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चैबीसवां देहदानियों का उत्सव


नई दिल्ली, 10 मई 2015 । दधीचि देह-दान समिति का चैबीसवां देहदानियों का उत्सव, राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के जवाहरलाल नेहरु आॅडीटोिरयम में मनाया गया। कायर्क्रम के मुख्य अतिथि थे डॉ. हर्ष वर्धन, केन्द्रीय विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री, दिल्ली सरकार। कार्यक्रम में तीन ऐसे लोगेा का अभिनन्दन किया गया जिन्होने निःस्वार्थ और बिना किसी प्रचार के प्रत्यक्षरूप से दधीचि देहदान समिति का सहयोग किया। इनमें दो नाम है डॉ. विनय अगव्राल, पूर्व अध्यक्ष, आईएमए तथा एम्स के निदेशक डॉ. एम. सी. मिश्रा। तीसरा नाम ऐसा है जो इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक साधारण इंसान असाधारण बन जाता है। यह नाम है गौतम फाउंडेशन, दिल्ली के श्री नवनिधि कुमार गौतम।

जहां डॉ. विनय अग्रवाल और डॉ. एम. सी. मिश्रा ने चिकित्सा के उच्च पद पर रह कर वक्त-बेवक्त समिति की और देह-दान करने वाले के परिवारवालो की मदद की, वहीं श्री गौतम ऐसे इंसान हैं जिन्होने यह सोचा कि मरीज़ के उन तीमारदारो के लिए भोजन की व्यवस्था की जाए जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं। श्री गौतम ने पाचं-पाचं रु. के कूपन छपवाए और एम्स के आस-पासभोजन के ढाबे वालो से कहा कि 30 रु. की थाली के बाकी पैसे वो देगंे।उनकी इस बात ने उनके दिलों को छू लिया और उन्होने कहा कि वह उनसे वास्तविक कीमत यानी सिर्फ 15 रु. ही लेंगें । और तब इनके फाउंडेशन ने जन्म लिया और सिलसिला चल पड़ा। यह पिछले 15 साल में 15 करोड़ रु. की सहायता कर चुके हैं।

कायर्क्रम की शुरूआत मंत्रोच्चार के साथ दीप पज््रज्वल से हुआ। कार्यक्रम में नाटौ यानी नेशनल आॅर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लाटं के निदेशन डॉ. सौदान सिंह ने स्लाड्स के माध्यम से देहदान से होने वाले फायदों की संक्षिप्त लेकिन पूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दान में मृत देहों से किस तरह चिकित्सा छात्र चिकित्सा विज्ञान के हर पक्ष का अध्ययन करते हैं। इस अध्ययन में न केवल पूरी शारीरिक रचना बल्कि, अंगों के आॅप्रेशन, प्रत्यारोपण इत्यादि सभी का वह पूर्ण अभ्यास करते हैं। उन्हने इस बात का भी उल्लेख किया कि मरीजों कि ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अंगों की उपलब्धता मे भारत अब भी निचली पायदान पर है। सबसे ऊपर नाम स्पेन और अमेरिका का आता है। भारत मे एक लाख व्यक्तियों पर सिर्फ शून्य दशमलव पाँच व्यक्तियों के ही अंग उपलब्ध हो पाते हैं।

मुख्य अतिथि डॉ. हर्ष वर्धन ने बताया कि वह दधीचि देह-दान समिति से बीस वर्षाें से जुड़े हुए हैं। उन्होने कहा कि शैशवावस्था पार कर बाल अवस्था मे कदम रख चुकी इस समिति के माध्यम से अनेक लोगो को जीवदान मिल चुका है। उन्होंने कहा कि देह-दान मृत्यु से पहले ( मृत्यु के बाद ) जीने का संकल्प है। उन्हो ने बताया, और ऐसा हाल के एक महीने मे दो मामलो मे हुआ भी है, कि मस्तिष्क मृत्यु होने पर एक व्यक्ति के विभिन्न अंगों जैसे हृदय, हृदय वाॅल्व, जिगर, यकृत के प्रत्यारोपण से अनेक मरीज़ों को बचाया जा सकता है।

जैन संत आचार्य रूपचंद जी ने कहा कि भारतीय चिंतन की मान्यता है कि हम शरीर नहीं आत्मा हैं। आत्मा नित्य है और शाश्वत भी, जबकि शरीर अनित्य है और मरणशील। लेकिन, एक मनुष्य अपनी देह का दान कर अनित्य देह को चिरंतन और अमर बना सकता है। सत्य तो यह है कि देह-दान का यह आंदोलन आधुनिक युग की एक नई क्रांति की शुरुआत है। देह-दानी, हो सकता है कि अपना सम्पूर्ण जीवन एक सामान्य गरीब की भांति गुजार दे लेिकन आखिर मे वह पूरे समाज को यह संदेश देकर जाता है कि वह किसी भी सम्पन्न से अधिक धनवान है, क्यों कि उसके द्वार पर धनवान से धनवान व्यक्ति भी झुक कर उस दान को स्वीकार खुद को धन्य मानता है।

कायर्क्रम में मृत्यु बाद देह या अंग दान करने वाले 53 दानियों के परिवारजनो का सम्मान और कायर्क्रम शरूु होने से पहले देन-दान का संकल्प लेने वाले 302 लोगो का स्वागत किया गया।

अमित कुमार सिंह, एडवोकेट
कार्यालय सचिव
दधीचि देह-दान समित, दिल्ली
09582883432

अभिनंदन

दधीचि देहदान समिति ने अपना चैबीसवां उत्सव 10 मई 2015 को मनाया। इस उत्सव में 3 अनुकरणीय व्यक्तियों का अभिनंदन किया जिन्होनंे निस्वार्थ समाज के प्रति अपने को समर्पित कर उदाहरण पेश किया है।

डाॅ विनय अग्रवाल: - पेशे से डाॅक्टर, पुष्पांजली क्रौसले अस्पताल के चेयरमैन व इंडियन मेडिकल एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष डाॅ विनय अग्रवाल शुरू से ही दधीचि देहदान समिति के साथ जुड़े हैं। आई.एम.ए. महासचिव के पद रहते हुए डाॅ विनय अग्रवाल ने ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य विकास के लिए ‘‘आओ गांव चलें’’ नाम से एक सामाजिक प्रोजेक्ट की शुरूआत की जिसे अत्यंत सहराया गया। मेडिकल क्षेत्र की कई किताबें लिखी है। अत्यंत व्यस्त होने बाद भी समिति के हर कार्य में अपना सहयोग दिया है।

श्री नवनिधी गौतम:- भारत सरकार में कार्यरत इनको समाज सेवा विरासत में मिली है। पिता एक स्वयं सेवक थे। श्री नवनिधी ने गौतम फाऊण्डेशन की स्थापना कर एम्स व सफदरजंग अस्पताल में गरीब मरीज व उनके साथियों को केवल 5 रूपये में खाना खिलाने का जिम्मा उठाया। 5 रूपये में कूपन देकर 27 रूपये का खाना मिलता है। बाकी का 22 रूपया वे अपने फाउण्डेशन से देते हैं। आज संस्था के पास 3 एम्बूलेंस भी हैं जो गरीब मरीजो को मुफ्त सेवा देती है। जरूरतमंदों को मुफ्त दवाइयां भी उपलब्ध कराती है। श्री नवनिधी आज भी रात को अकेले अस्पताल का दौरा करके वास्तविक स्थिति का स्वयं आंकलन करते हैं। करोड़ों का चन्दा प्राप्त करने के बावजूद कार्यालय पर अबतक कुल 5 हजार का खर्चा हुआ है जो इनकी निष्ठा व कार्यशैली का प्रतीक है।

प्रो एम.सी.मिश्रा: एम्स के डायरेक्टर पद पर कार्यरत डाॅ मिश्रा पहले संस्थान के ट्रौमा सेन्टर के प्रमुख थे। एम्स के ट्रौमा सेन्टर को एक देश का माडल सेन्टर बनाने का श्रेय भी इनको ही जाता है। डाॅ बी.सी.राय से सम्मानित प्रो मिश्रा एक अत्यंत नामी व कुशल सर्जन होने के साथ ही नम्र व्यक्तित्व इनकी विशेषता है। दधीचि देहदान समिति को अभूतपूर्व सहयोग इनके द्वारा मिला है। समिति को सहायता करने की हमेशा तत्पर प्रो मिश्रा के कारण समिति को देहदान/अंगदान के इस आंदोलन को एक नई दिशा मिली है।