तेरह वर्ष की बच्ची ‘मधुस्मिता’ की Brain Stem Death घोषित होने पर उसके पिता दिलीप और माँ अर्चना ने उसके अंगदान का निर्णय किया। दिलीप CISF (Central Industrial Secuity Force) में कार्यरत हैं, मुश्किल निर्णय था, पर समाज एवं देश के लिये कुछ करने का जज्बा उनके Profession का मूल है। इस जज्बे ने इस मुश्किल घड़ी में भी समाज को अमूल्य जीवनदायक दान देने का तय किया। यह घटना दुर्गापुर-पश्चिम बंगाल की है।
दिलीप और अर्चना को 3 फरवरी 2019 को CISF के एक कलकत्ता के कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। मैं और हमारी समिति के उपाध्यक्ष डाॅ0 विशाल इस कार्यक्रम में देहदान एवं अंगदान विषय पर CISF के अधिकारियों और उनके परिवार वालों को सम्बोधित करने गये थे। CISF ने अंगदान-देहदान को अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में एक मुहिम के रूप में लिया है। इसी श्रृंखला में CISF ने इंदिरापुरम, नोएडा एवं बिजवासन की यूनिट्स में इस विषय को अपने अधिकारियों एवं जवानों के बीच में बडे कार्यक्रम करके रखा है।
यह विषय अब समाज में अधिक स्वीकार्य होने लगा है चाहे वह समाज किसी भी पूजा पद्धति को मानता हो। ऐसा लगने लगा है कि अंगदान करने वालों का एक नया समाज बन रहा है। जो व्यक्ति संकल्प कर लेता है वह तीन-चार महीने में समिति के फोन नम्बर पर फोन करके निश्चित हो जाना चाहता है कि कहीं ऐसा न हो कि उसका संकल्प अधूरा रह जाये।
हमारी समिति दिल्ली और NCR में ही इस कार्य को करती है पर देश के अन्य राज्यों से भी बहुत फोन इस विषय पर जानकारी लेने के लिये आते हैं। अन्य राज्यों की स्थानीय संस्थाओं को विषय की जानकारी एवं कार्य पद्धति के बारे में अपने अनुभव सांझा करते हुए हम उनका मार्गदर्शन करते हैं। वहां की सामाजिक संस्थाऐं आगे आऐं, विषय की कार्यपद्धति को समझकर इस आंदोलन के माध्यम से भारत को स्वस्थ-सबल बनाने में अपना योगदान दें। ऐसी हमारी अपेक्षा है। दिल्ली और NCR में स्वयं कार्य करते हुए देश के अन्य भागों में भी देहदान/अंगदान आंदोलन को सफल बनाने में हमें जन मानस का सहयोग मिलता रहे। ईश्वर इस कार्य को करने की हमें सामर्थ्य प्रदान करे।
धन्यवाद
हर्ष मल्होत्रा
भगवान अटलानी
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