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देहदान-अंगदान समाज की एक बड़ी जरूरत - ब्रह्म कुमारी उर्मिला दीदी

एक देह के अंगदान से कई जिंदगियां रोशन हो सकती हैं। अगर एक व्यक्ति भी देहदान – अंगदान करने को प्रेरित होता है, तो दधीचि देह दान समित्ति उत्तर पूर्वी क्षेत्र का यह प्रयास सार्थक हो जाएगा. इसी उदेश्य को मूल मन्त्र मान कर दधीचि देहदान समिति के तत्वावधान में 12 मार्च 2017 को गोविन्दम बैंकट हॉल दुर्गापुरी चौक में देहदानियों का उत्सव आयोजित हुआ। इसमें 16 देहदानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया एवम 7 दिन के नवजात शिशु का देहदान जैसे कठिन निर्णय लेने वाले दम्पति श्री सूरज एवम श्रीमती आँचल को भी सम्मानित किया इसके साथ ही इस अवसर पर 136 लोगों ने देहदान एवं अंगदान का संकल्प लिया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि ब्रह्मकुमारी उर्मिला दीदी, महामंडलेश्वर स्वामी अनुभूतानंद जी, डॉ वी पी गुप्ता प्रिंसिपल UCMS एवम श्री आलोक कुमार सहप्रान्त संघचालक एवम् अध्यक्ष दधीचि देह दान समिति द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। ब्रह्मकुमारी उर्मिला दीदी ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को इस पुनीत कार्य में भाग लेना चाहिए, क्योंकि देहदान, अंगदान से बड़ा कोई भी दान नहीं है। कि भारत में सर्वकल्याण को सबसे अधिक महत्व देने की संस्कृति रही है। भारत की प्राचीन जनकल्याण की परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए ही आज हमारे समाज में अत्यंत अवश्यकता है ।

महामंडलेश्वर स्वामी अनुभूतानंद जी कहा कि देह दान कर कोई भी व्यक्ति मृत्यु के बाद भी दूसरों को जिंदगी का उपहार दे सकता है स्वामी जी ने देहदान के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों का अध्यात्म के माध्यम से तर्क सहित लोगो की उत्सुकता का निवारण किया । उन्होंने कहा कि देह दान और अंगदान अधिक से अधिक लोग करे ताकि बड़े पैमाने पर लोगों की प्राण रक्षा की जा सके। डा वी पी गुप्ता ने देहदान तथा अंगदान के तकनीकी पक्ष पर संबोधित करते हुए अत्यंत सरल भाषा में विषय पर रौशनी डाली, विद्यार्थियों की जरूरत व रिसर्च में देह की आवश्कता पर उन्होंने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से चर्चा की. देहदान और अंगों के प्रत्यारोपण से संबंधित नियमों को सरल बनाया जाना चाहिए ।

अपने संबोधन में श्री आलोक कुमार ने कहा कि आज भारत की सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि लोग बड़ी संख्या में देहदान और अंगदान के लिए आगे आएं, ताकि प्रतिवर्ष लाखों लोगों को जीवनदान मिल सके। उन्होंने कहा कि लोग अंगदान नहीं करते इसलिए ही अंगों का अवैध कारोबार होता है, यदि हम चाहते हैं कि यह कारोबार बंद हो तो हमें अंगदान और देहदान के लिए आगे आना होगा। आलोक कुमार ने कहा कि भारत ऋषि दधीचि जैसे महान देहदानी का देश है। यहां परोपकार और लोक कल्याण के लिए अपना सर्वस्व त्यागने की प्राचीन परम्परा रही है। हमें उसी परम्परा को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि समाज के सम्पन्न तथा प्रभावशाली लोगों को देहदान तथा अंगदान के लिए स्वत: आगे आना चाहिए, ताकि आम जनता भी उनका अनुसरण करे। संस्था की गतिविधियों की जानकारी देते हुए आलोक कुमार जी ने बताया कि भारत की प्राचीन जनकल्याण की परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए ही आज से 22 साल पहले दधीचि देहदान समिति का गठन किया गया था। समिति के माध्यम से अब तक 5500 लोगों ने शरीर दान करने का संकल्प लिया है। अब तक 143 लोगों ने देहदान किया है, 3 लोगो का अंगदान तथा 473 लोगो का नेत्रदान हो चूका है । 1 व्यक्ति ने अपनी अस्थियों का दान किया है।

इस कार्यक्रम में रक्तदान और देहदान के विषय में लोगो को जागरूक करने के लिए अन्य सामाजिक संस्थानों से जुड़े श्री अभिमन्यु गुलाटी (पीपुल्स राईट फ्रंट), श्री आनंद हरलालका (कोशिश सेवा संस्था), श्री मनोज अग्रवाल (सहायतार्थ मित्र मंडल) एवं श्री सुधीर जी (GEN EX फाउंडेशन) को भी सम्मानित किया गयाs।

मंच संचालन वी के शर्मा द्वारा किया गया मुकेश जैन, डॉक्टर बेदी (ईस्ट दिल्ली मेडिकल सेंटर) ने स्वागताध्यक्ष के रूप में विशेष उपस्थित दर्ज़ की। कार्यक्रम की अध्यक्षता दधीचि देहदान समित्ति के उत्तर पूर्वी विभाग के संयोजक योगेन्द्र अग्रवाल ने की । कार्यक्रम के संयोजक सीमा गुप्ता,अनिल वर्मा और विश्वास कुमार शुक्ल ने कार्यक्रम के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर सभी आगुन्तको का धन्यवाद किया ।