होने वाले काम की तरह नेत्रदान को संपन्न किया। इस प्रेरक काम के लिए परिवार का साधुवाद। 16 फरवरी को मरणोपरांत स्व. आशा गुप्ता के नेत्र गुरुनानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में ले करगयी। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री विशाल अग्रवाल 9910611422

श्रीमती कौशल्या देवी

फरीदाबाद निवासी श्रीमती कौशल्या देवी 22 फरवरी को परलोक सिधार गयीं। वे 82 वर्ष की थीं। उनके पुत्र ने बताया की माताजी सुलझे हुए विचारों की शांत और सरल महिला थीं। वे सनातन धर्म को मानती थीं। समिति के कार्यकर्ता श्री विकास भाटिया की प्रेरणा से परिवार ने सहज में ही नेत्र दान करने का निर्णय ले लिया। एम्स की टीम स्वर्गीय कौशल्या देवी के नेत्र ससम्मान दान में लेकर गयी। परिवारजनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री रविंदर गर्ग 9818614242

श्री मनोज डिसोरिया

श्री मनोज डिसोरिया का 28 फरवरी को देहांत हो गया। वे 57 वर्ष के थे। उनकी भांजी ने बताया कि वे परिवार के लिए, और विशेष रूप से अपनी माँ के लिए बहुत समर्पित थे। अज्ञात रूप से दान करते थे। अपने आसपास सब को स्नेह करना व अच्छे से सबका ध्यान रखना – उनके स्वभाव में था। परिवार ने उनके देहांत के बाद उनके नेत्रदान का निर्णय ले कर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया किया है। वेणु आई सेंटर की टीम उनके नीति बाग निवास से ससम्मान उनके नेत्रदान में लेगयी। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के लिए दधीचि परिवार की श्रद्धांजलि ।

संपर्कसूत्र : भांजी मानसी जैन 96500778958